मेरे सपनों का भारत पर निबंध (India of My Dreams Essay in Hindi)

मेरे सपनों का भारत- हम जानते हैं कि प्रत्येक भारतीय के मन में देश के प्रति प्रेम और सद्भाव की भावना रहती है और हम भारतीय अपने देश से इतना प्रेम करते हैं कि जहां बात देशभक्ति की आती है हम अपनी ओर से कोई कोर कसर नहीं छोडते साथ ही प्रत्येक भारतवासी अपने देश को लगातार तरक्की की ओर जाते हुये देखना चाहते हैं। हर भारतीय के दिल में उसके सपनों का भारत बसता है। आज हम इस लेख में आपको बतायेंगे कि सपनों के भारत पर निबन्ध कैसे लिखें और कैसा होना चाहिये सपनों का एक आदर्श देश।

मेरे सपनों का भारत पर निबंध (India of My Dreams Essay in Hindi)
मेरे सपनों का भारत पर निबंध (India of My Dreams Essay in Hindi)

मेरे सपनों का भारत – प्रस्तावना

जैसा कि हम जानते हैं कि धर्म और संस्कृति हमेशा से ही भारत की पहचान रही है। कई मायनों में हमारा देश अनूठा और पूरे विश्व में अलग पहचान रखने के लिये जाना जाता है, फिर चाहे वह हमारी वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा हो, हमारा विश्व का सबसे बडा लोकतंत्र होना हो या फिर आधुनिक दौर से कदम से कदम मिलाते हुये अपने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह तक अंतरिक्ष यान भेजने में सफलता प्राप्त करना हो।

खेल के मैदान से लेकर रक्षा और तकनीक के क्षेत्र तक हमारी अनेकों ऐसी उपलब्धियां हैं जिन पर हमें गर्व है और प्रत्येक भारतवासी को गर्व होना चाहिये। लेकिन जहां एक ओर प्रगति के क्षेत्र में बढता हुआ भारत है तो वहीं दूसरी ओर बहुत से ऐसे पहलू हैं जिन पर देश को अभी बहुत लम्बा सफर तय करना है। आज भी कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर कि उन्नति किये बिना हमारे देश को और हमारे समाज को सर्वगुण सम्पन्न नहीं कहा जा सकता है।

हमारे सपनों का भारत ऐसा ही होना चाहिये जिसमें कि हमारा देश प्रत्येक क्षेत्र में अपनी अक्षुणता और सांस्कृतिक पहचान खोये बिना विश्व में सबसे आगे रहे और शांति तथा सद्भावना का संदेश देते हुये सम्पूर्ण विश्व का नेतृत्व करे। हमारे इस वाजिब लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये हमें एक देश के तौर पर अपनी कमजोरियों को पहचानना होगा। क्योंकि जब तक हमें कमजोरियों का ज्ञान नहीं होगा तब तक हम उस क्षेत्र में सुधार नहीं कर पायेंगे। मेरे विचार में सुधार करने योग्य ऐसे ही कुछ विषय और क्षेत्र हैं-

सपनों का भारत: शिक्षा का स्तर

इसमें कोई दोराय नहीं है कि भारत में विगत के वर्षों में निरंतर शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करने के प्रयास हुये हैं और तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में भी हमारे देश ने उल्लेखनीय प्रगति की है। इसी का परिणाम है कि देश में आईआईटी और आईआईएम जैसे विश्व के अग्रणी शिक्षण संस्थाओं का विकास हो सका है। परन्तु भारत जैसी विशाल आबादी वाले देश में शिक्षा के क्षेत्र में और अधिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।

जहां एक ओर शिक्षा में तकनीक का समावेश और राष्ट्रीय और अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर भारत की शैक्षिक प्रणाली को सराहा जाता है, वहीं तस्वीर के दूसरे पहलू को उतना महत्व नहीं दिया जाता है। जहां कि ग्रामीण भारत में आज भी शिक्षा का उस स्तर पर विकास नहीं हो पाया है, जिस स्तर होना चाहिये था।

ग्रामीण भारत में आज भी हमें भारत का भविष्य कहे जाने वाले बच्चे बाल मजदूरी करने को मजबूर दिखायी पडते हैं। भुखमरी और तंग आर्थिक हालत से जूझ रहा कोई ग्रामीण परिवेश का परिवार यदि अपने बच्चे के उज्जवल भविष्य का सपना संजोये उसे शिक्षित करना चाहता है तो हमारे देश में आज भी गांवों में शिक्षा के पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं है।

हालांकि ऐसा नहीं है कि इस क्षेत्र में सुधार लाने के लिये कोई प्रयास नहीं किया गया। लेकिन ये सभी प्रयास अपेक्षाकृत नतीजे नहीं दे पाये। इसका कारण है जमीनी स्तर पर मौजूद चुनौतियां। जैसे कि गांवों को भारत की आत्मा कहा जाता है। लेकिन इसी आत्मा में रह रहे किसी ग्रामीण को पर्याप्त शिक्षा पाने के लिये इस आत्मा को छोडना पडता है, क्योंकि कई गांवों में तो वर्तमान में भी प्रारंभिक स्तर की शिक्षा के लिये भी स्कूल नहीं हैं। उन्हें प्राथमिक शिक्षा के लिये भी शहरों की ओर रूख करना पडता है। दूसरा कारण है हमारे देश के उपर थोपी गयी शिक्षा नीति।

आधुनिक भारत की शिक्षा नीति इतनी कारगर नहीं है कि वास्तविक प्रतिभा को देश के उच्च संस्थानों में पंहुचाने में मदद कर सके। सरकार के द्वारा लागू की जा रही नयी शिक्षा नीति से थोडा बहुत उम्मीद बंधी है कि अब हमारे देश में शायद शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति हो सके। हमारे सपनों का भारत बनाने के लिये ऐसे ही अनेक प्रयासों की आवश्यकता है और सिर्फ प्रयास ही नहीं इन प्रयासों का समय समय पर मूल्यांकन करना भी उतना ही जरूरी है। तभी हम हमारे सपनों का वह भारत बना पायेंगे जहां कि बिना किसी भेदभाव के सभी नागरिकों का शिक्षा पर वास्तव में उतना अधिकार हो पाये जितना कि हमारे संविधान के द्वारा दिया गया है।

लैंगिक असमानता

हमारे देश की लैंगिक असमानता की चिंताजनक स्थिति किसी से छुपी नहीं है। यह जानकर आपको हैरानी होगी कि लैंगिक असमानता में हमारा देश विश्व के दोयम दर्जे के देशों में शामिल है। जहां एक तरफ समानता के अधिकार की हर तरफ चर्चा की जाती है वहीं यदि हम जमीनी स्तर की वास्तविकता को जानने की कोशिश करें तो पायेंगे कि यह कितनी भयावह है। समान अधिकारों की बात करें तो आज भी हमारे देश में स्त्री और पुरूषों में भेदभाव किया जाता है।

महिलाओं को पुरूषों की तुलना में अपेक्षाकृत कम मौके दिये जाते हैं। जबकि हमारे संविधान के नीति नियन्ताओं के द्वारा स्पष्ट रूप से लैंगिक भेदभाव को नकार दिया गया था और इसके लिये संविधान में महिलाओं को विशेषाधिकार भी दिये गये थे। लेकिन आज हमारे संविधान को बने हुये भी लगभग आठवां दशक चल रहा है और आज भी शहर से लेकर गांवों तक और सभी वर्गों में लैंगिक असमानता गम्भीर रूप से व्याप्त है।

आज भी लिंग के आधार पर भेदभाव किया जाता है। महिलाओं को शिक्षा के अधिकार से वंचित रखा जाता है। उन्हें उच्च शिक्षा ग्रहण करने नहीं दिया जाता है। महिलाओं के प्रति हिंसा, उनका शोषण और उनके साथ र्दुव्यवहार के मामले देश में लगातार प्रतिवर्ष बढते जाते हैं, वो भी तब जबकि पिछले दो दशकों में भारत के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति से लेकर राज्यों की मुख्यमंत्री हों या ओलंपिक खेलों में स्वर्ण हासिल करने से लेकर सेना के फाईटर जेट उडाने तक हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपना लोगा मनवाया है

इसके बावजूद भी यदि हम महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह की सोच को नहीं बदल पा रहे हैं तो ये कहीं न कहीं एक देश और समाज होने के तौर गंभीर चिंतन का विषय है। हमारे प्यारे देश को सपनों के भारत में बदलने के लिये देश में लैंगिक असमानता को जड से उखाड फेंकना होगा। हमारे सपनों का भारत ऐसा होना चाहिये कि जहां पर समाज के द्वारा भी किन्हीं दो नागरिकों के मध्य सिर्फ इसलिये फर्क न किया जाये कि एक नागरिक पुरूष है और एक नागरिक नागरिक महिला।

रोजगार के अवसर और आर्थिकी

वर्तमान भारत में रोजगार की स्थिति भी कोई संतोषजनक नहीं है। भारत में बेरोजगारी की दर 8 फीसदी से अधिक बढ चुकी है। भारत में प्रशिक्षित युवाओं की भी कोई कमी नहीं है बावजूद इसके भारत का अधिकांश युवा या तो बेरोजगार है या फिर उसे अपनी प्रतिभा और स्तर के अनुरूप कार्य नहीं मिल पा रहा है और उसे अपेक्षाकृत कम वेतन पर कार्य करना पड रहा है। जिसके कारण वह गरीब भी है और अपने जीवन स्तर को भी नहीं सुधार पा रहा हैं।

यही कारण है कि हर साल लाखों युवा हमारे अपने देश भारत को छोडकर रोजगार की तलाश में विदेशों का रूख कर रहे हैं। सोचिये यदि इन प्रतिभावान और उर्जावान युवाओं की उर्जा अपने ही देश में काम आये और हम इन युवाओं को अपने ही देश में रोजगार के पर्याप्त साधन उपलब्ध करवा पाये तो भारत को विकासशील देश से विकसित देश बनने में देर नहीं लगेगी।

यही कारण गरीबी का भी है। जिस व्यक्ति के पास रोजगार नहीं होगा वह निश्चित रूप से गरीब ही होगा। ऐसी स्थिति में कई बार युवा डिप्रेशन की स्थिति में भी पंहुच जाते हैं। साथ ही यदि सावधानी न रखी गयी तो इससे अपराध बढने का भी अंदेशा होता है। यदि हमें अपने सपनों के भारत की परिकल्पना को वास्तव में साकार करना है तो भारत में खासकर युवाओं के लिये रोजगार के अवसरों में त्वरित वृद्वि करनी होगी और उन्हें उनकी वास्तविक क्षमताओं के अनरूप उनकी आर्थिक स्थिति का भी खयाल किया जाना चाहिये। यदि हर युवा के पास रोजगार होगा और उसका जीवन स्तर आदर्श होगा तो ही हमें हमारे सपनों का भारत मिल पायेगा।

जातिगत एकरूपता और धार्मिक सद्भाव

एक आदर्श समाज में जातिगत एकरूपता और धार्मिक सद्भाव होना ही चाहिये। यही स्थिति देश के बारे में भी लागू होती है। वर्तमान परिपेक्ष्य में ही देखें तो भारत में धार्मिक कट्टरता गंभीर रूप ले चुकी है। यही स्थिति जातिगत भेदभाव को लेकर भी लागू होती है।

आज भी भारत के विभिन्न क्षेत्रों में पिछडी जातियों और जन जातियों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता है और उन्हें समानता की दृष्टि से नहीं देखा जाता है। वर्तमान में धार्मिक चरमपंथ के कारण हमारा देश आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दे का भी सामना कर रहा है।

हालांकि हमारा संविधान और देश में लागू कानून यह सुनिश्चित करतें हैं कि किसी भी व्यक्ति के साथ उसकी जाति, धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव न किया जाय, लेकिन इन कानूनों को वास्तविक रूप देने के लिये हमें एक समाज के रूप में आगे आना होगा और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होते हुये जाति प्रथा जैसी कुरीतियों को समाप्त करना होगा। हमारे सपनों का भारत ऐसा होना चाहिये जहां पर कि प्रत्येक नागरिक बिना किसी जातिगत भेदवाव और बगैर धार्मिक भेदभाव और धार्मिक चरमपंथ के मिलजुल कर सद्भावनापूर्वक रह सके।

India of My Dreams Essay in Hindi
India of My Dreams Essay in Hindi

अपराध दर

बिना अपराध दर को कम किये किसी भी देश का विकास नहीं हो सकता और अपराध दर देश की उन्नति में बाधक है। कानून के शिकंजे के बावजूद आये दिन भारत की अपराध दर में वृद्वि ही हो रही है। अपराध दर में वृद्वि होने के अधिकांश कारण गरीबी, भुखमरी, शिक्षा की कमी, रोजगार के अवसरों की कमी और नैतिक शिक्षा की कमी से जुडे हुये होते हैं।

इन कारणों के उपर हाल के वर्षों में गंभीरता भी दिखायी दी है। यदि इन कारणों को और गंभीरता से लिया गया तो निश्चित ही हम देश की अपराध दर को नियंत्रित कर पायेंगे। ताकि हमारे सपनों का भारत आपराधिक गतिविधियों से मुक्त हो सके और शांति और महात्मा गांधी के द्वारा दिये गये अहिंसा परमो धर्म के सिद्वान्त के साथ विकास नयी उंचाईयों को छू सके।

प्रदूषण मुक्त सपनों का भारत

तकनीक और औद्योगीकरण के इस आधुनिक दौर में हमने प्रकृति को कहीं पीछे छोड दिया है। जिसका प्रकृति हमें समय समय पर भूकम्प, बाढ और सूनामी जैसे संकेतों से स्मरण भी कराती है। हमें हमारे जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिये जमीनी स्तर पर प्रयास करने होंगे। जिससे पर्यावरण स्वच्छ रह सके और सपनों के भारत में रहने वाले नागरिक शारीरिक रूप से भी स्वस्थ हों। क्योंकि स्वास्थ्य हमारे जीवन का एक मुख्य घटक है। एक स्वस्थ व्यक्ति ही अपने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का पूरी तरह से निर्वहन कर सकता है। सपनों का भारत स्वच्छ, हरा भरा और प्रदूषण से मुक्त होना चाहिये।

उपसंहार

हमारे देश में विभिन्न मत रखने वाले और अलग अलग विचाराधारा रखने वाले लोग निवास करते हैं और इसी आधार पर हर व्यक्ति के सपनों का भारत अलग अलग तरह का दिख सकता है लेकिन कुछ मूलभूत चीजें हैं जो कि प्रत्येक नागरिक के सपनों के भारत में होगी और होनी भी चाहिये जैसे कि प्रत्येक नागरिको समान अधिकार मिलना, देशवासियों में धार्मिक, जातिगत, लैंगिक और क्षेत्रीय किसी भी आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा, प्रत्येक देशवासी के लिये अच्छी और गुणवत्तावान शिक्षा की व्यवस्था और महलाओं को भी शिक्षा और उच्च शिक्षा में समान अवसर होंगे, सपनों का भारत भ्रष्टाचार से अवश्य मुक्त होगा, सपनों के भारत में किसी भी तरह का कोई प्रदूषण नहीं होगा।

हमें अपने अपने सपनों के भारत का निर्माण करने के लिये स्वयं से शुरूआत करनी होगी कि जो कुछ हम अपने सपनों के भारत में देखना चाहते हैं उसकी शुरूआत पहले स्वयं से करें। इस प्रकार से जुडते हुये हम अपने सपनों का ही नहीं बल्कि पूरे देशवासियों के सपनों का भारत बना सकते हैं और बनाने में मदद तो कर ही सकते हैं। आशा है कि वह दिन दूर नहीं कि जिस दिन भारत हर क्षेत्र में विकास करते हुये हमारे सपनों के भारत के रूप में हमारे सामने होगा।

मेरे सपनों का भारत के लेखक कौन हैं ?

मेरे सपनों का भारत महात्मा गांधी के द्वारा लिखी गयी है। सबसे पहले इसका अंग्रेजी संस्करण India of My Dreams प्रकाशित किया गया था। इसके पहले संस्करण के लिए भूमिका तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के द्वारा लिखी गयी थी।

मेरे सपनों का भारत निबंध कैसे लिखें?

मेरे सपनो का भारत निबंध लिखने के लिए आप भारत कैसा हो क्या सोचते हैं, उन बातों को चरणबध्द तरीके लिखें।

मेरे सपनों का भारत से आपका क्या तात्पर्य है ?

मेरे सपनो का भारत से तात्पर्य है की भारत देश बारे में अपने विचरों को व्यक्त करना।

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