रक्षा बंधन पर निबंध (Raksha Bandhan Essay in Hindi)

रक्षा बंधन देश की महिलाओं को महत्व देने वाला त्यौहार है। इस त्यौहार का अर्थ होता है रक्षा का बंधन यानी बहनो का अपने भाइयों से रक्षा के आग्रह का बंधन। सावन के पवित्र माह में आने के कारण इसको श्रावणी अथवा सलोनी नाम से भी पुकारते है।

रक्षा बंधन मुख्य रूप से हिन्दू एवं जैन धर्म के लोगो का पर्व है जोकि आपस में सुख, आशीर्वाद एवं उपहार बाँटने का अवसर देता है।

इस लेख के अंतर्गत आपको रक्षा बंधन पर निबंध के कुछ अच्छे उदहारण मिलेंगे।

raksha bandhan essay in hindi

रक्षा बंधन पर निबंध – 1

प्रस्तावना

हिंदी कविताओं एवं फ़िल्मी गीतों के माध्यम से देश में रक्षा बंधन के त्यौहार के महत्त्व को अच्छे से जान सकते है। इस दिन महिलाएँ अपने भाइयों को रक्षा सूत्र बांधकर उनके उज्जलव भविष्य की कामना करते हुए अपने लिए रक्षा का आश्वासन मांगती है।

वर्तमान समय में तो महिलाएँ पुलिस एवं सेना के जवानो को राखी बाँधकर अपने लिए रक्षा का वचन माँगती है। यह त्यौहार मुख्य रूप से महिलाओं का भावनात्मक त्यौहार है। रक्षा बंधन महिलाओं का मुख्य त्यौहार है और महिला सशक्तिकरण पर निबंध से उनके महत्व को समझ सकते है।

रक्षा बन्धन कहाँ मनाते है?

रक्षा बंधन को भारत एवं नेपाल देश के लोग बड़ी श्रद्धा से मानते है और आधुनिक जगत में विदेश में रहने वाले भारतीयों के कारण अन्य देशों के नागरिक भी इससे परिचित हुए है। साथ ही यह पर्व मलेशिया में मनाया जाता है।

रक्षा बंधन का महत्व

ये त्यौहार परिवार एवं समाज में भाई-बहन के रिश्ते को मजबूती देता है। बहुत से लोग तो खूनी रिश्ते से भाई बहन ना होने पर भी धर्म भाई-बहन बन जाते है। इतिहास के प्रमाण देखे तो मुग़ल काल में जब चित्तौड़गढ़ की रानी कर्णावती को जब पता चला की उनकी सेना बादशाह बहादुर शाह जफ़र के सैनिको के सामने पराजित हो रहे है।

ऐसे समय में बादशाह हुमायुँ ने दूसरे धर्म पर आस्था रखने के बाद भी राखी के बंधन के कारण बहादुर शाह को लड़ाई में पराजित करके रानी कर्णावती की रक्षा की।

रक्षा बंधना का पौराणिक महत्व

रक्षा बंधन का इतिहास काफी प्राचीन है। शास्त्रों में द्वापर युग की कथा के अनुसार एक समय भगवान श्रीकृष्ण की ऊँगली में काटने के कारण खून बहने लगा था। इसी समय द्रोपदी ने समय ना गवाँते हुए कृष्णजी की कटी ऊँगली में अपनी साड़ी के एक टुकड़े को फाड़ते हुए पट्टी कर दी। महाभारत की कथा के अनुसार इस मदद का कर्ज भगवान श्रीकृष्ण ने भरी सभा में द्रोपदी के चीर हरण में इज्जत बचाते हुए की थी। द्रोपदी द्वारा दिया गया साडी का टुकड़ा एक राखी के रूप में मान्यता रखता है।

विद्यालय में रक्षा बंधन का त्यौहार

हमारे देश के स्कूलो में छात्रों के बीच रक्षा बंधन का पर्व काफी ख़ुशी एवं उल्लास से मनाया जाता है। आमतौर पर छात्रों के बीच रक्षा बंधन के दिन से एक दिन पूर्व ही राखी बांधने की रस्म की होती है। कुछ छात्रों की कलाई तो रंग बिरंगी राखियों से पूरी तरह से भर दी जाती है। स्कूल में अन्य धर्मो के छात्र भी इस त्यौहार का आनन्द लेते है।

जैन धर्म में रक्षा बंधन

जैन धर्म में रक्षा बंधन के पर्व को बहुत पवित्र दिन के रूप में मान्यता मिली है। जैन शास्त्रों के अनुसार इस दिन एक मुनि महाराज ने 700 मुनियों के प्राणो की रक्षा की थी। इसी घटना को स्मरण करते हुए जैन धर्म के धर्मावलम्बी एकत्रित होकर एक सूत के धागे को हाथो पर बांधकर एक दूसरे के रक्षा की कामना करते है।

उपसंहार

बहन भाई का सम्बन्ध खेल-कूद से लेकर आपसी परेशानियों को साझा करने का भी है। किसी भी व्यक्ति के बचपन के दिन बिना इस रिश्ते की याद के पूर्ण नहीं हो सकते है। इसी सम्बन्ध को रक्षा बंधन का प्राचीन पर्व और भी अधिक घनिष्ट बनाने का कार्य करता है। इसी वजह से हमको परमपरागत रूप में इस त्यौहार को प्रत्येक वर्ष उल्लास से मनाना चाहिए।

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रक्षा बंधन पर निबंध – 2

परिचय

आज के तकनीक एवं आधुनिक युग में भी बड़े लोग एवं राजनेता समाज में भाई चारा लाने के उद्देश्य से सार्वजानिक रूप से रक्षा बंधन का पर्व मनाते है। कुछ लोग समाज में प्रकृति के महत्व को बताने के उद्देश्य से पेड़ो को भी राखी बांध देते है। कुछ ब्राह्मण समुदाय के लोग भी इस दिन अपने शिष्यों एवं यजमानो को रक्षा सूत्र बाँधकर आशीर्वाद देते है। इस प्रकार से हम रक्षा बन्धन की महत्तता एवं लोकप्रियता को समझ सकते है।

रक्षा बांधन की परंपरागत विधि

त्यौहार वाले दिन बहिनो को प्रातः मुहूर्त के समय में स्नान करना होता है इसके बाद विधि अनुसार अपनी पूजा की थाल तैयार कर लेना है। पूजन थाली में आप कुमकुम, रक्षा सूत्र, रोली, चावल, अक्षत, दीपक एवं मिठाई इत्यादि को रख सकते है। सही समय पर अपने भाई को पूर्व दिशा में बिठाकर दीपक से उसकी आरती उतारकर सर पर अक्षत दाल दें।

एक दूसरे के माथे पर कुमकुम से से तिलक कर दें। इसके बाद भाई की कलाई में रक्षा सूत्र यानी राखी को बाँधना है। यह सभी कुछ कर लेने के बाद एक दूसरे का मुँह मीठा कर सकते है। भाई बहन एक दूसरे को पैसा या अन्य उपहार दे सकते है।

आधुनिक युग में रक्षा बन्धन में बदलाव

प्राचीन काल में घर की छोटी पुत्री अपने पिता को रक्षा सूत्र बांधती थी। इसी प्रकार से ब्राह्मण एवं गुरुजन भी अपने यजमान और शिष्यों को राखी बाँधकर आशीर्वाद देते थे। किन्तु भागदौड़ भरे जीवन में लोगो के पर्व मनाने के तरीके एवं पूजन में काफी परिवर्तन आ गए है।

अब लोगो में इस पर्व को लेकर कम ही उत्साह और सक्रियता देखने को मिलती है। बहुत सी बहने दूरी के कारण पोस्ट या कोरियर से राखी भेज देती है। अब तो इंटरनेट एवं मोबाइल के माध्यम से बधाई एवं आशीर्वाद का आदान प्रदान हो जाता है।

प्रेम के रक्षा सूत्र और महँगे मोती

रक्षा बन्धन के पर्व में सर्वाधिक महत्व रखने वाला तत्व रक्षा सूत्र यानी राखी है जिसे बहने पूरे भाव एवं सम्मान के साथ अपने भाइयों की कलाई पर बाँधती है। किन्तु अब तकनीक के समय में बहुत प्रकार की राखियाँ बाजार में देखी जाती है। ये राखियाँ धातुओ एवं सोने चाँदी तक में बनकर आ रही है। सादे धागे के अमूल्य प्रेम का स्थान अब चमक दहक में खो रहा है।

रक्षा बंधन के महत्व का संरक्षण

रक्षा बन्धन एवं अन्य भी परंपरागत रीति-रिवाजो में हमें आधुनिकता का नाम लेकर इनको भुलाने की आदत है। इतना ही नहीं हमारी पूजन पद्धति में भी काफी बदलाव हुए है। ऐसा न करते हुए सभी को रक्षा बंधन के पर्व को पूर्व समय के विधि विधान से मनाने का प्रयास करना चाहिए। रक्षा बंधन के पूजन को शास्त्रों के अनुसार करना चाहिए।

उपसंहार

हमारे सभी पर्व एवं पूजा ही सही रूप में हमको पाने पूर्वजो से जोड़कर रखते है और इन्हे पुरे विधि-विधान एवं श्रद्धा से मनाना चाहिए। रक्षा बंधन भी ऐसा ही ख़ुशी एवं उपहार बाँटने का पर्व है।

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रक्षा बंधन पर निबंध – 3

भारत देश में प्राचीन समय से मनाया जाने वाल पर्व है – रक्षा बंधन। इस पर्व को भाई एवं बहन के अटूट प्रेम एवं रिश्ते के लिए मनाया जाता है। रक्षा बंधन के त्यौहार से ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व जुड़े हुए है। दुनिया के हर परिवार में भाई बहन का रिश्ता बहुत ही मिठास एवं खेल से भरा होता है।

रक्षा बंधन के कारण

इस पर्व के लिए सबसे प्रसिद्ध कथा है कि भगवान श्री कृष्ण की अँगुली में चोट के कारण खून रुक नहीं रहा था। इस घटना की खबर द्रोपदी को मिलने पर उन्होंने अपनी साडी के टुकड़े को ही बाँधकर खून को रोक दिया। इसी समय श्रीकृष्ण ने भी द्रोपदी को रक्षा करने का वचन भी दिया। इसी प्रकरण के स्मरण में रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया जाने लगा।

भाई-बहनो का त्यौहार

रक्षा बन्धन का पर्व भाइयों से रक्षा का वचन माँगने एवं उनकी मंगलकामना करने का दिन है। जैन धर्म के अनुयायी भी बहुत उल्लास से रक्षा बंधन का पर्व मानते थे। एक परिवार के भाई बहन अथवा अन्य स्त्री पुरुष इस दिन रक्षा सूत्र बांधकर आपस में भाई बहन बन सकते है। मान्यता है कि देवी देवता भी इस त्यौहार को मनाते है। इसी वजह से इनके आशीर्वाद लेने के लिए रक्षा बंधन को पूर्ण श्रद्धा एवं आनंद से मनाना चाहिए।

रक्षा बंधन पर भाई-बहन क्या करते है

  • भाई और बहन किसी कारण से दूर रहते हो तो वे इस दिन मिल भी सकते है और आपस में मिलना काफी जरुरी है।
  • आप चाहे तो अपने परिवार के सदस्यों के साथ किसी मंदिर, मॉल अथवा पार्क इत्यादि में भी जा सकते है।
  • अपने भाई अथवा बहन को अपने जीवन में उसका महत्व समझाने के लिए कोई विशेष उपहार भी दे सकते है।
  • यदि किसी व्यक्ति अथवा लड़के का आपके जीवन में विशेष स्थान है तो इस दिन उसे राखी बाँधकर जीवन में एक रिश्ता दे सकते है।
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रक्षा बंधन से जुड़े प्रश्न

रक्षा बंधन क्या है?

यह भाई एवं बहन के बीच वचन एवं उपहार के आदान प्रदान का पर्व है। इस दिन बहने भाइयों को राखी बाँधकर उनसे रक्षा का वचन लेती है।

रक्षा बंधन कितने समय पूर्व शुरू हुआ है?

शास्त्रों के अनुसार इसकी शुरुआत करीबन 6 हजार वर्ष पहले हुई थी।

रक्षा बन्धन कब मनाते है?

रक्षा बंधन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा दी दिन मनाया जाता है।

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