महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Women Empowerment Essay in Hindi)

अपने देश में उच्च स्तर की लैंगिक असमानता है। जहाँ महिलाएँ अपने परिवार के साथ ही बाहरी समाज के भी बुरे बर्ताव से पीड़ित है। भारत में अनपढ़ो की संख्या में महिलाएँ सबसे अव्वल है। नारी सशक्तिकरण (Women Empowerment) का असली अर्थ तब समझ में आयेगा जब भारत में उन्हें अच्छी शिक्षा दी जाएगी और उन्हें इस काबिल बनाया जाएगा कि वो हर क्षेत्र में स्वतंत्र होकर फैसले कर सकें।

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध

Table of Contents

महिला सशक्तिकरण पर निबंध – 1

परिचय

भारत एक पुरुष प्रधान समाज है जिसमे महिलाओं की स्थिति को बेहतर करने के लिए महिला सशक्तिकरण करना बेहद जरुरी है जाता है। सिर्फ ऐसा करने के बाद ही समाज में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी। महिला के मजबूर होने से वे भी अपने परिवार एवं समाज द्वारा आरोपित बंधनों से आजाद हो सकेगी। महिला के शक्तिशाली बनने के बाद ही अपने व्यक्तिगत जीवन एवं समाजिक जीवन में कुछ अच्छा करने की स्थिति प्राप्त कर सकेगी। सिर्फ महिला सशक्तिकरण ही सभी स्त्रियों को मजबूत बनाकर समाज में सही अधिकार प्राप्त करने में सहायता करता है।

हमारे शास्त्रों में भी वर्णन है कि जहाँ पर भी स्त्रियों का सम्मान होता है वहाँ पर देवी देवताओं का निवास रहता है। किन्तु यह भी एक दुर्भाग्य ही है की हमारे समाज में महिलाओं की स्थिति बेहतर नहीं है और उनके लिए महिला सशक्तिकरण की बहुत ज्यादा जरुरत महसूस हो रही है। देश को भी विकसित राष्ट्र बनाने के लिए महिलाओं के अधिकार एवं सम्मान का सही इंतजाम करना जरुरी है। वैसे विश्वभर में महिलाओं को उनकी परेशानियों के लिए जागरूक बनाने के लिए मातृ दिवस एवं महिला दिवस भी मनाया जाता है।

हमारे देश में तो महिलाओं को कमजोर बनाने वाली और उनके अधिकारों का हनन करने वाली संकुचित सोच का भी इलाज होना काफी जरुरी है। महिलाओं के विकास में कुछ सामाजिक समस्याएँ बाधा है जैसे – दहेज़, निरक्षरता, यौन हिंसा, गैर-बराबरी, भ्रूण हत्या, घरेलु हिंसा, वैश्यावृति, मानव तस्करी इत्यादि।

महिला सशक्तिकरण का मतलब

महिला को प्रकृति ने सृजन करने की शक्ति दी है और स्त्रियाएँ ही समस्त मानव जाती को अस्तित्व प्रदान करने वाली है। समाज में महिलाओं कको मजबूती देकर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, न्यायायिक, वैचारिक, धार्मिक एवं पूजा की आजादी एवं समानता प्रदान करना ही महिला सशक्तिकरण है। अन्य शब्दों में कहे तो महिलाओ को सामाजिक-आर्थिक रूप से बेहतर करना और उनको पुरुषो के समान ही नौकरी, शिक्षा, वित्तीय उन्नति के अवसर देना। यही वह मार्ग है जिसके द्वारा महिलाओं को बह पुरुषों की भांति अपनी इच्छा को पूर्ण करने का अवसर मिलेगा।

सरल शब्दों में कहे तो महिला सशक्तिकरण के माध्यम से ही महिलाओं में वह शक्ति प्रवाहित हो सकेगी। इससे ही उनमे अपने जीवन को लेकर निर्णय लेने की क्षमता का विकास हो सकेगा और वे समाज एवं परिवार में सही प्रकार से रह सकेगी। इस प्रकार से जीवन में सही अर्थो में आजादी एवं अधिकार पाने के लिए महिला सशक्तिकरण अति आवश्यक है।

हमारे देश में महिला सशक्तिकरण की जरुरत

हमारे देश में महिला सशक्तिकरण के लिए बहुत सी मुख्य वजह है। पुराने समय की तुलना में मध्य युग में देश की महिलाओं के सम्मान में काफी गिरावट आई थी। पुराने संस्कारों में महिलाओं को समाज एवं परिवार में काफी अच्छा स्थान मिला हुआ था जोकि आज के समय तक मिल नहीं पाया है।

  • वर्तमान समय में बहुत सी महिलाओं को विभिन्न राजनैतिक एवं आधिकारिक पदों पर नियुक्ति मिली हुई है किन्तु गाँव की महिलाओं को अपने घरो तक ही सीमित रहना पड़ता है। साथ ही ऐसी महिलाओं को चिकित्सा सेवाएं एवं शिक्षा भी नहीं मिल पाती है।
  • यदि शिक्षा के स्तर की तुलना करें तो भारत में महिलाएँ पुरुषो से बहुत पीछे रह जाती है। देश में पुरुष शिक्षा की दर 81.3 प्रतिशत एवं महिलाओं की शिक्षा की दर 60.6 प्रतिशत है।
  • साथ ही देश में शहरी महिलाएँ गाँव में निवास करने वाली महिलाओं से रोजगार की स्थिति में काफी मजबूत है। सर्वे के अनुमान के अनुसार देश की सॉफ्टवेयर सेक्टर्स में करीबन 30 प्रतिशत महिलाएँ काम कर रही है। किन्तु गाँव की 90 प्रतिशत महिलाओं को किसानी से जुड़े कार्य एवं दैनिक मजदूरी के काम करने पड़ते है।
  • महिलाओ को एक अन्य मामले में भी सशक्त होने की जरुरत होगी वह है पुरुषो की तुलना में कम भुगतान की। एक शोध के अनुसार एक जैसा कार्य अनुभव एवं योग्यता होने पर भी देश की महिलाओ को पुरुषो से 20 प्रतिशत कम भुगतान होता है।
  • वैसे वर्तमान समय में हमारा देश विश्व में काफी तेज़ी से उन्नति कर रहा है किन्तु इसको अच्छे से तभी किया जा सकेगा जब स्त्रियों को भी पुरुषो की भांति एक जैसी शिक्षा, उन्नति एवं भुगतान मिल सकेगा।
  • हमारे देश की जनसंख्या में से आधा भाग महिलाओ का है तो देश की उन्नति को तय करने के लिए उन सभी सामाजिक बंधनो से मुक्ति की जरुरत है जोकि एक महिला पर लगाए जाते है। बिना आधी आबादी की स्थिति को मजबूत किए हम कभी एक विकसित राष्ट्र बन सकेंगे।
  • पुराने भारत में काफी लैंगिक असमानता थी और समाज पुरुष प्रधान था। एक महिला को उसके परिवार एवं समाज के द्वारा दबाकर रखने की परंपरा थी। इसके अतिरिक्त उनके साथ बहुत सी हिंसा एवं सामाजिक भेदभाव भी किये जाते थे। ये स्थिति भारत के साथ अन्य देशों में भी देखने को मिलती है।
  • देश में स्त्रियों को आदर देने के उद्देश्य से माँ, बहन, बेटी एवं पत्नी को पूजने की रीतियां भी रही है किन्तु अब तो यह सब एक ढोंग मात्र ही रह गया है।
  • परिवार के पुरुष सदस्यों ने महिला के राजनैतिक एवं सामाजिक अधिकार जैसे कार्य करने एवं शिक्षित होने की आजादी को पूर्णरूप से प्रतिबंधित किया है।

महिला सशक्तिकरण में सरकार का योगदान

सरकार शुरू से ही महिला अधिकारों को लेकर काफी जागरूक रही है और विभिन्न योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को विकास करने का अवसर दे रही है।

  • बेटी बचाव बेटी पढ़ाओ – इस योजना को महिलाओं की सबसे पुरानी एवं गंभीर समस्या ‘कन्या भ्रूण हत्या’ एवं शिक्षा के लिए तैयार किया गया है। इस योजना में कन्याओ को वित्तीय सहायता के द्वारा उन्नति करवाना है।
  • महिला हेल्पलाइन स्कीम – यह योजना महिलाओं को किसी समस्या से बचने के लिए 24 घंटे के लिए एमरजेंसी सहायता देती है जिससे वे किसी प्रकार के अपराध का शिकार ना होने पाए।
  • उज्जवला स्कीम – यह योजना शादीशुदा महिलाओं को रसोई गैस सिलेंडर में अच्छी सब्सिडी दिलवाती है जिससे उनको लकड़ी के धुएँ से खाना बनाने से मुक्ति मिलेगी।
  • महिला शक्ति केंद्र – इस योजना में गाँव की महिलाओं को शक्तिशाली बनाने के लिए केंद्र बनाये जाते है। यहाँ पर विद्यार्थी एवं पेशवर लोग महिलाओं को उनके अधिकार एवं योजनाओं की जानकारी देते है।
  • पंचायती राज योजना में आरक्षण – साल 2009 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत 50 प्रतिशत महिला आरक्षण के प्रावधान किये थे। इससे गाँव में रहने वाली महिलाओं की स्थिति में सुधार आएगा। इसके बाद से विभिन्न राज्यों में बहुत सी महिलाएँ पंचायत अध्यक्ष बनी है।
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महिला सशक्तिकरण पर निबंध – 2

परिचय

वर्तमान समय में महिला सशक्तिकरण एक ज्वलंत विषय बन चुका है, विशेषकर विकासशील एवं प्रगति कर रहे देशों में। इसकी मुख्य वजह यह है कि इन देशों की सरकारों को यह ज्ञात हो चुका है कि बिना महिलाओं के विकास एवं योगदान के वे कभी विकसित राष्ट्र नहीं बन पाएंगे। महिला सशक्तिकरण का तात्पर्य यह है कि समाज में महिलाओं को उनके आर्थिक, शैक्षिक एवं संपत्ति के अधिकार पुरुषो के बराबर मिले।

देश में महिला सशक्तिकरण में बाधाएँ

सामाजिक स्तर

पुराने सामाजिक मान्यताओं के मुताबिक देश में महिलाओं को विभिन्न स्थानों में घर को छोड़ने की इजाजत नहीं है। यह स्थान महिलाओं को पड़ने अथवा काम के लिए घर से दूर नहीं जाने देते है। ऐसे माहौल में रहने की वजह से महिलाएँ अपने को पुरुषों से कम समझने लगती है। इस प्रकार से वे अपनी सामाजिक स्थिति में कोई बदलाव नहीं कर पाती है।

कार्यक्षेत्र में शारीरिक शोषण

काम के स्थान महिलाओं का शोषण एक गंभीर मामला। है प्राइवेट सेक्टर में सेवा उद्योग, सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री, हॉस्पिटल इत्यादि इस प्रकार के मामलों से पीड़ित है। हमारे समाज के पुरुष प्रधान प्रारूप की वजह से ये परेशनी और भी गंभीर हो जाती है। बीते दशकों में कार्य क्षेत्र में महिलाओं को लेकर शोषण के मामले बहुत तीव्रता से बढ़ गए है। बीते समय में तो ऐसे मामलों में करीबन 170 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हो चुकी है।

लिंग भेदभाव

देश में कार्यस्थल पर आज भी महिलाओं को लिंग के आधार पर भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। बहुत से स्थानों पर तो महिलाओं को पढ़ाई एवं काम के लिए अपने क्षेत्र से दूर जाने की भी अनुमति नहीं है। ऐसी महिलाओं को स्वतंत्रतापूर्वक काम करने एवं परिवार में निर्णय लेने का अधिकार भी नहीं मिलता है। काम के स्थान पर तो हमेशा ही महिलाओं को पुरुषों से निम्न ही समझा जाता है। लिंगात्मक भेदभाव के कारण महिलाओं की सामाजिक एवं वित्तीय स्थिति काफी खराब होती जा रही है। ये सरकार के महिला सशक्तिकरण के सपने को भी बुरी तरह से प्रभावित कर रही है।

वेतन में भेदभाव

भारत एवं अन्य देशों में भी एक समान काम करने पर महिलाओं को पुरुषो की तुलना में कम पैसे मिलते है। साथ ही असंगठित क्षेत्रों में तो ये परेशानी बहुत अधिक दयनीय होती जा रही है। विशेषकर दिहाड़ी मजदूरी की जगह पर तो यह परेशानी बहुत अधिक खराब है। एकदम एक ही जैसा काम करने के बाद महिलाओं को आसमान वेतन दिया जाता है। इस प्रकार का भेदभाव महिला एवं पुरुष के मध्य कार्य शक्ति की असमानता को भी दर्शाता है।

शिक्षा में कमी

महिलाओं के बुरे हालातो के लिए सबसे अहम तत्व उनकी शिक्षा में कमी है। आज भी परिवार में लड़को को उच्च शिक्षा देने एवं लड़कियों को कम शिक्षा देकर सर घरेलु काम करवाने के रिवाज है। किन्तु शहरी परिवारों में लड़कियों के हालात शिक्षा के मामले में ग्रामीण क्षेत्रों में काफी बेहतर दिखते है। देश में महिला शिक्षा की दर 64.6 प्रतिशत एवं पुरुष शिक्षा की दर 80.9 प्रतिशत है। बहुत सी ग्रामीण कन्याओं की शिक्षा को बीच में ही अपूर्ण छोड़ दिया जाता है।

कम आयु में शादी

वैसे तो पिछले कुछ दशको में सरकार द्वारा किये गए कड़े निर्णयों एवं कानून के कारण समाज में बाल विवाह की प्रथा में काफी कमी देखी गयी है। किन्तु साल 2018 की यूनिसेफ रिपोर्ट के अनुसार देश में अभी भी प्रत्येक वर्ष 15 लाख से अधिक लड़कियों का विवाद 18 साल से कम आयु में हो रहा है। कम आयु में शादी होने से लड़की को समुचित विकास का अवसर नहीं मिल पाता है। साथ ही कम आयु में शादी एक महिला को शारीरिक एवं मानसिक रूप से विकसित भी नहीं होने देता है।

महिला के खिलाफ अपराध

देश की महिलाओं पर विभिन्न घरेलू अत्याचार के साथ दहेज़, हॉनर किलिंग एवं मानव तस्करी इत्यादि के संगीन अपराध देखे जाते है। किन्तु हैरानी की बात तो यह है कि शहर की महिलाएँ पर गाँव की महिलाओं की अपेक्षा अधिक अपराध होते है। बहुत सी काम करने वाली महिला भी रात के समय में पब्लिक वाहन का इस्तेमाल करने से बचती है। महिला सशक्तिकरण का सपना तब तक पूर्ण नहीं हो सकेगा जब तक उन पर होने वाले अपराधों की सही प्रकार से रोकथाम ना हो जाए।

कन्या भ्रूण हत्या

कन्या भ्रूण हत्या अथवा लिंग की जाँच करके गर्भपात करना देश की बहुत बड़ी समस्या बनता जा रही है और यह महिला सशक्तिकरण के मार्ग के सबसे बड़ी बाधा भी है। कन्या भ्रूण हत्या का अर्थ लिंग की जाँच करके महिला भ्रूण की हत्या कर देना है। महिला के गर्भ के भ्रूण को बिना उसकी सहमति के गिरा दिया जाता है। इसी समस्या के कारण से देश में हरियाणा एवं कश्मीर जैसे राज्यों में महिला लिंग अनुपात पुरुषों के मुकाबले काफी कम होता जा रहा है। महिला सशक्तिकरण का कोई भी लाभ ना रह जाएगा जब तक कि कन्या भ्रूण हत्या पर लगाम नहीं लगाई गई।

उपसंहार

भारत बहुत तीव्रता से आर्थिक उन्नति करने वाले देशों की पंक्ति में आ रहा है। इस बात को ध्यान में रखते हुए आने वाले समय में समाज में महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को पाने के लिए समुचित प्रयास करने की जरुरत है। सभी को महिला सशक्तिकरण की मुद्दे एवं लाभ को समझने की जरुरत है चूँकि इससे ही समाज में लैंगिक समानता एवं आर्थिक उन्नति के द्वारा खुल सकते है।

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध – 3

परिचय

महिला सशक्तिकरण का अर्थ

किसी भी पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं की स्थिति को बेहतर करने के उद्देश्य को ‘महिला सशक्तिकरण’ कहा जाता है। आधुनिक जगत में आबादी का आधा प्रतिशत भाग होने के बाद भी महिलाओं को पुरुषो के मुकाबले काफी कम भागीदारी मिल पा रही है। महिला सशक्तिकरण के अंतर्गत समाज में महिलाओं पर होने वाले शोषण की रोकथाम करना एवं उचित सम्मान दिलवाले का प्रयास होता है। यह एक गंभीर मुद्दा है।

महिला सशक्तिकरण का उद्देश्य

महिला सशक्तिकरण का लक्ष्य समाज में स्त्रियों को विकास एवं मजबूती का रूप देना है। महिलाओं को एक ऐसा वातावरण मिलना चाहिए जिसमें वे अपनी क्षमता को विकसित करके उन्नति के मार्ग पर अग्रसर हो। सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक क्षेत्र में महिलाओं की हिस्सेदारी को लेकर हालात सुधरने की जरुरत है। चिकित्सीय देखरेख, अच्छी शिक्षा, रोज़गार एवं समान वेतन, सामाजिक सुरक्षा और सरकारी नौकरी इत्यादि में एक बराबर के मौके भी महिला सशक्तिकरण से ही प्राप्त हो सकेंगे।

महिला सशक्तिकरण की जरुरत

जवाहर लाल नेहरू कहते थे कि लोगो को जाग्रत करने के लिए महिलाओं को जगाना जरूरी है। देश में विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं को सही अधिकार एवं सम्मान नहीं मिल रहा है। महिलाओं को हर प्रकार से पुरुषों से कमजोर ही समझा जाता है। इन कारणों से समाज को महिला सशक्तिकरण के मामले में काफी संवेदनशील होना होगा। भारतीय समाज में महिलाओं पर होने वाले अन्याय, ज्यादती एवं गैर-बराबरी की रोकथाम करने की काफी जरुरत है। ये सभी काम कानूनी अधिकार प्रदान करके ही किये जा सकेंगे।

महिला शक्तिकरण के फायदे

महिला का विकास होने पर एक परिवार की उन्नति के मार्ग खुलते है चूँकि एक महिला अपने परिवार की आधारशीला होती है। जिस समाज में महिला मजबूत हो जाएगी वह समाज जरूर विकास कर लेगा। सशक्त महिला ही अपने परिवार एवं समाज में निर्णय लेकर अपना विकास कर सकती है।

महिला सशक्तिकरण में सरकार का योगदान

सरकार पीछे कई वर्षो से देश में महिला सशक्तिकरण के लिए जरुरी कदम उठा रही है। भारत सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, उज्ज्वला स्कीम, महिला हेल्पलाइन, महिला शक्ति केंद्र, पंचायत में महिला आरक्षण इत्यादि के द्वारा महिलाओं को मजबूत करने का प्रयास किया है। विश्वभर में महिलाओं को अपने अधिकारों एवं भविष्य के लिए जागरूक करने के उद्देश्य से 8 मार्च के दिन को ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

उपसंहार

किसी भी समाज के लिए महिला की क्षमता को कम आंककर भेदभाव करना एकदम गलत है। समाज में व्याप्त लिंग भेदभाव को दूर करने के लिए भी महिलाओं को सशक्त करने की आवश्यकता है। ऐसा करने के लिए मुक्त माहौल, शिक्षा एवं उन्नति के अच्छे मौके देनी की जरुरत है। इस काम की शुरुआत सबसे पहले तो परिवारों से करनी होगी और बेटियों को बेटो के समान ही स्थान देना होगा। समाज में सभी महिलाओं को अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए जिससे वे भी पुरुषो की भाँति देश के विकास में अपना योगदान दे सके।

महिला सशक्तिकरण से जुड़े प्रश्न

महिला सशक्तिकरण से क्या आशय है?

समाज में महिलाओं को पुरुषो की भांति अपने फैसले लेने एवं जीवन जीने के अधिकार देने का कार्य महिला सशक्तिकरण से होता है।

देश में महिलाओं की क्या स्थिति है?

वर्तमान में महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है किन्तु अभी भी बहुत से कार्यो का होना जरुरी है।

महिला सशक्तिकरण की क्यों जरुरत है?

विश्व के किसी भी देश को विकसित एवं मजबूर राष्ट्र बनने के लिए महिलाओं की स्थिति में सुधार की जरुरत है और यह कार्य सिर्फ महिला सशक्तिकरण से ही संभव है।

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