उत्तर प्रदेश में आंगनबाड़ी से सम्बंधित शिकायत दर्ज़ करने के लिए यूपी आंगनबाड़ी कंप्लेंट टोल फ्री नंबर जारी किया गया है। गर्भवती महिला और नवजात बच्चे को सेवाएँ देने के लिए सरकार ने आँगनवाड़ी स्कीम को शुरू किया है। इस समय सरकार ने यूपी आंगनबाड़ी केंद्रों पर इस प्रकार की स्कीमें चलाई हुई है जिनसे छोटे शिशुओं एवं गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य और पोषण मिल रहा है। आंगनबाड़ी केंद्रों में छोटे शिशुओं के पोषण, सेहत एवं शिक्षा से संबधित जागरूकता दी जाती है। यहाँ विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर और निम्न आय वाले परिवारों के शिशुओं के विकास और स्वास्थ्य से जुडी सहायता दी जाती है। इस लेख में आपको यूपी आंगनबाड़ी कंप्लेंट टोल फ्री नंबर के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी।

यूपी आंगनबाड़ी कंप्लेंट टोल फ्री नंबर
यूपी आंगनबाड़ी कंप्लेंट टोल फ्री नंबर : सरकार की ओर से सभी इंतज़ाम देने के बाद भी बहुत बार इन योजनाओं में अनियमितता एवं भ्रष्टाचार की शिकायते आती है। बहुत बार यह शिकायत आती है कि आँगनवाड़ी कर्मचारी सही प्रकार से काम नहीं कर रहे है। किन्तु लोगों को यह जानकारी नहीं है कि इस प्रकार की परेशानी होने पर शिकायत कैसे कर सकते है और इस कार्य के लिए सम्बंधित टोल फ्री नंबर क्या है? अगर आप भी anganwadi helpline number की जानकारी नहीं रखते है तो इस लेख को पढ़कर आप यूपी आंगनबाड़ी कंप्लेंट टोल फ्री नंबर पर कंप्लेंट पहुँचाने के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते है।
आंगनबाड़ी केंद्र क्या होता है?
आंगनबाड़ी केंद्र को एक तरह का मदर एवं चाइल्ड केयरिंग सेण्टर कहा जाता है। भारत सरकार ने इस योजना को 2 अक्टूबर 1975 के दिन लॉन्च किया था। इस योजना में जारी होने बजट में से 90 प्रतिशत भाग केंद्र सरकार एवं 10 प्रतिशत भाग प्रदेश सरकार देती है। इस तथ्य से सभी लोग परिचित है कि एक गर्भवती महिला एवं नवजात बच्चे को सर्वाधिक देखभाल की जरुरत होती है। सही प्रकार से केयर न होने से ये कम उम्र में मर भी सकते है। इसी समस्या को दूर करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्र इनके अच्छे स्वास्थ के लिए जरुरी योजनाएँ एवं सेवा प्रदान कर रहे है।
आंगनबाड़ी योजना के मुख्य उद्देश्य
- महिला-बच्चे में मृत्यु दर, बीमारी एवं कुपोषण में कमी लाना।
- देश में 6 वर्ष में कम आयु के बच्चों की पोषण एवं स्वास्थ्य स्थिति को बेहतर करना।
- बच्चों के शारीरिक एवं सामाजिक विकास की अच्छी बुनियाद तैयार करना।
- महिलाओं को सही पोषण एवं स्वास्थ्य के विषय में ज्ञान देना।
- बच्चों के विकास में वृद्धि करना।
आंगनबाड़ी केंद्रों में मिलने वाली सुविधाएँ
- 6 साल से कम भी कम उम्र के शिशुओं का टीकाकरण।
- सभी गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसव से पहले देखभाल एवं टीकाकरण की व्यवस्था करना।
- बच्चे-गर्भवती महिला के साथ बच्चों की देखरेख करने वाली महिलाओं को पोषण देना।
- 15 से 45 साल की उम्र की सभी महिलाओं को पोषण एवं स्वास्थ्य का बेसिक ज्ञान देना।
- नए जन्मे बच्चों एवं 6 साल से कम उम्र के बच्चों की देखभाल करना।
- बच्चों-महिलाओं के कुपोषण एवं रोगों के गंभीर मामलों को हॉस्पिटल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) या फिर जिला हॉस्पिटलों (पोषण पुनर्वास केंद्र/ नवजात शिशु गहन देखभाल इकाई) में पहुँचाना।
- इसके अतिरिक्त 3 से 6 साल के बच्चों को विद्यालय से पहले अनौपचारिक शिक्षा देना।
यूपी आंगनबाड़ी कंप्लेंट टोल फ्री नंबर
यूपी आंगनबाड़ी कंप्लेंट टोल फ्री नंबर – यदि कोई महिला आंगनबाड़ी केंद्रों को लेकर किसी प्रकार की शिकायत है तो सवाल है कि up आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की शिकायत कहां करें ? ऐसी कार्यकर्त्ता बाल विकास और पुष्टाहार विभाग से सम्बंधित आंगनवाड़ी टोल फ्री नंबर up की सहायता ले सकते है। यदि आप उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी आपको यूपी आंगनबाड़ी कंप्लेंट टोल फ्री नंबर 18001805555 पर संपर्क करना है ।
यूपी के निवासी इस लखनऊ में स्थित कॉल सेण्टर में फ़ोन करके अपनी समस्या बताने के साथ ही आंगनबाड़ी से जुडी अन्य जानकारी भी ले सकते है। आंगनबाड़ी कॉल सेंटर को चलाने की जिम्मेदारी फ्यूचर इण्डिया कंपनी को दी गयी है। इस कॉल सेंटर में 40 प्रतिनिधियों स्टाफ है। यहाँ कार्यरत प्रतिनिधि फ़ोन करने वाले लोगों को जानकारी देते है और पोषण से जुडी जानकारी भी प्रदान करते है। ये प्रतिनिधि काल पर मिलने वाली शिकायतों एवं परेशानी को अपने पास नोट भी करके रखेंगे। इस नंबर पर कॉल करने पर आपको कोई चार्ज नहीं देने होंगे।
यूपी आंगनबाड़ी कंप्लेंट टोल फ्री नंबर पर कैसे शिकायत दर्ज करें
यूपी आंगनबाड़ी कंप्लेंट टोल फ्री नंबर – उत्तर प्रदेश में जो भी व्यक्ति आंगनवाड़ी टोल फ्री नंबर up पर कॉल करके शिकायत दर्ज़ करना अथवा जानकारी लेना चाहता है। वह नीचे दी गयी श्रेणी के अंतर्गत अपनी शिकायत यूपी आंगनबाड़ी कंप्लेंट टोल फ्री नंबर में दर्ज़ कर सकता है –
- केंद्र से मिलने वाले पोषाहार के समय से ना मिलने की।
- कम मात्रा में पोषाहार दिया जाना या फिर वितरण न होना।
- लाभार्थियों के पोषाहार को अधिकारीयों की सहायता से बाहर बेचकर आना।
- गर्भवती स्त्रियों एवं शिशुओं का सही प्रकार से टीकाकरण करने में लाहपरवाही होना।
- शिशुओ एवं माँ की देखरेख सही प्रकार से ना होना।
- केंद्रों पर कार्य करने वाले कर्मचारियों के बर्ताव और लाहपरवाही की शिकायत होने पर।
आंगनबाड़ी केंद्र में संचालित होने वाली योजनाएँ
प्रधानमंत्री मातृ वन्दन योजना (PMMVY) – ये केंद्र सरकार से चलाई जाने वाली सबसे अच्छी योजनाओं में से एक है। जो महिलाएं पहले बच्चे को जन्म दे रही है उनको इस स्कीम के अंतर्गत आर्थिक सहायता दी जाती है। इस योजना की लाभार्थी महिला के बैंक खाते में सरकार 3 किस्तों में धनराशि पहुँचती है। इस योजना को शुरू करने का मुख्य कारण बच्चे को जन्म देने के बाद महिला को पूरा आराम देना। लाभार्थी महिला को इस स्कीम में 6 हजार रुपए की धनराशि प्रदान की जाती है।
इस स्कीम में आवेदन करने पर आवेदक महिला से अंतिम महामारी की तारीख पूछते है। इस आधार पर ही महिला का “मदर चाइल्ड प्रोटेक्शन कार्ड” तैयार करते है। इस स्कीम में निम्न प्रमाण-पत्र देना जरुरी हो जाता है –
- आवेदन पत्र
- एमसीपी कार्ड की छायाप्रति
- फोटो पहचान पत्र की छायाप्रति
- बैंक-डाकघर खाता पासबुक की छायाप्रति
जननी सुरक्षा योजना (JSY) – यह राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) के अंतर्गत जारी की गयी एक प्रकार की सुरक्षित शिशु और मातृत्व सम्बन्धी योजना है। यह स्कीम गर्भवती महिला को अपने बच्चे की डिलीवरी हॉस्पिटल में करवाने के लिए प्रेरणा देती है। इस स्कीम को मुख्यरूप से समाज में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए शुरू किया गया है। सरकार का लक्ष्य इस स्कीम के माध्यम से नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में वृद्धि को कम करना है।
देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने 12 अप्रैल 2005 के दिन जननी सुरक्षा योजना को सभी राज्यों एवं केंद्र शासित राज्यों में कार्यन्वित किया गया है। ये स्कीम पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा चलाई जाती है। इस स्कीम में महिला और उसके नवजात शिशु को सही पोषण मिलने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों एवम आशा कार्यकर्ताओं को यह योजना घर-घर पहुँचाने की जिम्मदारी दी है। इस स्कीम की लाभार्थी महिला को बच्चे के जन्म पर 1,400 रुपयों की वित्तीय सहायता दी जाएगी।
मिशन इंद्रधनुष योजना (IMI) – साल 2014 में हेल्थ मिनिस्टर जेपी नड्डा ने इस योजना को शुरू किया था। यह स्कीम गर्भवती स्त्रियों और नए जन्मे बच्चों को जानलेवा रोगों से बचने के लिए टिका प्रदान करती है। इस स्कीम में प्रारंभिक पंजीकरण आंगनबाड़ी केंद्रों पर ही होता है। यहाँ से आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता या फिर आशा कार्यकत्री गर्भवती महिला को क्षेत्र के सरकारी हॉस्पिटल में पहुँचाने में मदद करती है और पंजीकरण का सभी काम देखती है। सरकार ने नए जन्मे बच्चे के लिए सभी जरुरी टीकों को योजना में सम्मिलित किया है जैसे – तपेदिक, पीलिया, खसरा, टायफायड, चिकन पॉक्स इत्यादि।
आंगनबाड़ी केंद्र में कौन-कौन सी सुविधाएँ होती है
एक आगनबाड़ी केंद्र में निम्न प्रकार की सुविधाएं होना जरुरी होता है। इन सुविधाओं के न होने पर आप नम्बर पर इस सन्दर्भ में शिकायत दर्ज़ करावा सकते है। ये सुविधाएँ इस प्रकार से है –
- कम से कम 63 वर्गमीटर या फिर 650 वर्ग फुट क्षेत्रफल की बिल्डिंग और कमरे एक आकार XX3 वर्गमीटर का होना चाहिए।
- 6X1.5 वर्गमीटर क्षेत्रफल का बरामदा हो और वह बाधारहित हो।
- खेलने के लिए मैदान, खेल की वस्तुएँ एवं बालक हितैषी खिलौने।
- साफ़ पानी, स्वछता के लिए सुविधाएँ।
- एक साफ-सुथरा रसोई कक्ष – रसोई एवं स्टोर 6X3 वर्ग मीटर के आधार का होना चाहिए।
- 2X3 वर्गमीटर आकार के 2 बालक हितैषी टॉयलेट।
- केंद्र में पहुँच के लिए ढलानदार सुविधाएँ।
- अच्छी एवं मजबूत खिड़की-दरवाजे।
- बिजली एवं रौशनी उपकरण की सुविधा।
- फर्नीचर, पँखे, बिस्तर की व्यवस्था।
- पानी, बाल्टी, ब्रश, झाड़ू, साबुन, पढ़ने की सामग्री।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की विशिष्ट भूमिका
- हर महीने सभी शिशुओं के वजन को जाँचना और विकास कार्ड में अंकित करना।
- सभी लाभार्थी बालकों (6 साल से कम) का मातृ और बाल सुरक्षा कार्ड की देखरेख करना और दौरे पर आने वाले मेडिकल एवं सेमि-मेडिकल स्टाफ को ये कार्ड दिखाना।
- गर्भस्त स्त्रियों और 6 साल से कम उम्र के बच्चों को स्थानीय व्यंजनों के अनुसार भोजन की सूची को तैयार करना। साथ में गर्भवती स्त्रियों को अनुपूरक पोषक भोजन प्रदान करने की भी व्यवस्था देखना।
- स्त्रियों को अच्छे स्वास्थ्य की शिक्षा प्रदान करना और माताओं को अपने शिशु को दूध पिलाने और भोजन लेने प्रक्रियाओं के परामर्श प्रदान करना।
- पब्लिक हेल्थ सेण्टर (PHC) में कर्मचारियों को टिका लगाने, मेडिकल चेकअप और प्रसव पूर्ण-पश्चात चेकअप में मदद करना।
- घर में जाकर बच्चों में अपंगता की पहचान करना एवं नजदीक के पीएचसी या फिर विकलांगता पुनर्वास सेण्टर में पहुँचाना।
- दस्त, हैजे इत्यादि में एमेर्जेन्सी केस होने पर स्वास्थ्य केंद्र में भेजना।
- किशोरों के लिए चलने वाली विभिन्न स्कीमों को चलाने में सहायता देना।
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गरीबी रेखा से नीचे के परिवार (बीपीएल) जाने
देश में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों में ऐसे शिशु रहते है जो ख़राब अवसंचरना ने होते है। और यहाँ पर अच्छे स्वाथ्य के लिए जरुरी स्वछता का भी आभाव होता है। इस प्रकार की स्थितियाँ बच्चे के भौतिक, सामाजिक एवं मानसिक विकास में रूकावट है। क्योकि एक समान मौके प्रत्येक शिशु का अधिकार है। इस प्रकार के घरों में होने वाले इन कमियों को दूर करने के लिए आंगनबाड़ी की ओर से प्रचुर एवं जरुरी सुविधाएँ प्रदान करवाई जाती है।
आंगनबाड़ी योजना में पंचायत की भूमिका
सरकार के द्वारा कार्यान्वित किये जा रहे आंगनबाड़ी स्कीम को चलाने के लिए अलग-अलग प्रदेशों में पंचायती राज संस्थाएँ विभिन्न कामों में सम्मिलित है। प्रदेशों ने उनकी उपस्थिति एवं प्रदेश में प्रभाविकता के अनुसार पंचायती राज संस्थाओं को जिम्मेदारी, शक्ति एवं संलग्नता प्रदान कर रखी है।
यूपी आंगनबाड़ी कंप्लेंट टोल फ्री नंबर सम्बन्धी प्रश्न
आंगनबाड़ी योजना से लाभार्थी को क्या लाभ होगा?
इस स्कीम में लाभार्थी बनने वाली महिलाओं एवं 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों को पका हुआ भोजन, सूखा भोजन दिया जायेगा।
लाभार्थी के बैंक खाते में कितने रुपए की राशि आएगी?
आंगनबाड़ी स्कीम में लाभार्थी बनने वाली महिला को बैंक खाते में 1,500 रुपए की धनराशि मिलती है।
इस समय देशभर में कितने आंगनबाड़ी केंद्र है?
इस समय देशभर में 13 लाख से भी ज्यादा आँगनबाड़ी केंद्र मौजूद है।
आंगनबाड़ी योजना में कौन से प्रमाण-पत्र जरुरी है?
सरकार की इस कल्याणकारी योजना में पंजीकृत होने के लिए आधार कार्ड (माता-पिता में से एक का), स्थाई निवास प्रमाण-पत्र, बैंक खाते की जानकारी, रजिस्टर मोबाइल नंबर, लाभार्थी शिशु का जन्म प्रमाण पत्र, नवीनतम पासपोर्ट आकार के फोटो की आवश्यकता होती है।
आंगनबाड़ी स्कीम के लिए आधिकारिक वेबसाइट क्या है?
केंद्र सरकार ने आंगनबाड़ी योजना के लिए एक आधिकारिक वेबपोर्टल https://wcd.nic.in/ तैयार किया है।