भारत में साल भर में तीन तरह की ऋतुएँ आती है, जिनमे से वर्षा ऋतु जिसे बारिश का मौसम भी कहा जाता है यह अपने साथ ढेर सारी खुशियाँ लाती है और जीव-जंतु, पशु-पक्षियों को राहत पहुँचाती है।
वर्षा ऋतु गर्मियों के बाद जुलाई से सितंबर के महीने तक चलती है जो असहनीय गर्मी के बाद प्रकृति में सूखे पेड़-पौधों, नदियों, तालाब और खेतों में जान डाल देती है।
वर्षा ऋतु के आने का सबसे अधिक इंतज़ार किसानों को होता है क्योंकि इसके आने से खेत लहलहा उठते है और इससे चारों और वातावरण हरा-भरा हो जाता है।
सभी कक्षाओं के लिए वर्षा ऋतु पर निबंध
यदि आप वर्षा ऋतु से संबंधित निबंध खोज रहे हैं तो इस लेख के माध्यम से हम आपको सभी कक्षा अनुसार वर्षा ऋतु पर लेख प्रदान करवाने जा रहे हैं, जिसके लिए आप इसे अंत तक अवश्य पढ़ें।
वर्षा ऋतु पर निबंध
प्रस्तावना
वर्षा ऋतु भारत की ऋतुओं में सबसे अधिक प्रतीक्षित ऋतुओं में से एक है जिसके आने से वातावरण में शीतलता आती है। भारत में वर्षा ऋतु आषाढ़, श्रवण और भादों मास में मुख्य रूप से आती है। वर्षा की ऋतु ग्रीष्म ऋतु के बाद आती है जिसमे बारिश बहुत अधिक होती है। इस ऋतु में वातावरण का तापमान और आद्रता प्राय: उच्च रहता है जिससे वर्षा होने से गर्मी से राहत मिलती है।
इस समय दक्षिण-पश्चिम मानसून की चलने वाली हवाओं से वातावरण, साफ़, सुन्दर और मुलायम हो जाता है। बरसात के आने से सूखे खेत हरे-भरे हो जाते हैं, वृक्षों में नए पत्ते आने लगते हैं, जीव-जंतु ख़ुशी से झूमने लगते हैं। सभी ग्रीष्म ऋतु के बाद खुशी से वर्षा का स्वागत कर इसका आनन्द उठाते हैं।
प्रकृति के लिए वर्षा ऋतु का महत्व
जीवन के लिए वर्षा बेहद ही महत्त्वपूर्ण है। यह न केवल प्रकृति में जान डालती है बल्कि वर्षा ऋतु से जीवन को एक नई उमंग मिलती है। वर्षा ऋतु के ज्यादातर कृषि से जुड़े किसानों में होता है चूँकि वर्षा किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है क्योंकि किसानों की अधिकतर फसलें बारिश पर निर्भर करती है।
वर्षा ऋतु के ना होने से ना केवल गर्मी से जीव-जंतुओं का बुरा हाल हो जाता है बल्कि पानी के कई स्रोत जैसे नदी, तालाब, कुँए आदि सभी सुख जाते हैं। ऐसे में वर्षा जीवन को फिर से सुचारु ढंग से चलाने में मदद करती है और नदियों, तालाबों झरनों को भरकर जीवधारियों की प्यास बुझाने में अपना योगदान देती है। वर्षा की उपयोगिता के साथ जल की महत्तता भी काफी अधिक है जिसे जल पर निबंध से जान सकते है।
वर्षा ऋतु का जीवन पर प्रभाव
पानी के बिना जीवन पूरी तरह अधूरा है ऐसे में ग्रीष्म ऋतु में अधिक गर्मी पड़ने से बादलों में पानी भाप बनकर उड़ जाता है। वर्षा ऋतु के रूप में यह पानी असहनीय गर्मी से राहत दिलाने में मदद करता है। वर्षा ऋतु आने से पर्यावरण खिल उठता है, उद्यान एवं मैदान सुन्दर और हरे-भरे घास की चादरों से ढक जाते हैं। खेल के मैदानों के साथ-साथ सड़के भी पानी से भर जाती है जिसका लोग बेहद ही आनंद उठाते हैं और बरसात में भीगकर सुहाने मौसम का मजा लेते हैं।
वर्षा ऋतु के लाभ
- वर्षा ऋतु के आने से प्रकृति हरी-भरी और मखमल सी लगने लगती है।
- पेड़-पौधों में नई पत्तियाँ आने लगती है, खेत खिलखिला उठते हैं और गर्मी से धरती पर पानी की होने वाली कमी पूरी हो जाती है।
- वर्षा ऋतु में कड़कड़ाती और चिलचिलाती धूप से निजात मिलता है।
- धरती पर पानी के मुख्य स्रोत जैसे नदियाँ, तालाब, झरने और कुँवों में वर्षा ऋतु के होने से पानी भर जाता है जिससे वातावरण में ठंडी हवाएँ चलने लगती है।
- वर्षा ऋतु के सुहाने मौसम के आने से गर्मी से इंसानों, जानवरों, जीव-जंतुओं एवं पेड़-पौधे सभी को राहत मिलती है।
- किसानों की अधिकतम फसलें जो वर्षा पर निर्भर रहती है, उन्हें खिलखिलाने के लिए पानी का बेहतर स्रोत प्राप्त हो पाता है।
वर्षा ऋतु के नुकसान
- वर्षा ऋतु के समय अधिक वर्षा होने से कई जगह अत्यधिक पानी भरने से बाढ़ आ जाती है जिससे आम जीवन प्रभावित होता है।
- वर्षा ऋतु में बारिश का पानी भरने से अधिक रोगों और बीमारियों के फैलने का ख़तरा बढ़ जाता है।
- बरसात के मौसम में अधिक रोड व मैदान कीचड़ और पानी से भर जाते हैं जिससे लोगों को घर से बाहर निकलना या कही जाना प्रभावित हो जाता है।
- अत्यधिक वर्षा के कारण पहाड़ों वाले क्षेत्रों में अधिकतर भूस्लखन के मामले देखने को मिलते हैं।
- वर्षा होने से गड्ढों में कीचड भरने से कीचड़ में बिमारी फैलाने वाले कीड़े या मच्चर पनपने लगते है जिससे मलेरिया, डेंगू जैसे बीमारी फैल सकती है।
निष्कर्ष
वर्षा ऋतु के आगमन से धरती खिल उठती है मन उत्साह से झूमने लगता है लेकिन इस सुखमय वातावरण के आने से केवल खुशियाँ ही नहीं बल्कि कभी-कभी जल प्रलय का कारण बन जाती है। अत्यधिक बारिश पर्यायवरण के नुकसान का कारण बनती है। इसे प्रकृति के साथ-साथ किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती है साथ ही खेतों में पानी भरने से फसलें भी नष्ट हो जाती है। इसलिए वर्षा जीवन के लिए बेहतर संचालन के लिए एक महत्त्वपूर्ण स्रोत तो है लेकिन अत्यधिक वर्षा होने के भी कई दुष्ट प्रभाव हो सकते हैं।
वर्षा ऋतु पर निबंध से जुड़े प्रश्न/उत्तर
देश में वर्षा ऋतु कब शुरू होती है?
देश में वर्षा ऋतु की शुरूआत जून या जुलाई के महीन से होती है।
वर्षा ऋतु के समय किसान कौन-कौन सी फसलें उगाते हैं?
वर्षा ऋतु के समय किसान अधिकतम खरीफ फसलों की बुआई करते हैं जिनमे वर्षा ऋतु में चावल, मक्का, मूँगफली, सोयाबीन, बाजरा, तिल, मूँग जैसी आदि फसलें उगाते हैं।
वर्षा ऋतु के क्या लाभ है?
देश में वर्षा ऋतु के आने से प्रकृति हरी-भरी हो जाती है, खेत लहलहा उठते हैं, गर्मी की कड़कड़ाती और चिलचिलाती धूप से निजात मिलता है। पानी के मुख्य स्रोत जैसे नदियाँ, तालाब, झरने और कुँवों में पाने भरने से जीवन का बेहतर संचालन हो पाता है।