पैरामेडिकल क्या है 2023 और पैरामेडिकल कोर्स कैसे करे?

यदि किसी छात्र ने विद्यालय स्तर पर मेडिकल ग्रुप के विषयों से पढ़ाई की हैं। तो उसके लिए डॉक्टरी सेवा के अतिरिक्त ऐसे कई कॅरियर विकल्प हैं, जिन्हे चुना जा सकता हैं। इन कोर्सो में सबसे प्रथम स्थान रखते हैं, पैरामेडिकल कोर्स।

इस कोर्स की पढ़ाई करने के बाद एक छात्र अस्पताल में सहायक चिकित्सक के पद पर कार्य करता हैं। जिसके अंतर्गत प्राथमिक चिकित्सा एवं ट्रामा सेवाएँ देने की जिम्मेवारी मिलती हैं।

कुछ समय के अनुभव के बाद कई अवसर पर आपातकालीन परिस्थिति में मेडिकल केयर प्रोवाइडर की तरह कार्य करना होता हैं।

What are Paramedicals - पैरामेडिकल कोर्स कैसे करे
What are Paramedicals

पैरामेडिकल कोर्स

वर्तमान समय में जनसंख्या वृद्धि होने से कुशल चिकित्सा विशेषज्ञों की आवश्यकता बढ़ती ही जा रही हैं। आम नागरिक एवं सरकार के सामने चिकित्सा सुविधा देने वाले पेशेवरों की भारी माँग हैं।

खासतौर पर कोरोना महामारी के बाद आम से खास सभी नागरिको को विश्वभर में पैरा स्टाफ का महत्व अनुभव हुआ हैं। पैरामेडिकल संस्थानों में डिग्री एवं डिप्लोमा से सम्बंधित पैरा-मेडिसिन के कोर्स उपलब्ध हैं।

यदि कोई छात्र मेडिकल क्षेत्र की पढ़ाई में रुचि रखता हैं, तो उसके लिए पैरामेडिकल कोर्स करना एक अच्छा निर्णय हो सकता हैं। केंद्र सरकार स्कूली शिक्षा में मदद के लिए इंस्पायर स्कॉलरशिव से आर्थिक मदद दे रही है।

पैरामेडिकल कोर्स एडमिशन मुख्यबिंदु

लेख का विषयपैरामेडिकल कोर्स
लाभार्थीचिकित्सा वर्ग के विधार्थी
न्यूनतम योग्यताएँहाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट उत्तीर्ण
आवेदन प्रक्रियाऑनलाइन
आधिकारिक वेबसाइटhttp://indianparamedicalcouncil.org/

पैरामेडिकल क्या हैं?

पैराचिकित्सा विज्ञान क्षेत्र के अंतर्गत रीढ़ की हड्डी में चोट की चिकित्सा, हड्डी टूटने का इलाज़, प्रसूति, जलने एवं मूल्यांकन का प्रबंधन और सामान्य दुर्घटना की सामान्य जाँच करना इत्यादि सम्मिलित रहते हैं।

यह ऐसा विज्ञान हैं, जो पूर्व-अस्पताल की आपातकालीन सेवाएँ प्रदान करता हैं। सामान्य वसरों पर किसी मरीज़ को फर्स्ट ऐड भी देना होता हैं। यह कोर्स पूर्ण करने वाले पेशेवर डाइग्नोसिस, फिजियो, लेबोरेटरी आदि में तकनीकी के रूप में सेवा देते हैं।

पैरामेडिकल स्टाफ के प्रमुख कार्य

  • एक पैरामेडिकल स्टाफ जो फिजिशियन के मार्गदर्शन में सेवाएँ प्रदान करने वाले हेल्थ वर्कर होते हैं।
  • इनको प्रतिदिन के रूटीन कार्य जैसे विभिन्न तरल की जाँच, रेडियोलॉजी करना, खून के नमूने लेना-लेबलिंग करना, मरीज़ की स्थिति की जाँच करना इत्यादि कार्य निष्पादन करने होते हैं।
  • किसी चिकित्सा उपचार के समय डॉक्टर एवं उनके सहायक दल को साथ रहकर काम में मदद करना।

पैरामेडिकल पाठ्यक्रम के डिटेल्स

  • हमारे देश में पैरामेडिकल की पढ़ाई के लिए तीन प्रकार के पाठ्यक्रम उपलब्ध रहते हैं – डिग्री स्तर, डिप्लोमा स्तर, सर्टिफिकेट स्तर। छात्र अपनी योग्यता एवं रुचि के अनुसार कोई भी पाठ्यक्रम चुन सकता हैं।
  • यदि कोई छात्र डिप्लोमा पाठ्यक्रम में प्रवेश चाहता हैं, तो उसे हाई स्कूल उत्तीर्ण होना चाहिए।
  • कई शीर्ष स्तर के संस्थानों में पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के लिए परीक्षा की मेरिट सूची बनाने का प्रावधान है। साथ ही कुछ संस्थानों में पिछली कक्षा के अंको के आधार पर प्रवेश मिलता हैं।
  • डिग्री स्तर के कोर्स में प्रवेश के लिए CPNET प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करनी हैं।
  • इस क्षेत्र में परास्नातक की पढ़ाई का भी विकल्प हैं यद्यपि छात्र सम्बंधित विषय से स्नातक कर चुका हो।

पैरामेडिकल कोर्स में जरुरी योग्यताएँ

  • किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से 10वी अथवा 12वी कक्षा 50 प्रतिशत अंको के साथ उत्तीर्ण हो।
  • आरक्षित वर्ग के छात्र के लिए 40 प्रतिशत अंक का भी प्रावधान हैं।
  • हाई स्कूल के बाद विज्ञान के विषय होने चाहिए, जैसे भौतिकी, रसायन, जीव विज्ञान, वनस्पति विज्ञान आदि के साथ अंग्रेजी विषय का होना अनिवार्य हैं।
  • डिग्री कोर्स के लिए इंटरमीडिएट में पीसीबी (फिज़िक्स, केमिस्ट्री एवं बायोलॉजी) विषयों हो।
  • कोर्स के अनुसार एनईईटी प्रवेश परीक्षा को उत्तीर्ण करना हैं।
  • पैरामेडिकल में पीएचडी करने के लिए मास्टर्स स्तर पर सम्बंधित विषय होना अनिवार्य हैं।
  • विदेशी संस्थान से पैरामेडिकल में ग्रेजुएशन के लिए ACT एवं SAT इत्यादि परीक्षा के स्कोर माँगे जाते हैं।
  • विदेश से पैरामेडिकल के पोस्ट-ग्रेजुएट के लिए GRE परीक्षा के स्कोर माँगे जाते हैं।
  • भारत से विदेश जाकर पढ़ाई करने के लिए इन सभी प्रवेश परीक्षा रैंक के अतिरिक्त ILETS एवं TOEFL परीक्षा के स्कोर भी देने पड़ सकते हैं।
  • विदेशी संस्थान में पढ़ाई के लिए छात्र को SOP, LOR, CV/ Resume एवं पोर्टफोलिओ भी देने होंगे।

ग्रेजुएट लेवल पर पैरामेडिकल कोर्स

कोई भी छात्र इंटरमीडिएट कक्षा को 50 प्रतिशत अंको से उत्तीर्ण करने के बाद ग्रेजुएट लेवल पर पैरामेडिकल पढ़ाई कर सकता हैं। यहाँ ध्यान दे कि छात्र के विषयों में पीसीबी स्ट्रीम हो।

एक सामान्य ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई का समय 3 से 4 वर्ष का हो सकता हैं, ग्रेजुएशन लेवल की पढ़ाई करने के लिए निम्न पाठ्यक्रम उपलब्ध रहते हैं –

बीएससी (चिकित्सा रिकार्ड प्रौद्योगिकी)बीएससी (एनस्थीसिया तकनीकी)
फिजिओथेरेपी में स्नातकबीएससी (नर्सिंग)
बीएससी (ऑप्टीमीटर)बीएससी (चिकित्सीय इमेजिंग तकनीकी)
बीएससी (एक्सरे तकनीकी)आयुर्वेदिक दवाएँ और शल्य चिकित्सा में स्नातक
रेडियो तकनीक में स्नातकऑक्यूपेशनल चिकित्सा में स्नातक
बीएससी (डायलसिस प्रबंधन)बीएससी (न्यूक्लियर दवा तकनीकी)
बीएससी (चिकित्सीय प्रयोगशाला प्रौद्योगिकी)

डिप्लोमा लेवल के पैरामेडिकल कोर्स

पैरा-मेडिकल के डिप्लोमा कोर्स को सफलता से पूर्ण करने के बाद एक विधार्थी को निजी अथवा सार्वजानिक चिकित्सा केंद्र, चिकित्सा प्रयोगशाला में सहायक के पद में कार्य करने के लिए नियुक्ति मिलती हैं।

पैरामेडिकल के क्षेत्र में अपना करियर शुरू करने के लिए दसवीं के बाद कोर्स शुरू कर सकते हैं। यह पाठ्यक्रम 2 वर्ष तक के होते हैं, इन पदों का वेतनमान 3 से 6 लाख रुपए वार्षिक तक मिलने की सम्भावना हैं।

  • एक्स-रे तकनीकी
  • रेडियो ग्राफ़िक तकनीकी
  • ऑपरेशन थिएटर प्रबंधन
  • ईसीजी तकनीकी
  • चिकित्सीय रिकॉर्ड प्रबंधन
  • भौतिक चिकित्सा
  • ऑडियोलॉजी एवं स्पीच चिकित्सा
  • डायलसिस तकनीकी

यदि पाठ्यक्रम के शुल्क की बात करें, तो 50 हज़ार से 1 लाख तक देने पड़ सकते हैं। कोई छात्र अपनी इच्छा के अनुसार आगे के अन्य पैरा-मेडिकल कोर्स में भी प्रवेश ले सकता हैं।

पैरामेडिकल सर्टिफिकेट कोर्स

यदि कोई छात्र कम समय में पाठ्यक्रम पूर्ण करके शीघ्रता से अपना करियर शुरू करने की इच्छा रखता है। तो ऐसे छात्र सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम के द्वारा अपना कार्य शुरू कर सकते हैं।

सर्टिफिकेट कोर्सो की अवधि 6 माह से 1 वर्ष तक हो सकती हैं, यह पाठ्यक्रम निजी एवं राजकीय दोनों संस्थानों से आसानी से किये जा सकते हैं।

कुछ प्रमुख सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम निम्न प्रकार से हैं –

नर्सिंग सहायकगृह आधारिक स्वास्थ्य केयर
सिटी स्कैन तकनीकीगृह स्वास्थ्य आइडे (एचएचए)
एक्सरे तकनीकीएचआईवी एवं परिवार शिक्षा
एमआरआई तकनीकीदन्त चिकित्सा सहायक
ईसीजी तकनीकीसामान्य ड्यूटी सहायक
बीडीएस सहायकग्रामीण स्वास्थ्य केयर
ऑप्टो सहायकएमआरआई तकनीकी

पोस्ट ग्रेजुएट लेवल के पैरामेडिकल कोर्स

  • चाइल्ड हेल्थ में पोस्ट-ग्रेजुएट डिप्लोमा
  • कार्डियक पुल्मोनरी परफुसिऑन में पोस्ट-ग्रेजुएट डिप्लोमा
  • एनेस्थिसिआ में पोस्ट-ग्रेजुएट डिप्लोमा
  • पैरामेडिकल चिकित्सा में मास्टर्स
  • फीसिओथेरेपी में मास्टर्स
  • एमएससी (चिकित्सा प्रयोगशाला तकनीकी)
  • एमएससी (मनोरोग चिकित्सा)
  • एमडी ( एनेस्थिसिआ विज्ञान)
  • एमडी (पैथालॉजिकल विज्ञान)
  • पीएचडी (पैरामेडिकल विज्ञान)

पैरामेडिकल कोर्स की मुख्य प्रवेश परीक्षाएँ

कोर्स की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए कुछ संस्थानों ने अपने एंट्रेंस एग्जाम भी तैयार करवाए हैं। यद्यपि कई संस्थान ऐसे भी हैं जो सिर्फ मांगी जा रही कक्षा के अंको के अनुसार प्रवेश दे देते हैं। कुछ प्रमुख प्रवेश परीक्षाएँ निम्न प्रकार से हैं –

  • नीट यूजी एवं पीजी – चिकित्सा के क्षेत्र में नीट एक प्रमुख प्रवेश परीक्षा की तरह जानी जाती हैं, इसके रैंक धारको को भारतीय एवं विदेशी संस्थानों में आसानी से प्रवेश मिल जाता हैं। नीट यूजी की परीक्षा के लिए प्रत्येक वर्ष मई माह तक रजिस्ट्रेशन करना होता हैं। यद्यपि नीट पीजी की परीक्षा के लिए जनवरी से मार्च तक रजिस्ट्रेशन करना होता हैं।
  • एम्स – जो छात्र अखिल भारतीय चिकित्सा संस्थान में पैरामेडिकल की उच्च शिक्षा वाले पाठ्यकम में प्रवेश लेना चाहते हैं, उन्हें संस्थान की एम्स परीक्षा को उत्तीर्ण करना होगा। छात्र को फरवरी माह में पंजीकरण करने के बाद मई महीने में परीक्षा देनी होगी।
  • ऑक्यूपेशनल इंग्लिश परीक्षा – जो छात्र अंग्रेजी बोले जाने वाले देशो में चिकित्सा क्षेत्र में पढ़ने और कार्य करने की इच्छा रखते हैं। उनको अपनी अंग्रेजी भाषा की बोलने, लिखने, पढ़ने एवं समझने की योग्यता की परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती हैं।

पैरामेडिकल कोर्स एडमिशन में आवेदन करना

  • पैरामेडिकल कोर्स एडमिशन के लिए सर्वप्रथम अपने संस्थान की आधिकारिक वेबसाइट को ओपन करें।
  • वेबसाइट पर यूजर रजिस्ट्रेशन करके अपना यूज़रनाम एवं पासवर्ड दर्ज करें।
  • होम पेज में आकर स्वयं को वेबसाइट में लॉगिन करें।
  • किये जाने वाले कोर्स को चुन लें।
  • ऑनलाइन फॉर्म में अपनी व्यक्तिगत जानकारी एवं शैक्षिक जानकारी भरे।
  • मांगे जा रहे सभी प्रमाण पत्रों को आवश्यक रूप में “अपलोड” करें।
  • सभी जानकारी एवं प्रमाण पत्रों की जाँच करें और फॉर्म “सब्मिट” कर दें।
  • फॉर्म के जमा हो जाने के बाद आवश्यक शुल्क का भुगतान कर दें।
  • यदि संस्थान प्रवेश परीक्षा के बाद प्रवेश देता है तो पहले प्रवेश परीक्षा को उत्तीर्ण करने के बाद प्रवेश कॉउंसलिंग में भाग लें।
  • कॉउंसलिंग सूची में नाम आने पर वेबसाइट पर आवेदन की प्रक्रिया को पूर्ण करे।

पैरामेडिकल जॉब्स की सम्भावनाएँ

इस कोर्स को करने के बाद युवाओं को राजकीय एवं निजी अस्पताल, क्लिनिक, सीएचसी/ पीएचसी के अलावा प्रयोगशालाओं में तकनीकी पदों पर नियुक्ति मिलती हैं।

ऐसी सम्भावनाएं हैं, कि भविष्य में शहरों एवं गाँवों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए और अधिक अस्पताल एवं नर्सिंग होम निर्मित होने वाले हैं। जहाँ इस क्षेत्र के पेशेवरों की आवश्यकता होगी।

फैसिओथेरपिस्टएमआरआई टेक्निशन
चिकित्सा सहायकदंतचिकित्सा सहायक
ऑपरेशन थिएटर सहायकएम्बुलेंस असिस्टेंट
रेडिओग्राफी प्रबंधकडेगनोसिस प्रबंधक
रेडियोग्राफी

इसके अंतर्गत अपनी विशेषज्ञता, देखभाल, भौतिक, मानव शरीर रचना विज्ञान, पैथलॉजी एवं रेडियोलोजी से सम्बंधित स्किल्स के आधार पर मरीज़ो का आंकलन करना है।

मरीज़ की अंदरूनी समस्या एवं रोगो की जाँच करने के लिए एक्सरे, अल्ट्रासॉउन्ड, सिटीस्कैन, मैमोग्राफी तकनीकों पर कार्य करना होता हैं।

यह मुख्यतया दो भागो में विभक्त हो जाती है – पहली डायग्नोस्टिक रेडियोलॉज़ी, जिसमे एक्सरे एवं अन्य इमैजिंग तकनीकी की सहायता से चोट एवं बीमारी पहचान होती हैं।

दूसरी इंटरवेंशन रेडियोलॉज़ी के अंतर्गत इमेजिंग का विवरण देखते है, साथ ही थोड़ा सा सर्जिकल काम को भी किया जाता हैं।paramedical courses - radiography

ऑप्टोमेट्री

इसमें मानव की आँखों की परेशानी एवं क्रिया विधि की जाँच करनी हैं। इसके पाठ्यक्रम को करने के बाद किसी भी आई क्लिनिक एवं अस्पताल के नेत्र विभाग में कार्य करने का अवसर मिल जाता हैं।

देशभर में वृद्धजनों की आबादी में वृद्धि के बाद डायबिटिक रेटिनापैथी और मैक्युलर डीजेनेरेशन जैसे रोग की अधिकता मिल रही हैं।

इसके अतिरिक्त कंप्यूटर एवं मोबाइल के ज्यादा प्रयोग से युवा एवं बच्चो की आँखे भी प्रभावित हो रही हैं। अतः समय के साथ इस क्षेत्र का महत्त्व भी बढ़ाता जा रहा है।

कोर्स में छात्र को उपकरणों का ज्ञान, सामान्य एनाटॉमी, आँखों की असमानता, पैथोलॉजी दशाएँ, आँखों के दृष्टिकोण मापना एवं सही करना आदि से परिचित करते हैं। paramedical courses - optometry

चिकित्सा प्रयोगशाला सहायक

किसी भी मरीज़ के विभिन्न परीक्षणों का कार्य चिकित्सा प्रयोगशाला में किया जाता हैं। किसी भी प्रकार की चिकित्सा को शुरू करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली विधा हैं।

कोर्स को पूर्ण करने के बाद अस्पताल, क्लिनिक एवं पैथोलॉजी आदि में लैब टेक्निशन के पद में नियुक्ति मिलती हैं।

लैब में मरीज़ के शरीर के पदार्थो द्रव, उत्तक (tissues), रक्त, त्वचा विषाणु, अपशिस्ट द्रव, जीवाणु संक्रमण इत्यादि की जाँच करके रिपोर्ट बनाने में सहायता करनी होती हैं। paramedical courses - lab assistant

फार्मासिस्ट

फार्मासूटिकल से सम्बंधित उत्पादों के निर्माण का कार्य करने एवं तकनीकों का विकास करने की जानकारी मिलती हैं। इसके बाद विभिन्न निजी एवं सरकारी ड्रग विनिर्माण संस्थान में सेवा प्रदान कर सकते हैं।

विभिन्न संस्थानों में वेतनमान कार्य के अनुसार अलग-अलग होते हैं, फिर भी एक फार्मासिस्ट 17,900 से 47,920 रुपए तक वेतन प्राप्त कर सकता हैं। paramedical courses - pharmacist

डायग्नोस्टिक केंद्र

टेस्ट के माध्यम से किसी बिमारी की जानकारी पाने एवं इलाज़ करने का कार्य करते हैं। परीक्षणों से पहले से किसी रोग से ग्रसित बीमार को पूर्वानुमान के लिए जानकारी दी जाती हैं। रोगी के परीक्षण एवं रिपोर्ट तैयार करने का प्रबंधन कार्य करना होता हैं।

व्यक्ति में असमानता, अयोग्यता, अक्षमता एवं व्याधि की सही पहचान करना डायग्नोसिस प्रक्रिया कहलाती हैं। इसके दो मुख्य प्रकार हैं – पहला निरिक्षण परीक्षा, दूसरा निदानात्मक परीक्षा। paramedical courses - diagnostic centre

ऑक्यूपेशनल चिकित्सा

जो व्यक्ति मानसिक और शारीरिक अक्षमता से पीड़ित हैं, उनको इस प्रकार की चिकित्सा देने की आवश्यकता होती हैं। यह राजकीय एवं निजी अस्पताल, रेहेबिटेशन केंद्र, मानसिक अस्पताल आदि कार्यभार सँभालते हैं। इस चिकित्सा से लोगों को जीने की सही तौर तरीको की जानकारी देनी होती हैं।

इसमें रोगियों को सेंसरी, मोटर, पर्सेप्टुअल एवं कॉग्नेटिव एक्टिविटी से दैनिक कार्य करने एवं कार्यों में लौटने में सक्षम बनाते हैं। चिकित्सक विभिन्न रोगो जैसे देरी से विकास, लर्निंग अक्षमता, लकवा, रीढ़ की हड्डी एवं दिमागी चोट, अवसाद, भय, डेमेन्सिया एवं पार्किसंस आदि का उपचार देते हैं।paramedical courses -Occupational Therapy

माइक्रोबायोलॉजी

यह जीव विज्ञान की एक नई शाखा के रूप में विकसित हुई हैं। इसमें किसी जीवाणु से संक्रमण की जॉच करने के बाद आगे के इलाज़ के लिए रिपोर्ट तैयार करने का कार्य होता हैं।

इसके द्वारा सूक्ष्म जीव जैसे – प्रोटोजोवा, एल्गी, विषाणु एवं जीवाणु का परिक्षण किया जाता हैं। सूक्ष्म जीवो को सामान्य दशा में देख पाना असंभव हैं।

परन्तु पृथ्वी की 60 प्रतिशत जीवित वस्तुओं में से सूक्षम जीव हैं। यह जीवन रक्षक दवाई, जैव ईंधन निर्माण, खाद्य एवं पेय पदार्थो की साफ सफाई आदि में कार्य करते हैं। paramedical courses -microbiology

पैरामेडिकल पाठ्यक्रम के लिए प्रसिद्ध संस्थान

  • अखिल भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली
  • बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी
  • सशस्त्र बल मेडिकल संस्थान, पुणे
  • सीएनसी वेल्लोर, वेल्लोर
  • पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एन्ड रिसर्च, चंडीगढ़
  • एसजीपीजीआईएमएस, लखनऊ
  • जेआईपीएमईआर, पांडिचेरी
  • केजीएमयू, लखनऊ
  • श्री रामचद्र इंस्टिट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन एन्ड रिसर्च, चेन्नई
  • मद्रास चिकित्सा संस्थान, चेन्नई

पैरा-मेडिकल कोर्स से जुड़े कुछ प्रश्न / उत्तर

पैरामेडिकल स्टाफ क्या हैं?

किसी भी अस्पताल में मुख्य चिकित्सक को चिकित्सा कार्य में सहायता देने वाले सभी लोग पैरामेडिकल स्टाफ के अंतर्गत आते हैं।

पैरामेडिकल पेशेवर को कितना वेतन मिल सकता हैं?

निजी क्षेत्र में एक गैर-अनुभवी पैरामेडिकल स्टाफ को 9 से 12 हज़ार रूपए प्रति महीना वेतन मिल जाता हैं। साथ ही अनुभव रखने वाले स्टाफ को 20 से 25 हज़ार रुपए प्रति महीना वेतन मिल जाता हैं।

पैरामेडिकल कोर्स कितने समय के हो सकते हैं?

पैरामेडिकल कोर्स में डिग्री करने में 3 से 4 वर्ष का समय लग सकता हैं। डिप्लोमा के लिए 1 से 2 वर्ष देने होंगे। एक सर्टिफिकेट करने वाले विद्यार्थी को 6 माह से 1 वर्ष तक का समय लग सकता हैं।

क्या पैरामेडिकल कोर्स एडमिशन में नीट आवश्यक हैं?

नहीं, इन कोर्सो के लिए नीट परीक्षा उत्तीर्ण करने की आवश्यकता नहीं हैं। परन्तु कुछ संस्थान अपने प्रवेश एग्जाम के बाद ही प्रवेश की आज्ञा प्रदान करते हैं।

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