भारतीय संविधान के सभी 12 अनुसूचियां | Schedules of Indian Constitution | Sabhi Anusuchiya

भारतीय संविधान में परिशिष्ठ की तरह अनुसूचियों को जोड़ा गया है। संविधान के मान्य होने पर इनकी (Anusuchiya) संख्या 8 हुआ करती थी किन्तु अब संशोधन के बाद से इन अनुसूचियों की संख्या में वृद्धि होकर 12 हो चुकी है। देश का संविधान श्रेष्ठ विधान है जोकि 26 जनवरी 1950 से मान्य हो रखा है। संविधान का मूल आधार भारत सरकार अधिनियम 1935 है। दुनिया के सभी गणतांत्रिक देशो में से भारत का संविधान सर्वाधिक विस्तृत लिखा हुआ संविधान है। देश के संविधान में 22 भाग, 395 मुख्य अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियाँ है। साल 1987 में 58वां संविधान संशोधन को संविधान के प्राधिकृत हिंदी पाठ के प्रकाशन के लिए अधिकृत हुआ है।

भारतीय संविधान के सभी 12 अनुसूचियां | Schedules of Indian Constitution | Sabhi Anusuchiya
भारतीय संविधान के सभी 12 अनुसूचियां | Schedules of Indian Constitution | Sabhi Anusuchiya

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अनुसूची क्या है (Schedules of Indian Constitution)

देश का संविधान दुनिया में सर्वाधिक विस्तृत होने के साथ ही सबसे बड़े न्यायिक संविधानों में स्थान रखता है। ये देश की संघीय संरचना का आधार है। किसी भी संघीय राष्ट्र में ताकत एवं काम के क्षेत्र के विषय में प्रदेश सरकार एवं संघ की सरकार के बीच विवाद आने की सम्भावनाएँ रहती है। इस प्रकार के मामलों से बचाव करने के लिए संविधान शिल्पियों ने प्रदेश एवं संघ की सरकारों के काम के क्षेत्रों और इनके अधिकारों को लेकर सूची तैयार की है। इन्ही सूची को भारत के संविधान की ‘अनुसूची’ कहते है।

भारतीय संविधान के सभी 12 अनुसूचियां

देश के संविधान की कुल 12 अनुसूचियों में राष्ट्र से सम्बंधित सभी जानकारी है। देश का संविधान भारत का सबसे बड़ा कानून है। यह संविधान राजनैतिक सिद्धांतों, प्रक्रियाओं एवं सरकार की शक्ति का मूलढाँचा भी होता है। संविधान की नौवीं अनुसूची को साल 1951 में, दसवीं को 1985, ग्यारवीं को 73वें संविधान संशोधन 1992 और बारहवीं को 74वें संविधान संसोधन में जोड़ा गया है। इस लेख में आपको देश के संविधान की 12 अनुसूचियों का विस्तृत वर्णन दिया जा रहा है।

पहली अनुसूची

यह भारतीय संघ के घटक प्रदेशो एवं संघ शासित स्थानों का वर्णन करती है। 2 जून 2014 में आंध्र प्रदेश में से अलग प्रदेश ‘तेलंगाना’ बनाया गया। संविधान के 62वें संशोधन में दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की मान्यता दी गयी है। इस समय इस अनुसूची में 28 प्रदेश एवं 8 केंद्र शासित प्रदेशों के उल्लेख मौजूद है। देश में नए प्रदेश अथवा केंद्र शासित प्रदेश को बनाने में पहली अनुसूची में संशोधन किया जाता है। संविधान में पहली अनुसूची से सम्बंधित अनुच्छेद 1 और 4 है।

दूसरी अनुसूची

यह देश की राज व्यवस्था के अलग-अलग पदाधिकारो जैसे राष्ट्रपति, राज्यपाल, लोकसभा के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति एवं उपसभापति, विधान सभा के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष, सीएजी इत्यादि में प्रदान होने वाले वेतन, पेंशन एवं अन्य भत्तों के जानकारी है। इस प्रकार से यह कहा जा सकता है कि दूसरी अनुसूची में देश के पदाधिकारियों के वेतन, भत्ते और पेंशन का वर्णन मिलता है। संविधान में दूसरी अनुसूची से सम्बंधित अनुच्छेद 59, 65, 75, 97, 125, 148, 158, 164, 186 और 221 है।

rastrapati house
राष्ट्रपति भवन

तीसरी अनुसूची

यह अनुसूची देश के महत्वपूर्ण पदाधिकारियों जैसे – राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मंत्री, उच्चतम और उच्च न्यायालय के नयायधीशो के अपने पद पर आसीन होने पर लेने वाली शपथ का वर्णन करती है। इस प्रकार से तीसरी अनुसूची देश के पदाधिकारियों की शपथ से जुडी हुई है। संविधान में तीसरी अनुसूची से सम्बंधित अनुच्छेद 75, 84, 99, 124, 146, 173, 188 और 219 है। यह अनुसूची निम्न पद के लिए शपथ एवं अभिपुष्टि प्रारूप को वर्णित करती है –

  • सुप्रीम कोर्ट के जज (न्यायाधीश)
  • हाई कोर्ट के जज
  • भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी)
  • संसदीय चुनाव के अभ्यर्थी
  • संसद के सदस्य
  • संघ के मंत्री पद एवं गोपनीयता की शपथ
  • प्रदेश विधानसभा चुनाव के अभ्यर्थी
  • राज्य विधानमण्डल के सदस्य
  • प्रदेश के मंत्री पद और गोपनीयता की शपथ

चौथी अनुसूची

संविधान की चौथी अनुसूची राज्यसभा की अलग-अलग प्रदेशों की सीटों को निर्धारित करती है। ये सर्वाधिक महत्व रखती है इसके अंतर्गत यह निर्धारित होता है कि किस प्रदेश को राज्यसभा में कितनी सीटें मिलेगी। संविधान में पाँचवी अनुसूची से सम्बंधित अनुच्छेद 4 और 80 है।

पाँचवी अनुसूची

इस अनुसूची में देश के अलग-अलग अनुसूचित जातियों एवं उनके क्षेत्रों में प्रशासन और नियंत्रण के विषय में वर्णन मिलता है। इस प्रकार से क्षेत्र देश के विभिन्न प्रदेशों में फैल रखे है। इनके प्रशासन एक बारे में ही पाँचवी अनुसूची वर्णन देती है। संविधान में पाँचवी अनुसूची से सम्बंधित अनुच्छेद 244 है।

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देश की अनुसूचित जाति

छठी अनुसूची

संविधान की यह अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा एवं मिजोरम प्रदेशों में स्थित जनजातियों के प्रशासन के प्रावधान का वर्णन देती है। यह अनुसूची भी काफी महत्व रखती है। संविधान में छठी अनुसूची से सम्बंधित अनुच्छेद 244 एवं 275 है।

सातवीं अनुसूची

यह अनुसूची देश में विभिन्न प्रदेशों एवं केंद्र के मध्य शक्तियों के विभाजन का वर्णन देती है जोकि काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। इस सातवीं अनुसूची के अंतर्गत 3 सूचियों को स्थान मिला हुआ है। संविधान में सातवीं अनुसूची से सम्बंधित अनुच्छेद 246 है। यह सूची इस प्रकार से है – संघ सूची, राज्य सूची एवं समवर्ती सूची।

संघ सूची

संघ सूची में वर्णित किये सभी विषयों को लेकर कानून निमिति के अधिकार केवल केंद्र सरकार अथवा भारतीय संसद के अधीन होता है। देश के संविधान के मान्य होने पर इसमें 97 विषय थे और अभी करीबन 100 विषय सम्मिलित है। देश से जुड़े सभी जरुरी विषयों को संघ सूची में वर्णन मिला हुआ है। संघ सूची में निम्न विषयों के बारे में वर्णन मिलता है –

नागरिकतासंयुक्त राष्ट्र संघजलमार्ग
सैन्य बलराष्ट्रीय राजमार्गभारतीय रिजर्व बैंक
परमाणु ऊर्जाजल यातायातराष्ट्रीय स्मारक
खनिजवायु परिवहनउच्च शिक्षा एवं अनुसंधान
विदेशी ऋणडाकविदेशी संधियां एवं समझौते
जनगणनापासपोर्ट एवं वीजानिर्वाचन
समाचार पत्रसंघ लोक सेवा आयोगसुप्रीम कोर्ट
अंतरराज्यीय करअखिल भारतीय सेवाएंहाई कोर्ट
सीमा कर
राज्य सूची

इस सूची में वर्णित विषयों को लेकर कानून निर्मित करने का अधिकार राज्य सरकार अथवा विधानमण्डल के पास निहित है। ये कानून विभिन्न प्रदेशों में अलग-अलग हो सकते है। चूँकि देश के विधानमंडल भिन्न-भिन्न होते है। देश के हित से सम्बंधित विषय पर केंद्र सरकार भी राज्य सूची को लेकर कानून निर्मित कर सकती है। यदि देश में आपातकाल को तो ससंद के पास राज्य सूची के सभी विषयों को लेकर कानून निर्मित करने के अधिकार होते है। किन्तु यह अधिकार आपातकाल के समाप्त होने के 6 महीनों तक ही रहता है। संविधान के मान्य होते समय इसमें 66 विषय ही सम्मिलित थे जोकि इस समय पर 61 है। राज्य सूची में निम्न विषयों के बारे में वर्णन मिलता है –

कृषि आय पर करबाजार एवं मेलेसड़के
विद्युत खपतसिनेमाकृषि
विलासिता करमनोरंजनसिंचाई
लोक प्रशासन कारागार (जेल)भारतीय अन्वेषण ब्यूरोभूमि
स्थानीय स्वशासनविदेशी मामलेखनिज विकास
लोक स्वास्थ्यखेलयुद्ध एवं शांति
शराब (उत्पादन, परिवहन और क्रय विक्रय )भू राजस्व
समवर्ती सूची

इस सूची में वर्णित विषयो को लेकर कानून निर्मित करने का अधिकार प्रदेश एवं संघ दोनों को मिला हुआ है। इस प्रकार से इसमें विधानमण्डल और संसद दोनों कानून बना सकते है। किन्तु दोनों के बने कानून में विषमता होगी तो संसद का ही कानून मान्य होगा। ऑस्ट्रेलिया देश के संविधान से समवर्ती सूची को लिया है। संविधान के मान्य होने पर समवर्ती सूची में 47 विषय शामिल थे जोकि इस समय 52 है। समवर्ती सूची में निम्न विषयों के बारे में वर्णन मिलता है –

बाट तथा मापऔद्योगिक एवं श्रम विवादवन
शिक्षासामाजिक सुरक्षा एवं बीमाजन्म और मृत्यु पंजीकरण
कीमत नियंत्रणन्याय प्रशासनसिविल प्रक्रिया
वन्यजीव संरक्षणदंड विधि एवं दंड प्रक्रिया विवाह एवं उत्तराधिकारजनगणना नियंत्रण और परिवार नियोजन
आर्थिक एवं सामाजिक योजनाकारखानेसंपत्ति अधिग्रहण

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आठवीं अनुसूची

यह अनुसूची मूल रूप से 14 भाषाओ का वर्णन करती है और इस समय इसमें 22 भाषाओ का वर्णन है। इस अनुसूची में साल 1967 के 21वें संविधान संशोधन में सिंधी भाषा, 1992 के 71वें संविधान संशोधन में कोंकणी, मणिपुरी एवं नेपाली भाषा, 2003 के 92वें संविधान संशोधन अधिनियम में मैथली, संथारी, डोगरी, बोडो भाषा को सम्मिलित किया गया है। इस प्रकार से 8वीं अनुसूची में 22 भाषाएँ हो गयी है। संविधान में आठवीं अनुसूची से सम्बंधित अनुच्छेद 244 और 351 है। ये भाषाएँ निम्न प्रकार से है –

हिंदी (राजभाषा)गुजरातीबंगाली
मलयालमअसमियाकश्मीरी
ओड़ियाकन्नड़संस्कृत
तेलुगूमराठीतमिल
उर्दूपंजाबी
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देश की भाषाएँ

नौवीं अनुसूची

यह अनुसूची प्रदेश के द्वारा संपत्ति के अधिग्रहण से जुडी विधियों का वर्णन करती है। इस अनुसूची से जुड़े विषयों को लेकर कोर्ट में भी चुनौती नहीं दे सकते है। इसमें भूमि सुधार एवं जमींदारी प्रथा से जुड़े उन्मूलन से जुड़े अधिनियम मौजूद है। इसको पहले संविधान संशोधन 1951 में अंतर्गत शामिल किया गया था। नौवीं अनुसूची में शामिल किये कानूनों पर न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती थी किन्तु साल 2007 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद इस अनुसूची में शामिल कानूनों पर समीक्षा हो सकती है। इस प्रकार से 9वीं अनुसूची के अंतर्गत 24 अप्रैल 1975 के बाद शामिल कानूनों की न्यायिक समीक्षा सम्भव है। संविधान में नौवीं अनुसूची से सम्बंधित अनुच्छेद 31 (ख) है।

दसवीं अनुसूची

यह अनुसूची दल-बदल से जुड़े प्रावधानों से जुड़े निर्देश देती है। साल 1985 में हुए सविधान संशोधन – 52 में इस अनुसूची को शामिल किया गया था। संविधान में दसवीं अनुसूची से सम्बंधित अनुच्छेद 102 एवं 191 है।

dal badal virodhi kanun
दल-बदल कानून

ग्यारवीं अनुसूची

ये अनुसूची पंचायती राज व्यवस्था से जुडी हुई है और इसको 73वें संविधान संशोधन केद्वारा साल 1993 में शामिल किया गया था। इस अनुसूची में 29 विषय है जोकि पंचायती उत्तरदायित्व, शक्तियों एवम प्राधिकारों से जुड़े नियम एवं कानूनों के विषय में वर्णन देती है। संविधान में ग्यारवीं अनुसूची से सम्बंधित अनुच्छेद 243 (छ) है।

panchayti raj vyvastha
पंचायती राज व्यवस्था

बारहवीं अनुसूची

यह शहरी क्षेत्र के स्थानीय स्वशासन संस्थाओं (नगर पालिका) के वर्णन देती है। यह अनुसूची संविधान के 74वें संसोधन के अंतर्गत साल 1992 में जुडी थी और इसके अंतर्गत 18 विषय सम्मिलित है। संविधान में बारहवीं अनुसूची से सम्बंधित अनुच्छेद 243 (ब) है।

nagar palika kay parishad
नगर पालिका

भारतीय संविधान की अनुसूचियों के जुड़े तथ्य

  • दूसरे विश्वयुद्ध के अंत के बाद जुलाई 1945 में ब्रिटेन ने भारत में नई नीति के लिए संविधान सभ निर्माण के लिए कैबिनेट मिशन भेजा।
  • देश की आजादी के बाद ‘संविधान सभा’ की घोषणा हुई।
  • 9 दिसंबर 1947 में संविधान सभा ने अपना काम शुरू किया।
  • देश के प्रदेश सभाओं के चुने हुए सदस्य संविधान सभा के सदस्य हुए।

Schedules of Indian Constitution से जुड़े प्रश्न

भारतीय संविधान की अनुसूचियाँ क्या है?

भारतीय संविधान के निर्मातओं ने इन अनुसूचियों को संविधान में परिशिष्ट की तरह शामिल किया है। संविधान की अनुसूची भारत सरकार की नौकरशाही गतिविधियों एवं नीतियों क वर्गीकरण एवं सारणीकरण करती है।

देश के संविधान की 12 अनुसूची में कितने विषय है?

बाहरवीं अनुसूची को 74वें संविधान संसोधन के तहत साल 1993 में शामिल की गयी है। इसके अंतर्गत शहरी क्षेत्र के स्थानीय संस्थाओं के कमा करने के लिए 18 विषय दिए गए है।

साल 2022 तक देश के संविधान में कितने संसोधन हो चुके है?

देश में संविधान के लागू होने से साल 2022 तक कुल 105 संसोधन हो चुके है।

संविधान की दूसरी अनुसूची क्या वर्णन देती है?

देश के संविधान की दूसरी अनुसूची में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल, लोकसभा स्पीकर, ऑडिटर जनरल, न्यायाधीश, राज्य नियंत्रकों के वेतन एवं भत्तों के विषय में वर्णन देती है।

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