हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है और लोकशाही में असली ताकत आम नागरिक के पास होती है। इस कारण से नागरिक ही समाज का निर्णय लेने की भूमिका निभाते है। चाहे केंद्र की सरकार हो अथवा निचले स्तर की, इसके प्रधान को देश के नागरिक ही चुनते है। देश में केंद्र एवं प्रदेश सरकार होने के बाद भी स्थानीय स्वशासन प्रणाली (नगर निगम) पर बल दिया गया है। देश के संविधान इस प्रकार की स्वशासन वाली व्यवस्था पर जोर दिया गया है। इस प्रकार से स्थानीय स्वशासन से सत्ता का विकेन्द्रीकरण हो सकेगा। इस व्यवस्था में आखिरी पायदान पर भी खड़ा नागरिक शासन में अपनी भागीदारी निभा पायेगा। इस प्रकार से लोकतंत्र को और मजबूती मिलती है। इस लेख में आपको नगर निगम और नगर पालिका में अंतर की जानकारी दी जा रही है।

नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायत
साल 1992 में संविधान में 74वां संशोधन करने के बाद एक नया भाग 9 को जोड़ दिया गया। इसके अंतर्गत नगर पालिकाओं का संवैधानिक मान्यता मिल गयी। इसमें नगरपालिका को 3 स्तरों में संविधान में उप-बंधित करने का कार्य भी हुआ – नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद एवं नगर निगम। इस लेख में माध्यम से आपको नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायत में अंतर को बताया जायेगा।
Nagar Palika Or Nagar Nigam Me Antar
नगर निगम
नगर निगम और नगर पालिका में अंतर
Nagar Palika Aur Nagar Nigam Mein Kya Antar Hai – नगर निगम के एक क्षेत्रीय शासी निकाय के क़ानूनी नाम होता है। ये सिटी, काउंटी, कस्बे, बस्ती, चार्टर बस्ती, गाँव जैसे स्थानों के लिए प्रयोग करते है। नगरपालिका के सबसे ऊपर की श्रेणी को ‘नगर निगम’ कहा जाता है। इस तरह से नगर निगम किसी सिटी क्षेत्रीय निकायों बड़ी एवं वृहद श्रेणी है। किसी भी इलाके में नगर निगम को स्थापित करने के लिए वहाँ की जनसंख्या कम से कम से कम 5 लाख होनी चाहिए। इसके लिए जनसंख्या की अधिकतम सीमा को तय नहीं किया गया है। इसी वजह से भारत करीबन सभी बड़े नगरों में नगर निगम को स्थापित किया गया है। यद्यपि इन नगर निगमों को भिन्न-भिन्न समय पर स्थापित है।
हमारे देश सबसे पहले नगर निगम को साल 1687 में मद्रास (चेन्नई) में बनाया गया था। इसके बाद साल 1876 में कलकत्ता (कोलकाता), 1893 में बंबई (मुंबई) और 1958 में दिल्ली के नगर निगम की स्थापना हुई थी। नगर निगम को सिटी कारपोरेशन अथवा महानगर निगम (म्युन्सिपल कारपोरेशन) भी कहा जाता है। ये नगर निगम प्रदेश सरकार के अंतर्गत आता है।

नगर पालिका
नगर निगम और नगर पालिका में अंतर
नगर पालिका एक शहरी निकाय शासन होता है। ये शासन प्रणाली नगर पंचायत से बड़ी लेकिन नगर निगम से छोटी होती है। वैसे तो ये नगर पंचायत का ही बड़ा रूप है। अतः इसको वहाँ पर भी स्थापित कर देते है जहाँ पर पहले से ही नगर पंचायत होती थी। किसी भी इलाके नगर पालिका को स्थापित करने के लिए वहाँ की जनसँख्या 1 लाख से 5 लाख के बीच होनी चाहिए। यद्यपि कुछ समय पूर्व तक जनसँख्या की नीति में अंतर देखे जा रहे है। उदाहरण के लिए पूर्व में जनसंख्या की कम से कम मात्रा 1 लाख के बजाए 20 हजार ही थी। किन्तु अब यह बात साफ़ हो चुकी है कि किसी इलाके में नगर पालिका को स्थापित करने के लिए कम से कम 1 लाख की जनसंख्या जरुरी है।

नगर पंचायत
नगर पंचायत और नगर पालिका में अंतर
शासन की सर्वाधिक निचली श्रेणी को ‘नगर पंचायत’ कहते है। ये निचली श्रेणी जरूर है किन्तु समाज का सर्वाधिक आखिरी नागरिक भी इसी स्तर से आगे की यात्रा कर सकता है। इस प्रकार से उस व्यक्ति को लोकतंत्र में भागीदारी करने का अवसर मिल जाता है। नगर पंचायत को ऐसे इलाको में स्थापित करते है जो गाँव से शहर में बदल रहे है। किसी इलाके में नगर पंचायत की स्थापना हेतु वहाँ की जनसँख्या 30 हजार से 1 लाख के मध्य होनी जरुरी है। इस तरह की प्रणाली में ग्रामीण इलाको में भी लोकतंत्र के आधार को मजबूती मिलती है।
- एक वर्ष में 2 बार ग्राम सभा की मीटिंग जरुरी होती है इसके लिए 15 दिन पहले ही नोटिस दे देते है। मीटिंग को बुलाने का अधिकार ‘ग्राम प्रधान’ के पास होता है।
- इस मीटिंग में कुल सदस्यों में से 5वें भाग की उपस्थिति अनिवार्य है।
- ग्राम पंचायत से तैयार योजनाओं को एकत्रित करने के बाद पंचायत समिति उनके वित्तीय प्रबंधन का समाज कल्याण एवं इलाके के विकास कार्य पर ध्यान देकर लागू करती है।

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कार्य के अनुसार नगर निगम और नगर पालिका में अंतर
ये दोनों ही भिन्न-भिन्न व्यवस्थाएं है किन्तु इनके कामो में काफी समानता मिलती है। ये दोनों ही अपने क्षेत्र के नागरिको के अच्छी व्यवस्था देते है। इनके मुख्य काम निम्न प्रकार से है –
- अपने इलाके की सड़के बनवाना और खराब सड़को को सही करना।
- सड़को चौड़ीकरण के कार्य करना।
- फुटपाथों को बनाना एवं उनके मेंटिनेंस कार्य करना।
- क्षेत्र के नागरिको के लिए स्वच्छ पीने के पानी की आपूर्ति करना।
- पब्लिक टॉयलेट, पार्क, हॉल, ग्राऊंड इत्यादि का निर्माण करके इनकी देखभाल भी करना।
- गन्दे पानी को निकालने के लिए नाले-नालियों का निर्माण करना और समयान्तराल में साफ़-सफाई भी करवाना।
- सडकों की सफाई के कार्य करना।
- नागरिको की सुविधा हेतु सड़क, फुटपाथ एवं अन्य जरुरी जगहों से अतिक्रमण को खाली करवाना है।
- गाड़ियों की पार्किंग को बनाना और इनकी देखभाल भी करना।
- क्षेत्र के आवारा जानवरो को काबू करना और जरुरत होने पर इनको पकड़ना भी।
- प्राथमिक स्तर इलाके के नागरिको को पढ़ाई एवं स्वास्थ्य की सुविधा प्रदान करना।
- कूड़े-कचरे को इकट्ठा करना और शहर के बाहरी क्षेत्र में निस्तारित करना।
- इलाके की स्वछता एवं सौंदर्य के काम करना।
- जन्म-मृत्यु के रजिस्ट्रेशन करना।
नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायत से जुड़े प्रश्न
नगर पालिका के प्रकार कौन से है?
हमारे देश की प्रशासन व्यवस्था में महानगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत।
नगर पालिका के काम क्या है?
ये अपने शहर, नगर अथवा कस्बे के नागरिको की पूरी देखभाल करें। साथ ही इनके जन्म-मृत्यु का भी पूर्ण हिसाब रखे। इससे नगर की जनसंख्या की गिनती भी होती है।
नगर पंचायत का कार्यकाल कितने वर्ष चलता है?
संविधान के 73वें संशोधन के बाद से अनुच्छेद 243E में पंचायत की कार्य समयसीमा 5 वर्षो का तय किया गया है।
भारत में नगर पंचायतो की संख्या कितनी है?
हमारे देश में नगर पालिकाओं के अंतर्गत 16 नगर निगम, 100 नगर पालिकाएँ एवं 264 नगर पंचायत सम्मिलित है।