हमारे देश में पुराने समय से ही शादी को जन्मों-जन्मांतर का रिश्ता कहा जाता है। इसी मान्यता को ध्यान में रखकर बहुत से लोग समाज के सामने अपनी शादी को बनाये रखने के लिए बहुत सी परेशानियों को झेलते रहते है। लेकिन समाज में बहुत से जोड़े तलाक लेने के बारे में सोचते रहते।
तलाक के इच्छुक लोगों को एकतरफा तलाक के नए नियमों की जानकारी लेना जरुरी हो जाता है। ऐसे बहुत से लोग तो कोर्ट-कचहरी के कामों से भी डरे रहते है। ऐसे शादी को बनाये रखना एक कठिन काम हो जाता है।
आपको इस लेख के अंतर्गत एकतरफा तलाक कैसे लें और तलाक लेने की प्रकिया की जानकारी मिलेगी।

एकतरफा तलाक
बहुत बार शादीशुदा लोगो के आपसी सम्बन्ध काफी खराब हो जाते है। पति-पत्नी के बीच आपसी समय की कमी, दोनों में अहंकार के टकराव, शादी के बाद में जटिल सम्बन्ध लोगों को तलाक लेने पर मजबूर कर देते है।
एक तरफा तलाक कैसे होता है?
एकतरफा तलाक (unilateral divorce) लेने में तलाक की याचिका का ड्राफ्ट तैयार करके कोर्ट में देना होता है। इसके बाद एकतरफा तलाक को कुछ विशेष आधारों पर ही देना होता है। यह हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 के सन्दर्भ (Section) 13 के अंतर्गत उल्लेखित है। किसी व्यक्ति की बातो को सच या झूठ जानने में प्रशासन नार्को टेस्ट करते है।
तलाक के प्रकार
वर्तमान समय में तलाक लेने के 2 तरीके है।
- एक-दूसरे की सहमति से तलाक
- एकतरफा तलाक।
- आपसी सहमति से तलाक – ऐसे तलाक को लेने और पाने की प्रक्रिया बहुत आसान रहती है। चूँकि ऐसे मामलों में दोनों ही पक्ष अलग होने के लिए राजी रहते है। इसके अतिरिक्त इसे लेने में कोई आरोप अथवा कोई वाद-विवाद नहीं रहता है।
- एकतरफ़ा तलाक – ऐसे तलाक की प्रक्रिया बहुत जटिल रहती है। चूँकि इसमें पति-पत्नी में से केवल एक ही तलाक लेने की इच्छा रखता है किन्तु दूसरा साथी तलाक देने के लिए तैयार नहीं रहता है। ऐसे में तलाक लेने की इच्छा रखने वाले पक्षकार को कुछ तथ्य प्रस्तुत करने पड़ते है जोकि तलाक देने की कंडीशन को सही प्रकार से प्रमाणित कर दें।
तलाक में जरुरी प्रमाण-पत्र
- पहचान पत्र
- विवाह का कोई प्रमाण
- शादी के समय की 4 फोटो
- 3 सालों की आयकर स्टेटमेंट
- पेशे एवं आय की डिटेल्स
- प्रॉपर्टी एवं मालकियत के डिटेल्स
- 1 साल तक अलग रहने के प्रमाण
- समझौते करने के प्रमाण
- अन्य जरुरी प्रमाण-पत्र
एकतरफा तलाक की कंडीशन
एकतरफ़ा तलाक में यह हालात होते है कि पति या फिर पत्नी में से कोई एक तो तलाक लेने की इच्छा रखता है लेकिन दूसरा पार्टनर तलाक नहीं देना चाहता है। ऐसे हालातों में पहले इंसान की जिन्दगी दूभर हो जाती है।
ज्यादातर पति हर्जाना और गुजारा देने के कारण तलाक नहीं देते है। तो बहुत बार लोगों के लिए समाज में छवि का डर भी एक कारण होता है। ऐसे ही बहुत सी पत्नियाँ भी तलाक देने से डरती है चूँकि वह पति के ऊपर सामाजिक, वित्तीय एवं मानसिक रूप से एकदम आश्रित रहती है। अब एकदम से अकेले रहकर जीवन-यापन करना सरल नहीं लगता है।
एकतरफा तलाक के लिए आधार
एकतरफ़ा तलाक लेने में उन सभी आधार बातों को जान लेना अनिवार्य हो जाता है जोकि सहायक हो। व्यक्ति को न्यायालय में एकतरफा तलाक के लिए कुछ आधार प्रस्तुत करने होते है। इन सभी आधारों को अर्जी के रूप में कोर्ट में सब्मिट करते है।
इन आधारों से संतुष्टि होने पर ही तलाक के मुक़दमे को आगे बढ़ाया जाएगा। दोनों इंसानों के हालातों को ध्यान में रखते हुए पति-पत्नी को तलाक की अनुमति मिलती है।
हिंसा
अगर पति-पत्नी में से कोई एक शारीरिक अथवा मानसिक हिंसा का भुक्तभोगी तो ये तलाक के लिए एक आधार होता है। ऐसे इंसान को न्यायालय में प्रमाण प्रस्तुत करने होते है।
व्यभिचार करना
अगर शादीशुदा होने के बाद भी कोई एक पार्टनर किसी दूसरे पुरुष अथवा महिला से यौन सम्बन्ध रखता है। यानी कि पति-पत्नी में से किसी एक के थर्ड पर्सन के साथ शारीरिक सम्बन्ध है। ऐसी स्थिति में ये तलाक लेने के लिए एक बड़ी वजह हो सकती है।
आज के युग में महिला और पुरुष दोनों ही काम करते है तो ऐसे में बाहर की दुनिया में किसी व्यक्ति के साथ सम्बन्ध बनना एक आसान बात है। यदि पति-पत्नी में से किसी एक का मनमुटाव अथवा इच्छा के पूरी ना होने से किसी अन्य से आकर्षण हो जाता है। फिर उन दोनों में शारीरिक सम्बन्ध भी बन रहे हो तो तलाक के लिए बहुत ठोस आधार होता है।
पति अथवा पत्नी का धर्म परिवर्तन करना
हमारे देश में धर्म को बहुत विशेष महत्व देते है। इंसान अपने माता-पिता से मिले धर्म में ही आस्था और विश्वास रखकर उसे अपने जीवन की चर्या बनाता है। सभी लोग अपनी शादी भी धर्म के अनुसार तय रीतियों और संस्कारों के अंतर्गत करवाते है। सभी के लिए धर्म एक नितांत व्यक्तिगत मामला होता है।
ऐसे यदि पति-पत्नी में से एक साथी दूसरे को विश्वास में लिए बिना या फिर उसकी इच्छा के विरुद्ध जाकर अपना धर्मान्तरण कर लेता है तो यह बात एकतरफा तलाक के लिए ठोस आधार बन जाती है।
किसी एक को लाइलाज रोग होना
पति-पत्नी के आपसी सम्बन्ध काफी नजदीक के होते है इस वजह से उनको आपस में बहुत कुछ बाँटना पड़ता है। इनका खाना, रहना और सोना एक साथ होता है। ऐसे में अगर पति-पत्नी में से किसी एक को कोई लाइलाज रोग हो जाता है तो वह दूसरे पार्टनर को भी लग सकता है।
ऐसी स्थिति में यह रोग तलाक के लिए बड़ा आधार बन जाता है। कोई भी लाइलाज बीमारी किसी दूसरे पार्टनर के लिए कष्टकारी और जानलेवा हो सकती है। इसी कारण से ऐसी बीमारी को तलाक लेने का आधार बना सकते है।
कोई एक सन्यास ले लें
समाज में घर-गृहस्थी को सही प्रकार से चलाने के लिए पति और पत्नी दोनों ही अहम भागीदारी निभाते है। किन्तु अगर पति अथवा पत्नी में से कोई भी एक सन्यास (renunciation) ग्रहण कर लेता है तो यह दूसरे के लिए तलाक की एक बड़ी वजह बन जाती है। जैसा कि हम जानते है कि संन्यास ग्रहण करने वाले व्यक्ति के लिए घर में रहना और सम्भोग वर्जित है।
साथ ही किसी सन्यासी पर समाज के सामान्य नियम भी कार्यान्वित नहीं हो सकते है। ऐसे इंसान की वजह से दूसरे व्यक्ति को भी यौन सुख एवं सामाजिक रीति-आचारों से वंचित होना पड़ता है। ऐसे में ये एकतरफ़ा तलाक का आधार बन जाता है।
साथी का साथ छोड़कर जाना (Missing)
यदि पति-पत्नी में से कोई एक घर से चला गया है और दूसरे के पास उसको लेकर कोई सूचना और जानकारी नहीं है। साथी की जानकारी न होने पर इसको एकतरफा तलाक का आधार बना सकते है। यदि किसी व्यक्ति का साथी बिना कुछ बताये कही पर चला गया है।
उस व्यक्ति को परिवार ने खोजा भी है किन्तु उसकी कोई खोज-खबर भी नहीं मिल पा रहे है। यदि उस इंसान को घर को छोड़े हुए बहुत ज्यादा समय हो चुका हो तो ये एकतलाक लेने का बड़ा आधार बन सकता है।
नपुंसकता
दोनों में से किसी में भी लैंगिक अक्षमता का होना तलाक के लिए एक ठोस आधार है।
एकतरफा तलाक लेने का तरीका
- तलाक के प्रमाण-पत्र तैयार करवाए – सबसे पहले दावेदार व्यक्ति को अपने वकील से मसौदा तैयार करवाकर सभी प्रमाण-पत्रों और तय शुल्क के साथ फैमिली कोर्ट में पेश करना है।
- अपने साथी को नोटिस भेजें – अब न्यायालय की तरफ से दूसरे साथी को एक नोटिस या फिर समन भेजा जायेगा। ये दस्तावेज़ सामान्यतया स्पीड पोस्ट से भेजा जाता है। इस नोटिस का मुख्य उद्देश्य दूसरे पक्ष को तलाक सम्बंधित प्रक्रिया की शुरुआत की जानकारी देना है।
- पति-पत्नी कोर्ट में हाजिर हो – नोटिस के पाने के बाद दोनों पक्षों को तय तारीख पर कोर्ट में हाजिरी देनी होगी।
- कोर्ट में बातचीत से केस सुलझाया जाएगा – नोटिस मिलने के बाद अगर साथी कोर्ट में नहीं जाता है तो मामला ‘एकपक्ष’ का ही बन जाता है। तलाक लेने वाले साथी को उसके द्वारा प्रस्तुत किये प्रमाण-पत्रों के अनुसार निर्णय दे दिया जाता है। नोटिस के मिलने पर दूसरा साथी कोर्ट में तय तिथि पर पहुँचता है तो बातचीत से केस निपटाने की कोशिश होती है।
- न्यायालय में याचिका डाले – अगर बातचीत की प्रक्रिया के बाद भी केस नहीं सुलझता है तो तलाक का केस करने वाला साथी दूसरे साथी के विरुद्ध न्यायालय में याचिका डाल देता है।
- लिखित बयान होते है – इसके पश्चात दोनों ही पक्षों को सुनवाई करनी होती है एवं साक्ष्यों-प्रमाणपत्रों के अनुसार कोर्ट अपना अंतिम निर्णय देता है। ध्यान रखें ऐसे मामलों में यह प्रक्रिया बहुत बार लम्बी भी हो जाती है।
तलाक देने से पहले निम्न बिंदुओं का निपटारा होगा
- अगर तलाक लेने वाले पति-पत्नी को कोई संतान है तो तलाक देने से पहले बच्चे की कस्टडी को भी तय किया जाता है। अगर इस बात को लेकर भी विवाद हो रहा है तो कोर्ट बच्चे की कस्टडी को लेकर अधिकार का फैसला भी देगा। इस निर्णय में कोर्ट बच्चे के हित को सर्वोपरि रखने वाला है।
- इसमें यह भी देखना होता है कि वह व्यक्ति बच्चे को सही परवरिश दे सकेगा अथवा नहीं। न्यायालय ऐसे निर्णय में बच्चे के लिए रखरखाव की राशि भी तय करता है। इसके अतिरिक्त कोर्ट संपत्ति एवं मालिकाना हक़ के केस में भी कानून के मुताबिक दोनों वादियों को फैसला देती है।
तलाक के लिए नए नियम
- अधिनियम हिन्दू मैरिज एक्ट 1955
- स्पेशल मैरिज एक्ट 1954
- पारसी मैरिज एक्ट 1936
- मुस्लिम पर्सनल लॉ
- इण्डियन डिवोर्स एक्ट
जब पति-पत्नी आपसी सहमति से तलाक लेना चाहते है तो कोर्ट उन्हें 6 महीने का समय देती है ताकि वह उन 6 महीनों में एक -दूसरे को और अधिक समझ सकें। ऐसा करने से पति -पत्नी के रिश्ते को एक और मौका मिल जाता है। यदि 6 महीने के बाद भी दोनों के बीच सुलह नहीं होती है तो उस स्थिति में तलाक हो जाता है।
एकतरफा तलाक से जुड़े प्रश्न
तलाक क्या है?
जब विवाहित साथी एक दूसरे के साथ नहीं रहना चाहते है और सम्बन्ध समाप्त करे तो इसके “तलाक” कहते है।
शादी के कितने समय के बाद तलाक होगा?
विवाह होने के 1 वर्ष के बाद ही तलाक के लिए आवेदन कर सकते है। कोर्ट 1 साल की शादी के बाद ही तलाक पर विचार करता है।
क्या तलाक में प्रमाण पत्र लगते है?
जी हाँ, तलाक के लिए जरुरी प्रमाण-पत्र ऊपर बताये गए है।
गुजारा भत्ता क्या है?
कोर्ट पति की वित्तीय स्थिति को देखकर ‘गुजारा भत्ते’ की राशि को तय करता है। अच्छी-बुरी स्थिति के अनुसार पत्नी को गुजारा भत्ता मिलेगा।
एकतरफा तलाक में कितना समय लगता है?
तलाक के लिए केस फाइल करने के बाद 6 से 18 माह का इंतजार करना पड़ सकता है। बशर्ते दायर याचिका को वापस न किया जाये।
एकतरफा तलाक कैसे होता है?
उम्मीदवार पति अथवा पत्नी को कोर्ट में जाकर जरुरी प्रमाण-पत्र एवं प्रक्रिया को फॉलो करके एकतरफ़ा तलाक लेना होगा।