होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi)

विभिन्न पर्व भारत के जीवन का अद्वितीय भाग होते है, ऐसा ही एक रंग-बिरंगा एवं मस्ती से भरपूर पर्व है होली। समाज में होली (Holi) परस्पर प्रेम एवं सम्मान को बढ़ाने वाला पर्व है। आपस में विभिन्नता रखने वाले देश भारत में होली एक महत्वपूर्ण पर्व है जो सभी के जीवन में उत्साह, ख़ुशी, मिठास को कायम रखने का कार्य करता है। होली का त्यौहार आज के समय को प्राचीन काल से जोड़े हुए है। इस लेख में आपको होली के त्यौहार पर कुछ प्रकार के निबंध पढ़ने को मिलेंगे।

Holi Essay in Hindi
Holi Essay in Hindi

होली का पर्व भारत का मुख्य त्यौहार है और इसके विभिन्न विवरणों को निम्न निबंधों में बताया जा रहा है।

होली पर निबंध -1

प्रस्तावना

होली का त्यौहार हिन्दू धर्म से जुड़े लोग बहुत जोश एवं श्रद्धा से मनाते है। प्रेम के रंगो से भरपूर ये पर्व समाज में एक भाईचारे का संचार करता है। ये देश का दूसरे स्थान का त्यौहार कहलाता है जोकि रंगों के पर्व के नाम से भी काफी प्रसिधा है। यह त्यौहार समाज के सभी वर्गों के द्वारा मनाया जाता है। यह दिन सभी लोगों के आपसी मनमुटाव को भूलकर फिर से दोस्ती के रंग में रंगने का दिन होता है। बच्चे रंगो एवं पानी के साथ मस्ती करते देखे जाते है। होली आनंद एवं मिठास का पर्व है। यह त्यौहार अब इतना प्रसिद्ध है कि देश के बाहर भी नेपाल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा इत्यादि देशों में भी होली को काफी धूमधाम से मनाते है। इस समय प्रकृति का मौसम भी काफी सुहावना हो जाता है। इन्ही दिनों में ऋतुराज ‘बसंत’ का आगमन भी हो जाता है।

होली का महत्व

भारत में त्योहारों में होली का विशेष महत्व है और यह देश एक मुख्य पर्वो में स्थान रखता है। होली का त्यौहार फाल्गुन अथवा बसंत की ऋतु के आने में विशेष मान्यता रखता है। यह फाल्गुन महीने में पूर्णिमा के दिन आता है। ये पर्व प्रकृति में सर्दी के मौसम की समाप्ति की घोषणा करता है। विभिन्न रंग, पानी की पिचकारी एवं गुब्बारों के साथ यह दिन रंगीन हो जाता है। साथ ही होली आपसी सौहार्द का भी पर्व है जो मानव को सालो पुराने आपसी द्वेष, मतभेद को भूलकर आपस में गले मिलने की परंपरा रखता है। इसी वजहों से ये पर्व मित्रता को शुरू करने के लिए काफी लोकप्रिय रहा है।

इस दिन हर कोई प्रकृति में पाए जाने वाले रंगों में रंग कर ऊंच-नीच से परे हो जाता है। यही वजह है कि यह तैयार समय के साथ भारतीय समाज में अपनी महत्ता को कम नहीं होने देता है।होली के दिन लोग पुराने गीले शिकवे भुलाकर आपस में रंग लगाते हुए गले लगकर मंगल कामना और बधाईयाँ देते है। होली लोगो को यह सीख भी देता है कि हमेशा ही अच्छाई की बुराई के ऊपर विजय हो जाती है। साथ ही लोग अपने परिवार के सदस्य, मेहमानो एवं दोस्तों को मिठाई खिलाकर जीवन में अच्छा होने की बधाइयाँ देते है।

भारतीय लोगों के जीवन में होली का पर्व बहुत से रंगो को भरने का कार्य करता है। लोगो के जीवन को रंगीन बनाने के कारण ही इसको ‘रंग महोत्सव’ भी कहते है। होली समाज में लोगो को भाईचारे एवं प्रेम का सन्देश देने वाला पर्व है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करता है कि अंततः भलाई एवं बुराई की लड़ाई में जीत भलाई की ही होती है। फिर भी यह समाज में सभी लोगो को पुराने मतभेद को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने का सन्देश देता है। ऐसी मान्यता भी है कि होली में किसी व्यक्ति को लाल गुलाब लगाने से उससे सभी प्रकार के मतभेद दूर जाते है।

Holi_celebration with colour

होली पर निबंध -2

परिचय

पुराने समय में हमारे देश में होली वाले दिन मंदिरों में भगवान कृष्ण एवं राम की पूजा होती थी। साथ ही लोग ईश्वर को याद करते हुए ढोल एवं मंजीरों पर गीतों का गान करके खुशियाँ मनाते थे। किन्तु अब समय के साथ ही इन पर्वो का रूप भी बदलने लगा है। नौकरी एवं पढ़ाई के लिए घर से दूर रहने वाले लोग भी इस पर्व के कारण अपने परिवार में कुछ दिनों के लिए आ जाते है।

होली का इतिहास एवं कारण

शास्त्रों में कथा है कि प्रहलाद नामक बालक भक्त था जोकि श्री हरी विष्णु की भक्ति करता था। भक्त प्रहलाद के पिता ने अपनी बहन को ब्रह्मा से मिले अग्निरोधी वस्त्रों को पहनकर अपनी बहन के साथ अग्नि में बैठने के लिए कहा। प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यप ने बहन को ये चमत्कारी ओढ़नी प्रहलाद के ऊपर से हटा लेने के लिए कहा था। किन्तु भगवान के आशीर्वाद से प्रहलाद पर ओढ़नी आ जाती है किन्तु होलिका की जलकर मृत्यु हो जाती है।

होली का जीवन में महत्व

होली दहन के दिन पुराने समय से ही घर से सभी सदस्यों को उबटन (हल्दी, सरसो का तेल ईवा दही मिश्रित) लेप लगाने की प्रथा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन ये उबटन लगाने से मानव के सभी विकार भी नष्ट हो जाते है। अपने घर से लकड़ी को होलिका के लिए देना भी काफी शुभ माना जाता है। घर से दी गयी लकड़ी के अग्नि में जलने से सभी विकार भी समाप्त हो जाते है। होली के दिन अपने पुराने दुश्मन को भी गले से लगाकर दिल से शत्रुता समाप्त करने का संकल्प लेते है।

देश के विभिन्न क्षेत्रों की होली

ब्रजभूमि की लठमार होली

‘सब जग होरी या ब्रज होरी’ मतलब जगत की होली में से ब्रज की होली सबसे अलग है। ब्रज के गाँवो में भी ‘बरसाना’ की होली को प्रेम एवं भक्ति इस परिपूर्ण होली माना जाता है। इस होली में नंदगाँव के आदमी ईवा बरसाना की स्त्रियाँ भागीदारी करती है जोकि सभी के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र रहती है। होली के लिए प्रसिद्ध भगवान श्री कृष्ण नंदगाँव से थे और राधा रानी बरसाना से थी। आदमियों का दल महिलाओं को रंग से भिगोने में होता है और स्त्रियाँ उनके रंग के जवाब में अपनी लाठी मारती है। इसी विचित्र प्रथा के कारण ये होली काफी अद्वितीय दृश्य दिखाती है।

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वृन्दावन एवं मथुरा की होली

इन दोनों ही नगरों का सम्बन्ध भगवान श्री कृष्ण से है और यहाँ की होली अपना अलग ही नजारा पेश करती है। यहाँ पर पुरे 16 दिनों तक होली का त्यौहार बड़े उल्लास एवं ख़ुशी से मनाया जाता है। साथ ही कुछ लोग पुराने गीतों को भी आपस में मिलकार गाने को पवित्र मानते है।

गुजरात एवं महाराष्ट्र में मटकी फोड़ होली

इन दोनों ही प्रदेशों में भगवान कृष्ण के बाल रूप एवं क्रीड़ाओं को याद करते हुए होली का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाते है। स्त्रियाँ माखन से भरी हुई मटकी को ऊँचाई पर लटका देती है इसके बाद लड़को एवं आदमियों के दल बारी-बारी से इन्हे फोड़ने का प्रयास करते है। इसी बीच लोग गाने एवं नाचने का भी प्रदर्शन करते है। ये सभी कुछ स्थानीय लोगो के लिए काफी मजेदार अनुभव बन जाता है।

पंजाब में ‘होला मोहल्ला’

देश के उत्तरी भाग में मौजूद पंजाब प्रान्त में आदमियों की ताकत के प्रदर्शन में रूप में होली का पर्व मनाया जाता है। होली के त्यौहार के दूसरे दिन से ही सिक्ख धर्म के मनाने वालो के पावन स्थान ‘आनंदपुर साहेब’ में 6 दिनों तक मेले का आयोजन भी होता है। यहाँ पर जवान पुरुष अपनी ताकत का प्रदर्शन करने के लिए घोड़े की सवारी, तीरंदाजी जैसे विभिन्न करतब भी दिखाते है।

बंगाल में ‘डोल पूर्णिमा’ होली

होली का त्यौहार बंगाल एवं ओडिशा में ‘डोल पूर्णिमा’ के रूप में मनाने की परंपरा है। सभी भक्त राधा-कृष्ण की मूर्ति को डोल में विराजित करके समूचे गाँव में भजन के साथ शोभा यात्रा निकालते है। इसके साथ ही लोग आपस में रंग खेलकर आनंद एवं ख़ुशी भी बाँटते है।

मणिपुर में होली

देश के पूर्वी क्षेत्र में स्थित मणिपुर राज्य में होली के पर्व में ‘थबल चेंगबां’ नामक नृत्य उत्सव का आयोजन होता है। इस त्यौहार को यहाँ पर पुरे 6 दिनों तक मनाया जाता है। इन दिनों विभिन्न जगहों पर नाच-गाने की विभिन्न प्रतियोगिताएँ भी होती है।

उपसंहार

भारत के विभिन्न भागों में होली को फाल्गुन की पूर्णिमा से रंग-गुलाल एवं गीतों के द्वारा मनाने की प्रथा चली आ रही है। इस दिन सभी लोग आपस के मनमुटाव को भूलकर एक नए भाईचारे के अंतर्गत जीने का सकल्प लेते है। बच्चे एवं जवान मस्ती एवं खाने के पदार्थों के आनंद में डूबे दिखते है। घर परिवार में मिटाई एवं पकवानों को बनाने का दौर चलता है।

holi celebration

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होली पर निबन्ध – तीसरा

प्रस्तावना

होली देश का मुख्य पर्व है चूँकि इस दिन समाज आपस में मिलकर मस्ती करते है और होली की बधाई देते है। होली के दिन समाज में सभी आयु वर्ग के लोग जैसे बच्चे, बूढ़े एवं जवान को रंगों में मस्ती करते देख सकते है। प्रत्येक वर्ष की शुरुआत में मार्च माह में होली का पर्व आता है। सभी लोग इस दिन इकट्ठा होकर, प्रेम, ख़ुशी, विजय, धर्म के रूप में होली के पर्व को खेलते है। वे अपने प्रेम एवं आनंद के भाव को प्रदर्शित करने के लिए चटकीले एवं आकर्षक रंगों का इस्तेमाल करते है।

प्राचीन उद्देश्य

पुराने समय में किसानों की फसल के तैयार होने पर वे इसको भगवान को अग्नि के माध्यम से समर्पित करते थे। भगवान के भोग को थोड़े से अन्न को भूनकर तैयार किया जाता था। भोग लगे हुए अन्न में से थोड़ा सा अन्न लेकर दूसरे लोगो को प्रसाद के रूप में बाँट देते थे। होलिका की अग्नि की पूजा करके भजन एवं कथाओं को भी सुनने का कार्यक्रम होता था। अगले दिन लोग आपस में मिलकर बाते करते, एक दूसरे को मिठाई खिलाते और रंगों के साथ मस्ती भी करते थे।

रंग का पर्व

भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से पहले तक होली के पर्व को केवल ‘होलिकोत्सव’ के रूप में मनाने की परंपरा रही है। इस दिन होलिका के दहन में नवान्न को अर्पित किया जाता था। किन्तु भगवान श्रीकृष्ण ने अपने समय में इस पर्व को रंगों से मनाने की परम्परा को शुरू कर दिया। उनके जीवन काल में एक बार ‘पूतना’ नाम की आसुरी उनकी हत्या करने आई थी। किन्तु कृष्ण ने अपनी लीला दिखाते हुए पूतना का संहार कर दिया। कृष्ण ने अपनी युवावस्था में गाँव की गोपी-गोपिकाओं के संग रासलीला एवं रंग खेलते थे। उनके कारण ही देश में होली के समय होलिका दहन एवं रंगों से आनंद करने की परंपरा शुरू हो गयी।

बसंत ऋतु का प्रवेश

धरती पर वसंत ऋतु के आने पर प्रकृति के अंग-अंग में नवयौवन की कलियाँ फूटने लगती है। इसी समय पर होली का पर्व बसन्त ऋतु का श्रृंगार करने लगता है। होली का पर्व इस रंग से परिपूर्ण ऋतु का ही पर्व है। हमारे देश में जब सर्दी का मौसम समाप्त होता है तो इसके बड़ा गर्मी के मौसम की शुरुआत हो जाती है। किन्तु इन्ही दोनों मौसम के मध्य वाले भाग में होली का पर्व संधिकाल के पर्व की तरह आता है। सर्दी के मौसम की ख़त्म होने पर खेती के कार्य करने वाले कृषक भी काफी ख़ुशी महसूस करते है। इसी समय पर उनकी मेहनत से तैयार की गयी फसल भी पकने लगती है।

होली की तैयारी

होली के पर्व से एक दिन पूर्व ही सभी लोग गोबर, लकड़ी, घास-फूस इत्यादि से किसी खास जगह पर होलिका का निर्माण कर देते है। होलिका का दहन करने वाले बच्चे एवं बड़े आस पड़ोस के घरो में जाकर चंदा (पैसे एवं अन्य वस्तु) माँगते है। रात्रि के समय किसी खास मुहूर्त पर होलिका का दहन साथ मिलकर करते है। ऐसी मान्यता है कि इस समय होलिका दहन के दर्शन करना शुभ होता है। कुछ लोगो में पुराने समय से ही यह मान्यता है कि परिवार के सभी सदस्यों का अपने शरीर पर सरसो के तेल से उबटन लगाने से मन एवं घर से सभी प्रकार की गन्दगी समाप्त होती है। इसके स्थान पर ख़ुशी एवं अच्छी ऊर्जा का संचार होता है।

होलिका का दहन करने की परंपरा होने के बाद अगले दिन सभी लोग अपने परिजन, आस-पड़ोस, मित्र एवं रिश्तेदारों के साथ मिलकर होली की शुभकामनाएँ देते है। इस दिन बच्चे गुब्बारे, रंग, पिचकारी, गुलाल इत्यादि से आपस में विभिन्न क्रीड़ाएं करतेदेखे जाते है। यह दिन बच्चों के लिए काफी खास होता है चूँकि उनको घर में तैयार हुई विभिन्न मिठाई, पकवान एवं अन्य खाद्य पदार्थ खाने को मिलते है।

उपसंहार

होली को रंगो के पर्व के रूप में पहचान मिली हुई है जोकि प्रत्येक वर्ष के फाल्गुन महीने में आता है। होली हिन्दू धर्म का अभूतपूर्व एवं पवित्र त्यौहार है। यह दिन सिर्फ खेलने-कूदने, खाने एवं मस्ती करने के लिए ही नहीं है बल्कि यह लोगो को अच्छाई की शक्ति एवं बुराई का परिणाम भी याद दिलवाता है। होली पर लोग नए जोश से भरकर आशावान हो जाते है और आपस में गले लगकर एक दूसरे को रंग लगाकर ख़ुशी प्रदान करते है। होली का पर्व विशेषकर पापड़, चिप्स, कचरी, गुंजिया, चाट एवं अन्य स्वादिष्ट व्यंजन के लिए काफी प्रसिद्ध है।

Holi Festival Colors

होली से सम्बंधित प्रश्न

होली के त्यौहार में रंगों का महत्व बताएं?

होली को रंगीन एवं मस्ती के तैयार के रूप में मान्यता मिली हुई है। आपस में रंग लगाकर रंगीन हो चुके चेहरे एक अलग ही दृश्य प्रदर्शित करते है। इस दिन बड़े भी बच्चों की भांति मस्ती में रंगों का आनंद लेते दिखते है।

होली का पर्व क्यों मनाते है?

प्राचीन समय में भक्त प्रह्लाद को उसके पिता और उनकी बहन द्वारा जलाने के प्रयास को भगवान से बचाये जाने की याद में होली का पर्व मनाया जाता है। इसी कारण से सांकेतिक होलिका को जलाते है।

होली का त्यौहार किस महीने आता है?

होली का त्यौहार अमूमन मार्च महीने में आता है।

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