CTC का पूरा नाम cost to company है। इसका मतलब वह मूल्य जो कंपनी अपने किसी कर्मचारी को काम पर रखने के बाद खर्च करती है, इसमें मूल वेतन के साथ साथ ग्रॉस सैलरी, प्रोविडेंट फण्ड और कंपनी की तरफ से दी जाने वाली अन्य सुविधायें होती है, जिसको मिलाकर CTC तैयार होती है।
सरल शब्दों में कंपनी ( मालिक ) की तरफ से अपने कर्मचारी पर एक साल की अवधि के दौरान खर्च होने वाले अमाउंट को ही सीटीसी कहा जाता है।
इसके अनुसार एक कर्मचारी को नेट सैलरी, सभी कटौतियाँ (PF Pension सहित) एवं कम्पनी के कर्मचारियों के लिए दूसरे लाभ को जोड़कर ही अंतिम सैलरी तैयार होती है।
यह सामान्यरूप में कम्पनी का कर्मचारी को दिया जाने वाला सैलरी पैकेज होता है, जो कि उसकी परम्परागत सैलरी से बहुत ज्यादा होता है।
CTC क्या है
एक नियोक्ता कंपनी अपने कर्मचारी की सैलरी के अतिरिक्त जो भी अन्य खर्चे करती है, उसे ही कॉस्ट टू कंपनी (CTC) कहते है।
कंपनी अपने द्वारा दिए जाने वाले CTC में इन खर्चो को जोड़ती है – ईपीएफ में नियोक्ता का भाग, कम्पनी की ओर से अदा किये गए, जीवन एवं हेल्थ बीमा की किस्ते, लोन की सब्सिडी के ब्याज, भोजन एवं यातायात की सुविधा, भर्ती होने का बोनस से संबधित विभिन्न पे (वन टाइम पे) को सम्मिलित करते है।
इन सभी के अतिरिक्त भी कुछ कम्पनी अन्य भत्ते अथवा लाभ सैलरी के साथ दे देती है, एक प्रकार से देखें तो सीटीसी एक प्रकार का खर्चा ही है, जो एक कर्मचारी को कंपनी में कायम रखने के लिए कम्पनी खर्च करती है।
इसे दूसरे शब्दों में वैरिएबल सैलरी भी कहा जाता है, चूँकि ये विभिन्न फैक्टर्स के माध्यम से बदलती रहती है। इस प्रकार से एक कर्मचारी को बहुत बार अलग-अलग सैलरी प्राप्त होती है। इसके इस फॉर्मूले से समझ सकते है –
CTC in Salary
CTC = कुल वेतन + इन्सेन्टिस + दूसरे खर्चे
CTC का उदाहरण – एक कर्मचारी की इनकम 50 हजार रुपए है और नियोक्ता की ओर से हेल्थ इन्स्योरेन्स पर 5000 रुपए का भुगतान होता है, तो CTC 55 हजार रुपए हो जायेगा।
CTC फुल फॉर्म क्या है? = CTC (सीटीसी) की फुल फॉर्म कॉस्ट टू कंपनी (Cost to Company) होता है, CTC किसी कर्मचारी का सालाना कुल वेतन होता है।
CTC में शामिल लाभ = CTC डायरेक्ट बेनिफिट्स + इनडायरेक्ट बेनिफिट्स + सेविंग शेयर
डायरेक्ट बेनिफिट्स
किसी कर्मचारी को कंपनी की ओर से टेक होम सैलरी अथवा शुद्ध वेतन की तरह ही हर महीना मिलने वाली राशि होता है। ये सरकारी टैक्स के अंतर्गत होता है, निम्न प्रकार से है –
- बेसिक सैलरी
- आवास का किराया (HRA)
- छुट्टी यात्रा भत्ता (LTA)
- फ़ोन भत्ता
- गाडी भत्ता
- विशेष भत्ते
इनडायरेक्ट बेनिफिट्स
कर्मचारी को कंपनी से किसी मूल्य के बिना मिलने वाले लाभ ‘अप्रत्यक्ष लाभ’ होते है। कर्मचारी की लागत को कंपनी की तरफ से कर्मचारी को दिया जाता है, जिसको कर्मचारी के CTC में जोड़ देते है। ये निम्न प्रकार से होते है –
- परफॉरमेंस से जुड़े इंसेंटिव अथवा बोनस
- ओवरटाइम राशि
- कर्मचारी को दिया गया घर
- बिजली एवं पानी बिल की पेमेंट्स
- वेतन का बकाया
- खाने के कूपन
सेविंग शेयर
ये कर्मचारी की वह राशि है, जो वह अपने CTC में योगदान देता है, जैसे कि रिटायरमेंट के लिए EPFI
ग्रॉस सैलरी क्या है
किसी कर्मचारी की ग्रॉस सैलरी वह धनराशि होती है, जो उसको प्रत्येक माह अथवा साल में बिना किसी कटौती के मिल जाती है। उस कर्मचारी के आय के सभी सोर्स को सकल वेतन (ग्रॉस सैलरी) में शामिल करते है।
ग्रॉस सैलरी के अंतर्गत बेसिक सैलरी, घर का किराया, भविष्य निधि, अवकाश यात्रा भत्ता, मेडिकल अलाउंस एवं प्रोफेशनल टैक्स इत्यादि घटको को सम्मिलित करते है, कंपनी जिन कर्मचारियों को कार्य का पेमेंट करती है, उनको आम तौर पर उनके CTC की तरह ग्रॉस सैलरी देते है।
ग्रॉस सैलरी के विभिन्न घटक
बेसिक सैलरी
एक कर्मचारी को किसी भत्ते अथवा अनुलाभ के बिना मिलने वाले कुल भुगतान के हिस्से को दर्शाता है, ये राशि किसी भी प्रकार की टैक्स रिहायत एवं डिडक्शन के योग्य नहीं होती है।
अधिकतर मौको पर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी उसके टेक-होम मुआवजे अथवा ग्रॉस सैलरी से कम होती है।
सुविधाएँ
ये वे लाभ होते है, जो एक कर्मचारी को उनकी बेसिक सैलरी एवं मेडिकल बीमे जैसी विशिष्ट भत्तों के साथ मिलते है।
किसी कंपनी को उनकी स्थिति के सीधे रिजल्ट की तरह उसके कर्मचारी को मिलने वाले भत्तों एवं सुविधाओं की तरह इनको वर्गीकृत करना मुमकिन है।
ये भत्ते एक कर्मचारी को उसकी सैलरी एवं सुविधाओं के साथ अदा होने वाले अन्य नकद एवं गैर-नकद भत्ते होते है
घर किराया भत्ता
इस भत्ते को आमतौर पर HRA यानी हाउस रेंट अलाउंस कहते है, यह एक आर्थिक लाभ होता है, जोकि कंपनी (मालिक) के ओर से जिंदगी के खर्चे की लागत को कवर करने में मदद के लिए दिया जाता है।
एचआरए को कर्मचारी द्वारा पाई गयी कमाई का इस्तेमाल करके उसके कार्यस्थल के नजदीक में रहने के लिए घर के भुगतान को कवर करने के लिए दिया जाता है।
ग्रॉस सैलरी में शामिल ना होने वाले घटक
- मेडिकल बिल के पेमेंट
- यात्रा छूटें
- नकदीकरण छोड़ना
- निःशुल्क खाना, नाश्ता एवं अन्य जलपान
- गिफ्ट्स
CTC Calculation
वेतन का घटक (प्रति वर्ष) | धनराशि |
बेसिक सैलरी | 3,60,000 |
महंगाई भत्ता | 28,000 |
मकान किराया भत्ता (HRA) | 72,000 |
वाहन भत्ता | 12,000 |
मनोरंजन भत्ता | 9,000 |
ओवरटाइम भत्ता | 9,000 |
चिकित्सा प्रतिपूर्ति (MA) | 10,000 |
ग्रॉस सैलरी (उपरोक्त सभी का जोड़) | 5,00,000 |
चिकित्सा बीमा | 1,500 |
भविष्य निधि (बेसिक का 12%) | 43,200 (3,60,000 का 12%) |
लैपटॉप | 40,000 |
कुल लाभ | 84,700 |
कॉस्ट टू कंपनी = ग्रॉस सैलरी + बेनिफिट्स | 5,00,000 +84,700 = 5,84,700 |
नेट सैलरी और Gross Salary से अंतर
नेट सैलरी | ग्रॉस सैलरी |
टैक्सों, बेनिफिट्स एवं उसकी सैलरी में से अपनी मर्जी से दिए योगदान की धनराशियों की कटौती के उपरांत मिलती है। | CTC में से EPF राशि को काटकर ग्रॉस सैलरी बनती है। |
यह राशि कर्मचारी को प्रत्येक माह के अंत में मिलती है। | इसमें सभी बेनिफिट्स एवं भत्ते सम्मिलित रहते है, जिन पर कोई टैक्स नहीं लगा है। |
इसको टेक-होम सैलरी भी कहते है। | इसमें आवास किराया भत्ता, वाहन भत्ता एवं मेडिकल भत्ता आदि बेनिफिट्स शामिल रहते है। |
नेट सैलरी = ग्रॉस सैलरी – (आयकर, पेंशन, पेशेवर कर जैसी अन्य कटौतियाँ) |
CTC से सम्बंधित प्रश्न / उत्तर
CTC क्या होता है?
इसका विस्तृत नाम Cost to Company होता है। यह कंपनी द्वारा अपने कर्मचारी पर खर्चने वाली कुल धनराशि होती है।
ग्रेच्युटी क्या है?
यह एक बार में मिलने वाला लाभ है, जो कंपनी (नियोक्ता) द्वारा 5 सालों बाद नौकरी छोड़ने वाले कर्मचारी को मिलती है।
महीने की टेक-होम सैलरी को कैसे जाने?
आपने CTC में से EPF अंशदान, ग्रेच्युटी, श्रम कल्याण कोष इत्यादि अन्य लाभों को काटकर अपनी टेक-होम सैलरी को मिलती है।