हिंदी भाषा की सुंदर रचना और उसे प्रवाहमयी बनाने के लिए मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग करते है। ये दोनों ही भाषा को आकर्षक और सजीव बनाने में सहायक होते हैं।
मुहावरा जो एक अरबी भाषा का शब्द है, इसका अर्थ है आदि होना या अभ्यास होना। अकेले मुहावरे से वाक्य पूरा नहीं होता है। इनका प्रयोग हम अक्सर अपने शब्दों में अपने भाव या विचारों को प्रकट करने के लिए करते हैं।
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हिंदी मुहावरे ना केवल भाषा को गतिशील या रुचिकर बनाते हैं, बल्कि यह वाक्य के सौंदर्य को भी बढ़ाने में मदद करते हैं। इस लेख से हम दैनिक जीवन या लेखन में शब्दों के बदले उपयोग किए जाने वाले मुहावरों की जानकारी प्रदान करेंगे।
दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले हिंदी मुहावरे, उनका अर्थ और वाक्य
- अंत न पाना – रहस्य न जान पाना।
ईश्वर की महिमा का गुणगान करते हुए प्रवचन में गुरूजी ने बताया कि ईश्वर की माया का किसी ने अंत न पाया। - अन्न-जल उठाना – जीवन का अंतिम समय आना।
लंबे समय से नीलिमा की बीमार दादी की हालत काफी गंभीर है, लगता है। अब उनका अन्न-जल उठने का समय आ गया है। - अँगारे बरसना – बहुत अधिक गर्मी पढ़ना।
जून माह में घर से बाहर निकलते हुए ऐसा लगता है, जैसे आसमान से अँगारे बरस रहें हो। - खून का प्यासा – जानी दुश्मन होना।
आजकल पैसों के लालच में भाई ही भाई के खून का प्यासा बन जाता है। - अंगारों पर लौटना – ईर्ष्या और जलन से कुढ़ना।
रवि के क्लास में टॉप करने की खबर सुनकर साथी संजय अंगारों पर लोट पड़ा। - आकाश में उड़ना – कल्पना / ख्वाब में उड़ान भरना।
कुछ चंद पैसों से बड़े स्तर पर व्यापार की शुरुआत करना आकाश में उड़ने जैसा है। - अपना सा मुँह लेकर रह जाना – बेइज्जत हो जाना/ काम न बनना।
रीमा ने हमेशा नीलम को नीचा दिखाने की कोशिश की लेकिन जब नीलम ने क्लास में टॉप किया तो यह सुनकर रीमा अपना सा मुँह लेकर रह गई। - अपना उल्लू सीधा करना – अपना काम निकालना।
आजकल ज्यादा से ज्यादा नेता चुनावों में लोगों को झूठे वादे और अपने विरोधी पार्टी की बुराई करके अपना उल्लू सीधा करने की कोशिश करते हैं। - आपे से बाहर होना – गुस्से पर काबू न रख पाना।
छोटी सी बात को लेकर राज ने आप से बाहर होकर श्याम की बुरी तरह पिटाई कर दी। - अँधेरे में तीर चलाना – लक्ष्य विहीन प्रयास करना।
नीलम मेडिकल के पेपर से पहले कोई तैयारी नहीं और परीक्षा वाले दिन केवल अँधेरे में तीर चलाकर आई। - अकल का दुश्मन होना – मुर्ख, बेवकूफी के काम करने वाला।
शैली को लाख समझाने के बाद भी उसने अपनी जमीन कम दाम में बेचकर अक्ल के दुश्मन वाले काम किए। - अंग-अंग खिल उठना – खुश हो जाना।
अपनी नौकरी से पहली सैलरी पाने के बाद ऋतू का अंग-अंग खिल उठा। - अंकुश न मानना – न डरना
आजकल के युवा माता-पिता का अंकुश न मानकर गलत संगत में फास जाते हैं। - आँखें मूँदना – शरीर से प्राण निकलना/ मर जाना।
कोरोना बिमारी के कारण दुनियाभर में कई परिवारों में परिजनों ने आँखें मूँद ली। - अपना राग अलापना – दूसरे की अनसुनी कर अपने स्वार्थ की बातें करना।
कई लोग दूसरों की उन्नति होने पर उनकी सरहाना करने के बजाय अपना ही राग अलापते रहते हैं। - घोड़े बेचकर सोना – चिंता न होना, बेफिक्र होना।
दिनभर फुटबॉल की प्रैक्टिस के बाद श्याम रात को घोड़े बेचकर सो जाता है। - अपनी खिचड़ी अलग पकाना – अलग थलग रहना।
सुरेश को जब तक राहुल से काम निकलवाना था वह हमेशा उससे दोस्ती रखता था। लेकिन काम निकल जाने के बाद वह अपनी खिचड़ी अलग पकाने लग गया है। - खून ठंडा होना – भयभीत होना/ उत्साह से रहित होना।
जंगल में कैंपिंग के लिए गए सोनू और उसके दोस्तों का भालू को देखकर खून ठंडा हो गया। - आँखें चार करना – आमना सामना करना/ मुलाकात होना।
मॉल में घूमते हुए राजीव की ऑंखें चार उसके बचपन के मित्र से हुई। - ऊँगली पर नाचना – वश में करना।
रतन अपनी पत्नी की सभी बात मानता है और वो उसे अपनी उँगलियों पर नचाती है। - अँधेरी नगरी – मनमानी/ कोई नियम कानून न होना।
बाजारों में गरीब किसानों को अँधेरी नगरी के दाम में अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है। - अँधेरे घर का उजाला – इकलौता बेटा।
राम अपने बूढ़े माता-पिता के अँधेरे घर का उजाला है। - अन्न न लगना – खाकर भी सेहत न बनाना।
मीना रोजाना डॉक्टर द्वारा बताई गया पौष्टिक भोजन को खाती है लेकिन उस पर अन्न नहीं लगता। - आटे दाल की फ़िक्र होना – जीविका की चिंता होना।
राहुल की नौकरी चले जाने के बाद उसके परिवार में आटे दाल की फ़िक्र होने लगी। - अंग-अंग ढीला होना – थक जाना।
ऑफिस के बाद पार्ट टाइम जॉब करने के बाद रमेश का अंग-अंग ढीला हो जाता है। - पासा पलटना – स्थिति उलट जाना।
कबड्डी के खेल के दौरान राम की टीम के जीतने की उम्मीद लगाईं जा रही थी लेकिन रोहन की टीम ने आखरी में पूरी जी जान लगाकर पासा ही पलट दिया। - अकल के घोड़े दौड़ाना – कल्पनाएँ करना/ तरह-तरह के विचार करना।
केवल अकल के घोड़े दौड़ाने से सफलता हांसिल नहीं होती इसके लिए मेहनत भी करनी पड़ती है। - प्राणों की बाजी लगना – जान की परवाह न करना।
सोनू को सांप से बचाने के लिए उसके मित्र राहुल ने अपने प्राणों की बाजी लगा दी। - चहल-पहल होना – रौनक होना।
त्योहारों के मौके पर घर में अलग ही चल-पहल होती है। - अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना – अपनी प्रसंशा स्वयं से करना।
राहुल अपने दोस्तों के सामने खुद ही अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बना रहता है। - गोद लेना – दत्तक बनाना/ किसी बच्चे को विधिवत अपना पुत्र बनाना।
राजू की अपनी कोई संतान नहीं थी, जिसके बाद उसमे एक बच्चे को गोद ले लिया। - खून के आँसू रुलाना – परेशान करना/ बहुत सताना।
श्याम ने बुरे वक्त में राज को पैसे देकर मदद की लेकिन जब श्याम को पैसों की जरुरत पड़ी तो पैसे देने में राज ने श्याम को खून के आँसू रुला दिया। - घाट-घाट का पानी पीना – हर प्रकार का अनुभव होना।
नीलम ने नौकरी के दौरान घाट-घाट का पानी पीया है। - जी खट्टा करना – मन में वैराग पैदा करना।
मनीष के रिश्तेदारों की चालबाजी देखकर उसका रिश्तों से जी खट्टा हो गया। - गागर में सागर भरना – थोड़े शब्दों में बड़ी बात कहना।
ऋषि-मुनियों की वाणी सुनकर लगता है वह गागर में सागर भरना जानते थे। - चोटी और एड़ी का पसीना एक करना – खूब परिश्रम करना।
रमन ने आर्मी में भर्ती होने के लिए चोटी और एड़ी का पसीना एक कर दिया। - जली कटी सुनना – बुरा भला कहना।
ऑफिस में एक दिन लेट होने पर मोहन को उसके बॉस ने खूब जली कटी सुनाई। - डूब मरना – बहुत लज्जित करना।
नील की खरी खोटी बाते मोहन के लिए सुनना डूब मरने के बराबर हैं। - अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना – अपना अहित स्वयं करना।
रोहन ने अधिक लालच में अपनी बिजनेस डील ठुकराकर अपने खुद के पाँव में कुल्हाडी मार दी। - आकाश पाताल एक करना – अत्यधिक प्रयत्न या परिश्रम करना।
मोनिका ने अपनी कक्षा में टॉप करने के लिए आकाश पाताल एक कर दिए। - दाल में काला होना – संदेह होना।
रोहन के पैसे चोरी होने के बात सुनकर शीतल को घबराता देख राम को दाल में काला होने का संदेह लगा। - तशरीफ रखना – बैठना।
मेहमानों के आने पर नितिन ने उनका स्वागत करते हुए तशरीफ़ रखने को कहा। - दिन में तारे दिखाई देना – दुःख के कारण होश ठिकाने पर ना रहना।
रिया की नौकरी चले जाने के कारण उसे दिन में तारे दिखाई देने लगे। - आग में घी डालना – झगडे या क्रोध को अधिक बढ़ावा देना।
सोनू मोहित के झगडे में रोहन की टिपण्णी आग में घी डालने का काम कर रही थी। - आपे से बाहर होना – सामर्थ्य से अधिक क्रोध प्रकट करना।
रोहन से छोटी सी बात पर गुस्सा करते हुए राम अपने आपे से बाहर हो गया। - गर्दन पर छुरी चलाना – नुकसान पहुँचाना।
रिया विरोधियों के साथ मिलकर सीमा की गर्दन पर छुरी चला रही है। - आस्तीन का साँप – कपटी मित्र।
रोहन, श्याम का मित्र होने का दिखवा करके उसकी चुगलियां दूसरों से करता हैं। वह किसी आस्तीन के साँप से कम नहीं है। - गिरगिट की तरह रंग बदलना – बातें बदलना।
लोग अक्सर अपने मतलब के लिए गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं। - गंगा नहाना – अपना कर्तव्य पूरा करके निश्चित होना।
रामू अपनी दोनों बेटियों की शादी करके गंगा नहा गया। - आसमान टूट पडना – अचानक घोर विपत्ति आ जाना।
कोरोना के कारण नौकरी चले जाने से रिया की सिर पर आसमान टूट पड़ा। - तौल-तौल कर मुँह से शब्द निकालना – बहुत सोच-विचार कर बोलना।
किसी को भी कुछ बोलने से पहले हमे तौल-तौल कर मुँह से शब्द निकालना। - गुस्सा पीना – क्रोध दबाना।
मोहन से सुमित को कक्षा में बहुत अपमानित किया लेकिन फिर भी सुमित ने उसे कुछ न बोलकर अपना गुस्सा पी लिया। - गाल बजाना – बहुत बढ़-चढ़कर बातें करना/ डींग हाकना।
रोहना भी उन लोगों में से एक है जो केवल गाल बजाना जानते हैं। - गुदड़ी का लाल – गरीब के घर में गुणवान का पैदा होना।
सोहन अपने घर में गुड्डी का लाल है। - गज भर की छाती होना – अत्यधिक साहसी होना।
उसकी गज भर की छाती है तभी तो राम ने अकेले चार-चार लड़कों को पटक दिया। - खरी खोटी सुनना -बुरा भला कहना।
राहुल ने किशन को गलती से धक्का दे दिया तो उसकी बहन ने उसे खरी खोटी सुना दी। - गुड़ गोबर करना – चौपट या नष्ट-प्राय करना।
मीना ने बड़ी मेहनत से अपने भाई के जन्मदिन पर सरप्राइज प्लान तैयार किया पर उसकी बहन ने सब गुड़ गोबर कर दिया। - गढ़ फ़तेह करना – कठिन काम करना।
पीसीएस परीक्षा उत्तीर्ण करके रोहन ने गढ़ फ़तेह कर अपने पूरे गाँव का नाम रोशन कर दिया। - गधे को बाप बनाना – काम निकालने के लिए मुर्ख की खुशामद करना।
सुरेश अपने मतलब के लिए किसी भी गधे को बाप बना सकता है। - घाव पर नमक छिड़कना – दुःख में दुःख देना।
सुरेश पहले से ही दुखी था लेकिन नीलम की बातें उसके घाव पर नमक छिड़कने का काम कर रही है। - गोली मरना – ठुकरा देना/ त्याग देना।
मीनल ने अपनी नौकरी पर खुद ही गोली मार दी। - गोलमाल करना – काम बिगाड़ना/ गड़बड़ करना।
सोनू को आजकल बिजनेस में हो रहे नुकसान को देखकर उसे अपने साथियों के काम पर गोलमाल करने का शक हुआ। - गोबर गणेश – मुर्ख।
सोहन एकदम गोबर गणेश हैं, जिसे सब समझाने के बाद भी कुछ समझ नहीं आता। - घर का न घाट का – कहीं का नहीं
रोशन ने अपनी सारी जमा पूँजी सरकारी नौकरी पाने के लिए लगा दी लेकिन सरकार बदलने पर उसकी नौकरी छूट गई जिसके बाद अब वह न घर का रहा ना घाट का। - खून खौलना – जोश में आना।
अपनी टीम को हारता हुआ देख उसे जिताने के लिए सोनू का खून खौल उठा। - गुलछर्रे उड़ाना – मौज उड़ाना।
रोहन एक बेहद ही लापरवाह बेटा है जो अपनी पिता की मेहनत से अर्जित संपत्ति से गुलछर्रे उड़ता है। - घड़ा पानी पड़ जाना – बहुत शर्मिंदा होना।
पटवारी को जब रिश्वत लेते हुए बड़े साहब ने पकड़ लिया तब उन पर घड़ा पानी पड़ गया। - घी के दिए जलाना – खुशियाँ मानना
रोहन जब राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती में जीतकर घर लौटा तो उसकी माँ ने उसके स्वागत में गई के दिए जलाए। - चाँद पर थूकना – निर्दोष पर दोष लगना।
- चिराग तले अँधेरा – अपनी बुराई न दिखाई देना।
सुरेश मास्टर जी दूसरे बच्चों को शिक्षा का ज्ञान देते हैं लेकिन वह खुद ही अपने बेटे को नहीं पड़ा पाते। - चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना – घबरा जाना।
राम के घर से चोर चोरी करते हुए भाग ही रहा था की अचानक सामने पुलिस को देखकर उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ गई। - छोटा मुँह बड़ी बात – अपनी सीमा से बढ़कर बोलना।
अधिकतर नेता भ्रष्टाचार करके लोगों को ईमानदारी और सच्चाई की बात करके छोटा मुँह बड़ी बात करते हैं। - जान पर खेलना – जोखिम उठाना।
देश को स्वतंत्र करवाने में हमारे देश के वीर क्रांतिकारी अपनी जान पर खेल पड़े। - अँगारों पर पैर रखना – कठिन कार्य करना।
बाढ़ प्रभावित लोगों को बचाने में राम ने अँगारों पर पैर रखने में अपनी जान की भी परवाह नहीं की। - अंगद का पैर होना – असंभव कार्य होना/ अति दुष्कर।
बंजर भूमि पर फसल उगना अंगद का पैर होने के सामान है। - अम्बर के तारे गिनना – नींद न आना।
सोहन को नौकरी से निकाल देने के बाद से वह रात-रात में अम्बर के तारे गिनने लगा। - अकल का अँधा – मूर्ख होना।
श्याम को अकल का अँधा समझना समझदारी का काम नहीं। - अगर-मगर करना – बचने का बहना ढूँढ़ना।
रोहन ने जब राकेश से अपने पैसे वापिस माँगे तो वह अगर-मगर करने लगा। - अंत बिगाड़ना – परिणाम खराब करना
दुश्मनों से मिलकर श्याम ने खुद से अपना अंत बिगाड़ दिया। - अपने पैरों पर खड़े होना – स्वालंबी होना।
आज के समय हर माता-पिता को अपनी बेटियों को शिक्षित कर उन्हें उनके पैरों पर खड़े करना चाहिए। - आठ-आठ आँसू बहाना – बहुत अधिक रोना।
मीनू अपने घर से दूर रहकर अपनी माँ की याद में आठ-आठ आँसू बहा रहा था। - आस्मान पर दिमाग चढ़ाना – बहुत अधिक घमंड होना
नीता की नौकरी लगने के बाद से उसने आसमान पर अपना दिमाग चढ़ा दिया है। - इज्जत मिट्टी में मिलना – मान मर्यादा नष्ट करना।
सोनू ने चोरी करके अपने माता-पिता की इज्जत मिट्टी में मिला दी। - ईंट से ईंट बजाना – नष्ट भ्रष्ट कर देना।
जंग के मैदान में हमारे सैनिकों ने दुश्मन की ईंट से ईंट बजा दी। - ईद का चाँद होना – बहुत समय बाद दिखाई देना।
मीना को आजकल घर में बाहर निकलती ही नहीं, सच में वो ईद का चाँद हो गई है। - उड़ती चिड़ियाँ पहचानना – दूर से भाँप लेना।
निशा ने सोनम से कहा कि वह उड़ती चिड़ियाँ को पहचानना जानती है। - ऊँट के मुँह में जीरा – बहुत कम मात्रा में कोई वस्तु देना।
सोनू रोजाना आठ रोटियाँ से अधिक खा लेता है, ऐसे में उसे दो रोटियाँ देना ऊँट के मुँह में जीरा देना है। - आकाश कुसुम होना – दुर्लभ होना।
किसी आम आदमी के लिए विधायक का पद आकाश कुसुम होना है। - एक आँख से देखना – पक्षपात रहित होना।
सर्वोच्च न्यायालयों में व्यक्ति को इंसाफ एक आँख से देखने पर मिलता है। - एक अनार सौ बीमार – किसी प्रयोजन के लिए अधिक व्यक्तियों द्वारा प्रयास करना।
आज के समय एक सरकारी नौकरी के लिए लाखों युवा मेहनत करते हैं यह तो वही बात हो गई एक अनार सौ बीमार। - एक और एक ग्यारह होना – एकता में शक्ति होना।
खेल में कभी भी अपनी विरोधी टीम को कमजोर नहीं समझना चाहिए, मौका पड़ने पर वह एक और एक ग्यारह हो जाते हैं। - ऐसी-तैसी करना – अपमानित करना/ काम खराब करना।
अशोभनीय कार्य करके राजेश ने अपने परिवार की ऐसी-तैसी कर दी। - टस से मस न होना – हाथ करना या किसी की परवाह न करना।
नीलम को उसकी माँ के बार-बार पढ़ाई करने के लिए बोलने के बाद भी वह टस से मस नहीं हुई। - ओखली में सिर देना – जान बूझकर खुद को मुसीबत में डालना।
श्याम बिना बात रोहन और उसके साथियों को उकसाकर ओखली पर सिर देने का काम कर रहा है। - कंसाई के खूटे से बाँधना – निर्दयी व्यक्ति को सौंपना।
सीमा जहाँ नई जगह नौकरी पर लगी है वहाँ उन्हें इतना अधिक काम मिलता है मानो उसे कंसाई के खूटे से बाँध दिया हो। - कागज़ काला करना – व्यर्थ ही कुछ लिखना।
निशा का पढ़ाई में बिल्कल मन नहीं लगता और वह पूरे दिन बस कागज़ काला करती रहती है। - आग पर पानी डालना – झगड़ा मिटाना।
रोहन से सोनू को झगड़ा करते देख मीनू से उन्हें समझाते हुए आग पर पानी डालने का काम किया। - काया पलट देना – स्वरुप में आमूल परिवर्तन करना।
नीतू की लॉटरी लगने के बाद से तो उसके जीवन की काया ही पलट गई है। - कुँए में भांग पड़ना – सम्पूर्ण समूह परिवार का दूषित प्रवृत्ति का होना।
रोहन के पिता की तरह वह और उसका भाई भाई में भ्रष्टाचार करते हुए पकडे गए जिन्हे देखकर यह लगता है की वहाँ तो कुँए में भांग पड़ी हुई है। - कोल्हू का बैल – अत्यंत परिश्रमी।
नितिन पूरे दिन केवल कोल्हू के बैल की तरह अपने परिवार का पेट पलने के लिए काम करता है।
वर्णनुसार हिंदी के अन्य मुहावरे (हिंदी मुहावरे)
- अंग टूटना- बहुत थक जाना।
- अंगारों पर लोटना – क्रुद्ध होना।
- अंक भरना- लिपट लेना।
- अपना उल्लू सीधा करना – बेवकूफ बनाकर काम निकालना।
- अरमान निकालना – इच्छाएँ पूरी करना
- अक्ल का दुश्मन – मूर्ख।
- अक्ल चरने जाना — बुद्धि की कमी होना।
- अन्न-जल (या दाना-पानी) उठना – जीविका रहना, रहने का संयोग न होना, तबादला या स्थान परिवर्तन होना।
- अपने पाँव में आप कुल्हाड़ी मारना- जान-बूझकर आफत में पड़ना।
- अपने मुँह मिया मिट्टू बनना – अपनी तारीफ आपने आप करना।
- अगिया बैताल – क्रोधी।
- अक्ल दंग होना – चकित होना।
- चावल की खिचड़ी अलग पकाना – सबसे अलग रहना।
- अंगारों पर पैर रखना – अपने को खतरे में डालना, इतराना।
- अक्ल का अजीर्ण होना – आवश्यकता से अधिक अक्ल होना (व्यंग्य)
- अक्ल का पुतला – बहुत बुद्धिमान।
- अन्त पाना – भेद पाना।
- अन्तर के पट खोलना— विवेक से काम लेना।
- अक्ल के घोड़े दौड़ाना – कल्पनाएँ करना।
- अपनी इफली आप बजाना- अपने मन की करना।
- अन्धे की लकड़ी – एकमात्र सहारा
- अंधों में काना राजा – अज्ञानियों में अल्पज्ञान वाले का सम्मान होना।
- अंकुश देना – दबाव डालना।
- अंग में अंग चुराना – शर्माना।
- अंग अंग फूले न समाना – आनंदविभोर होना।
- अंगार बनना – लाल होना, क्रोध करना।
- अँचरा पसारना – माँगना, याचना करना।
- अंडे का शाहजादा – अनुभवहीन।
- अठखेलियाँ सूझना – दिल्लगी करना।
- अँधेर नगरी – जहाँ घाँधली और अन्याय होता।
- अंधेरे मुँह – प्रातः काल, तड़के।
- अक्ल पर पत्थर पड़ना – बुद्धि भ्रष्ट होना।
- अड़ियल टट्टू – रूक रूक कर काम करना।
- अपना घर समझना – बिना संकोच व्यवहार।
- अपना सा मुँह लेकर रह जाना – शर्मिन्दा होना।
- अपने पैरों पर खड़ा होना – स्वावलम्बी होना।
- अड़चन डालना- बाधा उपस्थित करना।
- अरण्य चन्द्रिका – निष्प्रयोजन पदार्थ।
- आकाश पाताल एक करना – अत्यधिक उद्योग/ परिश्रम करना।
- आकाश से तारे तोड़ना – कठिन कार्य करना।
- आकाश से बातें करना – बहुत ऊँचा होना।
- आकाश छूना – बहुत ऊँचा होना।
- आग का पुतला – क्रोधी।
- आग पर आग डालना – जले को जलाना।
- आग बबूला होना – अति क्रुद्ध होना।
- आग पर पानी डालना – क्रुद्ध को शांत करना, लड़ने वालों को समझाना-बुझाना।
- आग पानी का बैर – सहज वैर।
- आग बोना – झगड़ा लगाना।
- आग में घी डालना – झगड़ा बढ़ाना, क्रोध भड़काना।
- आग लगाकर तमाशा देखना – झगड़ा खड़ाकर उसमें आनंद लेना।
- आग लगाकर पानी को दौड़ना – पहले झगड़ा लगाकर फिर उसे शांत करने का मन करना।
- आग लगने पर कुआँ खोदना – पहले से करने के काम को ऐन वक्त पर करने चलना।
- आग से पानी होना – कुछ करने के बाद शांत हो जाना।
- आग में कूद पड़ना – खतरा मोल लेना।
- आग उगलना – क्रोध प्रकट करना।
- आन की आन में – फौरन ही काआन रखना मान रखना।
- आटे-दाल का भाव मालूम होना- सांसारिक कठिनाइयों का ज्ञान होना।
- आटे-दाल की फिक्र होना – जीविका की चिन्ता।
- आसमान दिखाना – पराजित करना।
- आठ-आठ आँसू रोना – विलाप करना।
- आड़े आना – नुकसानदेह।
- आड़े हाथों लेना – झिड़कना, बुरा-भला कहना।
- आस्तीन का सौंप – कपटी मित्र इधर-उधर करना टालमटोल करना।
- इन्द्र का अखाड़ा – ऐश मौज की जगह।
- ईंट से ईंट बजना – ध्वस्त होना।
- ईंट का जवाब पत्थर से देना – दुष्ट के साथ दुष्टता करना।
- ईद का चाँद होना – बहुत दिनों के बाद दिखाई पड़ना।
- उलटी गंगा बहना – अपेक्षा से विपरीत होना।
- उठ जाना – मर जाना।
- उन्नीस-बीस होना – बहुत कम अन्तर होना।
- उलटे छूरे से मूडना – बेवकूफ बनाकर लूटना।
- उल्लू सीधा करना – अपना स्वार्थ साधना।
- ऊँचा-नीचा सुनाना- भला-बुरा कहना।
- ऊँचा सुनना – कम सुनना।
- उथल-पुथल मचाना- हलचल।
- एक आँख से देखना – समान भाव रखना।
- एक आँख न भाना – तनिक भी अच्छा न लगना।
- एक से तीन बनाना – खूब नफा करना।
- एक न चलना – कोई उपाय सफल न होना।
- एक लाठी से सबको हाँकना – उचित न्याय न करना।
शरीर के अंगों से संबंधित मुहावरे और उनके अर्थ
सर से सम्बंधित मुहावरे
- सिर पर खेलना – प्राण दे देना।
- सिर मारना – प्रयत्न करना।
- सिर आँखों पर होना – सहर्ष स्वीकार होना।
- सिर उठाना – फुर्सत पाना, विरोध में खड़ा होना।
- सिर पर चढ़ना – शोख होना।
- सिर चढ़ना – गुस्ताखी करना।
- सिर झुकना – आत्मसमर्पण करना।
- सिर पर पाँव रखकर भागना – बहुत जल्द भाग जाना।
- सिर पड़ना – नाम लगना।
- सिर खुजलाना – बहना करना।
- सिर पर भूत सवार होना – एक ही रट लगना।
- सिर फिर जाना – पागल हो जाना या घमंड होना धुन सवार होना।
- सिर चढ़कर बोलना – छिपाये न छिपना।
- सिर खान – बकवास करना।
- सिर गंजा कर देना – मारने का भय दिखाना।
- सिर पर कफ़न बाँधना – शाहदत के लुए तैयार करना।
- सिर ऊँचा करना – आदर का पात्र होना।
- सिर धुनना – शोक करना।
आँखों से सम्बंधित मुहावरे
- आँखें उठाना – हानि पहुँचाने की दृष्टि से देखना।
- आँखें चार होना – देखा-देखी होना।
- आँखें ठंडी होना – इच्छा पूरी होना।
- आँखें दिखाना – क्रोध प्रकट करना।
- आँखों पर बिठाना – आदर करना।
- आँखें फेरना – नजर बदलना।
- आँखें बिछाना – बेसबरी से प्रतीक्षा।
- आँख भर आना – आँसू आना।
- आँखों में धूल डालना – धोखा देना।
- आँखें लड़ना – देखादेखी होना।
- आँखें लाल करना – क्रोध की नजर से देखना।
- आँखें थकना – प्रतीक्षा में निराश होना।
- आँखों में चर्बी छाना – घमंडी होना।
- आँखों में खटकना – बुरा लगना।
- आँखें नीली-पीली करना – नाराज होना।
- आँख का अंधा, गाँठ का पूरा – मूर्ख धनवान।
- आँखों की किरकिरी होना – शत्रु होना।
- आँखों का प्यारा – बहुत प्यारा होना।
- आँखों का पानी ढल जाना – लज्जारहित हो जाना।
- आँखें सेंकना – किसी की सुंदरता देख आँखें जुड़ाना।
- आँखें खुलना – सजग होना।
- आँखें आना – आँख में एक प्रकार की बीमारी होना।
- आँखें चुराना – सामने आने से परहेज करना।
- आँखें गढाना – दिल लगाना, इच्छा करना।
- आँखों में गड़ना – अत्यंत अप्रिय होना।
- आँसू बहना – खूब रोना।
- आँसू पी जाना – दुःख को छिपा लेना।
कान से सम्बंधित मुहावरे
- कान उमेठना – शपथ लेना।
- कान खोलना – सावधान।
- कान देना – ध्यान देना।
- कान पर जू रेंगना – बेखबर रहना।
- कान में तेल डालकर बैठ जाना – बात सुनकर भी ध्यान न देना या अनसुना करना।
- कान पकड़ना – प्रतिज्ञा करना।
- कान भरना – निंदा करना।
- कानों कान खबर होना – बात फैलना।
- कान फूंकना – चेला बनना, गुरुमंत्र देना।
- कान काटना – बढ़कर काम करना।
- कान खड़े होना – होशियार होना।
गाल से सम्बंधित मुहावरे
- गाल फुलाना – रूठना।
- काल के गाल में जाना – मृत्यु के मुख में पड़ना।
- गाल बजाना – डींग मरना।
नाक से सम्बंधित मुहावरे
- नाक में दम करना – तंग करना।
- नाक रगड़ना – प्रायश्चित करना।
- नाक कटना – इज्जत जाना।
- नाक काटना – इज्जत नष्ट करना।
- नाकों चने चबवाना – खूब तंग करना।
- नाक पर मक्खी न बैठने देना – खरे स्वभाव का होना।
- नाक में दम आना – तंग होना।
- नाक रखना – प्रतिष्ठा रखना।
- नाक का बाल होना – प्रिय होना।
दाँत से सम्बंधित मुहावरे
- दाँत दिखाना – हार मानना, लाचारी प्रकट करना।
- दाँत काटी रोटी – गहरी दोस्ती।
- दाँत गड़ाना – किसी वास्तु को पने के लिए गहरी चाह करना।
- दाँत खट्टे करना – पस्त करना।
- दाँतों तले ऊँगली दबाना – दंग रह जाना।
- दाँत जमाना – अधिकार पाने के लिए दृढ़ता दिखाना।
- दाँत गिनना – उम्र बताना।
- तालू में दाँत जमना – बुरे दिन आना।
ओठ से सम्बंधित मुहावरे
- ओठ मलना – दण्ड देना।
- ओठ चाटना – स्वाद की इच्छा रखना।
- ओठ सूखना – प्यास लगना।
- ओठ चवाना – क्रोध करना।
कलेजे से सम्बंधित मुहावरे
- कलेजा निकाल कर रख देना – अतिप्रिय वास्तु अर्पित कर देना।
- कलेजे से लगाना – प्यार करना, छाती से चिपका लेना।
- कलेजा ठंडा होना – संतोष होना।
- कलेजा काँपना – डरना।
- कलेजा थामकर रह जाना – अफ़सोस कर रह जाना।
अंगुली से सम्बंधित मुहावरे
- अंगुली पकड़ते पहुँचा पकड़ना – थोड़ा सा सहारा पाकर अधिक के लिए उत्साहित होना।
- कानों में अंगुली देना – किसी बात को सुनने की चेष्टा न करना।
- सीधी अंगुली से घी न निकलना – भलमनसाहत से काम न होना।
- पाँचों अंगुली घी में होना – सब प्रकार से लाभ पाना।
- अंगुली उठाना – निंदा होना।
अंगूठे से सम्बंधित मुहावरे
- अंगूठा चूमना – खुशामद करना।
- अंगूठा नाचना – चिढ़ाना।
- अंगूठा दिखाना – देने से इंकार करना।
खून से सम्बंधित मुहावरे
- खून सूखना – अधिक डर जाना।
- खून पीना – मार डालना, सताना।
- खून सवार होना – किसी को मर डालने के लिए तैयार होना।
- खून सफ़ेद हो जाना – बहुत डर जाना।
- खून खौलना – गुस्सा चढ़ना।
अन्य मुहावरे और उनके वाक्य प्रयोग
- अंधा होना – कुछ न सूझना।
मोहन अपने बेटे के प्यार में इतना अँधा हो गया कि उसे उसकी गलतियाँ भी दिखाई नहीं देती। - अग्नि परीक्षा – कठिन जाँच।
एक बेहतर सफल व्यक्ति बनने के लिए हर किसी को अपनी जिंदगी में अग्नि परीक्षा से होकर गुजरना पड़ता है। - अंकुश रखना – नियंत्रण रखना।
हमे अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना आना चाहिए। - अंत बिगाड़ना – परिणाम खराब होना।
कक्षा में चोरी करके राहुल में अपना अंत बिगाड़ दिया। - अंगारों पर लौटना – ईर्ष्या और जलन से कुढ़ना।
मोहन को नए घर और कर खरीदता देख उसके पडोसी अंगारों पर लौटने लगे। - अपना उल्लू सीधा करना – स्वार्थ सिद्ध करना।
राजेश केवल अपना उल्लू सीधा करने के लिए सोहन से मित्रता का दिखावा करता है। - अकल का पुतला – बहुत बुद्धिमान।
रोहन हमेशा कक्षा में टॉप करता है, वह सच में अकल का पुतला है। - अकल चकराना – कुछ समझ में ना आना
परीक्षा के लिए बेहतर तैयारी ना होने के कारण नीलम का गणित की परीक्षा में अकल चकराने लगी। - अंक में समेटना – गोद लेना।
शिशु को रोता हुआ देखकर उसकी माँ ने उसे अंक में समेट लिया। - अँधे की लकड़ी – एक मात्र सहारा।
राजू अपने माता-पिता के अँधे की लकड़ी है। - अकल पर पत्थर पड़ना – कुछ समझ में आना।
बोर्ड परीक्षा से एक हफ्ते पहले किताब खोलने पर जीशान की अकल पर पत्थर पड़ गए। - अरण्य रोदन – जिस पर कोई ध्यान न दे।
नीलम की मूर्खता भरी बातों के कारण कोई भी अरण्य रोदन करना पसंद नहीं करता। - अंधे के हाथ बटेर – अयोग्य को सफलता मिलना।
भ्रष्टाचार बढ़ने से ऐसे बहुत से लोग हैं जो अंधे के हाथ बटेर का उद्धरण बने हुए हैं। - अंधे को दिया दिखाना – व्यर्थ कार्य करना।
सुरेश पढ़ने के स्थान पर केवल टीवी देखने का काम करता है, उसे पढ़ना अंधे को दिया दिखाने का कार्य है। - अंगूर खट्टे होना – असफलता पर पर्दा डालना।
रमेश बिना मेहनत के कक्षा में पास नहीं हो पाया तो खुद की इज्जत बचाने के लिए वह बीमारी का बहना करने लगा। यह तो वही बात हो गई की अंगूर खट्टे हैं। - अंगूठी का नगीना – सुन्दर और सजीला।
नीलम की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है वह तो अंगूठी का नगिना है। - अंतड़ियाँ कुलबुलाना – जोरों की भूख लगना।
मंगलवार के व्रत वाले दिन रोहन की अंतड़ियाँ कुलबुलाने लगी। - अँधेरे में रखना – भेद छुपाना।
सोहन ने इतने साल अपने दोस्तों से झूठ बोलकर उन्हें अँधेरे में रखा। - अटकले भिड़ाना – उपाय सोचना।
राम मुसीबत में फँसने के बाद उससे निकलने के लिए अटकले भिड़ाने लगा। - अठखेलियाँ सूझना – हंसी ठिठोली करना।
अपने दोस्त को कठिन समय में साथ देने के बजाय नीलिमा को अठखेलियाँ सूझ रही थी। - जमीन आसमान का अंतर – बहुत अधिक अंतर।
कहने को तो श्याम और नीरज सगे भाई हैं लेकिन दोनों में जमीन आसमान का अंतर है। - पलकों पर बिठाना – बहुत ज्यादा प्यार सम्मान दिखाना।
नीलम के दादाजी उसे अपनी पलकों पर बिठा कर रखते हैं। - इधर की उधर लगाना – चुगली करना।
नीलम जब देखो इधर की उधर लगाती रहती है। - इस हाथ से ले उस हाथ से दे – खरा लेन- देन रखना।
मुकेश अपने व्यापार में कोई देनदारी पसंद नहीं करता वह केवल एक हाथ से ले एक हाथ से देने का काम करता है। - उलटी माला फरेना – अनिष्ट की कामना करना।
आज के समय लोग एक दूसरे की तरक्की देखकर उलटी मारना फेरने लगते हैं। - उलटे उस्तरे से मूँड़ना – मुर्ख बनाकर स्वार्थ सिद्ध करना।
रोहन अपने प्रतिद्वंदियों को हारने के लिए उलटे उस्तरे से मूँड़ने में एक पल नहीं सोचता। - उलटी गंगा बहना – उलटा काम करना।
राम को समझाने के बाद भी यह कभी सुरेश की बात नहीं मानता और उसकी गंगा हमेशा उलटी ही बेहती है। - दुनिया से उठ जाना – मर जाना।
कार हादसे में मिश्रा जी कम उम्र में ही इस दुनिया से उठ गए। - उड़न छू होना – गायब होना।
लाजपत जी से उधारी लेकर रोशन उड़न छू हो गया। - एक ही थाली के चट्टे-बट्टे होना – एक सामान होना।
कक्षा में हल्ला सुनकर गुरूजी बच्चों को डाँट लगते हुए बोले की किसी को भी सफाई देने की जरूरत नहीं है, तुम सभी एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हो।
हिंदी मुहावरे से जुड़े प्रश्न / उत्तर
आँखें पथरा जाना हिंदी मुहावरे का क्या अर्थ ही?
आँखें पथरा जाना हिंदी मुहावरे का अर्थ है, आँखें थक जाना या मरणासत्र होने के समय पुतलियों का निश्चल होना।
तारीफ से पुल बाँधने हिंदी मुहावरे का क्या मतलब है ?
तारीफ से पुल बाँधने हिंदी मुहावरे का मतलब है, अधिक प्रशंसा करना या तारीफ करना।
आँखें बिछाना हिंदी मुहावरे का क्या अर्थ है ?
आँखें बिछाने का अर्थ है, दिल से सम्मान या स्वागत करना।
घोड़े बेचकर सोना हिंदी मुहावरे का क्या मतलब है ?
घोड़े बेचकर सोना हिंदी मुहावरे का मतलब निश्चिन्त या बेफिक्र होना।