Rental Agreement Format in Hindi | रेंट एग्रीमेंट प्रारूप – कैसे बनायें

अपना मकान, दुकान, जमीन अथवा किसी भी अन्य प्रकार की सम्पत्ति को किराये पर देने से पहले किराया समझौता/ अनुबन्ध का होना जरुरी है। यदि आप मकान, दुकान या अन्य सम्पत्ति को किराये पर लेते हैं (अथवा किरायेदार हैं) तो आपको भी इसकी कानूनी प्रक्रिया का ज्ञान होना चाहिये।

मकान या संपत्ति को किराए पर देते समय रेंट एग्रीमेंट करना जरुरी है यह दोनों पक्षों के बीच लिखित समझौते का काम करता है। एग्रीमेंट की सही वैध शर्ते क़ानूनी मान्यता रखती है जिसे दोनों पक्षों को मानना होता है। एग्रीमेंट का एक निश्चित फॉर्मेट एवं प्रोसेस भी है।

Rental Agreement Format in Hindi | रेंट एग्रीमेंट प्रारूप – कैसे बनायें
Rental Agreement Format in Hindi | रेंट एग्रीमेंट प्रारूप – कैसे बनायें

आप चाहे किसी भी कारण (Personal or Commercial) से किराये पर कोई सम्पत्ति लेते या देते हों। इस सम्पत्ति का किरायानामा या किराया अनुबन्ध (Rent Agreement) जरूर बनवा लेना चाहिये। सरकार ने अब रेंट एग्रीमेंट को अनिवार्य कर दिया है। किरायानामा कैसे बनता है, क्या दस्तावेज चाहिए, इसका निर्धारित प्रारूप क्या है, इसमें क्या शर्तें होती हैं? ये जानकारियाँ इस लेख में दी जा रही है। जमीन से जुडी जानकारी को महाराष्ट्र सरकार के पोर्टल भूमि अभिलेख से देख सकते है।

रेंटल एग्रीमेंट क्या है?

किरायेदार के मकान या सम्पत्ति को किराये पर लेते समय मकान मालिक तथा किरायेदार के बीच कुछ शर्तें तय होती हैं जैसे – मकान का प्रतिमाह किराया, किरायेदार के रहने का समय, किस-किस सम्पत्ति का उपयोग या उपभोग करना है आदि। पहले ये शर्तें मौखिक होती थीं और इनका कोई लिखित प्रमाण नहीं होता था। केन्द्र तथा राज्य सरकारों ने इस बारे में कुछ नियम व कानून जारी किये है जोकि मकान मालिक और किरायेदार दोनों पर लागू होते हैं।

अब मकान मालिक तथा किरायेदार के समझौते में कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा। इसी कानूनी प्रक्रिया से मकान मालिक और किरायेदार के बीच रेंट एग्रीमेंट बनता है। सरल शब्दों में कहें तो मकान मालिक तथा किरायेदार के बीच सम्बन्धित सम्पत्ति के पारस्परिक लिखित सहमति (Mutual Consent) से होने वाले कानूनी दस्तावेजीकरण को ही किरायानामा, किराया अनुबन्ध या रेंट एग्रीमेंट (Rental Agreement) कहते हैं।

रेंट एग्रीमेंट में जरुरी शर्तें

  • पहली शर्त तो यह है कि मकान मालिक और किराये दार दोनों पक्षकारों का एग्रीमेंट बनवाते समय मानसिक रूप से स्वस्थ और सक्षम होना अनिवार्य है।
  • किरायानामे को 1000 अथवा कम से कम 500 रूपये के स्टाम्प पेपर पर बनवाना जरुरी है।
  • रेंट एग्रीमेंट प्रारूप साफ शब्दों तथा ऐसी भाषा में लिखना है जिससे उभय पक्षकार को शर्तें समझने में परेशानी न हो।
  • किरायेनामे पर दोनों पक्षों के हस्ताक्षर/ अंगूठे का निशान हो जिससे पुष्टि हो कि दोनों पक्षों ने समझौते को पूरी तरह पढ व समझ लिया है और कोई आपत्ति व ऐतराज नहीं है।
  • किरायेनामे की पुष्टि के लिये मानसिक रूप से स्वस्थ और सक्षम दो गवाहों जरूरी है।
  • गवाहों का सम्पूर्ण विवरण किरायेनामे में हो यथा पूरा नाम, पूरा पता, पहचान का विवरण आदि।
  • रेंटल एग्रीमेंट की पुष्टि के लिये दोनों गवाहों के हस्ताक्षर/ अंगूठे का निशान किरायेनामे पर हो।
  • रेंटल एग्रीमेंट की वैधता के सत्यापित के लिये सरकार से अधिकृत नोटरी (Notary) से सत्यापित करवाया जरुरी है तभी रेंट एग्रीमेंट वैध और कानूनी होगा।
  • यदि किरायेनामे की अवधि 11 माह से ज्यादा हो तो उभय पक्षकार को रजिस्ट्रार ऑफिस में किरायेनामे का रजिस्ट्रेशन कवाना अनिवार्य है।
  • जिस सम्पत्ति का रेंट एग्रीमेंट हो रहा है उस सम्पत्ति का पूर्ण विवरण और नजरी नक्शा (Sight Map) देना अनिवार्य है। जैसे सम्पत्ति या मकान कहां पर स्थित है। यदि जमीन है तो खसरा संख्या क्या है। यदि मकान है तो मकान नम्बर आदि।
  • मकान अथवा सम्पत्ति के मालिक को अपने डिटेल्स सही-सही देने है जैसे – मकान मालिक का पूरा नाम, पिता का नाम, उम्र, निवास स्थान का पूरा पता आदि।
  • किरायेदार को भी अपना पूर्ण व सही विवरण देना होगा। जैसे किरायेदार के मूल निवास स्थान का पूरा पता, पहचान सम्बन्धी विवरण आदि।
  • उभय पक्षकारों के बीच तय की गयी प्रत्येक शर्त जैसे किराया कितना होगा, बिजली/ पानी बिल किसे देना होगा, किरायेदार कितने समय तक सम्पत्ति का उपयोग करेगा आदि शर्तों का उल्लेख किरायेनामे में होना आवश्यक है।
  • यदि किराया बढाने पर सहमति बनी है तो इसका भी उल्लेख होना चाहिए कि कितने समय बाद बढाया जायेगा। और कितने प्रतिशत या किस प्रक्रिया से बढ़ेगा। ताकि भविष्य के विवाद से बचा जा सके।
  • किरायेदार कितनी धनराशि बतौर सिक्योरिटी मकान मालिक को भुगतान करेगा या भी उल्लेख होगा।
  • यह भी उल्लेख हो कि जिस अवधि तक का किरायानामा है उस दौरान मकान मालिक किरायेदार को मकान से हटने का आदेश नहीं दे सकता अथवा घर खाली करने के कितने दिन पहले किरायेदार को सूचित करेगा।
  • दोनों पक्षों के द्वारा दी गयी जानकारी पूर्णतः सही व सत्य हो। यदि पक्षकारों के द्वारा किसी भी प्रकार की गलत जानकारी/घोषणा एग्रीमेंट में दी गयी है तो ऐसी स्थिति में पक्षकारों पर कानूनी कार्यवाही हो सकती हैं।

रेंटल एग्रीमेंट में जरुरी दस्तावेज

  • 1000 अथवा कम से कम 500 रूपये का स्टाम्प पेपर।
  • मकान मालिक और किरायेदार दोनों के पहचान पत्र। (आधार कार्ड/ पैन कार्ड/ अन्य फोटोयुक्त दस्तावेज)
  • पक्षकारों की पासपोर्ट साईज फोटोग्राफ।
  • दोनों गवाहों के पहचान पत्र। (आधार कार्ड/ पैन कार्ड/ अन्य फोटोयुक्त दस्तावेज)
  • मकान मालिक के सम्बन्धित मकान पर स्वामित्व व कब्जे के प्रमाण के दस्तावेज।
  • सिक्योरिटी की धनराशि।

रेंटल एग्रीमेंट कहाँ बनेगा?

रेंट एग्रीमेंट बनवाना एक कानूनी प्रक्रिया है जिसके लिये आपको सरकार के द्वारा अधिकृत नोटरी में जाना है। नोटरी से यह एग्रीमेंट बनवाना आसान है। साथ ही आप कानूनी परामर्श भी नोटरी से ले सकेंगे। आप अपने क्षेत्र की तहसील अथवा उप जिलाधिकारी कार्यालय से सम्पर्क करके भी किरायानामा बनवा सकते हैं।

रेंट एग्रीमेंट 11 महीने का क्यों होता है?

सामान्यतः किरायेनामे की अवधि को 11 माह रखा जाता है। ऐसा इसलिये किया जाता है क्योंकि भारतीय रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1908 की धारा 17 डी के अनुसार कोई भी ऐसा एग्रीमेंट जो कि एक साल से कम अवधि का है उसे रजिस्ट्रेशन कार्यालय में पंजीकृत करवाना अनिवार्य नहीं है। जब हम किसी समझौते को रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत करवाते हैं तो इसमें सम्पत्ति की मालियत के अनुसार स्टाम्प शुल्क अदा करना होता है जो कि काफी खर्चीली प्रक्रिया है। इसी प्रक्रिया और इसमें लगने वाले खर्चे से बचने के लिये अधिकांश रेंट एग्रीमेंट को मात्र 11 माह के लिये बनवाया जाता है। तत्पश्चात इसे पुनः 11 माह के लिये बढा दिया जाता है।

रेंट एग्रीमेंट प्रारूप से जुड़े प्रश्न

रेंटल एग्रीमेंट क्यों बनाया जाता है?

मकान मालिक तथा किरायेदार के बीच भविष्य में होने वाले किसी भी वाद विवाद से बचने के लिये किरायानामा बनाया जाता है। जिसमें कि पहले से ही समझौते से सम्बन्धित सभी शर्तों और दायित्वों का उल्लेख किया जाता। विवाद की स्थिति में किरायेनामें को साक्ष्य के तौर पर पेश किया जा सकता है।

रेंट एग्रीमेंट कब तक वैध होता है?

किरायेनामे में वर्णित तिथि तक किरायानामा वैध होता है। यह कुछ दिन, महीने अथवा वर्षां में हो सकता है।

रेंट एग्रीमेंट में गवाह कौन हो सकता है?

कोई भी ऐसा नागरिक जिसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक हो और उसकी मानसिक स्थिति सही हो रेंट एग्रीमेंट में गवाह बन सकता है।

क्या रेंट एग्रीमेंट 11 महीने से ज्यादा का हो सकता है?

आप अपने किरायेनामे को 11 महीने से अधिक का भी बनवा सकते हैं। आप कुछ दिन, महीने अथवा वर्षों में भी यह समझौता पंजीकृत कर सकते हैं

क्या किरायेदार किराये की सम्पत्ति का मालिक बन सकता है?

भारतीय लिमिटेशन ऐक्ट 1963 के अनुसार कोई भी किरायेदार मकान मालिक की सम्पत्ति का मालिक नहीं हो सकता है। इसी विवाद से बचने के लिये मकान मालिक और किरायेदार के मध्य किरायेनामे की व्यवस्था की गयी है।

नोटरी कौन होता है?

नोटरी सरकार के द्वारा नियुक्त किया गया वह व्यक्ति होता है जो कि किसी दस्तावेज के कानूनी रूप से सत्य और वास्तविक होने के प्रमाण की पुष्टि करता है। सामान्यतः नोटरी सभी न्यायालयों तथा उप जिलाधिकारी कोर्ट में नियुक्त होते हैं।

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