Rental Agreement –यदि आप अपना मकान, दुकान, जमीन अथवा किसी भी अन्य प्रकार की सम्पत्ति को किराये पर देने की सोच रहे हैं तो आपको इससे पहले आपको किराया समझौता/अनुबन्ध (Rental Agreement) के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। साथ ही यदि आप मकान, दुकान या अन्य सम्पत्ति को किराये पर लेना चाहते हैं अथवा किराये दार हैं तो आपको भी इस सम्बन्ध में होने वाली कानूनी प्रक्रिया का ज्ञान होना चाहिये।
भारत जैसे विशाल और बढती आबादी वाले देश में किराये पर रहने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ रही है। इसका कारण यह है कि आबादी तो बढती जा रही है लेकिन बढती आबादी के सापेक्ष भूमि कम होती जा रही है। इसके अलावा लोग इसे आय के अतिरिक्त साधन के तौर पर भी देखने लगे हैं। बडे शहरों में जिनके पास अपना घर है, वे लोग घर का कुछ हिस्सा किराये पर दे देते हैं। अन्य कारणों में शिक्षा तथा रोजगार के लिये बडे शहरों की ओर पलायन शामिल है।

आप चाहे किसी भी कारण (Personal or Commercial) से किराये पर कोई सम्पत्ति लेना या देना चाहते हों, उस सम्पत्ति का किरायानामा या किराया अनुबन्ध (Rent Agreement) जरूर बनवा लेना चाहिये। सरकार के द्वारा भी अब रेंट एग्रीमेंट को पूर्णतः अनिवार्य कर दिया गया है। किराया नामा कैसे बनता है, इसके लिये क्या दस्तावेज होना जरूरी है, किरायेनामे का निर्धारित प्रारूप क्या है, किरायेनामे में क्या शर्तें होती हैं इसकी सम्पूर्ण जानकारी आपको इस लेख में दी जा रही है।
Rental Agreement क्या है?
जब किरायेदार किसी मकान या सम्पत्ति को किराये पर लेने के लिये मकान मालिक से सम्पर्क करता है तो मकान या सम्पत्ति को देखने के साथ साथ मकान मालिक तथा किराये दार के बीच कुछ शर्तें (Agreement) तय की जाती हैं जैसे कि मकान का प्रतिमाह का किराया कितना होगा, किरायेदार कितने समय के लिये मकान में बतौर किरायेदार रहेगा, किरायेदार किस किस सम्पत्ति का उपयोग या उपभोग कर सकता है आदि। पहले ये सभी शर्तें केवल मौखिक होती थीं और मकान मालिक तथा किरायेदार के बीच हुये इस समझौते का कोई लिखित प्रमाण नहीं होता था। इसके पश्चात केन्द्र तथा राज्य सरकारों के द्वारा इस सम्बन्ध में कुछ नियम व कानून जारी किये किये गये जो कि मकान मालिक और किरायेदार दोनों पर लागू होते हैं।
अब मकान मालिक तथा किरायेदार के बीच हुये समझौते (Rental Agreement) को वैध बनाने के लिये कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होता है। इसी कानूनी प्रक्रिया के तहत मकान मालिक तथा किरायेदार के बीच रेंट एग्रीमेंट (Rental Agreement) बनता है। सरल शब्दों में कहें तो मकान मालिक तथा किरायेदार के मध्य सम्बन्धित सम्पत्ति के विषय में पारस्परिक लिखित सहमति (Mutual Consent) से होने वाले कानूनी दस्तावेजीकरण को ही किरायानामा, किराया अनुबन्ध या रेंट एग्रीमेंट (Rental Agreement) कहते हैं।
Rental Agreement के लिए आवश्यक शर्तें
रेंट एग्रीमेंट बनवाते समय आपको कुछ निश्चित शर्तों का पालन करना अनिवार्य होता है। क्योंकि यह एक कानूनी प्रक्रिया है और इसका एक एक शब्द महत्वपूर्ण होता है, इसलिये इसे बनवाते समय इन शर्तों और सावधानियों का विशेष ध्यान रखें।
- पहली शर्त तो यह है कि मकान मालिक और किराये दार दोनों पक्षकारों का एग्रीमेंट बनवाते समय मानसिक रूप से स्वस्थ और सक्षम होना अनिवार्य है।
- किरायानामे के लिये 1000 अथवा कम से कम 500 रूपये के स्टाम्प पेपर पर बनवाना अनिवार्य है।
- Rent Agreement का प्रारूप साफ शब्दों में तथा ऐसी भाषा में लिखा होना चाहिये जिससे उभय पक्षकारान को शर्तें समझने में कोई परेशानी न हो।
- किरायेनामे पर दोनों पक्षों के हस्ताक्षर/अंगूठे का निशान होने चाहिये जिससे यह पुष्टि हो सके कि दोनों पक्षों ने समझौते को पूरी तरह से पढ व समझ लिया है और इस सम्बन्ध में पक्षकारान को कोई आपत्ति व ऐतराज नहीं है।
- दोनों पक्षों के मध्य हुये किरायेनामे की पुष्टि के लिये मानसिक रूप से स्वस्थ और सक्षम दो गवाहों का होना जरूरी है।
- दोनों गवाहों का सम्पूर्ण विवरण किरायेनामे उल्लिखित होना चाहिये यथा पूरा नाम, पूरा पता, पहचान का विवरण आदि।
- Rental Agreement की पुष्टि के लिये दोनों गवाहों के हस्ताक्षर/अंगूठे का निशान किरायेनामे पर होने अनिवार्य हैं।
- Rental Agreement की वैधता को सत्यापित करने के लिये सरकार के द्वारा अधिकृत नोटरी (Notary) से सत्यापित करवाया जाना आवश्यक है तभी रेंट एग्रीमेंट वैध और कानूनी समझा जायेगा।
- यदि किरायेनामे की अवधि 11 माह से अधिक है तो उभय पक्षकारान को रजिस्ट्रार कार्यालय में किरायेनामे का पंजीकरण कवाना अनिवार्य है।
- जिस सम्पत्ति के विषय में रेंट एग्रीमेंट किया जा रहा है उस सम्पत्ति का पूर्ण विवरण और नजरी नक्शा (Sight Map) देना अनिवार्य है। जैसे सम्पत्ति या मकान कहां पर स्थित है। यदि जमीन है तो खसरा संख्या क्या है। यदि मकान है तो मकान नम्बर आदि।
- मकान अथवा सम्पत्ति के मालिक को अपना पूर्ण विवरण सही सही देना होगा जैसे कि मकान मालिक का पूरा नाम, पिता का नाम उम्र, निवास स्थान का पूरा पता आदि।
- किरायेदार को भी अपना पूर्ण व सही विवरण देना होगा। जैसे कि किरायेदार के मूल निवास स्थान का पूरा पता, पहचान सम्बन्धी विवरण आदि।
- उभय पक्षकारों के बीच तय की गयी प्रत्येक शर्त जैसे कि किराया कितना होगा, बिजली/पानी का बिल किसके द्वारा देय होगा, किरायेदार कितने समय तक सम्पत्ति का उपयोग कर सकेगा आदि शर्तों का उल्लेख किरायेनामे में होना आवश्यक है।
- यदि किराया बढाने पर सहमति बनी है तो इस शर्त का भी उल्लेख किया जाना चाहियें कि किराया कितने समय के बाद बढाया जायेगा और कितने प्रतिशत या किस प्रक्रिया के तहत बढाया जायेगा। ताकि भविष्य में होने वाले विवाद से बचा जा सके।
- किराये दार के द्वारा कितनी धनराशि बतौर सिक्योरिटी मकान मालिक को भुगतान की जायेगी इस बात का भी उल्लेख किया जाना चाहिये।
- इस बात का उल्लेख अवश्य हो कि जिस अवधि तक का किरायानामा है उस अवधि के दौरा मकान मालिक किरायेदार को मकान से हटने के आदेश नहीं दे सकता अथवा मकान मालिक घर खाली करने के कितने दिन पहले किरायेदार को सूचित करेगा इसका विवरण भी Rental Agreement में अंकित हो।
- दोनों पक्षों के द्वारा दी गयी जानकारी पूर्णतः सही व सत्य होनी चाहिये। यदि पक्षकारों के द्वारा किसी भी प्रकार की गलत जानकारी/घोषणा Rental Agreement में दी गयी है तो ऐसी स्थिति में पक्षकारों के उपर कानूनी कार्यवाही की जा सकती हैं।
Rental Agreement के लिए आवश्यक दस्तावेज
प्रत्येक राज्य में किरायेनामे के लिये निर्धारित प्रारूप अलग अलग हैं। आप सम्बन्धित राज्य की आधिकारिक वेबसाईट से प्रारूप को डाउनलोड भी कर सकते हैं। निर्धारित प्रारूप के अतिरिक्त कुछ अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों की आवश्यकता आपको पड सकती है। यथा-
- 1000 अथवा कम से कम 500 रूपये का स्टाम्प पेपर।
- मकान मालिक और किरायेदार दोनों के पहचान पत्र। (आधार कार्ड/पैन कार्ड/अन्य फोटोयुक्त दस्तावेज)
- पक्षकारों की पासपोर्ट साईज फोटो ग्राफ।
- दोनां गवाहों के पहचान पत्र। । (आधार कार्ड/पैन कार्ड/अन्य फोटोयुक्त दस्तावेज)
- मकान मालिक के सम्बन्धित मकान पर स्वामित्व व कब्जे के प्रमाण के दस्तावेज।
- सिक्योरिटी की धनराशि।
Rental Agreement कहाँ बनेगा ?
रेंट एग्रीमेंट (Rental Agreement) बनवाना एक कानूनी प्रक्रिया है। इसके लिये आपको सरकार के द्वारा अधिकृत किसी भी नोटरी के पास जाना होता है। नोटरी के माध्यम से यह एग्रीमेंट बनवाना काफी आसान है। साथ ही आप कानूनी परामर्श भी नोटरी से ले सकते हैं। आप चाहें तो अपने नजदीकी तहसील अथवा उप जिलाधिकारी कार्यालय से सम्पर्क करके भी किरायानामा आसानी से बनवा सकते हैं।
रेंट एग्रीमेंट कब तक वैध होता है?
किरायेनामे में वर्णित तिथि तक किरायानामा वैध होता है। यह कुछ दिन, महीने अथवा वर्षां में हो सकता है।
रेंट एग्रीमेंट में गवाह कौन हो सकता है?
कोई भी ऐसा नागरिक जिसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक हो और उसकी मानसिक स्थिति ठीक हो रेंट एग्रीमेंट में गवाह बन सकता है।
Rental Agreement क्यों बनाया जाता है?
मकान मालिक तथा किरायेदार के बीच भविष्य में होने वाले किसी भी वाद विवाद से बचने के लिये किरायानामा बनाया जाता है जिसमें कि पहले से ही समझौते से सम्बन्धित सभी शर्तों और दायित्वों का उल्लेख किया जाता। विवाद की स्थिति में किरायेनामें को साक्ष्य के तौर पर पेश किया जा सकता है।
क्या रेंट एग्रीमेंट 11 महीने से ज्यादा का हो सकता है।
आप अपने किरायेनामे को 11 महीने से अधिक का भी बनवा सकते हैं। आप कुछ दिन, महीने अथवा वर्षों में भी यह समझौता पंजीकृत कर सकते हैं
रेंट एग्रीमेंट 11 महीने का ही क्यों बनाया जाता है?
सामान्यतः किरायेनामे की अवधि को 11 माह रखा जाता है। ऐसा इसलिये किया जाता है क्योंकि भारतीय रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1908 की धारा 17 डी के अनुसार कोई भी ऐसा एग्रीमेंट जो कि एक साल से कम अवधि का है उसे रजिस्ट्रेशन कार्यालय में पंजीकृत करवाना अनिवार्य नहीं है। जब हम किसी समझौते को रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत करवाते हैं तो इसमें सम्पत्ति की मालियत के अनुसार स्टाम्प शुल्क अदा करना होता है जो कि काफी खर्चीली प्रक्रिया है। इसी प्रक्रिया और इसमें लगने वाले खर्चे से बचने के लिये अधिकांश रेंट एग्रीमेंट को मात्र 11 माह के लिये बनवाया जाता है। तत्पश्चात इसे पुनः 11 माह के लिये बढा दिया जाता है।
क्या कोई किरायेदार किराये की सम्पत्ति का मालिक बन सकता है?
भारतीय लिमिटेशन ऐक्ट 1963 के अनुसार कोई भी किरायेदार मकान मालिक की सम्पत्ति का मालिक नहीं हो सकता है। इसी विवाद से बचने के लिये मकान मालिक और किरायेदार के मध्य किरायेनामे की व्यवस्था की गयी है। निजी अथवा गैर सरकारी सम्पत्ति पर लिमिटेशन की अवधि 12 वर्ष तथा सरकारी सम्पत्ति के मामले में यह अवधि 30 साल है।
नोटरी कौन होता है?
नोटरी सरकार के द्वारा नियुक्त किया गया वह व्यक्ति होता है जो कि किसी दस्तावेज के कानूनी रूप से सत्य और वास्तविक होने के प्रमाण की पुष्टि करता है। सामान्यतः नोटरी सभी न्यायालयों तथा उप जिलाधिकारी कोर्ट में नियुक्त होते हैं।