Indian Scientists- देश में वैज्ञानिको का एक समृद्ध इतिहास रहा है, जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया है। भारतीय वैज्ञानिको के आविष्कार एवं उपकरण मानव के जीवन को सरल एवं कार्य को आसान बनाने में मदद करते है।
विज्ञान की खोज के बाद ऐसे बहुत से अविष्कार हुए है, जिसके बाद हमारे दैनिक जीवन के बहुत से कार्य सरल हो गए है।
भारत में विज्ञान का इतिहास काफी पुराना रहा है, हजारों वर्षों पहले भी भारतीय वैज्ञानिक अपनी खोजों से जगत को ज्ञान की राह दिखाते थे।
वे चाहे जीरो का आविष्कार हो, अभूतपूर्व गणितीय विधि अथवा ज्योतिष गणनाएँ, ये सभी मनुष्य को अभूतपूर्व मदद दे रही है।
इस लेख में हम भारत के कुछ वैज्ञानिक एवं उनके आविष्कारों की चर्चा करेंगे, जिनका इतिहास में अविस्मरणीय योगदान रहा है।
भारतीय वैज्ञानिक और उनके आविष्कार
पुराने समय से ही चरक, सुश्रुत, आर्यभट्ट, वराहमिहिर, भास्कर (प्रथम), नागार्जुन एवं कणाद इत्यादि और आज के दौर के जगदीश चन्द्र बोस, श्रीनिवास रामानुज, वेंकट रमन, सत्येंद्र बसु, मेघनाद साह आदि के नाम है।
इन सबने विज्ञान के क्षेत्र में अपना अहम योगदान दिया है,और विज्ञान को एक नयी पहचान भी दी है। इन सभी ने अपनी तपस्या से विज्ञान में विशिष्ठ एवं असंभव दिखने वाली खोज करके दिखाई है।
प्रसिद्ध Indian Scientists के नाम
चंद्रशेखर वेंकट रमन | श्रीनिवास रामानुज |
एम. विश्वेश्वरैय्या | प्रफुल्ल चन्द्र राय |
वेंकटरमन राधाकृष्णन | विक्रम अम्बालाल साराभाई |
सत्येंद्र नाथ बोस | होमी जहाँगीर भाभा |
ब्रह्मगुप्त | सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर |
डॉ येल्लाप्रगदा सुब्बाराव | अब्दुल कलाम |
मेघनाद साहा | सलीम अली |
प्रसिद्ध Indian Scientists
भारतीय वैज्ञानिको ने विज्ञान के विभिन्न अनुसन्धान एवं खोजो से देश का नाम ऊँचा किया है। उनकी उस समय की खोजो से आज भी विज्ञान के कार्यो में काफी सुविधा मिल रही है।
इन लोगो के कार्यो से ही तकनीकी एवं अनुसन्धान के क्षेत्र में विकास संभव हो पाया है। इन वैज्ञानिको ने कम संसाधन होने पर भी अपनी प्रतिभा एवं लगन से विज्ञान सम्बंधित मौलिक खोज करके दिखा दी है।
इन्ही में से कुछ विज्ञानिको के नाम इस प्रकार से है –
चंद्रशेखर वेंकट रमन ( 1888-1970 )
भारतीय वैज्ञानिको की सूची में महान भौतिकी विज्ञानी वेंकट रमन का अद्वितीय योगदान है। रमन ने अपने आविष्कार ‘रमन प्रभाव’ के द्वारा किसी पदार्थ से प्रकाश के गुजारने और इसके प्रकीर्णन से जुडी खोजे की है।
अपनी इसी खोज के लिए रमन को 1930 में विज्ञान के क्षेत्र में उच्च पुरस्कार ‘नोबल-पुरूस्कार’ भी मिला है। इसके बाद से ही ये नोबल पुरस्कार प्राप्त करने वाले भारत के पहले वैज्ञानिक भी बन गए।
एम. विश्वेश्वरैय्या (1861-1962)
देश के पहले “अभियन्ता” की तरह जाने वाले महान भारतीय वैज्ञानिक एम. विश्वेश्वरैय्या एक उच्च कोटि के इंजीनियरिंग थे। इन्होने अपने अभियांत्रिकी ज्ञान से बहुत सी जरुरी परियोजनाओं को पूर्ण किया।
अपने आविष्कार से इन्होने मैसूर नगर को बाढ़ से बचने में मदद दी और विशाखापट्नम बंदरगाह को बचाकर अपनी प्रतिभा दिखाई।
सिचाई, पीने का पानी और ड्रेनेज तंत्र के साथ बहुत प्रकार के संस्थानों की स्थापना करके प्रसिद्ध एम. विश्वेश्वरैय्या के जन्मदिन को ‘अभियन्ता दिवस’ की तरह से मनाते है।
वेंकटरमन राधाकृष्णन (1929-2011)
वेंकटरमन एक भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक है, और रॉयल स्वीडिश अकादमी ऑफ साइंस के मेंबर भी थे। इनको देश के प्रेक्षण खगोल विज्ञान के पिता की तरह जाना जाताहै।
वेंकटरमन का जन्म अंग्रेजी काल की मद्रास प्रेसिडेंसी में हुआ था, इन्होने रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट बंगलौर में बतौर प्रोफेसर एमेरिटस की तरह कार्य किया।
यहाँ वे पहले 1972 से 1994 तक डायरेक्टर रहे, और इस संस्थान का नाम भी उनके पिता के नाम पर ही रखा गया था। इनके पिता महान वैज्ञानिक सी. वी. वेंकटरमन राधाकृष्णन भी एक नोबल पुरस्कार विजेता थे।
नोबल पुरस्कार विश्व स्तर पर मिलने वाला विशिष्ठ पुरस्कार है।
सत्येंद्र नाथ बोस (1894-1974)
ये महान विज्ञानी एवं उच्च कोटि के गणितज्ञ थे, इन्होने सैद्धांतिक भौतिकी में विशेषज्ञता प्राप्त कर ली थी। इसी के कारण इनको विश्वभर में काफी प्रसिद्धि भी मिल गयी थी।
1930 में इन्होने ‘क्वाण्टम यांत्रिकी’ में अपने कार्य से कामयाबी प्राप्त कर ली। इसके बाद इन्होने महान अणु वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्स्टीन के साथ मिलकर।
‘बोस-आइन्स्टीन सांख्यिकी’ एवं ‘बोस-आइन्स्टीन कन्डेंसेट’ विकसित करने के शोध कार्य में भी योगदान भी दिया, 1954 में सत्येंद्र को भारत सरकार से ‘पद्म विभूषण’ पुरस्कार मिला।
ब्रह्मगुप्त
ब्रह्मगुप्त एक प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक है, जिनका जन्म 598 CE में हुआ था। इन्होने गणित, खगोल विज्ञान एवं सामान्य भौतिकी के विषय में अध्ययन किया, इनको अपनी किताब ‘ब्रह्म स्पूत सिद्धान्तिका’ से लोकप्रियता मिली।
इन किताब में उन्होंने अपने रेखीय एवं द्विघात समीकरण के हल करने, संख्याओं के वर्गमूल का मूल्यांकन, शून्य (0) के प्रयोग की विधि इत्यादि की जानकारी दी है।
श्रीनिवास रामानुज (1887-1920)
रहस्यमयी वैज्ञानिक रामानुज का जन्म आजादी से पहले अंग्रेजी भारत की मद्रास प्रेडेन्सी के एक निम्न मध्य वर्गीय परिवार में हुआ था।
रामानुज ने गणित में विशेष रूचि एवं प्रतिभा दिखाई, हालाँकि उन्हें गणित विषय का औपचारिक प्रशिक्षण नहीं मिला था। इन्होने तत्कालीन जटिल गणितीय प्रोब्लेम्स को कुशलता से सुलझाया था।
इनकी प्रतिभा को देखकर गणितीय विद्वान इन्हे शोध कार्य के लिए विदेश लेकर गए। रामानुज ने संख्या सिद्धांत, निरन्तर भिन्न, गणितीय विश्लेषण एवं अनंत श्रृंखला में कार्य किया है, बहुत सी बीमारियों के कारण 32 वर्ष की अल्पायु में ही रामानुज चल बसे।
प्रफुल्ल चन्द्र राय (1861-1944)
प्रफुल्लचन्द्र राय का जन्म 2 अगस्त 1861 में जैसोर जिले के ररौली गाँव में हुआ था। इनका झुकाव शुरू से ही अंग्रेजी शिक्षा की ओर था।
वे एक मॉडर्न भारतीय रसायन शोधकर्ता थे, इसलिए इनको ‘भारतीय रसायन विज्ञान के पितामह’ की उपाधि मिली। ये एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी से प्रशिक्षित थे, और बाद में इन्होने कलकत्ता यूनिवर्सिटी में भी कार्य किया।
1895 में स्थिर यौगिक मर्क्यूरस नाइट्राइड की खोज की 1919 में इन्हे नाईटहुड की उपाधि मिली। अगले ही वर्ष 1920 में ये भारतीय विज्ञान कांग्रेस के प्रेजिडेंट भी बने।
इन्होने अपने आप 1901 में ‘बंगाल केमिकल एन्ड फार्मास्यूटिकल वर्क्स’ रासायनिक फर्म को भी स्थापित किया। 1961 में इनकी जयंती पर इंडियन पोस्ट ने भी एक डाक टिकट जारी किया।
विक्रम अम्बालाल साराभाई (1919-1970)
ये एक भारतीय वैज्ञानिक एवं खगोलशास्त्री भी थे, इन्होने अंतरिक्ष अनुसन्धान की शुरुआत की और देश के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में सहायता की थी।
1966 में इनको पद्म भूषण एवं 1972 में पद्म विभूषण का सम्मानित किया गया, अपने विशिष्ट योगदान के लिए साराभाई को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के ‘अंतरिक्ष कार्यक्रम का पितामह’ भी कहा जाता है।
होमी जहाँगीर भाभा (1909-1966)
होमी जहाँगीर भाभा एक प्रसिद्ध परमाणु भौतिक वैज्ञानिक एवं टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) में भौतिकी के संस्थापक भी थे।
इनको भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में सर्वाधिक प्रखर व्यक्ति मानते है, भाभा को भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक की मान्यता मिली है।
होमी भाभा ने देश को एक परमाणु ऊर्जा प्रदत्त हथियार का परीक्षण से सुरक्षा को अधिक पुख्ता करने में मदद दी। इनके नाम पर ही राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा संस्थान का नाम ‘भाभा परमाणु अनुसन्धान केंद्र (बीएआरसी)’ हुआ।
सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर (1910-1995)
सुब्रह्मण्यन एक प्रसिद्ध भारतीय विज्ञानी है, जिनको 1983 में भौतिकी में नोबल पुरस्कार मिला था। ये बीसवीं सदी में उच्च कोटि के वैज्ञानिक है, चंद्रशेखर ने खगोलशास्त्र एवं गणित में विशिष्ट योगदान किया।
इनका सर्वाधिक लोकप्रिय कार्य ‘चंद्रशेखर की सीमा’ है, जोकि ब्राउनियन मोशन एवं रौशनी के सिद्धान्त से सम्बंधित है। 1983 में इनको ‘तारों के ठंडा होकर सिकुड़ने के साथ केंद्र में घनीभूत होने की प्रक्रिया’ के लिए नोबल पुरस्कार सम्मान मिला था।
अब्दुल कलाम (1931-2015)
डॉ० ए० पी० जे अब्दुल कलाम के नाम से प्रसिद्ध वैज्ञानिक है, और देश के राष्ट्रपति भी रह चुके है। विज्ञान में विशिष्ठ कार्य के लिए इनको ‘मिसाइल मैन’ भी कहते है। इन्हे भारतीय मिसाइल एवं परमाणु हथियार प्रोग्राम को चलाने के लिए याद करते है।
1954 में सेंट जोसेफ कॉलेज, त्रिची से विज्ञान में ग्रेजुएशन करने के बाद इन्होने 1957 में मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से वैमानिक अभियांत्रिकी में विशेष उपाधि प्राप्त कर ली। ये देश-विदेश के 48 संस्थानों से मानद उपाधि डॉक्ट्रेट पाने वाले देश के पहले वैज्ञानिक है।
डॉ येल्लाप्रगदा सुब्बाराव
सुब्बाराव एक प्रसिद्ध जैव रसायनशास्त्री है, जिन्होंने बहुत सी जीवन रक्षक एंटीबायोटिक दवाओं का अविष्कार किया था। बहुत वर्षों पहले डॉ सुब्बाराव द्वारा निर्मित एक कैंसर रोधी दवा को अंतररष्ट्रीय स्तर पर इस घातक बीमारी के उपचार में प्रयोग किया गया है।
इन्होने अपने अध्ययन से एमबीबीएस की डिग्री पूर्ण कर ली थी। इसके बाद डॉ लक्ष्मीपति आयुर्वेदिक कॉलेज, मद्रास में शरीर रचना विज्ञान में प्रोफेसर बने।
फिर ये दवाइयों के आधुनिक स्तर के अनुसन्धान कार्य में संलग्न हो गए। 1988 में इनको एलीयन गेरट्रुड के साथ साझा रूप में नोबल पुरस्कार मिला।
मेघनाद साहा (1893-1956)
ये एक बँगाली भौतिकी अंतरिक्ष विज्ञानी थे, जिन्हे अपनी ‘साहा समीकरण’ के लिए याद करते है। इस समीकरण का प्रयोग तारो में भौतिकी एवं रसायन स्थिति के उल्लेख कार्य में करते है, इनका सबसे अच्छा कार्य तत्वों के उष्मीय अलगाव में था।
सलीम अली (1893-1987)
सलीम एक भारतीय प्रकृतिवादी एवं पक्षी वैज्ञानिक थे, और इनको देश में ‘बर्ड मैन’ की उपाधि मिली हुई है। ये देश के प्रथम विद्वान थे, जोकि व्यवस्थित प्रकार से पक्षियों पर शोध कार्य करते थे।
इन्होने अपने शोध से विभिन्न किताबो को लिखकर भारतीय पक्षी विज्ञान को एक विशिष्ट लोकप्रियता दी थी। इनके कार्य के लिए 1958 में पद्म भूषण एवं 1976 में पद्म विभूषण पुरस्कार मिला।
भारतीय वैज्ञानिक के नाम और उनके आविष्कार से जुड़े प्रश्न
अभियन्ता दिवस को कब मानते है?
महान भारतीय विज्ञानी एम. विश्वेश्वरैय्या के जन्मदिन (15 सितम्बर) के दिन मनाते है।
मिसाइल मैन ऑफ इण्डिया कौन है?
भारत में मिसाइल एवं परमाणु हथियार के क्षेत्र में शोध करने वाले वैज्ञानिक डॉ. अब्दुल कलाम को मिसाइल मैन ऑफ इण्डिया कहते है।
विक्रम साराभाई कौन है?
इनको भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के पितामाह की उपाधि मिली हुई है चूँकि इन्होने प्रसिद्ध भारतीय अंतरिक्ष संस्थान इसरो की स्थापना की थी।