ग्राहकों के खाते से पैसा जमा अथवा कटने पर बैंक से SMS मिलता है। किन्तु बहुत से ग्राहकों को एसएमएस के डेबिट एवं क्रेडिट शब्दों का मतलब ठीक से पता नहीं होता है। इस कमी का गलत लाभ कुछ फ्राड लोग लेते है और बैंक खाते से पैसा काटने वाले मैसेज को पैसे जमा करने का बताते है।
इस प्रकार से कुछ ग्राहक इसे अपने फायदे का मौका समझकर पैसे काटने वाले मैसेज पर पिन डाल देते है। इसके बाद उनके बैंक खाते से वो राशि कट जाती है। इस नुकसान से बचने के लिए सही एसएमएस की जानकारी होनी चाहिए। बैंक के एसएमएस में या फिर किसी भुगतान के मैसेज में दोनों शब्दों Credit और Debit किसके लिए प्रयोग होता है।
इस लेख के माध्यम से डेबिट एवं क्रेडिट के अंतर को समझ लेंगे। यदि इन दोनों के प्रयोग एवं अंतर को सही से समझ जाते है तो पैसे के जमा एवं भुगतान होने की जानकारी पा सकते है।
क्रेडिट और डेबिट का मतलब – क्रेडिट और डेबिट में अंतर
बैंक खाते से डेबिट (Debit Meaning) होने का अर्थ है कि खाते से वो राशि काटी गयी है। इसके विपरीत बैंक खाते से क्रेडिट (Credit Meaning) होने का मतलब होता है कि इतनी राशि खाते में डाली गयी है। इसके बात को हम कुछ नमूनों से समझ सकते है जिसमे बैंक की ओर से मिले मैसेज से देख सकते है।
उदाहरण 1 : नीचे इमेज में दिख रहे मैसेज में जानकारी है कि आपका बैंक खाता संख्या XXXXXX3518 में से 4 हजार रुपए काटे (Debited) गए है। और इन राशि को VPA 6306884703 से लिंक बैंक खाते में डाला (Credit) गया है।
इसमें VPA आपके यूपीआई से भुगतान अथवा पाने के लिए बनाया गया Vertual Payment Address है। यह ईमेल आईडी की भाँति कार्य करता है। यह यूपीआई सेवा प्रदाता कंपनी की ओर से दी गयी पेमेंट आईडी है जिससे पैसा लेते और देते है।
उदाहरण 2 : नीचे दी गयी इमेज में SMS से जानकारी मिल रही है कि UPI भुगतान के द्वारा ग्राहक के दिए बैंक खाते (…3518) में 200 रुपए जमा (Credit) हो गए है।
पैसे निकासी में डेबिट, ट्रांसफर एवं विड्रा आते है
क्रेडिट और डेबिट कुछ अवसर पर आपको बैंक से मिले एसएमएस में डेबिट के स्थान पर ट्रांसफर एवं विड्रा टर्म भी देखने को मिल जाती है। सीधे ही एटीएम मशीन से पैसे निकालने पर ये तीनो शब्द प्रयोग में आते है। किन्तु इसमें चिंता की कोई बात नहीं है चूँकि ये तीनों शब्द खाते से पैसा कटने पर ही इस्तेमाल होते है।
डेबिट कार्ड की जानकारी (क्रेडिट और डेबिट)
बैंक की शब्दावली में किसी अकाउंट से पैसे की निकासी को डेबिट कहते है। जब भी ग्राहक अपने बैंक अकाउंट से पैसे की निकासी करता है तो उसको अपने फ़ोन पर बहुत तरह के मैसेज मिलते है। ग्राहक अपने कार्ड से किसी एटीएम में जाकर नकदी की निकासी करता है तो उसे डेबिट मैसेज मिलता है।
साथ ही अन्य किसी प्लेटफॉर्म से पैसे निकालने पर भी डेबिट मैसेज प्राप्त होता है। ऐसे बैंक द्वारा दिया गया डेबिट कार्ड ग्राहक को कार्ड से लिंक बैंक खाते से नकदी की निकासी, खर्चने एवं ट्रांसफर करने की सुविधा देता है।
सामान्य स्थितियों में एक डेबिट कार्ड धारक बैंक अकाउंट में बैलेंस के जितना ही पैसे खर्च कर सकता है। किन्तु कुछ विशेष वर्ग के सैलरी एवं बिज़नेस खातों में ओवरड्राफ्ट की भी सुविधा मिलती है।
जिन ग्राहक के पास ओवरड्राफ्ट की सुविधा होती है वो एक निश्चित सीमा तक बैंक खाते से पैसे खर्च कर सकते है अथवा भुगतान कर सकते है। किन्तु ओवरड्राफ्ट मनी को ग्राहक ने एक समय सीमा के भीतर ही रिटर्न अथवा जमा करना है। बहुत सी कम्पनियाँ डेबिट कार्ड पर ‘डेबिट कार्ड ईएमआई’ का लाभ भी देती है।
क्रेडिट कार्ड की जानकारी
सरल भाषा में समझाया जाए तो क्रेडिट कार्ड वह कार्ड है जिसके माध्यम से ग्राहक को पैसे खर्चने के बाद पैसे चुकाने है। इस प्रकार से ग्राहक को एक खास सीमा की ‘Line of Credit’ मिलती है। लाइन ऑफ क्रेडिट में पूर्व में ही कुछ राशि डाल दी जाती है।
इसमें से जितना भाग ग्राहक प्रयोग कर लेता है उसे एक निश्चित टाइम पीरियड के अंदर ही (अधिकतम 50 दिन में) वापिस करना होता है। यदि सही समय पर पैसे को वापिस न किया जाये तो ग्राहक को कुछ दण्ड देना होता है। इसमें ध्यान रखने वाली बात यह है कि क्रेडिट कार्ड में अर्थ दण्ड एवं ब्याज की मात्रा अधिक ही रहती है। क्रेडिट कार्ड का सलाना ब्याज 40 प्रतिशत तक होता है।
क्रेडिट कार्ड के जिस पैसे को आपने इस्तेमाल नहीं किया है वो आपके कार्ड में ‘Line of Credit’ की तरह ही डिपाजिट रहता है। इस राशि पर कोई ब्याज अथवा चार्ज नहीं देना होता है। किन्तु कुछ क्रेडिट कार्डों में 500 से 1,000 रुपए तक शुल्क देना पड़ सकता है और कुछ कार्डों में यह शुल्क नहीं लागू रहता है।
क्रेडिट कार्ड की सीमा से कुछ प्रतिशत भाग ही (लगभग 30% तक) नकद के रूप में निकालने की सुविधा रहती है। जैसे ग्राहक के क्रेडिट कार्ड की सीमा 1 लाख रखी गयी है तो वह 30 हजार रुपए तक कैश की निकासी कर सकता है।
अधिकतर कंपनियों की ओर से ग्राहक को ‘क्रेडिट कार्ड EMI’ का लाभ मिल जाता है। इसके अंतर्गत ग्राहक कार्ड से शॉपिंग कर लेने के बाद समान किस्तों में इस राशि को अदा कर सकते है। बैंक ग्राहक अपने बैलेंस की राशि आधार नम्बर से जान सकते है।
डबल बुक कीपिंग में डेबिट एवं क्रेडिट कार्ड की जानकारी
क्रेडिट और डेबिट – बिज़नेस खातों में डबल एंट्री सिस्टम के बुक कीपिंग सिस्टम में डेबिट एवं क्रेडिट के अर्थ अवं कार्य बैंक खातों के डेबिट एवं क्रेडिट से बहुत भिन्न होते है। इसमें व्यापार के लेने-देनो को ग्राहक के खाते लेजर्स में डेबिट एवं क्रेडिट के कॉलम में लिखा जाता है।
स्त्रोत खाते मतबल जिस खाते से पैसे निकल रहे है उसको दाई तरफ क्रेडिट कॉलम में जगह मिलती है। गंतव्य खाते में मतलब जिस खाते में पैसा जमा हो रहा है उसको बाई तरफ के डेबिट कॉलम में जगह देनी होती है।
- वस्तुतः प्रकार के सिस्टम में खाते के बाई तरफ यानी डेबिट कॉलम में उन एंट्रियों को जगह देते है जिससे खाताधारक के एसेट खाते अथवा खर्च खाते में वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त Liability Account/ Equity Account में कमी कर देता है।
- इस स्थिति के विपरीत दाई साइड में क्रेडिट कॉलम में उन एंट्रियों को जगह मिलती है जिससे ग्राहक के Liability Account/ Equity Account में बढ़ोत्तरी होती है। इसके साथ ही Asset Account/ Expense Account में कमी होती है।
कोई व्यक्ति अपने व्यापार में 50 हजार रुपए का निवेश करता है। इसमें व्यक्ति का सोर्स अकाउंट उसका Owner Equity Account होगा। Owner Equity Account में इस राशि को दाई ओर यानी क्रेडिट के कॉलम में जगह देनी है। इसमें गंतव्य अकाउंट उस व्यक्ति का बैंक खाता होता है। ऐसे बैंक खाते के नीचे बाई तरफ डेबिट कॉलम में 50 हजार रुपए की एंट्री होगी।
ऐसे यह ट्रांसेक्शन खाते के दोनों कॉलम में दर्ज़ होती है अतः इसको ‘डबल एंट्री बुक कीपिंग’ के नाम से जानते है। ऐसे हर लेनदेन को दोनों ही कॉलम में जगह दी जाती है। इस कारण से डेबिट एवं क्रेडिट का योग हर समय एक जैसा ही होता है। इस घटना को ‘बैलेंस द बुक’ के नाम से जानते है।
क्रेडिट और डेबिट से जुड़े प्रश्न
डेबिट का क्या अर्थ है?
बैंक की शब्दावली में डेबिट का अर्थ किसी बैंक खाते से पैसे का कटना है। जब भी किसी बैंक ग्राहक के खाते से पैसे निकलते है तो डेबिट नाम से एंट्री होती है।
क्रेडिट का क्या अर्थ है?
बैंक प्रणाली में क्रेडिट का मतलब पैसे का खाते में जमा होना है। जब बैंक खाताधारक के खाते में कोई राशि जमा होती है तो उसे बैंक से क्रेडिट का मैसेज आता है।
बैंक खाते में कैश कब जमा एवं डेबिट करते है?
जब भी बैंक खाते में कैश प्राप्त होगा उसे डेबिट साइड में लिखना है और पैसे की अदायगी होने पर यह क्रेडिट साइड में दर्ज़ होता है।