समाज में महिलाओं को मजबूती देकर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, न्यायायिक, वैचारिक, धार्मिक एवं पूजा की आजादी एवं समानता प्रदान करना ही महिला सशक्तिकरण है।
महिला सशक्तिकरण के आधार पर महिलाओं को शक्तिशाली बनाया जाता है, जिससे महिलाएं अपने जीवन से जुड़े फैसले स्वंय ले सकती है, तथा समाज और परिवार में सर उठाकर रह सकती है।
महिलाओं को समाज में सक्षम बनाने और उनको वास्तविक आधार दिलवाने हेतु महिला सशक्तिकरण का निर्माण किया गया है।
महिला सशक्तिकरण की पहल 1985 में महिला अंतराष्ट्रीय नैरोबी के द्वारा की गयी है, और संयुक्त राष्ट्रीय संघ के द्वारा 8 मार्च 1975 को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है,
भारत देश में अभी भी ऐसे बहुत से समाज है, जहाँ सबसे अधिक लैंगिक असमानता देखने को मिलती है। जहाँ लड़का लड़की में भेद भाव किया जाता है, और साथ ही महिलाओं के साथ बुरा बर्ताव भी किया जाता है।
इस भेदभाव की वजह से भारत में लड़कियों की शिक्षा को रोक दिया जाता है, जिससे भारत में निरक्षता की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है।
महिला सशक्तिकरण निबंध ( परिचय )
भारत एक पुरुष प्रधान समाज है, जिसमे महिलाओं की स्थिति को बेहतर करने के लिए महिला सशक्तिकरण का गठन किया गया है। सशक्तिकरण के माध्यम से महिला मजबूर होने और परिवार तथा समाज के बंधनो से मुक्त हो पाएगी।
महिला के शक्तिशाली और आत्मनिर्भर बनने के बाद ही महिला अपने व्यक्तिगत और समाजिक जीवन में बदलाव कर पाएगी। महिला सशक्तिकरण के आधार पर महिलाओं को मजबूत बनाकर समाज में सही अधिकार प्राप्त करने के सहायता करता है।
हमारे देश का दुर्भाग्य है, हमारे समाज में महिलाओं की स्थिति बेहतर नहीं है, जिसके लिए महिला सशक्तिकरण का निर्माण किया गया है।
देश को भी विकसित राष्ट्र बनाने के लिए महिलाओं का सम्मान और उनके अधिकार देना बहुत जरुरी है, वैसे भारत में महिलाओं को जागरूक बनाने के लिए अंतराष्ट्रीय महिला दिवस भी मनाया जाता है।
हमारे देश में महिलाओं को कमजोर बनाने वाली और उनके अधिकारों का हनन करने वाली संकुचित सोच को समाप्त करना बहुत आवश्यक है।
महिलाओं के विकास में कुछ सामाजिक बाधा है, जैसे – दहेज़, निरक्षरता, यौन हिंसा, गैर-बराबरी, भ्रूण हत्या, घरेलु हिंसा, वैश्यावृति, मानव तस्करी इत्यादि।
महिला सशक्तिकरण का अर्थ
महिला को प्रकृति ने सृजन करने की शक्ति दी है, और स्त्री ही समस्त मानव जाति को अस्तित्व देती है। समाज में महिलाओं को मजबूती देकर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, न्यायायिक, वैचारिक, धार्मिक एवं पूजा की आजादी एवं समानता प्रदान करना ही महिला सशक्तिकरण है।
अन्य शब्दों में कहे तो महिलाओ को सामाजिक-आर्थिक रूप से बेहतर बनाना और उनको पुरुषो के समान ही नौकरी, शिक्षा, वित्तीय उन्नति के अवसर देना। यही वह मार्ग है जिसके द्वारा महिलाओं को भी पुरुषों की भांति अपनी इच्छा को पूर्ण करने का अवसर प्राप्त होगा।
सरल शब्दों में कहे – महिला सशक्तिकरण के माध्यम से ही महिलाओं में वह शक्ति प्रवाहित हो सकेगी, जिससे उनमे अपने जीवन को लेकर निर्णय लेने की क्षमता का विकास हो सकेगा। इस प्रकार से जीवन के सही अर्थो में आजादी एवं अधिकार पाने के लिए महिला सशक्तिकरण अति आवश्यक है।
देश में महिला सशक्तिकरण की जरुरत
- वर्तमान समय में बहुत सी महिलाएं राजैनितक दलों के साथ कार्य करती है, परन्तु गाँव छोटे कस्बों की महिलाएं आज भी बीएस अपने घर के अंदर तक सिमित है।
- कुछ महिलाएं आज भी ऐसी स्थिति में जी रही है, जहाँ न उनको चिकित्सा सेवा मिलती है, और ना ही शिक्षा मिल पाती है।
- यदि शिक्षा को देखा जाए तो पिछड़े समाज में आज भी पुरुषों की तुलना में महिलाओ की संख्या में अधिक निरक्षता देखने को मिलती है।
- देश में शहरी महिलाएं गाँव में निवास करने वाली महिलाओं से रोजगार की स्थिति में काफी मजबूत है।
- सर्वे के अनुसार देश की 30% महिलाएं सॉफ्टवेयर सेक्टर में कार्यरत है, किन्तु गाँव की 90 प्रतिशत महिलाओं को खेती से जुड़े कार्य एवं दैनिक मजदूरी के काम करने पड़ते है।
- वर्तमान समय में हमारा देश विश्व में काफी तेज़ी से उन्नति कर रहा है, देश को और अधिक आगे तभी ले जाया सकेगा, जब देश में स्त्रियों को पुरुषों के भांति शिक्षा, उन्नति दी जाएगी।
महिला सशक्तिकरण में सरकार का योगदान
सरकार शुरू से ही महिला अधिकारों को लेकर काफी जागरूक रही है, और विभिन्न योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को विकास करने का अवसर दे रही है।
- बेटी बचाव बेटी पढ़ाओ – योजना को महिलाओं की सबसे पुरानी एवं गंभीर समस्या ‘कन्या भ्रूण हत्या’ एवं शिक्षा के लिए तैयार किया गया है, साथ ही कन्याओ को वित्तीय राशि भी प्रदान की जाती है।
- महिला हेल्पलाइन स्कीम – यह योजना महिलाओं को किसी समस्या से बचाने के लिए 24 घंटे के लिए एमरजेंसी सहायता देती है, जिससे वे किसी प्रकार के अपराध का शिकार ना पाए।
- उज्जवला स्कीम – यह योजना शादीशुदा महिलाओं को रसोई गैस सिलेंडर में अच्छी सब्सिडी दिलवाती है, जिससे उनको लकड़ी के धुएँ से खाना बनाने से मुक्ति मिलेगी।
- महिला शक्ति केंद्र – योजना में गाँव की महिलाओं को शक्तिशाली बनाने के लिए केंद्र बनाये जाते है। यहाँ पर विद्यार्थी एवं पेशवर लोग महिलाओं को उनके अधिकार एवं योजनाओं की जानकारी देते है।
- पंचायती राज योजना में आरक्षण – साल 2009 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत 50 प्रतिशत महिला आरक्षण के प्रावधान किये थे।
इससे गाँव में रहने वाली महिलाओं की स्थिति में सुधार आएगा, इसके बाद से विभिन्न राज्यों में बहुत सी महिलाएँ पंचायत अध्यक्ष बनी है।
महिला सशक्तिकरण पर निबंध – 2
परिचय
वर्तमान समय में महिला सशक्तिकरण एक ज्वलंत विषय बन चुका है, विशेषकर विकासशील एवं प्रगति कर रहे देशों में।
इसकी मुख्य वजह यह है कि इन देशों की सरकारों को यह ज्ञात हो चुका है, बिना महिलाओं के विकास एवं योगदान के कभी विकसित राष्ट्र नहीं बना पाएंगे।
महिला सशक्तिकरण का तात्पर्य यह है, समाज में महिलाओं को उनके आर्थिक, शैक्षिक एवं संपत्ति के अधिकार पुरुषो के बराबर मिले।
देश में महिला सशक्तिकरण में बाधाएँ
सामाजिक स्तर
पुराने सामाजिक मान्यताओं के मुताबिक देश में महिलाओं को विभिन्न स्थानों में घर को छोड़ने की इजाजत नहीं है। कुछ लोग महिलाओं को पढ़ने अथवा काम के लिए घर से दूर नहीं जाने देते है।
ऐसी स्थिति में महिलाओं को पुरुषों से दबना पड़ता है, इस प्रकार से वे अपनी सामाजिक स्थिति में कोई बदलाव नहीं कर पाती है।
कार्यक्षेत्र में शारीरिक शोषण
काम के स्थान पर महिलाओं का शोषण एक गंभीर मामला है, प्राइवेट सेक्टर में सेवा उद्योग, सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री, हॉस्पिटल इत्यादि इस प्रकार के मामलों से पीड़ित है।
हमारे समाज के पुरुष प्रधान प्रारूप की वजह से ये परेशनी और भी गंभीर होती जा रही है। बीते दशकों में कार्य क्षेत्र में महिलाओं को लेकर शोषण के मामले बहुत तीव्रता से बढ़ गए है, और ऐसे मामलों में करीबन 170 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हो चुकी है।
लिंग भेदभाव
देश में कार्यस्थल पर आज भी महिलाओं को लिंग के आधार पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। बहुत से स्थानों पर तो महिलाओं को पढ़ाई एवं काम के लिए अपने क्षेत्र से दूर जाने की भी अनुमति नहीं है।
ऐसे में महिलाओं को स्वतंत्रतापूर्वक काम करने एवं परिवार में निर्णय लेने का अधिकार भी नहीं मिलता है। काम के स्थान पर तो हमेशा ही महिलाओं को पुरुषों से निम्न ही समझा जाता है।
लिंगात्मक भेदभाव के कारण महिलाओं की सामाजिक एवं वित्तीय स्थिति काफी खराब होती जा रही है।
वेतन में भेदभाव
भारत एवं अन्य देशों में भी एक समान काम करने पर महिलाओं को पुरुषो की तुलना में कम पैसे मिलते है। साथ ही असंगठित क्षेत्रों में तो ये परेशानी बहुत अधिक दयनीय होती जा रही है।
विशेषकर दिहाड़ी मजदूरी की जगह पर तो यह परेशानी बहुत अधिक खराब है। एकदम एक ही जैसा काम करने के बाद महिलाओं को वेतन दिया जाता है, इस प्रकार का भेदभाव महिला एवं पुरुष के मध्य कार्य शक्ति की असमानता को भी दर्शाता है।
शिक्षा में कमी
महिलाओं के बुरे हालातो का कारण कम शिक्षा ग्रहण करना भी है, आज भी परिवार में लड़को को उच्च शिक्षा देने एवं लड़कियों को निम्न शिक्षा देकर घरेलु काम -काज सीखाने का रिवाज है।
शहरी परिवारों में लड़कियों के हालात शिक्षा के मामले में ग्रामीण क्षेत्रों से काफी बेहतर है। देश में महिला शिक्षा की दर 64.6 प्रतिशत एवं पुरुष शिक्षा की दर 80.9 प्रतिशत है, बहुत सी ग्रामीण कन्याओं की शिक्षा को बीच में ही अपूर्ण छोड़ दिया जाता है।
कम आयु में शादी
वैसे तो पिछले कुछ दशको में सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों एवं कानून के कारण समाज में बाल विवाह की प्रथा बंद होती दिखाई दे रही है।
किन्तु साल 2018 की यूनिसेफ रिपोर्ट के अनुसार देश में अभी भी प्रत्येक वर्ष 15 लाख से अधिक लड़कियों का विवाह 18 साल से कम आयु में हो रहा है।
कम आयु में शादी होने से लड़की को समुचित विकास का अवसर नहीं मिल पाता है, साथ ही कम आयु में शादी होने से महिला को शारीरिक एवं मानसिक रूप से विकसित भी नहीं हो पाती है।
महिला के खिलाफ अपराध
देश की महिलाओं पर विभिन्न घरेलू अत्याचार के साथ दहेज़, हॉनर किलिंग एवं मानव तस्करी इत्यादि के संगीन अपराध देखने को मिलते है। परन्तु हैरानी की बात तो यह है, शहर की महिलाओ पर गाँव की महिलाओं की अपेक्षा अधिक अपराध दर्ज होते है।
कन्या भ्रूण हत्या
कन्या भ्रूण हत्या अथवा लिंग की जाँच करके गर्भपात करना देश की बहुत बड़ी समस्या बनती जा रही है, और यह महिला सशक्तिकरण के मार्ग के सबसे बड़ी बाधा भी है, कन्या भ्रूण हत्या का अर्थ लिंग की जाँच करके महिला भ्रूण की हत्या कर देना है।
महिला के गर्भ के भ्रूण को बिना उसकी सहमति के गिरा दिया जाता है, इसी समस्या के कारण से देश में हरियाणा एवं कश्मीर जैसे राज्यों में महिला लिंग अनुपात पुरुषों के मुकाबले काफी कम होता जा रहा है।
उपसंहार
भारत बहुत तीव्रता से आर्थिक उन्नति करने वाले देशों की पंक्ति में आगे बढ़ रहा है, इस बात को ध्यान में रखते हुए आने वाले समय में समाज में महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को पाने के लिए समुचित प्रयास करने की जरुरत है।
सभी को महिला सशक्तिकरण की मुद्दे एवं लाभ को समझने की जरुरत है, चूँकि इससे ही समाज में लैंगिक समानता एवं आर्थिक उन्नति के द्वार खुल सकते है।
महिला सशक्तिकरण से सम्बंधित प्रश्न / उत्तर
महिला सशक्तिकरण से क्या आशय है?
समाज में महिलाओं को पुरुषो की भांति अपने फैसले लेने एवं जीवन जीने के अधिकार दिलाने का कार्य महिला सशक्तिकरण के द्वारा किया जाता है।
देश में महिलाओं की क्या स्थिति है?
वर्तमान में महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है, किन्तु अभी भी बहुत सी स्थिति में सुधार होना जरुरी है।
महिला सशक्तिकरण की क्यों जरुरत है?
विश्व के किसी भी देश को विकसित एवं मजबूत राष्ट्र बनने के लिए महिलाओं की स्थिति में सुधार की जरुरत है।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस कब मनाया जाता है ?
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है।