Ayodhya Ram Mandir : जैसा की आप सभी जानते है की आज के दिन अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। अयोध्या में रामलला का मंदिर केवल एक मंदिर नहीं है बल्कि करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है। इस बात का दावा किया जा रहा है कि इसे 1,000 साल तक किसी मरम्मत की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि इसमें लोहे का प्रयोग नहीं किया गया और यह पूरी तरह पत्थरों से बनाया जा रहा है। यहां हम इसके निर्माण से जुड़ी कंपनियों और संस्थाओं के बारे में बता रहे हैं।
अयोध्या में आज राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। करीब 1800 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर’ का निर्माण इंजीनियरिंग और इन्फ्रा सेक्टर की दिग्गज कंपनी लार्सन एंड टुब्रो कर रही है। बताया यह भी जा रहा है कि 1000 साल तक इस मंदिर को आंधी, तूफान, भूकंप या बाढ़ हिला नहीं पाएगी। क्योंकि इसमें लोहे का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। एलएंडटी के साथ साथ कई अन्य कंपनियां एवं संस्थाए राम मंदिर के सपने को साकार करने में योगदान दिया है। जानिए कौन-कौन सी कंपनियां और संस्थान शामिल हैं राम मंदिर के निर्माण में…
मंदिर के निर्माण का काम इंजीनियरिंग सेक्टर की दिग्गज कंपनी एलएंडटी (L&T) को सौंपा गया है। यह कंपनी देश-विदेश में कई अहम प्रोजेक्ट बना चुकी हैं। इनमें गुजरात में सरकार पटेल की मूर्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, अहमदाबाद में दुनिया सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम, राउरकेला में दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम और मुंबई का अटल सेतु शामिल है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का दावा है कि 15 साल पहले इस कंपनी के साथ राम मंदिर के निर्माण पर चर्चा हुई थी। तब कंपनी के प्रमुख एएम नाइक ने इसे बनाने का वादा किया था।
प्रोजेक्ट मैनेजमेंट के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने टाटा कंसल्टिंग इंजीनियरर्स लिमिटेड की सेवाएं ली थीं। इस कंपनी को इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े बड़े प्रोजेक्ट्स को मैनेज करने का कई साल का अनुभव है। टाटा ग्रुप की इस कंपनी की स्थापना 1962 में की गई थी। कंपनी ने 60 से अधिक देशों में 11,000 से अधिक प्रोजेक्ट्स को इंजीनियरिंग सेवाएं दी है। कंपनी में 5000 से अधिक इंजीनियर काम करते हैं।
जैसा की आप सभी जानते है की किसी भी ढांचे के लिए नींव सबसे अहम होती है और राम मंदिर के लिए मिट्टी की टेस्टिंग और एनालिसिस की जिम्मेदारी सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) ने निभाई। राम मंदिर की नींव इतनी मजबूत बनाई गई है कि सदियों तक इसे कोई हिला भी नहीं पाएगा। CBRI साल 2020 की शुरुआत से ही राम मंदिर से जुड़ा है। राम मंदिर के स्ट्रक्चरल डिजाइन, सूर्य तिलक मैकेनिज्म के डिजाइन और मंदिर के फाउंडेशन के डिजाइन का काम इस संस्थान ने किया है।
नेशनल जियोफिजिक्स रिसर्च इंस्टीट्यूट (NGRI) ने राम मंदिर के निर्माण स्थल के जियोलॉजिकल मेकअप को समझने में अहम भूमिका निभाई। एडवांस्ड जियोफिजिकल टेक्नीक्स का इस्तेमाल करते हुए राम मंदिर के निर्माण स्थल की एक-एक परत का अध्ययन किया और संभावित जोखिमों की पहचान कर कंस्ट्रक्शन टीम को सुझाव दिए। इंस्टीट्यूट से मिले सुझावों प्रोजेक्ट के रास्ते में आने वाली संभावित अड़चनों को दूर करने में मदद मिलती है।
आईआईटी बॉम्बे, आईटीआई गुवाहाटी और आईआईटी मद्रास भी राम मंदिर के निर्माण में सहयोग दे रहे हैं। इनमें स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग, मटीरियल साइंस और भूकंप-रोधी डिजाइन शामिल है। इन संस्थानों की मदद से मंदिर में परंपरागत विधाओं के साथ-साथ अत्याधुनिक तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। राम मंदिर के निर्माण में हजारों कारीगर, इंजीनियर और मजदूर काम कर रहे हैं। हरेक पत्थर में ऐसी महीन कारीगरी की गई है कि पत्थर भी बोल उठे हैं। इसकी मिसाल कहीं और देखने को नहीं मिलती है।
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