Mamta Banerjee :- राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के पश्चिम बंगाल प्रवास से पहले ही ममता बनर्जी ने कांग्रेस से किनारा कर लिया। बुधवार को उन्होंने घोषणा की कि वे बंगाल में अकेले चुनाव लड़ेंगी। इस बयान ने इंडिया गठबंधन के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं।ममता बनर्जी के बयान से यह स्पष्ट है कि वे कांग्रेस के साथ गठबंधन में नहीं रहना चाहती हैं। उन्होंने बंगाल में कांग्रेस को अपने लिए चुनौती बताया है। इस स्थिति में यह कहना कठिन है कि इंडिया गठबंधन टूट गया है या नहीं। हालांकि, यह स्पष्ट है कि दोनों दलों के बीच तनाव बढ़ गया है। अगर दोनों दल जल्द ही अपने मतभेदों को दूर नहीं कर पाते हैं, तो इंडिया गठबंधन टूट सकता है।
नरेंद्र मोदी और भाजपा को चुनौती देने के लिए बना इंडिया गठबंधन दरक गया है।पश्चिम बंगाल में सीट बंटवारे को लेकर ममता बनर्जी और कांग्रेस के बीच पहले से ही तनाव था। अब ममता बनर्जी ने ऐलान कर दिया है कि वे बंगाल में अकेले चुनाव लड़ेंगी।ममता बनर्जी ने कहा कि कांग्रेस ने बंगाल में अपनी यात्रा का कार्यक्रम उनके साथ साझा नहीं किया। ऐसे में उनके साथ गठबंधन करना मुश्किल है।कांग्रेस ने ममता बनर्जी के इस फैसले को गलत बताया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि ममता बनर्जी के बिना इंडिया गठबंधन की कल्पना नहीं की जा सकती।
ममता बनर्जी के इस फैसले से इंडिया गठबंधन पर असर पड़ना तय है। यह भी कहा जा सकता है कि:इंडिया गठबंधन के लिए ममता बनर्जी का बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला बड़ा झटका है। इससे गठबंधन की कमजोरी और साफ हो गई है।अब देखना होगा कि ममता बनर्जी और कांग्रेस के बीच बातचीत का कोई नतीजा निकलता है या नहीं।यदि बातचीत नहीं होती है, तो इंडिया गठबंधन टूट सकता है।
1. नीतीश कुमार जैसे बाकी नाराज नेता ‘आजाद’ हुए
ममता बनर्जी का बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला अन्य क्षेत्रीय दलों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।यूपी में अखिलेश यादव, पंजाब में केजरीवाल और बिहार में नीतीश कुमार भी कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे को लेकर नाराज हैं।ममता बनर्जी के फैसले से इन दलों को भी अपने फैसले के लिए मजबूती मिल सकती है।यदि ये दल कांग्रेस के साथ गठबंधन से बाहर निकलते हैं, तो यह इंडिया गठबंधन के लिए बड़ा झटका होगा।
इससे मोदी सरकार की राह आसान हो सकती है। यह भी कहा जा सकता है कि ममता बनर्जी का फैसला भारतीय राजनीति में एक नए युग की शुरुआत का संकेत दे सकता है।अब क्षेत्रीय दल कांग्रेस को गठबंधन का हिस्सा बनने के लिए मजबूर करने की कोशिश करेंगे।यदि कांग्रेस इन दलों की मांगों को पूरा नहीं करती है, तो उसे अलग-थलग पड़ने का खतरा है।
2. INDIA गठबंधन बरकरार रहेगा, बस का उसका स्वरूप बदल जाएगा
इंडिया गठबंधन के नेताओं के बीच तल्खी सीट शेयरिंग को लेकर है, लक्ष्य को लेकर नहीं। सभी दल मोदी को सत्ता से हटाने के लिए एकजुट हुए हैं। सीट शेयरिंग न होने पर भी चुनावी मुद्दे समान रहेंगे। चुनाव पूर्व गठबंधन में शामिल न होने वाले दल भी सरकार में शामिल हो सकते हैं।
3. राज्य की सबसे प्रभावशाली पार्टी ही तय करेगी वहां के विपक्ष का स्वरूप
इंडिया गठबंधन के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर मतभेद बढ़ रहे हैं। राज्य में सबसे ताकतवर पार्टी ही चुनाव की रणनीति तय करेगी। यदि सीट शेयरिंग नहीं होती है, तो भी विपक्ष एक साथ मोदी और भाजपा को चुनौती देगा।
4. फिर भी कांग्रेस ही सबसे बड़ी चैलेंजर होगी
इंडिया गठबंधन के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर मतभेद बढ़ रहे हैं। यदि कांग्रेस इन राज्यों में चुनाव नहीं लड़ती है, तो भी उसका प्रभाव कम नहीं होगा। क्योंकि कांग्रेस उत्तर और दक्षिण भारत में भाजपा की मुख्य चुनौती है।
5. साबित हुआ कि INDIA गठबंधन एक राजनीतिक जुगाड़ था, जनता की मांग नहीं
इंडिया गठबंधन के नेता एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करते हैं, क्योंकि उन्हें जनता का डर नहीं है। यह गठबंधन जनता की मांग पर नहीं, बल्कि विपक्षी दलों के अपने-अपने मकसदों को पूरा करने के लिए बना है।
INDIA गठबंधन के लिए उम्मीद अब भी बाकी है…
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बंगाल आगमन से एक दिन पहले ममता बनर्जी की नाराजगी का बयान रणनीतिक भी हो सकता है। यदि यह बयान चुनाव नामांकन के बाद आता, तो इसका अलग ही अर्थ होता। अभी सीट शेयरिंग को लेकर इंडिया गठबंधन में काफी गुंजाइश है।
ममता बनर्जी की नाराजगी का मतलब यह हो सकता है कि वह कांग्रेस को बंगाल में केवल दो सीट देने पर राजी करना चाहती हैं। कांग्रेस को पूरे देश में लड़ाई लड़नी है, इसलिए वह बंगाल में पीछे हटने को तैयार हो सकती है। यदि ऐसा होता है, तो भी यह कांग्रेस की रणनीतिक जीत होगी। भाजपा भी कई राज्यों में अपने सहयोगियों को बराबरी की सीट देती है।इसलिए, ममता बनर्जी और कांग्रेस के बीच हुए ताजा तनाव को इंडिया गठबंधन का अंत कहना जल्दबाजी होगी।
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