केंद्र सरकार ने स्वदेशी गायों की सुरक्षा एवं विकास के लिए वर्ष 2014 में राष्ट्रीय गोकुल मिशन शुरू किया था। इस मिशन में वैज्ञानिक विधियों का क्रियान्वयन होगा। देशभर के ग्रामीण क्षेत्रों में पशु केंद्र निर्मित होंगे जिनको “गोकुल ग्राम’ भी कहते है।
सरकार ने गायों के संरक्षण एवं विकास के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं से आर्थिक एवं सामाजिक मदद दी है। इसके अतिरिक्त देश में किसानों एवं पशुपालकों के व्यवसाय एवं आय में भी उन्नति होगी। रिपोर्ट्स के अनुसार भारत सरकार ने वर्ष 2014 से 2020 तक इस मिशन में 1842.76 करोड़ रूपये खर्च किये है।
इस लेख में आपको राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत आवेदन करने, पात्रताएँ एवं लाभ की जानकारी मिलेगी।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन का उद्देश्य
केंद्र सरकार ने देशभर के किसानों एवं पशुपालकों को लाभान्वित करने के लिए गोकुल मिशन नाम योजना तैयार की है। इसके अंतर्गत स्वदेशी गोजातीय नस्ल को विकसित किया जाना है। साथ ही इन गायों का संरक्षण भी होगा। किसानों के व्यापार में वृद्धि के उद्देश्य से गायों की दुग्ध उत्पादन क्षमता को वैज्ञानिक तकनीकों से बढ़ाया जायेगा।
मिशन से देश में पशुपालन एवं डेयरी के काम में वृद्धि करके ग्रामीण अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार होगा। दुधारू पशु की संख्या बढ़ेंगी जिसके लिए लाल सींग, गिर, थरपारकर और साहीवाल इत्यादि की उच्च कोटि की देशी नस्लों का प्रयोग करके अन्य नस्लों की गायों को विकसित करेंगे।
इसके अतिरिक्त योजना से अनुवांशिक योग्यता वाले सांडों का वितरण होगा। सरकार दूध गंगा योजना से डेयरी व्यवसाय के लिए लोन भी दे रही है।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन
मिशन का नाम | राष्ट्रीय गोकुल मिशन |
सम्बंधित विभाग | पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार |
उद्देश्य | गायों का संरक्षण एवं विकास करना |
लाभार्थी | देश के पशुपालक एवं किसान |
माध्यम | ऑनलाइन/ ऑफलाइन |
आधिकारिक वेबसाइट | https://dahd.nic.in/ |
मिशन का कार्यान्वयन
राष्ट्रीय गोकुल मिशन को सभी राज्यों के पशुधन विकास बोर्ड जैसे संस्थान कार्यान्वित करेंगे। इन संस्थानों को एकीकृत पशु केंद्र, गोकुल ग्राम की स्थापना के लिए फण्ड दिया जायेगा। राज्य गौसेवा आयोग SIA के प्रस्तावों को प्रायोजित एवं इनकी देखरेख करने का आदेश दिया है।
जिनमे से देशी पशु विभाग में उच्च जर्मप्लाज़्म में विशेष कार्य करने वाली एजेन्सियों जैसे सीसीबीएफ, भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद, कृषि अथवा पशुपालन महाविधालय, एनजीओस, सहकारी समितियाँ एवं गौशालाओं इत्यादि है।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन में लाभ एवं विशेषताएँ
- यह मिशन केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने 28 जुलाई 2014 के दिन शुरू किया था।
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन में देशी गायों के संरक्षण एवं नस्लीय विकास के लिए वैज्ञानिक तकनीकी प्रयोग की जाएगी।
- 2014 में गोकुल मिशन के लिए 2,025 करोड़ रुपए के बजट का आवंटन हुआ था।
- 2019 में मिशन के बजट में 750 करोड़ रुपए की वृद्धि कर दी गयी।
- मिशन में दुधारू पशुओं की अनुवांशिक संरचना के सुधारीकरण के लिए नस्ल सुधार कार्यक्रम भी चलेगा।
- देश में पशुओं की संख्या को बढ़ाने पर भी ध्यान देकर पशुपालन में वृद्धि करनी है।
- मिशन से देश में पशुपालक किसानों की आय में वृद्धि होगी।
- इसके अतिरिक्त दुग्ध उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करने का काम होगा।
- मिशन से देश में पशुपालन के व्यवसाय में वृद्धि होगी।
- किसानों एवं पशुपालकों को दुग्ध उत्पादन की गुणवत्ता को सुधारने के लिए वैज्ञानिक तकनीकों की जानकारी दी जाएगी।
गोकुल मिशन में पात्रता की जानकारी
- आवेदक भारत का नागरिक हो।
- व्यक्ति की आयु 18 वर्ष या अधिक हो।
- देश के छोटे किसान एवं पशुपालक आवेदन कर सकते है।
- कोई सरकारी पेंशनभोगी किसान एवं पशुपालक अयोग्य होंगे।
गोकुल मिशन में प्रमाण पत्र
- आधार कार्ड
- आयु प्रमाण पत्र
- निवास प्रमाण पत्र
- नवीनतम पासपोर्ट फोटो
- मोबाइल नंबर
- ईमेल आईडी
राष्ट्रीय गोकुल मिशन में आवेदन करना
- सबसे पहले पशुपालन और डेयरी विभाग के कार्यालय में जाए।
- इसके बाद वहाँ से मिशन का आवेदन फॉर्म प्राप्त करे।
- आवेदन फॉर्म में सभी आवश्यक जानकारी जैसे अपना नाम, मोबाइल नंबर, पता एवं ईमेल इत्यादि को भरें।
- इसके बाद फॉर्म के साथ सभी आवश्यक प्रमाण पत्र संलग्नित करें।
- तैयार फॉर्म को पशुपालन एवं डेयरी विभाग के कार्यालय में जमा कर दें।
- यह सभी चरण पूर्ण करने के बाद आप मिशन के लाभार्थी बन सकेंगे।
गोकुल मिशन में पुरस्कार का प्रावधान
- योजना को तेज़ी एवं लोकप्रियता देने के लिए पुरस्कार भी बांटें जाते है।
- यह पुरस्कार देश के किसानों का मनोबल एवं आकर्षण बढ़ाता है।
- पशुपालन एवं डेयरी विभाग से पुरस्कार मिलता है।
- मिशन में प्रथम एवं द्वितीय स्थान पाने वाले लाभार्थी को गोकुल रतन पुरस्कार मिलेगा और तीसरे स्थान आपने वाले लाभार्थी को कामधेनु पुरस्कार मिलेगा।
- इसके अतिरिक्त देशी नस्लों की गोजातीय पशुओं को अच्छा संरक्षण देने वाले पशुपालक को गोपाल रत्न पुरस्कार मिलेगा।
- गौशालाओं एवं सर्वोत्तम प्रबंधित ब्रीड सोसाइटी को कामधेनु पुरस्कार मिलेगा।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन में गोकुल ग्राम
- मिशन में ग्रामीण इलाकों में समन्वित पशु केंद्रों को बनाया जायेगा जिन्हें गोकुल ग्राम का नाम दिया जायेगा।
- इन गोकुल ग्रामों में लगभग एक हज़ार से अधिक पशुओं को ठहराने की व्यवस्था रहेगी। इन पशुओं को पोषण देने के लिए एवं अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वहाँ चारे इत्यादि की उपलब्धता रहेगी।
- प्रत्येक गोकुल धाम में कम से कम 1 पशु चिकित्सालय एवं कृत्रिम गर्भाधान केंद्र की व्यवस्था होगी।
- गोकुल धाम में रहने वाले पशुओं से दूध लिया जायेगा एवं इनके गोबर से जैविक खाद बनेगी।
- गाँव में नए रोज़गार का सृजन होंगे।
- गायों के प्रजनन कार्यक्रम के लिए प्रजनन क्षेत्र में किसानों को उच्च आनुवंशिक प्रजनन स्टॉक की आपूर्ति एक केंद्र स्त्रोत से होगी।
- 1,000 जानवरों की क्षमता वाले ग्रामों में दुग्ध उत्पादक एवं अनुत्पादक पशुओं के अनुपात को 60:40 रखा जायेगा।
गोकुल मिशन के अन्य बिन्दु
- गोकुल मिशन में एकीकृत पशु केंद्र जैसे – गोकुल ग्राम को बनाया जायेगा।
- उच्च अनुवांशिकता क्षमता वाले देशी नस्ल के संरक्षण हेतु बुल मदर फॉर्म्स को मजबूत किया जायेगा।
- प्रजनन तंत्र में क्षेत्र प्रदर्शन रिकॉर्ड (FPR) को बनाया जायेगा।
- जर्म प्लाज़्मा संरक्षण संस्थाओं/ संघठनो की मदद की जाएगी।
- ब्रीडर्स समिति गोपालक संघ को बनाया जायेगा।
- स्वदेशी नस्ल के समृद्ध पशुओं को रखने में मदद मिलेगी।
- बछिया पालन कार्यक्रम चलाना, किसानों को पुरस्कृत करना एवं ब्रीडर्स समिति तैयार करने के काम होंगे।
- देशी नस्ल की समय-समय पर दुग्ध प्रतियोगिता होगी।
- देशी पशु विकास कार्यक्रम चलाने वाली संस्थाओं के तकनीकी एवं गैर-तकनीकी व्यक्तियों को प्रशिक्षण की सुविधा रहेगी।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन से जुड़े प्रश्न
राष्ट्रीय गोकुल मिशन क्या है?
मिशन से स्वदेशी गाय के संरक्षण एवं नस्ल का विकास वैज्ञानिक विधि के प्रयोग से करने के लिए प्रोत्साहन दिया जायेगा।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन की आवेदन प्रक्रिया क्या होगी?
मिशन का आवेदन पत्र आधिकारिक वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते है अथवा अपने समीप से पशुपालन और डेयरी विभाग में जाकर आवेदन की प्रक्रिया को पूरा करें।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन कब शुरू हुआ है?
28 जुलाई 2014 से देशी गायों के संरक्षण एवं उनके विकास के लिए गोकुल मिशन की शुरूआत हुई थी।