जीएसटी कितने प्रकार के होते है? | कब कौन सा लगता है? Types of GST in hindi

सरकार की ओर से शुरू किये टैक्स के अंतर्गत लिए जाने वाले जीएसटी को देश का सबसे जरुरी अप्रत्यक्ष कर सुधार कहा जाता है। GST विधेयक का कार्य सिंगल टैक्स सिस्टम को तैयार करना है जो उत्पाद के बनाने से लेकर अंतिम उपभोक्ता तक उत्पाद अथवा सेवा के पहुँचने तक वसूला जाता है।

जीएसटी को लाकर सरकार व्यापार के कार्य को अधिक आसान बनाना चाहती है। जीएसटी एक प्रकार का गुड्स एन्ड सर्विसेज टैक्स होता है। केंद्र सरकार का जीएसटी पोर्टल https://www.gst.gov.in/ है। इस लेख में आपको जीएसटी के विभिन्न प्रकारो को आसान तरीके से जानने का अवसर मिलेगा।

Types of GST in hindi - जीएसटी कितने प्रकार
Types of GST in hindi

जीएसटी टैक्स

ये एक सिंगल टैक्स है जिसके अंतर्गत ग्लोबल मार्किट में पहले से अदा किये करों का पूरा सेट-ऑफ सम्मिलित रहता है। वस्तु एवं सेवा कर (GST) एक सिंगल अप्रत्यक्ष कर है जिसको देशभर में मान्य किया गया है। ये कर देश के सभी वर्तमान के केंद्रीय एवं प्रदेश टैक्सों को एक ही कर दर से जोड़ देता है। देश में जीएसटी की सेवा देने वाले जीएसटी सुविधा केंद्र खोलने की योजना है।

जीएसटी के मूल उद्देश्य

  • जीएसटी कर प्रणाली से पहले केंद्र एवं प्रदेश सरकार ने बहुत से टैक्स लगा रखे थे।
  • अलग-अलग प्रदेश सरकार ने कर नीतियों एवं लेनदेन के अपने द्वारा तय किये रेट को लागू रखा।
  • दो राज्यों के बीच होने वाले विनिमय पर संघ सरकार ने एक केंद्रीय प्रदेश टैक्स लगाया हुआ था।
  • अलग-अलग कर और कर ढाँचे में एकरूपता ना होने से भारत के आतंरिक व्यापार को काफी नुकसान हो रहा था।
  • प्रदेश एवं संघीय स्तर पर अतिव्यापी कर के साथ टैक्स के सिस्टम पर बड़े असर से भीतरी व्यापार को हानि हो रही थी।
  • एमएसएमई एवं छोटे स्तर के व्यापार के लिए अनुपालन करना सरल है।
  • सिंगल टैक्स का होना कर अदा करने की प्रक्रिया को सरल बना देता है।
  • जीएसटी से भ्रष्टाचार कम होता है एवं कार्यप्रणाली में पारदर्शिता बढ़ती है।
  • इससे व्यापार में गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट की सम्भावनाएँ कम हो जाती है।
  • सभी प्रदेश में GST स्टैण्डर्ड टैक्स के नियमों को मान्य करता है इसमें व्यापारों की एक बड़ी श्रृंखला शामिल है। एक पहले से तय एवं स्वीकृत सूत्र के अंतर्गत इस प्रकरण में केंद्र एवं प्रदेश सरकार के बीच टैक्स का विभाजन होने वाला है।
  • चूँकि इस कर के अलावा कोई प्रदेश कर नहीं है तो देशभर में सेवाओं एवं वस्तुओं को एकसमान रूप से बेचा जा सकेगा।
  • जीएसटी बिल विशेषकर पुराने कर ऑन कर प्रणाली को ख़त्म करते हुए शुद्ध मूल्य बढ़ोत्तरी वाले भाग पर टैक्स लगाता है एवं उत्पाद की लागत में कमी करता है।
  • यह एक बड़े कर टू GDP अनुपात सरकार के राजस्व में बढ़ोत्तरी दिखाता है। यह एक अच्छी अर्थव्यवस्था को इंगित करता है।
  • इसके अतिरिक्त बड़े कर आधार एवं ज्यादा कर अनुमति से जीएसटी संचालन से शासन की आमदनी स्त्रोत में बढ़ोत्तरी होती है।
  • देश में जीएसटी कर को लॉजिस्टिक प्रतिबंधों एवं इनपुट टैक्स क्रेडिट में लगने वाले फाइलिंग प्रोसेस को समाप्त करती है।
  • साथ ही एंट्री कर को ख़त्म करने से उत्पादन स्तर में बढ़ोत्तरी की आशा है।

जीएसटी की जरुरत के कारण

  • जीएसटी को सरकार की ओर से आंतरिक व्यवसाय में सबसे बड़ा एवं जरुरी सुधार माना जाता है।
  • इस कर में विभिन्न अप्रत्यक्ष टैक्स को शामिल कर लेने से विनिर्माण एवं प्रोडक्शन की कुल लागत में कमी आ जाती है। इससे देश के व्यवसाय में वित्तीय उन्नति होती है।
  • प्रदेशो के अनुसार वैट की दरे एवं कानून भिन्न है। इसके अतिरिक्त यह भी देखा जाता है कि प्रदेश अपने ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए इन दरों में कमी करने का प्रयास करते रहते है। इस कारण से केंद्र सरकार और प्रदेश सरकारों को राजस्व में नुकसान होता है।

जीएसटी के प्रकार

देश में दरों को केंद्र सरकार ने निर्धारित किया है जोकि निम्न प्रकार का होता है –

  • CGST (केंद्रीय माल एवं सेवा कर)
  • SGST (राज्य वस्तु एवं सेवा कर)
  • UTGST (केंद्र शासित प्रदेश माल एवं सेवा कर)
  • IGST (एकीकृत माल एवं सेवा कर)

CGST का अर्थ एवं विशेषताएँ

CGST को विस्तृत रूप में सेंट्रल गुड्स एन्ड सर्विस टैक्स कहते है जोकि यह एक केंद्रीय माल और सेवा कर है। यह लिए जाने वाले जीएसटी का वह भाग है जो सरकार को सीधे ही मिल जाता है। 12 अप्रैल 2017 के दिन मान्य होने वाला यह टैक्स “द सेंट्रल गुड्स एन्ड सर्विसेज टैक्स एक्ट, 2017” के अंतर्गत सरकार को कर वसूली का अधिकार देता है।

CGST की वसूली कब होगी

एक पूर्ण राज्य के अंदर ही किसी भी प्रकार के व्यावसायिक लेनदेन के दो पक्षों के बीच होने पर सौदे में दो भागों में जीएसटी की वसूली होती है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश के दो नागरिको के मध्य कोई सौदा होने पर GST लिया जायेगा।

SGST का अर्थ एवं विशेषताएँ

इस टैक्स को विस्तृत रूप में स्टेट गुड्स एन्ड सर्विस टैक्स कहते है यानी ‘राज्य माल एवं सेवा कर’। ये जीएसटी की वसूली में वो भाग है जो प्रदेश सरकार के हिस्से में जाता है। प्रत्येक राज्य को अपने यहाँ ये कर वसूलने के लिए SGST Act को लागू करना होता है। उदाहरण के लिए, दिल्ली सरकार ने अपने यहाँ 31 मई 2017 के दिन ‘दिल्ली गुड्स एन्ड सर्विस एक्ट 2017’ मान्य किया।

SGST की वसूली कब होगी

यह कर उन लेनदेन पर लगाया जाता है जो प्रदेश के अंदर होते है। ये कर खरीदने एवं बेचने वाले पक्षों पर लगाया जाता है। इस लेनेदेन में दोनों लोग प्रदेश के भीतर के ही होने चाहिए और खरीदे जाने वाला उत्पाद प्रदेश के बाहर ना जा रहा हो।

UTGST का अर्थ एवं विशेषताऍं

इस टैक्स को विस्तृत रूप में यूनियन टेरिटरी गुड्स एन्ड सर्विस टैक्स कहते है जोकि हिंदी में केंद्र शासित प्रदेश का ‘माल और सेवा कर’ कहलाता है। जीएसटी की वसूली होने पर ये भाग उस केंद्र शासित प्रदेश के हिस्से में आता है। 12 अप्रैल 2017 के दिन पारित हुआ द यूनियन टेरिटरी गुड्स एन्ड सर्विसेज टैक्स एक्ट, 2017 के अंतर्गत इस कर (CGST) को लेने का अधिकार देता है।

UTGST की वसूली कब होती है

जो भी व्यापारिक लेनदेन केंद्र शासित प्रदेशों की सीमा में होते है उन पर कर वसूला जाता है। देश में वर्तमान समय में 8 केंद्र शासित प्रदेश है –

  • देश की राजधानी क्षेत्र
  • चंडीगढ़
  • अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह
  • दादर एवं नागर हवेली
  • दमन और दीव
  • जम्मू ऐंड कश्मीर
  • लक्षद्वीप
  • लद्दाख
  • पुडुचेरी

IGST का अर्थ एवं विशेषताएँ

जब दो भिन्न प्रदेशो के व्यापारी आपस में कोई व्यापारिक लेनदेन करते हो तो उनकी माल की सप्लाई पर IGST वसूलने के प्रावधान है। इसका अर्थ है कि जब कोई माल किसी अन्य प्रदेश में भेजना हो तो ये टैक्स लागू रहेगा। इस टैक्स में केंद्र एवं प्रदेश के जीएसटी कर को जोड़कर दोनों करों के योग के समान जीएसटी टैक्स को एक साथ में लेते है।

  • ISGST = CGST+SGST ( एक प्रदेश के ही व्यापारियों के मध्य व्यापार होने पर)
  • ISGST = CGST+UTGST (भिन्न-भिन्न प्रदेश के व्यापारियों के मध्य व्यापार होने पर)

केंद्र सरकार पूरे जीएसटी की वसूली कर लेती है किन्तु इस कर को बाद में केंद्र एवं प्रदेश सरकार एक बीच बाँटा जाता है। उस प्रदेश को जहाँ गुड्स या उत्पाद को आखिरी में इस्तेमाल किया जाना है।

GST की दरे

  • 0% जीएसटी – जीवन की सामान्य जरूरत की वस्तुओं पर 0 प्रतिशत जीएसटी लगाया गया है। उदहारण के लिए पैकिंग वाला अनाज, ताजे फल एवं सब्जियाँ, नमक एवं गुड़ इत्यादि।
  • 5% जीएसटी – सामान्य जीवन में अधिक आवश्यकता रखने वाली वस्तुओं एवं पदार्थ पर 5 प्रतिशत जीएसटी निर्धारित किया गया है। उदहारण के लिए चीनी, चाय, काफी, कोयला एवं खाद्य पदार्थ इत्यादि।
  • 12% जीएसटी – जीवन की सामान्य आवश्यक वस्तुओं एवं पदार्थ पर 12 प्रतिशत तक जीएसटी दरे निर्धारित की गयी है। इसमें घी, उर्वरक, मोबाइल फ़ोन, कंप्यूटर इत्यादि है।
  • 18% जीएसटी – जीवन में कम आवश्यकता रखने वाली चीजों एवं पदार्थ पर 18 प्रतिशत जीएसटी तय किया गया है। उदाहरण के लिए टुथपेस्ट, साबुन, बालों का तेल इत्यादि।
  • 28% जीएसटी – सामान्य जिंदगी में नुकसान एवं विलासिता की वस्तुओं एवं उत्पाद पर 28 प्रतिशत जीएसटी निर्धारित किया गया है। उदाहरण के लिए फ्रीज़, एसी, महँगी कार इत्यादि।

जीएसटी की विशेषताएँ एवं लाभ

  • जीएसटी के अंतर्गत रजिस्टर सभी व्यापार को जीएसटी अधिनियम के अनुसार एक वस्तु एवं सेवा कर पहचान (GSTIN) अथवा जीएसटी नंबर लेना होता है। ये नंबर जीएसटी अधिकारियों को जीएसटी के बकाया एवं लेनदेन की ट्रैकिंग में मदद करता है।
  • सभी व्यवसाय एवं संघठन को कार्य करने से पहले जीएसटी में अपना रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य होगा अथवा वो व्यापार नहीं कर सकेंगे।
  • आधा-अधूरा जीएसटी देने से इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा और इसके अतिरिक्त दंड राशि भी पड़ेगी।
  • जीएसटी नंबर निश्चित रूप से वैधता का प्रतीक है। ये उपभोक्ता, ई-कॉमर्स मंचों, पब्लिक निविदा, वित्तीय संस्थान, कॉर्पोरेट्स एवं अन्य के लिए व्यवसाय के ब्रांड की पहचान में भागीदारी करता है।
  • यह एक सरल रजिस्ट्रेशन स्कीम देती है जिसे कम्पोज़िट योजना की तरह जानते है। ये पर्सनल बिज़नेस के लिए एक आसान एवं सीधी योजना है। ये अधिक समय लेने वाली जीएसटी जरूरतों को आकर देती है। साथ ही व्यवसाय के लाभांश को पहले से तय की गयी दर के अनुसार जीएसटी कर अदा करवाती है।
  • देश में जीएसटी के कुछ नुक़सान भी देखने को मिले है जैसे कि लागत मूल्य में बढोत्तरी, खासकर सॉफ्टवेयर के व्यापार में ऑपरेशन लागत मूल्य में बढ़ोत्तरी। इसके कारण से बिज़नेस की प्रक्रिया में मुश्किल पैदा कर दी है।

जीएसटी से जुड़े प्रश्न-उत्तर

जीएसटी की गणना कैसे करते है?

देश में जीएसटी लगने वाले बेसिस पर दिए जाने वाले जीएसटी के कुल योग की तरह है। और इन बाउंड एवं आउट बाउंड प्रोडक्ट एवं सर्विस की तरह तय किया गया है।

जीएसटी कब देना चाहिए?

जीएसटी रिटर्न को करदाताओं ने निर्धारित समय के अंदर ही देना है। रिटर्न देते समय इनकम, खरीदारी एवं खर्चे इत्यादि के विवरण देने होते है।

देश के कौन-से उत्पाद जीएसटी के दायरे में नहीं है?

कुछ उत्पाद एवं सेवाएँ जैसे पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस एवं उच्च गति का डीज़ल जीएसटी कर के अंतर्गत नहीं आते है।

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