वर्षा ऋतु हमेशा से ही एक सुहाना मौसम रहा है। धरती के सभी जीव-जंतुओं को त्रस्त करने वाले गर्मी के मौसम के बाद वर्षा ऋतु काफी राहत देने का काम करती है। एक साल में प्रकृति में आषाढ़, सावन, भादो एवं आश्विन के चार मौसम देखने को मिलते है।
सावन के मौषम में बादलों में बिजली कड़कती है और रिमझिम बारिश देखने को मिलती है। बारिश में बरसते पानी की आवाज भी काफी मधुर लगती है। इसके बाद हर ओर प्रकृति में हरियाली देखने को मिलती है।
इस लेख के अंतर्गत आपको वर्षा ऋतू पर निबंध लिखने के सम्बन्ध में जानकारी देने का कार्य होगा।
वर्षा ऋतु पर निबंध के विभिन्न उदाहरण
वर्षा ऋतु पर निबन्ध –1
प्रस्तावना
हमारे देश में गर्मी का प्रकोप जून महीने में देखने को मिलता है। गर्मी के मौसम के जाने के तुरंत बाद ही बारिश का आगमन हो जाता है। बारिश का राहत देने वाला मौसम सितम्बर तक रहता है। इस मौसम में पानी की फुहार बहुत राहत एवं सुख प्रदान करने वाली होती है। ये मौसम मानव के साथ ही पशु-पक्षियों तक को काफी खुशी देती है।
इन दिनों आसमान की ओर देखे तो बादलों की काली-भूरी घटाएं बहुतायत में दिखती है। एक बार इन घटाओं के बरसने के बाद नीला साफ़ आसमान और कभी-कभी इंद्रधनुष बहुत ज्यादा मनोहारी होता है। इस प्रकार से प्रकृति के मनोहारी हरे-भरे नज़ारे, मिट्टी की सौंधी महक, पशु-पक्षियों के कलरव इत्यादि मानव के मन को आनंद विभोर कर देती है।
वर्षा ऋतु की विशेषताएँ
दुनियाभर में खेती से जुड़े कार्यों के लिए वर्षा काल सर्वाधिक उपर्युक्त माना गया है। इसका प्रमुख कारण बीते गर्मी के मौसम में पानी की कमी वर्षा के जल से परिपूर्ण हो जाती है। धरती की नमी एवं प्रचुर जल स्त्रोत किसानों की पानी सम्बंधित जरूरतों को भली प्रकार से पूरी कर देती है।
ये बारिश का पानी मानव को तो फायदा देता ही है साथ में पानी की कमी से जूझ रहे पेड़-पौधों को भी एक नवीन जीवन प्रदान करता है। गर्मी से पीड़ित हो चुके जानवर और पक्षी भी वर्षा के मौसम में नव जीवन पाते है। बहुत से लोग तो विभिन्न अभ्यरण में जाकर जानवरों खासकर मोर की आवाज एवं नृत्य का मजा लेते देखे जाते है।
इसी समय मोर खुले स्थान में अपने पंखो को खोलकर विशेष नृत्य का प्रदर्शन कर रहे होते है।
वर्षा ऋतु के फायदे एवं नुकसान
एक ओर वर्षा के मौसम में हरियाली एवं बीजो के अंकुरण की घटना होती है जिससे किसानों में ख़ुशी की लहर देखने को मिलती है। धरती में पानी का स्तर भी काफी अधिक हो जाता है जोकि पानी की तंगी को दूर करने का काम करता है। यदि धरती में वर्षा की ऋतु ना हो तो लोगों के लिए भरपूर खाद्य पदार्थ ना होगा और प्रकृति का जैविक जीवन क्रम भी अस्त-व्यस्त हो सकता है।
वैसे तो वर्षा का मौसम धरती के लिए महत्व रखता है तो दूसरी ओर यह कुछ नुकसान भी लेकर आता है। बहुत बार ज्यादा बारिश से कुछ स्थानों में बाढ़ के जल प्रकोप में गाँववासी एवं जंगली जीव भी बह जाते है। कुछ पर्वतीय क्षेत्रो में तो बादल फटने एवं जमीन के धसने से काफी जन हानि देखने को मिलती है।
नदी-नालों के अत्यधिक भर जाने से गाँवों एवं जनजातिय क्षेत्रों को तो नुकसान होता ही है साथ ही शहर में भी ये पानी तबाही मचाने का काम कर देता है।
वर्षा ऋतु पर निबन्ध – 2
हमारे देश में आदि काल से ही छः ऋतुओं के दर्शन एवं उल्लेख मिलते है। वैसे तो ये सभी मौसम विशेष महत्व रखते है फिर भी इनमे से वर्षा का मौसम कुछ विशेष महत्व रखता है। एक वर्ष में जुलाई से सितम्बर के मध्य में ‘वर्षा ऋतु’ का काल रहता है। इस सावन के माह में मानसून काफी सक्रीय देखा जाता है।
इसी मानसून के आगमन से जून के जला देने वाले मौसम से मुक्ति मिलती है। सूखती जा रही प्रकृति को तो जैसे नया जीवन ही मिल जाता है। कभी ठण्डी हवा एवं बारिश का पानी गर्म हवाओं के प्रकोप को नष्ट कर देती है। सूखी जमीन की भरपूर नमी मिल जाती है और पेड़-पौधे में भी प्राणो का संचार हो जाता है।
बारिश के मौसम में हर ओर हराभरा माहौल होता है। जानवर एवं पंछी कलरव-गान करते है, मेढक पानी के स्थानों में टर्र-टर्र करते है। जंगल के जीव भी राहत भरी साँस लेते है जैसे वे सभी इस ऋतु की बेताबी से प्रतीक्षा कर रहे हो। पपीहा भी पि कू हु का उद्द्घोष करके माहौल में मस्ती-सी भर देता है।
रात के समय झींगुर की झंकार एवं जुगनू की चमक पूरे माहौल में संगीन एवं रंग भर देती है। कुल मिलाकर ऐसा लग रहा होता है कि प्रकृति को नया रंग एवं आवाज मिल रही हो।
वर्ष ऋतु के पर्व
वर्षा का मौसम अपने विविध रंगो के साथ ही विभिन्न इतिहासिक पर्वो के लिए भी जाना जाता है –
- रक्षाबंधन – यह पर्व देश में भाई एवं बहनों के रिश्ते को विशेष महत्व देने वाला है। इस दिन कम से कम साल में एक बार हिन्दू भाई-बहन आपस में मिलकर ख़ुशी बांटते हुए खाते-पीते है।
- तीज – ये पर्व हिन्दू पत्नियों द्वारा पाने पति की दीर्घ आयु हेतु रखा जाने वाला व्रत है जिसमे घर के सदस्यों को बहुत सी स्वादिष्ट चीजों को खाने का मौका भी मिल जाता है।
- जन्माष्टमी – हिन्दुओं के आराध्य देव श्रीकृष्ण के जन्म की ख़ुशी में यह पर्व पुरे दिन भजन एवं मिठाई बाँटने के लिए होता है। कुछ भक्त इस दिन भगवान के लिए व्रत भी रखते है। देर रात्रि में पंचांग के अनुसार समय से पूजा एवं मिटाई अर्पण करने का कार्य होता है।
- श्री कृष्ण जयंती – ये पर्व भी इसी समय देशभर में बड़े उल्लास से मनाया जाता है।
- प्रकाश वर्ष – पंजाब और देश के अन्य सिख समुदाय के लोग गुरु के ज्ञान की याद इस पर्व को मनाकर खाने की वस्तुएं बाँटकर नगर कीर्तन भी करते है।
- ओणम – देश के दक्षिणी राज्य केरल में ग्रामीण लोगो काबड़ी धूमधाम से मनाया जाने वाला पर्व है जिसमे गाँव में सामूहिक नाव की प्रतियोगिता बहुत आकर्षक लगती है।
- गणेश पूजन – ये पर्व देशभर में और खासतौर पर महाराष्ट्र में बड़ी ख़ुशी एवं श्रद्धा से मनाया जाता है। भक्त इस दिन अपने सभी कार्यो की पूर्ति के लिए व्रत एवं उपासना करके श्रीगणेश की स्तुति गान करते है।
वर्षा के मौसम के फायदे
- यह मौसम गर्मी के जला देने वाले माहौल में राहत पहुँचाने का काम करता है और लोगो को ठंडक का अनुभव होता है।
- किसानों के खेती से जुड़े कार्य को करने में अच्छा वातावरण एवं संसाधन उपलब्ध हो जाते है। खेत की सिचाई के लिए अच्छी मात्रा में पानी मिलने लगता है।
- सूख चुके नदी-नाले, सरोवर एवं पोखर को भी जल की भरपूर आपूर्ति मिल जाती है।
- कुछ लोग तो बारिश के पानी को आधुनिक उपकरणों की मदद से एकत्रित करके भविष्य के कार्यों में इस्तेमाल करते है। हम जल संरक्षण पर निबंध से जल का महत्व समझ सकते है।
- धरती के जल स्तर में भी अभूतपूर्व सुधार देखने को मिलता है।
- प्रकृति में हर ओर हरियाली का माहौल नजर आता है।
- जंगल के शाकाहारी जानवर एवं पालतू जानवरों के लिए भरपूर चारे का इंतजाम हो जाता है।
वर्षा के मौसम से नुकसान
- जमीन काफी गीली हो जाती है जिससे गंदे होने एवं फिसलने का खतरा हो जाता है।
- ज्यादा वर्षा बहुत परेशानी भी देती है।
- कुछ स्थानों पर बाढ़ से जन जीवन एवं प्रकृति का विनाश हो जाता है।
- बहुत से संक्रामक बीमारियाँ भी फैलने लगती है जिनसे बच्चे-बूढ़े एवं अन्य लोग भी परेशान हो जाते है।
- छोटे गड्ढों एवं अन्य स्थानों पर पानी इकट्ठा हो जाता है जोकि मच्छर के जन्म एवं फैलने का कारण होते है।
वर्षा ऋतु पर निबन्ध- 3
वर्षा ऋतु का परिचय
इस ऋतु में ठंडा मौसम एवं हरियाली के दर्शन होते है। पीले एवं मुरझा चुके पेड़ दोबारा हरे-भरे हो जाते है और बगीचो में फुल एवं लताएँ खिल जाती है। कुंजो में कुछ लताएँ आपस में गले मिलते हुए भी दिखती है। तो दूसरी तरफ विभिन्न तालाब और नदियाँ भी जलमग्न होकर अपनी गति दिखाते है।
फूल खिले हुए एवं नदियाँ-कालिया अठखेलिया कर रही होती है। विभिन्न सागरों में भी नदियों का समाहित होना देखा जाता है। चारों ओर का हर स्थान एकदम धुलकर साफ सुथरा दिखता है। पूरा का पूरा वातावरण ठंडा एवं आनंददायक सा दिखता है। धरती का जीवन खुशी और उमंग से परिपूर्ण हो जाता है। लोग भी अपने परिजन एवं मित्रों के संग पिकनिक एवं घूमने फिरने का मजा लेते है।
वर्षा ऋतु के विभिन्न रूप
इस मौसम में आसमान के बादल भी एक झुण्ड के रूप में अटखेलिया करते दिखाई देते है। मेघों से भरे आसमान में इंद्र देवता की तलवार सी बिजली बार-बार चमककर वर्षा के आने का सन्देश देती है। बादलों की ये बिजली की चमक प्रकृति के कण-कण एवं कोने-कोने को मनमोहक नजारा बनाने का भी कार्य करती है।
बादलो की यह गर्जना कभी तो प्रलय मचाते से दिखते है तो कभी इनमे प्रदर्शित होता इंद्रधनुष अपनी सातों रंगो की छटा बिखेरकर लोगो का मन जीत लेता है। ठंडी हवाओं एवं फुहारों से पेड़-पौधे भी प्रकृति के गीत में नाचते से प्रतीत होते है।
श्रावन के दृश्य
सावन के मौसम की मनोहारी फुहार और मंद-मंद ठंडी हवा के आने से मोर भी अपने पंखो को खोलकर नृत्य का प्रदर्शन करते है। पोखरों में मेढ़को की टर्रने की आवाज एक अलग सा संगीत सुनाती है। खेतों में बगुलों का झुण्ड धरती पर आसमानी चाँदनी के आने का दर्शन देती है। नदियों में मछली भी अपनी क्रीड़ाएं दिखाने लगती है।
रात के समय जुगनू की चमक भी धरती पर तारों के आने का अहसास करवाती है। विभिन्न स्थानों पर केंचुएं, बिच्छू एवं अन्य बरसाती जीव सैर सपाटे का मजा लेते दिखते है।
चाँदनी रात
इस समय में चाँद की राते तो अन्य दिनों के मुकाबले काफी सुन्दर होती है चूँकि बारिश के बाद आसमान काफी स्वच्छ हो जाता है। पूरे चाँद की रात में पूरा नजारा दूधिया सा होता है। बारिश का विराट रूप तो अतिवृष्टि होती है।
इस अतिवृष्टि में बाढ़ की प्रलय के दर्शन होते है। किन्ही जगहों पर दूर तक घर, गलियां, सड़के एवं जल स्त्रोत पानी से लबालब दिखते है। जीवनभर की जुडी सम्पति, वस्तुएँ पानी रूपी देवता को अर्पित होती दिखती है।
बारिश की आंख-मिचौली
इस समय बारिश का आना-जाना देखने को मिलता है। वर्षा के आने के समय को लेकर विशेषज्ञ तक धोखा खा जाते है। बहुत बार आकाशवाणी एवं टीवी की मौसम अनुमान भी गलत हो जाते है। कभी बारिश एक उमड़ने एवं घुमड़ने की खबरे आती है तो कभी बिना गरज के ये बादल बरस के भी चले जाते है।
कभी तो आकाश एकदम साफ़ सा दिखता है तो कभी काली घटाएँ आकर अपना प्रकोप दिखा देती है। वर्षा के इस खेल के लिए एक कहावत भी है – ‘शनिच्चर की झड़ी, न कोठी न कड़ी’
बारिश के फायदे
बारिश के मौसम से खेत की फसल, पेड़-फूल इत्यादि खिल जाते है। इस मौसम के आ जाने के कई समय तक अकाल के हालात नहीं पैदा होते है। अच्छी फसल आने से खाद्य पदार्थ महँगा नहीं होता है। पहाड़ों से आने वाला पानी आस पास के स्थानों पर लोगों एवं जीवों की प्यास एवं अन्य पानी की जरूरतों को पूरी करता है। वातावरण का कूड़ा साफ़ हो जाता है, जलवायु भी स्वच्छ हो जाती है।
बारिश से नुकसान
बारिश का मौसम कुछ परेशानियाँ भी लेकर आता है। सड़के एवं सामान्य जीवन पूरी तरह से प्रभावित होता दिखता है। काम से बाहर निकले लोग भीग जाने के बाद बीमार भी होते है। लोगो का आना-जाना, खानपान एवं रात को सोना भी प्रभावित हो जाता है। विभिन्न पशुओ एवं कुत्ते-बिल्लियों में विभिन्न रोगो का संचार देखने को मिलता है।
किन्ही जगहों पर रुके पानी में मलेरिया मच्छर का प्रकोप मानव बस्ती तक पहुँचता है। आम जनता के बीच वायरल बुखार, टायफायड बुखार, डायरिया, डिसेंट्री, कोलेरा इत्यादि बीमारियों का प्रसार देखने को मिलता है।
उपसंहार
धरती पर जीवन सदा से ही अपने विशिष्ठ रंगों में चलता आया है। इन्ही रंगों में से वर्षा की ऋतु भी बहुत महत्व का रंग है। इसी मौसम को लेकर बहुत से नामी कवियों ने गीतों की रचना भी की है। यह मौसम प्रेम का भी सन्देश लेकर आता है साथ ही प्रकृति में सौंदर्य, वनस्पतियों में नव जीवन, नदियों में जल आपूर्ति, मानव मन में ख़ुशी-उमंग को भी पहुँचता है।
लेकिन सावधानी एवं बचाव की कमी होने पर कुछ प्राणी दुःखदायी बीमारी से पीड़ित होते है। कुछ बच्चे-बूढ़े एवं कमजोर लोग अपने प्राणो को भी खो बैठते है।
वर्षा ऋतु पर निबंध से जुड़े प्रश्न
वर्षा ऋतु का क्या महत्व है?
बारिश के मौसम का पृथ्वी एवं मनुष्य जाति में गहरा महत्व है। धरती पर जल के बिना जीवन की कल्पना करना भी कठिन है। बारिश के पानी से खेती को पानी मिलता है और नदियाँ, पोखर, नाले एवं कुँए भी भर जाते है।
वर्षा ऋतु इस क्या फायदा होता है?
बारिश से गर्मी से पेड़-पशुओं एवं मानव को राहत मिलती है। किसानी से जुड़े कार्यों में बहुत मदद हो जाती है। पीने के पानी के स्रोतों में जल की आपूर्ति होती है। नागरिक जल का संचय करके विभिन्न काम भी करते है।
वर्षा ऋतु की फसल क्या कहलाती है?
इस मौसम में उगने वाली फसलों को खरीफ की फसल कहते है। हमारे देश में ये फसल जून से सितम्बर महीने में होती है। ऐसी कुछ प्रमुख फसले धान, मक्का, सोयाबीन, मूँगफली, कपास इत्यादि है।