उत्तर प्रदेश के नागरिको को निःशुल्क कानूनी मदद देने के उदेश्य से राज्य सरकार ने सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में कानूनी सहायता रक्षा परामर्श प्रणाली (एलएडीसीएस) को शुरू किया है। यह कानूनी मदद 2 वर्षों की समयसीमा के लिए यूपी राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण में लागू हुई है।
अब लोगो के सामान्य मामलो को समझौता सूत्र से द्वारा सुलझाया जायेगा। अपने आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार क़ानूनी सहायता प्रणाली को लाने में सरकार का प्रयोजन सामाजिक रूप से निशक्त एवं वंचित समुदाय के नागरिको को अच्छा एवं कारगर क़ानूनी मदद के लिए अदालती क़ानूनी सेवा को मजबूती देनी है।
इस लेख में आपको यूपी फ्री क़ानूनी सहायता (एलएडीसीएस) को लेकर विभिन्न तथ्यों को जानने का अवसर मिलेगा।

यूपी फ्री कानूनी सहायता 2023
यूपी सरकार ने राज्य के नागरिको इस सुविधा का अच्छे से भागीदारी करके लाभ लेने की अपील भी की है जिससे अपराध के मामलो में सार्वजनिक रक्षण तंत्र की ही तरह से सामान्य लोगो को कानून की मदद दी जाए। यूपी फ्री कानूनी सहायता तंत्र में मुख्य, उप एवं सहायक काउन्सलिंग की सावों से सामान्य नागरिको को मदद दी जाएगी। यूपी में विशेष जाति के नागरिक अपना आय जाति निवास का प्रमाण-पत्र ऑनलाइन वेरिफाई कर सकते है।
यूपी फ्री कानूनी सहायता (एलएडीसीएस) के उद्देश्य
प्रदेश सरकार के एलएडीसीएस को लाकर राज्य के पिछड़े एवं कमजोर वर्ग के नागरिको को कारगर एवं अच्छी क़ानूनी सेवा देकर न्यायिक क़ानूनी सेवाओं को सशक्त करना है। इसके अलावा योग्य लोगो को अपराध संबंधी मामलो में गुणात्मक एवं कारगर क़ानूनी सेवा मिल सकेगी। प्रदेश में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के नागरिको को लाभ लेने एक अच्छा अवसर मिलेगा। किसी नागरिक के गैर-क़ानूनी व्यापार से परेशान लोगो को भी इस सेवा का फायदा मिलेगा।
एलएडीसीएस के लाभार्थी
- राज्य में परेशान बेटी, महिलाएँ और बच्चे।
- अन्धे, कोड़ी, बहरे और मानसिक रूप से कमजोर आदि अयोग्यता रखने वाले नागरिक या बंजारे लोग।
- सामूहिक विपदा, जातिगत हिंसा, वर्गों के अत्याचार, बाढ़, सूखा, भूकम्प या फिर औद्योगिक विपदा से परेशान नागरिक।
- उद्योगों के श्रमिक।
- 18 साल की उम्र तक के बालक।
- अभिरक्षा में निरुद्ध नागरिक।
- सुरक्षा घर, मानसिक हॉस्पिटल या फिर नर्सिंग होम के मानसिक रूप से कमजोर नागरिक।
- 3 लाख से कम सलाना आमदनी करने वाले नागरिक।
एलएडीसीएस के लाभ
- एलएडीसीएस मुख्य रूप से जिला एवं मुख्यालय स्तर के अपराध सम्बन्धी केसो में खासतौर पर क़ानूनी मदद देता है।
- सभी सेशन कोर्ट, स्पेशल कोर्ट, मजिस्ट्रेट कोर्ट एवं कार्यकारी न्यायालय के विभिन्न प्रकार के कामो के साथ प्रतिनिधित्व, टेस्ट एवं अपील कर सकते है।
- डिस्ट्रिक्ट कोर्ट/ ऑफिस में आने वाले लोगो को उनकी आत्मरक्षा हेतु क़ानूनी परामर्श एवं मदद देना।
- नालसा योजना में अरेस्ट होने से पहले की स्थिति में कानूनी मदद देना।
- फौजदारी के केसो में अरेस्ट होने के बाद रिमाण्ड तक, जमानत, ट्रायल और अपील जमा करने में।
वकीलों से सही एवं जल्दी सहायता मिलेगी
एलएडीसीएस उन नागरिको को सहायता देता है जिनके साथ अन्य लोगो ने ख़राब बर्ताव किया हुआ है या किसी के गलत काम का असर उनको हुआ हो। खासकर उन लोगो को मदद मिलती है जिनको किसी प्रकार के भेदभाव से पीड़ित होना पड़ा है। एलएडीसीएस यह तय करेगा कि इस प्रकार के नागरिको को योग्य वकीलों से समुचित एवं जल्दी सहायता मिल जाए। यह बहुत से नागरिक को सहायता देता जैसे – महिलाएँ, बालक, अन्धे-बहरे नागरिक या सीखने की कम क्षमता वाले लोग।
साथ ही इस प्रोग्राम के तहत अधिक भ्रमण करने वाले, कारखानों में काम करने वाले एवं नौजवान वर्ग जोकि कानूनन परेशानी में है। अगर ऐसे लोगो की आमदनी एक तय मात्रा से कम होगी तो वे इस प्रोग्राम से मदद पा सकते है।
वकील के रूप में नागरिको को मदद से सकेंगे
एलएडीसीएस सहायक की भाँति ही जो क़ानूनी सहायता देने हेतु कुछ क्षेत्रों अथवा ऑफिसो में कार्यरत है विशेषकर अपराध सम्बन्धी मामलो में। ये लोग कोर्ट में प्रभावित लोगो की सहायता कर सकेंगे वो चाहे केसो में हो अथवा अपील में और अलग तरह के कोर्टों में। ये संस्था कानूनन पीड़ित नागरिक को सहायता देगी। ये ऐसे नागरिको को परामर्श एवं सहायता देंगे जिनको अरेस्ट होने पूर्व एवं बाद में कोर्ट जाना होता है। ये जमानत पर छूटे एवं केसो से गुजरने प्रकार की बातो में सहायता देंगे।
राज्य के गरीबो को संजीवनी मिलेगी
आज के दौर में प्रदेश के बहुत से नागरिक आर्थिक रूप से कमजोरी का सामना कर रहे है। तो उनकी इस दयनीय स्थिति को देखते हुए सरकार ने ऐसी सेवा की घोषणा कर दी है जोकि उन लोगो के जीवन में संजीवनी के रूप में काम आएगी। अभी तो यह स्कीम सिर्फ दो ही सालो के लिए कार्यकारी हुई है। सरकार से ऐसे नागरिको को निःशुल्क क़ानूनी मदद और छोटे क़ानूनी विवादों को समझौते के तहत सुलझाने में पूरी मदद मिलेगी।
भारत में कानूनी मदद के प्रावधान
देश के संविधान के अनुच्छेद 39A के तहत गरीब एवं कमजोर वर्ग के लोगो को निःशुल्क विधिक मदद देते है। ऐसे सभी नागरिको के लिए न्याय को तय करते है। प्रदेश सरकार के लिए भी संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 22(1) में कानून के सम्मुख समानता एवं सभी को एक जैसा मौके के अनुसार न्याय देने वाली व्यवस्था तय करना जरुरी है।
भारत में निशुल्क क़ानूनी मदद लेना
कुछ नागरिको के पास वकील के लिए समुचित पैसे ना होने के कारण ही निःशुल्क कानूनी मदद देने के प्रावधान हुए है। केंद्र सरकार ने इस प्रयोजन के लिए साल 1997 में ‘विविध सेवा प्राधिकरण विभाग’ की स्थापना की है। सरकार का प्राधिकरण विभाग वकीलों की नियुक्ति कर लेता है और नागरिक बिना पैसे दिए क़ानूनी मदद लेते है। इन नागरिको के स्थान पर सरकार ऐसे वकीलों को पैसो का भुगतान करती है।
यूपी फ्री कानूनी सहायता (एलएडीसीएस) क्या है?
प्रदेश सरकार राज्य के गरीब लोगो को क़ानूनी मामलों में निःशुल्क मदद देगी।
नालसा स्कीम क्या है?
तस्करी एवं वाणिज्य यौन शोषण पीड़ितों के लिए विधिक सेवाए (स्कीम), 2015 मानी जाती है। इसमें सभी उम्र की महिलाओ को शामिल करते हुए गैर-क़ानूनी व्यापार से परेशान और सभी स्तर पर यानी रोकथाम, रक्षा और पुनर्वास संबन्धी के हल में विधिक मदद देता है।
वकील से परेशान होने पर क्या करें?
इस प्रकार के मामलो की शिकायत कोर्ट के बार एसोसिएशन अधिवक्ता और प्रदेश के राज्य अधिवक्ता संघ कर सकेंगे। उस वकील के राज्य अधिवक्ता परिषद में कर सकेंगे और शिकायत का एफीडेविट एवं वकील का रजिस्ट्रेशन नम्बर देना जरुरी है।