सुप्रीम कोर्ट के जज की चयन प्रक्रिया: भारत का सर्वोच्च न्यायलय (Supreme court) कई क़ानूनी अधिकार क्षेत्र में अदालतों के पदानुक्रम के भीतर सर्वोच्च न्यायालय है, देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा की जिम्मेदारी भारत के संविधान के दूसरे पार्ट के अधिनियम संख्या 32 के अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट ही निभाता है। भारत के संविधान के संवेदनशील मुद्दे सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुलझाए जाते हैं।
सर्वोच्च न्यायलय भारत की सबसे उच्च अपीलीय अदालत है जो राज्यों और केंद्रों शासित प्रदेशों के उच्च न्याययलयों के फाइल्स के खिलाफ अपील सुनता है। लेकिन क्या आप जानते हैं की सुप्रीम कोर्ट में फैसला सुनाने वाले जजों का चयन किस तरह किया जाता है और इसके लिए किन योग्यताओं की आवश्यकता होती है यदि नहीं तो यदि नहीं तो चलिए जानते हैं सर्वोच्च न्यायलय के जज की चयन प्रक्रिया की पूरी जानकारी।

सुप्रीम कोर्ट के जज की चयन प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के जज की चयन प्रक्रिया-भारतीय संविधान के तहत सुप्रीम कोर्ट को भारत के अंतिम और सर्वोच्च न्यायलय माना जाता है, भारत के मुख्य न्यायधीश (Chief Justice of India) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय संविधान के अधिनियम संख्या 124 के दूसरे सेक्शन के अंतर्गत होती है, मुख्य न्यायाधीश का पद भारतीय गणतंत्र का सबसे ऊँचा न्यायायिक पद है।
मुख्य न्यायधीश की नियुक्ति के कुछ प्रमुख बातें (सुप्रीम कोर्ट के जज की चयन प्रक्रिया)
- अनुछेद 124 (2) के अनुसार मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते समय राष्ट्रपति अपनी इच्छानुसार सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीशों के सलाह लेगा।
- सुप्रीम कोर्ट के भावी मुख्य न्यायाधीश को तात्कालिक समय में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जजों में होना आवश्यक है।
- पुराने मुख्य न्यायधीश और के सेवा निवृत और नए मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के समय भारत के कानूनी मंत्री तथा जस्टिस और कंपनी अफेयर्स का होना अनिवार्य है।
- देश के नए मुख्य न्यायधीश की नियुक्ति के बाद कानूनी मंत्री तथा जस्टिस, कंपनी अफेयर्स द्वारा सारा ब्यौरा भारत के तात्कालिक प्रधानमंत्री को सौंपा जाता है, जिसके बाद प्रधानमंत्री को मिले ब्यौरो के को मद्देनजर रखते हुए प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को मुख्य न्यायधीश की नियुक्ति के मामले में अपनी राय देते हैं।
- यदि किसी नियुक्त मुख्य न्याययधीश अपने पद की गरिमा को बनाए रखने में नाकामयाब रहता है या उनके विषय में कोई संदेह बनता है तो ऐसे में अनुछेद 124 (2) के तहत पैनल के बाकी जज के परामर्श के साथ नए मुख्य न्यायधीश की नियुक्ती की जाएगी।
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सर्वोच्च न्यायलय के जज की नियुक्ति के नियम
भारत के सर्वोच्च न्यायलय के जज के नियुक्त के समय राष्ट्रपति की नियुक्ति के समय उसे अनिवार्य उन्हें मुख्य रूप से मुख्य न्यायधीश की सलाह मानना अनिवार्य होगा। इसके लिए जज की नियुक्ति के नियम कुछ इस प्रकार है।
- अगर किसी कारणवर्ष सुप्रीम कोर्ट के जज का कोई पद रिक्त है, तो इसकी जानकारी भारत के मुख्य न्यायधीश द्वारा सबसे पहले कानून मंत्रालय को देते है, जिसके बाद कानून मंत्रालय द्वारा रिक्त पद के लिए नई अधिसूचना जारी की जाती है।
- मुख्य न्यायधीश की राय कॉलेजियम के चार सीनियर जज की राय से नए जज की नियुक्ति के लिए प्रेरित होनी चाहिए, नए जज की नियुक्ति में मुख्यन्यायधीश की राय इसलिए बेहद आवश्यक होती है क्योंकि नियुक्त जज उनके ही कार्यकाल में काम करते हैं।
- वह जज जिनके पास हाई कोर्ट उनके पैरेंट हाई कोर्ट की तरह हो, सुप्रीम कोर्ट के जज के नमश्वरे की आवश्यकता केवल इन्ही तक सीमित नहीं रहेगी, इनमे उन जजों को नहीं हटाया जा सकता जो तबादले के बाद हाई कोर्ट के न्यायधीश अथवा मुख्य न्यायाधीश के पद पर नीयकृत हो।
- नए जज के पद की अंतिम सिफारिश मुख्य न्यायधीश द्वारा हो जाने के बाद, यह कानून मंत्रालय में जाती है, इसके बाद इस सिफारिश को प्रधानमंत्री तक कानून मंत्रालय और न्याय विभाग मिलकर पहुँचाया जाता है।
- इसके बाद प्रधानमंत्री द्वारा सिफारिश में अपनी राय जोड़कर राष्ट्रपति को रिपोर्ट पेश की जाती है।
- न्ययाधीश की न्युक्ति होने के बाद उन्हें अपनी शारीरिक अनुकूलता का प्रमाण न्याय विभाग को सौंपना होता है जिसे सिविल सर्जन अथवा जिला मीडियल अफसर द्वारा अभिपत्रित होना अनिवार्य है, इसके बाद जज की नियुक्ति के दौरान उपस्थित लोगों को भी अपना मेडिकल प्रमाण पत्र जमा करना होता है।
- मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर देश के राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर कर देने के बाद भारत सरकार के न्याय विभाग के सचिव द्वारा इसका औपचारिक ऐलान किया जाता है और इनके द्वारा भारत के राजपत्र में आवश्यकता अनुसार औपचारिक नोटिफिकेशन जारी किया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट का जज बनने की योग्यता शर्तें
- सर्वोच्च न्यायालय का जज बनने के लिए व्यक्ति भारत का नागरिक होना चाहिए।
- एचसी का जज बनने के लिए व्यक्ति के पास लॉ की बैचलर डिग्री होनी आवश्यक है।
- व्यक्ति कम से कम हाई कोर्ट में पाँच साल तक जज रह चुका या उसे 10 साल तक वकालत का अनुभव हो।