भारत के इतिहास में सम्राट पृथ्वीराज चौहान का नाम वीर योद्धा एवं प्रतापी राजा के रूप में याद किया जाता है। इन्हे चौहान वंश में जन्मे अंतिम हिन्दू शासक के रूप में ख्याति मिली हुई है।
उन्होंने (Prithviraj Chauhan) अपने पिता को खोने के बाद मात्र 11 साल की आयु में दिल्ली और अजमेर की गद्दी को सम्हाल लिया था। और अपने राज्य का कई सीमाओं तक प्रसार किया था।

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पृथ्वीराज चौहान का इतिहास
कालांतर में राजनीति का शिकार होकर पृथ्वीराज को अपना राज्य हारना पड़ा। लेकिन उनके पराजित होने के बाद कोई भी हिन्दू राजा उनकी कमी को भर नहीं पाया। इनका नाम “राय पिरोथा” भी था। पृथ्वीराज अपने बाल्यकाल से ही युद्धकला में प्रवीण थे और युद्ध के अनेक गुणों को सीखा। इससे आगे बढ़ते हुए इन्होने शब्दभेदी बाण की विद्या को भी सिद्ध किया। पृथ्वीराज चौहान के जीवन पर बेस्ड एक फिल्म भी दर्शकों के बीच आने वाली है।
Prithviraj Chauhan Biography
नाम | पृथ्वीराज चौहान की जीवनी Prithviraj Chauhan Biography |
दूसरे नाम | भरतेश्वर, पृथ्वीराज तृतीय, हिन्दू सम्राट, सपादलक्षेश्वर, राय पिथौरा |
व्यवसाय | क्षत्रिय |
जन्म की तारीख | 1 जून, 1163 |
जन्म स्थल | पाटण, गुजरात (इण्डिया) |
पुण्य तिथि | 11 मार्च 1192 |
मृत्यु स्थल | अजयमेरु (अजमेर) राजस्थान |
पृथ्वीराज चौहान का जीवन परिचय – Prithviraj Chauhan Biography
पृथ्वीराज चौहान का जन्म, परिवार एवं प्रारंभिक जीवन
Prithviraj Chauhan Biography – देश के महान योद्धा पृथ्वीराज चौहान का जन्म साल 1 जून 1963 में पाटन (गुजरात) में हुआ था। उनके पिता अजमेर के राजा सोमेश्वर एवं माँ कपूरी देवी थी। अपने माता-पिता की शादी के 12 वर्षों बाद पृथ्वीराज का जन्म हुआ था। पृथ्वीराज एवं उनके छोटे भाई हरिराज का जन्म गुजरात में हुआ था। उनके जन्म के बाद से ही सूचना मिलते ही रियासत में उथल-पुथम का माहौल बन गया था और इस कारण से रियासत में पृथ्वीराज को मारने के प्रयास तेज हो गए थे।
किन्तु इन सभी षड्यंत्रों से ये सुरक्षित बचते चले गए। किन्तु मात्र 11 साल की अल्पायु में ही इनके पिता का देहांत हो गया। इसके बाद भी ये राज्य में अपने दायित्व को निभाते रहे थे। इन्होने बहुत से राजाओं को भी परास्त कर दिया जिससे इनके साम्राज्य का विस्तार होता चला गया।
पृथ्वीराज चौहान के मित्र
Prithviraj Chauhan Biography – पृथ्वी के बाल्यकाल के दोस्त चंदबरदाई थे जोकि उनके लिए भाई जैसे ही थे। चंदबरदाई तोमर वंश के राजा अंगदपाल की पुत्री की संतान थे। कालांतर में चंदबरदाई दिल्ली के भी राजा नियुक्त और इन्ही के समर्थन से पृथ्वी ने पिथौरगढ़ को बनाया। यह वर्तमान में दिल्ली के पुराने किले के नाम से स्थित है।
पृथ्वीराज चौहान की शिक्षा और भाषाओ का ज्ञान
पृथ्वीराज चौहान को अपनी आरंभिक शिक्षा राजस्थान में अजमेर के सरस्वती कंठाभरण विद्यापीठ से प्राप्त की थी। इस समय ये विद्यापीठ अढ़ाई दिन के झोपड़े के एक इतिहासिक जगह में मौजूद है। पृथ्वी ने अपने छोटे भाई हरिराज के साथ मिलकर करीबन 6 भाषाओं की जानकारी प्राप्त की थी। पृथ्वी ने यहाँ पर संस्कृत, प्राकृत, मगधी, पैशाचिक और अपभ्रंश भाषाओं की जानकारी प्राप्त की। अपनी प्रारंभिक शिक्षा के साथ ही यही पर उन्होंने वेदांत, पुराण, इतिहास, सैन्य विज्ञान, मीमांसा एवं चिकित्सा इत्यादि की शिक्षा को ग्रहण किया।
पृथ्वीराज चौहान की शब्दभेदी तीरंदाजी
Prithviraj Chauhan Biography – जिस प्रकार से रामायण जैसे उपन्यासों में शब्दभेदी बाण को चलाने के बारे में वर्णन दिया जाता है। ठीक उसी प्रकार पृथ्वीराज ने भी शब्दभेदी तीरंदाज़ी के विषय में ज्ञान प्राप्त किया हुआ था। पृथ्वी के दादाजी अंगम्म ने उनको इस तीरंदाजी की शिक्षा प्रदान की थी। वो उस समय पर दिल्ली के राजा हुआ करते थे। पृथ्वी ने बहुत ही अल्पायु में शब्दभेदी तीरंदाजी में महारत प्राप्त कर ली थी। इसके अतिरिक्त चंदबरदाई ने संगीत और चित्रकला की भी शिक्षा प्राप्त की थी। पृथ्वी से चंदबरदाई से अपना एक चित्र भी बनवा लिया था।
13 साल की आयु में शासक बने
Prithviraj Chauhan Biography – पृथ्वीराज चौहान ने मात्र 13 साल की अल्पायु में ही अपने पिता (सोमेश्वर चौहान) की मृत्यु होने पर राजगद्दी को सम्हाल लिया था। पृथ्वी अपने पिता के उत्तराधिकारी के रूप में अजमेर रियासत के सिंहासन पर आसीन हुए थे। यद्यपि उनकी आयु बहुत कम थी लेकिन फिर भी उन्होंने एक राजा के सभी कर्तव्य अच्छे से निर्वाह किये।
पृथ्वीराज का दिल्ली उत्तराधिकार
अजमेर की रानी कपूरीदेवी पिता अंगपाल की एकमात्र संतान थी। इस कारण से राजा अंगपाल अपने सिंहासन के उत्तराधिकारी के लिए काफी परेशान थे। वे यह खोज रहे थे कि उनके बाद उनके राज्य को कौन संभालेगा। उन्होंने अपनी बेटी एवं दामाद के सामने इच्छा जाहिर की कि दोहित्री को अपने राज्य का उत्तराधिकारी बनाने की इच्छा रखते है। साल 1166 में महाराज अंगपाल के देहांत होने के बाद पृथ्वीराज को दिल्ली के संहासन पर बैठाया गया और उन्होंने दिल्ली का कामकाज अपने हाथों में ले लिया।
पृथ्वीराज की प्रेम कहानी
Prithviraj Chauhan Biography – राजस्थान के इतिहास में कभी ना भुलाने वाली कहानी के रूप में पृथ्वीराज और रानी संयोगिता की प्रेम कहानी आज भी प्रासंगिक है। दोनों ने एक दूसरे से मिले बगैर ही मात्र एक दूसरे के चित्र को देखकर प्रेम कर लिया था। किन्तु संयोगिता के पिताजी जयचंद्र की पृथ्वी को लेकर द्वेष की भावना रहती थी। वे तो पृथ्वी और संयोगिता की शादी होने के बारे में विचार भी नहीं कर सकते थे। जयचंद्र ने हमेशा से ही पृथ्वीराज को अपमानित करने के अवसर को ढूँढा। इसी प्रकार का अवसर उनको अपनी पुत्री के स्वयंवर में मिला था।
जयचंद्र ने अपनी पुत्री संयोजित के स्वयंवर का आयोजन करवाया। इस स्वयंवर में उन्होंने देशभर के राजाओं को बुलवाया। जयचंद्र ने पृथ्वी को नीचा दिखाने के लिए उनके रूप की एक मूर्ति को बनवाकर दरवाजे पर स्थापित करवाया। किन्तु पृथ्वी ने भी रानी संयोजित की सहमति से ही भरे दरबार में उनको अपहरण कर लिया।
पृथ्वी और संयोगिता का विवाह
इसके बाद वो रानी को अपने राज्य में लेकर गए। इसके बाद दोनों में दिल्ली में आकर सभी विधि-विधान से शादी कर ली। किन्तु इस घटना के बाद से ही पृथ्वी और जयचंद्र के बीच दुश्मनी को और भी बढ़ गया।
पृथ्वीराज की बड़ी सेना
पृथ्वी के पास एक बड़ी विशाल सेना का बेडा था जिसमें 3 लाख सैनिक एवं 300 हाथी थे। ऐसा कहते है कि पृथ्वी की सेना बहुत ही अच्छे से संघठित हुआ करती थी। इस वजह से ही उन्होंने अपनी सेना के दम पर कई लड़ाईयाँ जीती थी और अपने साम्राज्य का काफी विस्तार भी किया। किन्तु कुछ समय बाद अच्छे घुडसैनिको की कमी, जयचंद्र की गद्दारी एवं दूसरे राजपूत राजाओं से सहयोग की कमी के कारण पृथ्वी मुहम्मद गौरी से हुए दूसरे युद्ध में पराजित हो गए।
पृथ्वीराज चौहान का मोहम्मद गौरी से पहला युद्ध
Prithviraj Chauhan Biography – पृथ्वीराज ने हमेशा से ही अपने साम्राज्य का विस्तार किया और इसी क्रम में वे पंजाब तक जा पहुँचे। उस समय मोहम्मद शहाबुद्दीन गौरी के हाथ में पंजाब की कमान थी। किन्तु पृथ्वी ने अपनी प्रतापी सेना को लेकर पंजाब में चढ़ाई कर दी। इस लड़ाई में पृथ्वी ने पहले तो हांसी को जीता फिर सरस्वती और सरहिंद नाम के स्थानों को अपने कब्जे में ले लिया। यद्यपि इस लड़ाई में मोहम्मद गौरी बहुत ज्यादा चोटिल होने के बाद भी बच गया था। इसकी मुख्य वजह यह थी कि मोहम्मद गौरी के साथी सैनिको ने युद्ध भूमि में चोटिल होने के बाद घोड़े के द्वारा बाहर कर दिया था।
इसके बाद मोहम्मद गौरी को इस लड़ाई में बड़ी शिकस्त झेलनी पड़ी थी। पृथ्वी और गौरी के मध्य यह लड़ाई सरहिंद नाम के क्षेत्र में तराइन स्थान पर लड़ी गयी थी। इस लड़ाई में जीत के बाद पृथ्वी ने 7 करोड़ से भी अधिक संपत्ति प्राप्त की थी। इसमें से कुछ संपत्ति का भाग अपने पास रखा और कुछ को सिपाहियों में बँटवा दिया।
पृथ्वीराज चौहान का मोहम्मद गौरी से दूसरा युद्ध
Prithviraj Chauhan Biography – पृथ्वी और रानी संयोगिता ने आपसी सहमति से जयचंद के दरबार से भागकर शादी कर ली थी। इसी के बाद से ही जयचंद्र के मन में पृथ्वी को लेकर बहुत द्वेष की भावना घर कर गयी थी। इस कारण से ही वह दूसरे ठाकुरों को पृथ्वी के विरुद्ध भड़काने में लग गया। किन्तु जयचंद्र के हाथ में बड़ा अवसर उस समय आया जब उसे यह सूचना मिली कि पृथ्वीराज और गौरी के बीच में लड़ाई हो रही है। इस बात को जानते ही जयचंद्र में गौरी को सहायता करने की ठान ली थी।
साल 1192 में जयचंद्र ने मो. गौरी के साथ मिलकर पृथ्वीराज पर हमला कर दिया। अपने ऊपर हो रहे युद्ध की खबर पाते ही पृथ्वी ने दूसरे राजाओं से सहायता करने की पेशकश की। किन्तु दूसरे राजाओं ने पृथ्वी की स्वयंवर वाली घटना के कारण मदद पहुँचाने से इंकार कर दिया। लेकिन इसके बाद भी पृथ्वी ने हिम्मत नहीं हारी और इस लड़ाई के लिए एक बड़ी सेना को एकत्रित कर लिया।
गौरी ने भी गजनी नाम की जगह में रहने वाले अपने भाई गियास-उद-दीन से बातचीत का समय लिया। इसके बाद गौरी ने अपनी ताकत का नेतृत्व किया और पृथ्वी पर चढ़ाई कर दी किन्तु पृथ्वी ने भी गौरी को युद्ध में कड़ी टक्कर दी। इस लड़ाई में गौरी के पास बहुत ही अच्छे घुड़सवार थे और जयचंद ने मोहम्मद गौरी को पृथ्वी के बारे में बहुत सी बाते बता दी थी। इस लड़ाई में दोनों तरफ काफी खून-खराबा हुआ था। किन्तु इस लड़ाई में पृथ्वीराज को बहुत बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। इस लड़ाई को तराइन में लड़ा गया था तो इस वजह से ही इसे तराइन का द्वितीय युद्ध भी कहा जाता है।
युद्ध में पराजय की स्थिति हो जाने पर पृथ्वी को एक घोड़े से भागना पड़ा किन्तु उनको गोरी की सेना ने पृथ्वीराज को सरस्वती किले (इस समय सिरसा) के पास में ही पकड़ लिया और चंदवरदाई को भी बंदी बना लिया। इसके बाद दोनों को बहुत दिनों तक कारागार में गुजारने पड़ें। लेकिन सबसे मुख्य बात तो यह रही कि मोहम्मद गौरी ने जयचंद्र को भी नहीं छोड़ा। जयचंद्र को मोहम्मद गौरी के सिपाहियों ने मार दिया।
गौरी ने इसके तुरंत बाद ही अजमेर पर चढाई करते हुए बहुत भारी संख्या में रक्षकों को मारकर वहां पर अपना कब्ज़ा कर लिया। अजमेर में कब्जा लेने के बाद यहाँ के लोगों को गुलाम बनाया गया और बहुत से मंदिरों को तोड़ दिया गया।
पृथ्वीराज की मृत्यु
Prithviraj Chauhan Biography – ज्यादातर मध्ययुगीन स्त्रोतों से जानकारी मिलती है कि पृथ्वीराज को चौहानों की राजधानी अजमेर में ले गया था। यहाँ पर पृथ्वी को गौरियों के अंतर्गत एक राजा की तरह बहाल करने की तैयारी की गयी। लेकिन ऐसा होने के कुछ ही समय बाद पृथ्वी ने गौरी का विरोध कर दिया जिस कारण से पृथ्वी की हत्या कर दी गयी। पृथ्वीराज के जीवन पर आधारित ग्रन्थ पृथ्वीराज रासों में वर्णन है कि पृथ्वीराज को कैदी की तरह गजनी लेकर जाया गया और अँधा भी किया गया।
ये खबर सुनने के बाद कवि चंद बरदाई ने गजनी शहर की यात्रा शुरू कर दी और यहाँ पर गजनी को चकमा देते हुए पृथ्वीराज के तीर से मोहम्मद गौरी के तीर से मरवा दिया। यहाँ पर पृथ्वी ने अपने शब्दभेदी बाण की कला का प्रदर्शन किया और कवि चंदबरदाई ने अपनी कविता के द्वारा बिना आंख के पृथ्वी को गौरी की स्थिति का वर्णन दिया। इसके तुरंत बाद में ही चंदबरदाई और पृथ्वीराज ने भी एक-दूसरे की हत्या कर दी।
बहुत से विद्वान इस कहानी को काल्पनिक मानते है चूँकि इसके समर्थन में कोई प्रमाण नहीं मिले है। एक मत यह है कि पृथ्वी का देहांत होने के बाद मोहम्मद गौरी ने पुरे 10 वर्षो से ज्यादा समय तक राज किया। पृथ्वीराज की मौत हो जाने के बाद गौरियों ने उनके बेटे गोविंदराज को अजमेर के राजसिंहासन पर नियुक्ति दी थी। साल 1192 में ही पृथ्वी के छोटे भाई हरिराज ने भी गोविंदराज को हटवाकर अपने पैतृक रियासत का भाग वापिस पा लिया था।
गोविंदराज ने रणस्तम्भपुरा (वर्तमान रणथम्भौर) पहुँचा और यहाँ पर गौरी के अधिपत्य में राजाओं की एक नयी चौहान शाखा की स्थापना कर दी। इसके बाद गौरियों के सेनापति क़ुतुब-उद-दीन-ऐबक ने हरिराज को पराजित कर दिया।
सम्राट पृथ्वीराज चौहान की मूवी
पृथ्वीराज चौहान फिल्म को बड़े बजट में तैयार करवाया गया है। फिल्म में प्रसिद्ध एवं अनुभवी अभिनेता अक्षय कुमार को पृथ्वीराज के रोल में दिखाया गया है। फिल्म में मिस इण्डिया मानुषी चिल्लर, संजय दत्त एवं सोनू सूद ने भी मुख्य निभाई है। मानुषी ने संयोगिता की भूमिका निभाई है। सोनू सूद ने चंदबरदाई और संजय दत्त ने काका कान्हा की भूमिका अदा की है। काका कान्हा पृथ्वीराज चौहान के चाचा थे।
इस फिल्म के ट्रेलर को साल 2021 में रिलीज़ किया गया था। इस मूवी के लिए 3 बार रिलीज़ डेट को बदला गया था। अपने ट्रेलर के दौरान फिल्म को 21 जनवरी में रिलीज़ करने की बात कही गयी थी। इसके तुरंत बाद बोर्ड ने मूवी की रिलीज़ की तारीख को बदलकर 1 अप्रैल करा दिया। किन्तु किन्ही कारणों से फिल्म को 10 जून 2022 में ही रिलीज़ किया जा सका।
सम्राट पृथ्वीराज चौहान से सम्बंधित प्रश्न
सम्राट पृथ्वीराज कहाँ के शासक थे?
पृथ्वीराज ने 11वीं शताब्दी में एक बड़े राज्य पर शासन किया था। इनका राज्य उत्तरी अजमेर से दिल्ली तक था।
पृथ्वीराज ने कितनी भाषाओं की शिक्षा ली थी?
पृथ्वीराज ने संस्कृत, प्राकृत, मगधी, पैशाचिक और अपभ्रंश भाषाओं की शिक्षा प्राप्त की थी।
पृथ्वीराज चौहान किस समाज के है?
पृथ्वीराज विजय महाकाव्य के के पृथ्वीराज के किले को गुर्जर दुर्ग कहा गया है। और इसी में अन्य स्थान पर गुर्जरों से गौरी के हारने की बात कही गयी है। इससे यह ज्ञात होता है कि पृथ्वीराज गुर्जर समुदाय से सम्बन्ध रखते थे।
पृथ्वीराज की पत्नियाँ के नाम क्या थे?
इनकी पत्नियों के नाम इस प्रकार से है – जम्भावती पडिहारी, पंवारी इच्छनी, दाहिया, जालन्धरी, गूजरी, बडगूजरी, यादवी पद्मावती, यादवी शशिव्रता, कछवाही, पुडीरनी, शशिव्रता, इन्द्रावती, संयोगिता गाहडवाल।