नवनिर्मित राज्य झारखंड के मुख्यमंत्रीजी के माध्यम से वर्ष 2020 में प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों के लिए एक उपयोगी योजना को शुरू किया गया। योजना का उद्देश्य गाँव के लोगों को रोज़गार प्रदान करना है। सम्बंधित किसानों के खेतों के जल को खेत में रोका जाता है जिससे खेती करने वाले किसानों को विभिन्न प्रकार से लाभ हो सकें। इस प्रकार से लगभग 5,00,000 करोड़ लीटर जल का राज्यभर में संरक्षण हो सकेगा। नीलाम्बर पीताम्बर जल समृद्धि योजना ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले सभी लोगों को लाभान्वित करेगी और उनके जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करेगी।
योजना के शुरू होने के बाद गाँव के स्थानीय निवासियों को उनसे समबन्धित काम एवं पंचायतों में रोज़गार मिलेगा। साथ ही गाँव का पानी गाँव और खेत के ही काम आ सकेगा। इस प्रकार से बहुत समय से गाँव में चली आ रही जल की समस्या भी दूर हो जाएगी। जैसा कि हम सभी जानते है कि अच्छी मात्रा में पानी मिल जाने से किसानी का काम बहुत अच्छा हो जाता है। मुख्यमंत्रीजी की योजना के परिणाम अब दिखने लगे है और ग्रामीण नागरिक इससे जुड़कर जल संरक्षण में भागीदार बन रहे है। इस लेख के अंतर्गत आपको नीलाम्बर पीताम्बर जल समृद्धि योजना से सम्बंधित सभी जानकारियों के विषय में बताया जायेगा।

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योजना का नाम | नीलाम्बर पीताम्बर जल समृद्धि योजना |
उद्देश्य | राज्य के ग्रामीण नागरिको को रोज़गार देना |
लाभार्थी | झारखंड के नागरिक |
श्रेणी | सरकारी योजना |
माध्यम | ऑनलाइन/ ऑफलाइन |
आधिकारिक वेबसाइट | https://www.jharkhand.gov.in/ |
नीलाम्बर पीताम्बर जल समृद्धि योजना का उद्देश्य
एक अनुमान के अनुसार झारखंड राज्य में प्रत्येक साल लगभग 1,300 से 1,400 मिमी वर्षा होने के बाद 70 प्रतिशत पानी बह जाता है। पानी के व्यर्थ बह जाने का प्रमुख कारण राज्य का 70 प्रतिशत पठारी क्षेत्र है। साथ ही, राज्य के पास अन्य प्रदेशों की तरह छोटे चेक बांधों की सुविधा भी नहीं है जो पानी का जमाव करें और इसके प्रवाह को रोक लें। यही कारण है कि राज्य के बहुत से जिलों में जल संकट पाया जाता है। इन सभी समस्याओं को दूर करने के लिए नीलाम्बर पीताम्बर योजना को शुरू किया गया है। बारिश के पानी को ट्रेंच कम बंड को बनाकर संरक्षित किया जायेगा। मनरेगा के अंतर्गत बनाने वाले सिचाई के कुओं से किसानों को बड़े पैमाने पर सिचाई सुविधा मिल सकेगी।
Nilamber Pitamber Jal Samriddhi Yojana का प्रभाव
प्रदेश के मुख्यमंत्री के अनुसार योजना के परिणाम अब नगर आने लगे है। ग्रामीण लोग योजना में उत्साहपूर्वक भागीदारी करके जल संरक्षण में सहायता कर रहे है। यही वजह है कि गाँव के कृषि उत्पाद बढ़ रहे है और ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि आ रही है। वर्तमान समय में योजना को प्रदेश की 4 पंचायतों के अंतर्गत चलाया जा रहा है। बहुत से क्षेत्रों के बंजर खेतों को भी फिर से उपजाऊ होने की सुचना मिल रही है। योजना के कार्य को करने के लिए स्थानीय लोगों को सम्बंधित गाँव एवं पंचायतों में रोज़गार दिए जा रहे है। अभी राज्य में 3,32,963 योजनाओं को कार्यान्वित करने का लक्ष्य है, जिसमे से 1,97,228 योजनाएँ पूर्ण हो चुकी है।
Nilamber Pitamber Jal Samriddhi Yojana के मुख्य बिंदु
- जल समृद्धि योजना का निर्माण राज्य के ग्रामीण लोगों की समृद्धि को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
- सही प्रकार से किर्यान्वन के बाद जल की समस्या का स्थाई समाधान हो सकेगा।
- 1 वर्ष के कम समय से बाद ही योजना के बेहतर परिणाम आपने शुरू हो गए है।
- योजना के माध्यम से सैकड़ों गाँव की पहाड़ियों के आसपास की जमीन में लूज बोल्डर स्ट्रक्चर तैयार हुए है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिगत जल स्तर में वृद्धि देखी जा रही है।
- योजना के पहले बह जाने वाले “70 प्रतिशत वर्षा के पानी” को बचाने का प्रयास होगा।
- बारिश का बह जाने वाला पानी संरक्षित होकर गाँव की सिचाई में प्रयुक्त करना है।
- पुराने समय की परिस्थितियों में प्रदेश के पलामू, गढ़वा, लातेहार जैसे जल संकट से जूझना पड़ता था।
- योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों के साथ पुरे प्रदेश में जल समृद्धि को विकसित किया है।
- पहले ही वित्तीय वर्ष में में लगभग 25 हज़ार एकड़ जमीन पर बागवानी हुई है और इस वर्ष 21 हज़ार एकड़ भूमि पर बागवानी का कार्य चल रहा है।
- सीआईएमई (CIME) के आँकड़ों के अनुसार, अभी तक राज्य गंभीर बेरोज़गारी दर 47.1 प्रतिशत से गुजर रहा है जो की राष्ट्रीय बेरोज़गारी दर 23.5 प्रतिशत से दुगनी है।
जल समृद्धि योजना के लिए पात्रताएँ
- आवेदक झारखंड का स्थायी निवासी हो।
- योजना सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों के निवासियों के लिए होगी।
- मज़दूर वर्ग के लोगों को विशेष वरीयता मिलेगी।
- बेरोज़गार वर्ग के श्रमिकों को भी विशेष रूप से लाभार्थी बनाया जायेगा।
- लाभार्थी के पास माँगे जा रहे सभी प्रमाण पत्र होने चाहिए।
आवेदन हेतु दस्तावेज
- उम्मीदवार ग्रामीण का आधार कार्ड
- पैन कार्ड
- ग्रामीण का मूल निवास प्रमाण पत्र
- श्रमिक कार्ड
- प्रवासी प्रमाण पत्र
- व्यक्ति की आय का प्रमाण पत्र
- जाति का प्रमाण पत्र
- खेत की जमीन के कागज
- पासपोर्ट आकार के फोटो
- मोबाइल नंबर
नीलाम्बर पीताम्बर जल समृद्धि योजना की आवेदन प्रक्रिया
योजना के अंतर्गत लाभार्थी बनाने के लिए थोड़ा इन्तेजार करना होगा चूँकि सरकार ने अभी सिर्फ योजना की घोषणा ही की है। अभी भी इसकी आवेदन प्रक्रिया की घोषणा नहीं हुई है। इसकी आवेदन प्रक्रिया आते ही आपको आधिकारिक वेबसाइट पर सुचना मिल जाएगी।
योजना के लाभ
- योजना के माध्यम से अगले 5 वर्षों में झारखण्ड राज्य में लगभग 6 लाख प्रवासी एवं स्थानीय श्रमिकों को रोज़गार के अवसर तैयार किये जायेंगे।
- केंद्र की योजना के साथ समन्वय करके 10 करोड़ मानव दिवस कार्यों का सृजन हो सकेगा।
- वर्षा के जल का बहाव कम होगा और टांड खेत के पानी को रोककर जमीन का का संवर्धन और उपजाऊपन में विकास होगा।
- ऊपरी जमीन में नमी की मात्रा में विकास होगा।
- प्रदेश सरकार का लक्ष्य के अनुसार लगभग 5 एकड़ खेती की जमीन की सिचाई करना है।
- ग्रामीण क्षेत्रों के सार्वजनिक स्थानों में नए कुँए एवं हैंडपंप की भी व्यवस्था करने की योजना है।
- इन सभी कार्यों के लिए स्थानीय श्रमिकों को दैनिक वेतन देकर काम करवाया जायेगा।
- ग्रामीण क्षेत्रों के निवासियों को खेती एवं दैनिक आवश्यकता के लिए सुचारु पानी की व्यवस्था मिलने लगेगी।
- योजना को गाँव के एक शहीद जवान के नाम से शुरू किया है।
- यदि हम मोटे तौर पर देखे तो जल संरक्षण के कार्य भूजल पुनर्भरण, वर्षा जल भण्डारण, जल संरक्षण इकाइयों का निर्माण और भूजल को चलाने इत्यादि कार्य किये जाने है। इन सभी कार्यों से ही श्रमिक वर्ग को अच्छे वेतन पर कार्य मिलेगा।
नीलांबर-पीतांबर योजना में गढ़वा को पहला स्थान
प्रदेश सरकार की बहुउद्देश्यीय योजना के अंतर्गत वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना एवं बिरसा हरित ग्राम योजना में गढ़वा जनपद ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है। गढ़वा जिले ने 4,541 योजनाओं के क्रियान्वयन के माध्यम से राज्यभर में पहला स्थान प्राप्त किया है। इसके अतिरिक्त वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना के अंतर्गत 61 खेल मैदान का विकास करके प्रदेश में दूसरा स्थान पाया है। यह जानकारी उपायुक्त हर्ष मंगला के माध्यम से प्राप्त हुई। उनके अनुसार योजना के माध्यम से टीसीबी, मेड़बंदी, नहर की रिपेरिंग जैसे कार्यों को करके जल संरक्षण का कार्य युद्ध स्तर पर किये जा रहे है। योजना का पहला एवं अंतिम लक्ष्य बारिश के पानी को खेतों में ही संचित कर लेना। अधिकारियों के अनुसार ग्रामीणों एवं लाभार्थियों में योजना को लेकर बहुत उत्साह देखने को मिल रहा है।
नीलांबर-पीतांबर योजना के अपडेट्स
देश के एक प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र से मिली रिपोर्ट के अनुसार जल के संरक्षण से सम्बंधित इस योजना के कार्यान्वन के बाद वर्तमान समय में रोज़गार रोज़गार के साधनों का सृजन हो जायेगा। इसके अतिरिक्त आने वाले समय के लिए जल का भी संरक्षण होगा जिससे खेतों के लिए पानी की व्यवस्था हो सकेगी। समय से साथ ऊपर जमीन की नमी एवं उर्वरा शक्ति का विकास होगा। मुख्यमंत्रीजी द्वारा शुरू की गयी 1200 करोड़ रुपए की पंचवर्षीय योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि योजना की कुल लागत के बजट का 90 प्रतिशत केवल श्रम भुगतान पर खर्चा जाना है।
मनरेगा के अंतर्गत चलाई जा रही योजना के लिए विस्तृत ब्लू प्रिंट बनाकर उस पर कार्य करना भी शुरू हो चुका है। जिससे 10 करोड़ कार्य दिवसों के निर्मित होने की उम्मीद जताई जा रही है। पहले वर्ष में 5 लाख हेक्टेयर जमीन का ट्रीटमेंट होना है। खेत में पानी का रुकाव करने के लिए प्रत्येक पंचायत को 200 हेक्टेयर का काम सौपा जायेगा। योजना के ब्लू प्रिंट का खाका तैयार करते समय झारखंड का एग्रो क्लाइमेट जोन-7 में अंतर्गत आने के बिन्दु पर ध्यान दिया गया है। बारिश के पानी को ऊपर रोकने के लिए दो तरह की टांड़ भूमि की मेढ़बंधी की जानी है। जिन क्षेत्रों में 5 से 20 प्रतिशत के ढलान होंगे वहाँ ट्रेंच कम बॉन्ड बनेगें। जिन खेतों में 5 प्रतिशत से कम ढलान होगी, वहाँ खेतों में फील्ड बंड के माध्यम से पानी का बहाव रोका जायेगा।
नीलाम्बर पीताम्बर जल समृद्धि योजना से सम्बंधित प्रश्न
नीलाम्बर योजना देश के किस राज्य के नागरिकों के लिए है?
यह योजना देश में झारखण्ड राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में क्रियान्वित की जा रही है।
योजना में किन लोगो को लाभार्थी बनाया जायेगा?
प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के किसान एवं श्रमिक वर्ग के नागरिकों को योजना में प्रमुख रूप से लाभ पहुँचाया जाना है।
नीलाम्बर पीताम्बर जल समृद्धि योजना को कब शुरू किया गया था?
योजना को वर्ष 2020 में झारखंड के मुख्यमंत्रीजी द्वारा शुरू किया गया था।