हमारे देश में राजनीति का क्षेत्र काफी विस्तृत है और संविधानिक व्यवस्था के अनुसार इसमें बहुत से पदों का वर्गीकरण भी किया गया है। एमएलसी एक तरह से राजनीति का भाग होता है जोकि काफी चर्चित है।
क्या है MLC, क्या आप MLC का फुल फॉर्म जानते है MLC क्या है यह इतना चर्चित क्यों है इसकी क्या महत्व है एमएलसी का चुनाव कैसे लड़े एमएलसी बनने के लिए क्या की योग्यता अनिवार्य है।
इस लेख के माध्यम से एमएलसी की फुल फॉर्म के बारे मे पूरी जानकारी देंगे जिससे आपको अधिक से अधिक जानकारी मिल सके।
एमएलसी फुल फॉर्म क्या है?
एमएलसी फुल फॉर्म होती है – मेम्बर ऑफ लेजिसलेटिव काउंसिल। एमएलसी विधान परिषद का सदस्य होता है। MLC का कार्यकाल 6 साल होता है इस समय के लिए इन्हे एमएलसी के लिए चुना जाता है। 2 साल मे विधान परिषद के एक तिहाई या कुछ मेम्बर समाप्त हो जाते है MLC के कुछ मेम्बर को राज्यों के राज्यपाल के द्वारा चुना जाता है।
विधान परिषद में हर साल एक तिहाई मेम्बर अपनी पोस्ट से त्याग देते हैं अब यह पर इनके पद पर नया मेम्बर नियुक्त होता है। जब विधान सभा मे किसी उम्मीदवार की मृत्यु होने या अपनी पोस्ट से त्यागपत्र देने पर इनके स्थान पर नए सदस्यों को नियुक्त करते है। इन परिस्थितियों मे उस पोस्ट के लिए चुनाव होते है जिससे जिम्मेदारियों को संभाला जा सके।
जिसके पद पर नया उम्मीदवार चुना जाता है उसका कार्यकाल तब तक रहेगा जितना पुराने उम्मीदवार का कार्यकाल है। प्रशासनिक जाँच पड़ताल करने वाले सरकार को ईडी विभाग की मदद मिलती है।
विधान परिषद का गठन
संविधान के अनुच्छेद 169, 171 (1) 171 (2) में विधान परिषद के गठन का प्रावधान है। विधानसभा मे उपस्थिति मेम्बर पारित प्रस्ताव को संघीय संसद के पास भेजते है उसके बाद लोकसभा और राज्यसभा बहुमत से प्रस्ताव पारित करती है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए प्रस्ताव भेजते है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद विधानसभा को मंजूरी मिल जाती है।
विधान परिषद (राज्यों के नाम)
विधान परिषद किन-किन राज्यों मे है।
- उत्तर प्रदेश
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- बिहार
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- हाल ही मे पश्चिम बंगाल की सरकार ने विधान सभा परिषद की स्थापना का निर्णय लिया है।
मेम्बर ऑफ लेजिसलेटिव काउंसिल के कार्य
- बिल को स्वीकृत व अस्वीकृत करना एमएलसी का कार्य होता है ।
- विधानमंडल के मेम्बर भी एमएलसी मे लिप्त होते है।
- विधान परिषद मे जितने भी कार्य होते है सारी जिम्मेदारी एमएलसी की होती है।
- एमएलसी मंत्री मण्डल मे कानून व्यवस्था को बनाये रखने मे कानून समस्याओ पर डिस्कस एवं अपना ऑफर भी रखती है।
एमएलसी बनने के लिए योग्यता
- वह भारत का नागरिक हो।
- उम्र 30 वर्ष होनी चाहिए।
- राज्य की वोटर लिस्ट मे नाम हो।
- मानसिक रूप से कोई परेशानी नहीं हो और शारीरिक रूप से स्वस्थ हो।
- किसी भी सरकारी सेवा मे न हो और न ही संसद के सदस्य हो।
- जिस क्षेत्र के एमएलसी बनना हो उस क्षेत्र के निवासी हो।
विधान परिषद मेम्बर ऑफ लेजिसलेटिव काउंसिल बनने की प्रक्रिया
- एक तिहाई स्थानीय निकायों जैसे नगर पालिका, ग्राम पंचायत, ग्राम सभा पंचायत समितियों और जिला परिषदों के सदस्यों के द्वारा चुने जाते हैं।
- राज्यपाल उन उम्मीदवारों को चुनते है जो लोग सोसियल वर्क लिटरेचर साइंस आर्ट मे रूचि रखते हो।
- एक तिहाई सदस्यों को विधानसभा के सदस्य चुनते है जो विधान परिषद के मेम्बर न हो।
- 3 साल पूर्व अध्ययन पूर्ण करने वाले उम्मीदवारों को एमएलसी ईलेक्शन के लिए चयनित किया जाता है।
- एमएलसी चुनाव के लिए उन लोगों को इनवॉल्व किया जाता है जिन उम्मीदवारों ने स्टेट के अंदर एजुकेशन इन्स्टीट्यूड मे अध्ययन किया हो।
- नगर पालिका, जिला बोर्ड और अन्य प्रधिकरण के सदस्यों के द्वारा विधान परिषद के कुछ सदस्यों को चुनते है।
- एक तिहाई स्थानीय निकायों के मेंबरों द्वारा नगर पालिका और जिला बोर्ड के सदस्यों द्वारा इनको चुनते है। 1/12 मेंबरों को राज्य के टीचर्स द्वारा किया जाता हैं और बाकी 1/12 सदस्यों को ग्रेजुएट पास रजिस्टर्ड वॉटर्स द्वारा किया जाता हैं। जिसके बाद ही एक एमएलसी सेलेक्ट किया जाता है।
एमएलसी फुल फॉर्म से जुड़े प्रश्न
एमएलसी क्या है ?
एमएलसी विधान परिषद का सदस्य होता है।
एमएलसी फुल फॉर्म क्या है ?
एमएलसी फुल फॉर्म मेम्बर ऑफ लेजिसलेटिव काउंसिल है।
एमएलसी का कार्यकाल कितना होता है ?
एमएलसी का कार्यकाल 6 वर्ष के लिए होता है।
विधान परिषद किन किन राज्यों मे है ?
देश के 6 राज्यों मे विधान परिषद है।