मुग़ल इतिहास में जोधा और अकबर (Jodha Akbar) की प्रेम कथा काफी लोकप्रिय हुई है चूँकि यह हिन्दू और मुस्लिम संस्कृति के मिलने के रूप में भी देखी जाती है। किन्तु कुछ विद्वान इस घटना के प्रमाण ना होने के कारण इसको काल्पनिक भी बताते है। यदि जोधा अकबर की कथा काल्पनिक है तो इसके लेखक की कल्पनाशीलता एवं साहित्यिक सृजन को अद्वितीय तो माना ही जायेगा। इनकी कहानी पर बनाये गए टीवी धारावाहिक एवं फिल्मे भी दर्शको को काफी पसंद आते है। जोधा अकबर के प्रेम की मिसाल आज भी दी जाती है चूँकि जोधा एक सुन्दर राजकुमारी थी और अकबर एक निडर योद्धा थे।

जोधा अकबर की जीवनी
वास्तविक नाम | जोधा बाई |
उपनाम | मरियम-उज-जमानी, मल्लिका-ए-हिंद |
माता-पिता | मानवती साहिबा एवं राजा भारमल |
पति का नाम | अकबर |
संतान | जहाँगीर |
धर्म | हिन्दू |
जाति | राजपूत |
जोधा बाई की जीवनी
जोधा बाई के जन्म की तिथि को लेकर विद्वानों में तो मतान्तर पाए जाते है किन्तु एक बात पर अधिकतर लोग सहमत है कि जोधा एक राज घराने की महिला थी। वैसे इनका जन्म 1 अक्टूबर 1542 की तारीख में बताया जाता है। जोधा के पिता का नाम भारमल और माता का नाम मानवती साहिबा था। जोधा के बचपन का नाम ‘हीर कुँवारी’ बताए जाता है। वैसे तो जोधा बाई से जुड़ा इतिहास बिलकुल भी स्पष्ट नहीं है किन्तु कुछ तथ्यों और शोध के अनुसार प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार उनके गुण और रूप को काफी मान्यता मिली हुई है।
राजा भारमल ने अकबर के साथ अपने सम्बन्धो को अच्छा करने के उद्देश्य से जोधा बाई की शादी बादशाह के साथ विवाह किया था। जोधा बाई से शादी के समय अकबर की आयु 20 साल थी। इस प्रकार से जोधा बाई ही वह महिला रही जिन्होंने करीबन 43 सालो तक शासन किया। विवाह होने के बाद जोधा बाई को ‘मरियम-उज-जमानी’ का नाम भी दिया गया।
जोधा बाई को लेकर यह मान्यता भी है कि वे एक कुशल व्यापारी महिला भी थी और उनको मुगल शासन में मसाले एवं रेशम की देखभाल की जिम्मेदारी दी गयी थी। अपने बेटे जहाँगीर के सत्ता में आने पर जोधा बाई को ‘हिन्दुस्तान की रानी माँ’ की उपाधि भी दी गयी थी। जोधा बाई के निधन को लेकर सर्वाधिक प्रचलित धारणा यह है कि उनका देहांत 1623 में दिल के दौरे के कारण हुई थी। उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार राजा अकबर के समीप ही उनका मकबरा भी बनाया गया था।
जोधा बाई को राजा अकबर का पहला एवं अंतिम प्यार माना जाता है। किताबो और खासकर टीवी धारवाहिकों एवं मूवी में इन दोनों की कहानी की जानने के बाद तो बहुत से लोगो में इन दोनों की प्रेम कहानी को और अधिक जानने की उत्सुकता बढ़ जाती है।

जोधा अकबर प्रेम कथा
अकबर को भारत का सबसे शक्तिशाली एवं बहादुर राजा माना जाता है और इन्ही गुणों के कारण उन्होंने देशभर में अपने साम्राज्य को स्थापित कर लिया था। वे किसी भी रियासत को अपने रणनीतिक कौशल से कब्जा करने में माहिर थे और लड़ाई एवं समझौते की नीति से शासन करते थे। अपने समय में उनके सबसे बड़े प्रतिद्वंदी राजपूत ही थे और इनका सबसे ऐतिहासिक युद्ध अकबर और प्रताप युद्ध है। लड़ाई में जीत के बाद हुए समझौते के अनुसार अकबर ने राजाओ की अन्य बेटियों से भी विवाह कर लिया। इसके बाद वहां के अन्य रियासतों को भी बिना संघर्ष के अपने कब्जे में ले लिया।
इसके पश्चात अकबर की लड़ाई राजा भारमल और युद्ध में जीतने के बाद राजा भारमल के बेटो को भी बन्दी बना लिया। इसी दौरान राजा भारमल की बेटी यानी राजकुमारी जोधा बाई का विवाह भी अकबर के साथ हो गया। जोधा बाई से विवाह को सभी मुग़ल परम्परा के अनुसार किया गया और जोधा से भी उनकी इच्छा पूछी गयी। इस विवाह में किसी भी प्रकार की जोर जबरदस्ती नहीं हुई थी।
जोधा बाई भी अकबर के सभ्य व्यवहार से काफी प्रभावित हुई थी और उन्होंने अकबर को हिन्दू संस्कृति के विषय में काफी जानकारी भी दी। वैसे तो राजा अकबर की और भी रानियाँ थी किन्तु उनको सर्वाधिक लगाव रानी जोधा बाई से ही था चूँकि वे काफी बुद्धिमान एवं साहसी महिला थी। जोधा बाई को किले में अपना मंदिर बनाने की भी आज्ञा मिल गयी थी। अकबर अक्सर जोधा बाई से अपने फैसलों में सलाह लिया करते थे और उनके बताये मार्ग बहुत बार सही साबित होते थे। इस प्रकार से अकबर के प्रतापी राजा बनने में जोधा बाई का भी काफी योगदान रहा है।

राजा अकबर की जीवनी
वास्तविक नाम | मोहम्मद जलालउद्दीन अकबर |
जन्म-तिथि | 15 अक्टूबर 1542 |
माता-पिता | राजा हुमायुँ, हमीदा बानो बेगम |
पत्नियाँ | रुकैया बेगम, सलीमा सुल्तान, जोधा बाई |
संताने | जहांगीर, मुराद मिर्जा, दानियाल, हुसैन, हवर्ष |
निधन | 27 अक्टूबर 1605 (फतेहपुर सीकरी, आगरा) |
अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 के दिन उल्लेखित है और इनको बचपन में अबुल-फतह जलाल उद-दिन मुहम्मद अकबर नाम मिला था। साल 1556 में अकबर को अपने पिता हुमायुँ की दिल्ली सल्तनत का उत्तराधिकार मिला। किशोर आयु के कारण अकबर ने बैरम खान को राजा बनवाया। युवा होने पर अकबर को मोहम्मद जलालुद्दीन अकबर के नाम से जाना गया। विभिन्न धर्मो को लेकर अपने उदार दृष्टिकोण के कारण अकबर को ‘जिल-ए-लाही’ की उपाधि भी मिल गयी थी।
अकबर को भारत में सर्वाधिक साहसी एवं सफल राजा कहा जाता है। उनके दरबार में उच्च कोटि के कवि, कलाकार, नृत्यक एवं संगीतकार मौजूद थे। उनके नवरत्न तो विश्वभर में प्रसिद्ध थे। वे देश के सभी धर्मो का आदर करते थे और उनकी 25 पत्नियाँ थी। विभिन्न धर्मो की पत्नियों के कारण अकबर को अन्य धर्मो का अच्छा ज्ञान था। किन्तु इनमे सबसे खास जयपुर की राजकुमारी ‘जोधाबाई’ थी। किशोर आयु में ही अकबर को शिकार, दौड़ना एवं लड़ाई का कौशल आ गया था। साल 1563 में अकबर ने मुस्लिमो के पवित्र स्थानों पर हिंदू आगंतुकों पर लगने वाले कर को भी समाप्त कर दिया था।
अकबर ने उत्तर भारत में अपने साम्राज्य के विस्तार के बाद दक्षिणी भाग में भी साम्राज्य का विस्तार किया। अकबर के दरबार में कुल 9 मंत्री थे जिनको अकबर के ‘नवरत्न’ कहा जाता था। 27 अक्टूबर 1605 के दिन अकबर की मृत्यु पेचिश की बीमारी के कारण हो गयी थी। उनके मकबरे को आग्रा के सिकंदरा में बनवाया गया था। इतिहास में अपने कार्यो के कारण अकबर को ‘द ग्रेट’ उपाधि मिली हुई है।
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जोधा अकबर कथा के अन्य मत
बहुत से इतिहासकार अपने प्रमाणों के अनुसार जोधा अकबर कथा को काल्पनिक बताते है। सर्वप्रथम तो किसी ऐतिहासिक पुस्तक में जोधा के कोई ठोस प्रमाण नहीं है। एक मत के मुताबिक जोधा अकबर के बेटे जहाँगीर की राजपूत पत्नी थी। बड़ी संख्या में विद्वान जोधा अकबर कहानी को किसी लेखक द्वारा रचित कथा भी कहते है। यदि राजस्थानी लोगो की माने तो कभी किस राजपुताना रानी का विवाह राजा अकबर से नहीं हुआ था। कुछ मत यह भी है कि वह राजपूताना बेगम किसी अन्य नाम से जानी जाती थी ना कि जोधा बाई।
इस प्रकार से हमको जोधा बाई एवं राजा अकबर के विषय में बहुत सी मान्यताएं एवं कथा-किस्से जरूर मिल जाते है।
जोधा अकबर की जीवनी से जुड़े प्रश्न
जोधा बाई के बचपन का नाम क्या था?
हीरा कुमारी एवं हरका बाई।
राजा अकबर ने जोधा बाई को क्या उपाधि दी थी?
मरियम-उज-जमानी।
जोधा बाई को अंतिम दिनों में क्या उपाधि मिली थी?
इन्हे अपने पुत्र जहाँगीर के शासन काल में ‘हिन्दुस्तान की रानी माँ’ की उपाधि मिली थी।