हर्षत मेहता को देश के प्रसिद्ध शेयर दलाल के रूप में प्रसिद्धि मिली हुई है, इस कारण से उनको ‘द बिग बुल’ भी कहते है। शेयर बाजार को लेकर Harshad Mehta को अच्छी जानकारी रहती थी इस कारण से ही इन्होने इस क्षेत्र में अच्छी कामयाबी पाई थी। इनका नाम देश के शेयर मार्किट को बदलकर रख देने वाले व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। साल 1992 में देश के शेयर बाजार के चर्चित 4 हजार करोड़ के स्कैम में मुख्य भूमिका में हर्षद को ही बताया गया था। इस लेख में आपको हर्षत मेहता के जीवन एवं कार्य को जानने का मौका मिलेगा।

वास्तविक नाम | हर्षद शांतिलाल मेहता |
प्रचलित नाम | द बिग बुल, अमिताभ बच्चन ऑफ स्टॉक मार्किट |
जन्म-तिथि | 29 जुलाई 1954 |
जन्म-स्थल | पनेली मोटी, राजकोट डिस्ट्रिक्ट (गुजरात) |
शिक्षा | बीकॉम |
व्यवसाय | स्टॉक ब्रोकर |
मृत्यु | 31 दिसंबर 2001 |
हर्षद मेहता: जन्म एवं प्रारंभिक जीवन
द बिग बुल के नाम से प्रसिद्ध हर्षद मेहता का जन्म 29 जुलाई 1954 में पनेल मोटी, गुजरात राज्य के राजकोट जिले में हुआ था। इनके पिता का नाम शांतिलाल मेहता एवं माता का नाम रेसीलाबेन मेहता था। इनके बचपन का पूरा नाम हर्षद शांतिलाल मेहता था। इनके परिवार में तीन भाई थे। इनके पिता का मुंबई के कांदिवली में एक छोटी टेक्सटाइल मिल का व्यवसाय था। इनका बचपन कांदिवली में ही व्यतीत हुआ हर्षद के पिता अपने आप ही पूरा कारोबार सम्हालते थे किन्तु मुंबई में इनका व्यवसाय ठीक से नहीं चल पाया। इसके कुछ समय पश्चात इनका पूरा परिवार मोढ़ापारा, रायपुर (मध्य प्रदेश) में रहने चले गए।
हर्षद के पारिवारिक सदस्य
पिता | शांतिलाल मेहता |
माता | रसीलाबेन मेहता |
भाई | अश्विन, हितेश एवं सुधीर |
पत्नी | ज्योति |
बेटा | अतुर |
शिक्षा एवं परिवार
हर्षद की विद्यालयी शिक्षा छतीसगढ़ के रायपुर शहर के होली क्रॉस हायर सेकेंडरी स्कूल से हुई। इसके बाद इन्होने साल 1976 में लाला लाजपतराय कॉलेज, मुंबई में प्रवेश ले लिया। अपनी उच्च शिक्षा में इन्होने बीकॉम की डिग्री प्राप्त की है। कॉलेज से निकलने के बाद इन्होने छोटी नौकरी भी की। इसके बाद इनकी शादी विवाह ज्योति से हो गया और इनके परिवार में एक बेटा आतुर मेहता है।
हर्षद का स्टॉक मार्किट कॅरियर
हर्षत ने अपनी कॉलेज एजुकेशन को पूर्ण करने के बाद एक बीमा कंपनी में नौकरी शुरू कर दी और वे यहाँ पर एक सेल्स से जुडी नौकरी करते थे। इसके बाद उन्होंने हरिजीवनदास नेमीदास सिक्योरिटीज ब्रोकरेज फर्म में नौकरी शुरू की। इसी नौकरी के दौरान हर्षद को स्टॉक मार्किट से सम्बंधित जानकारी का अच्छा ज्ञान मिला। वे अपने ज्ञान का श्रेय अपने गुरु प्रसन्न परिजीवनदास को देते हुए उन्हें अपना गुरु कहते थे। यहाँ पर कार्य करते हुए स्टॉक मार्किट का अच्छा ज्ञान ले लेने के बाद साल 1984 में हर्षद ने अपनी कंपनी ग्रो मोर रीसर्स एंड असेट मैनेजमेंट शुरू कर ली। साथ ही इन्होने मुंबई एक्सचेंज की सदस्यता ले ली। इसके कुछ ही दिनों के बाद हर्षद अखबारों एवं ख़बरों की हैडलाइन में शामिल होने लगे।
अब बड़े-बड़े उद्योगपति उनके साथ काम करने के लिए मीटिंग करने को तैयार रहते थे। खासकर स्टॉक मार्किट के क्षेत्र में तो हर्षद एक नाम को काफी इज्जत मिल चुकी थी। उनका नाम शेयर मार्किट में तब ज्यादा मशहूर हुआजब हर्षद ने एसीसी (एसोसिएट सीमेंट कम्पनी) में अपना पैसा निवेश करना शुरू कर दिया। हर्षद के एसीसी कम्पनी में निवेश के बाद तो इस कंपनी के दिन ही बदल गए। जिस एसीसी कम्पनी का एक शेयर 200 रुपए की कीमत रखता था वो अब 9,000 रुपए तक पहुँच चुका था। सभी उनकी योग्यता को लेकर हैरान थे कि अचानक से ही उनको शेयर बाजार में इतनी सफलता कैसे मिल गयी।
हर्षद से जुड़े विवाद एवं घोटालो का विवरण
इस समय पर हर्षद का नाम शेयर बाजार से जुडी पत्रिकाओं एवं समाचार पृष्ठों पर दिन प्रतिदिन दिखने लगा था। उनके 1500 वर्ग फ़ीट के घर से लेकर महँगी गाड़ियों के चर्चे दुनियाभर में हो रहे थे। यह पहली बार देखा गया था कि एक छोटा सा स्टॉक ब्रोकर इतनी मात्रा में निवेश करते हुए करोड़ों का लाभ ले रहा था। साल 1990 के समय के बैंकों को इक्विटी बाजार में इन्वेस्ट करने की अनुमति नहीं थी। इस समय पर यदि की बैंक को दूसरे बैंक से ऋण लेने के लिए अपना बॉन्ड अन्य बैंक में जमा करना पड़ता था। यह काम एक दलाल के माध्यम से होता था। किन्तु इस काम में एक कमी थी जिसका हर्षद ने फायदा उठा लिया।
किसी भी बैंक को जब शार्ट टर्म लोन की जरुरत होती थी तो वे इस प्रकार का लोन लेते थे। ये लोन 15 दिनों की अवधि के लिए होता था। और इस समयावधि के बाद वो फायदे के साथ पैसे को लौटा देते थे। कोई भी बैंक को 15 दिन के लिए लोन नहीं देता था किन्तु हर्षद मेहता ले थे। इसके लिए वे एक बैंक से नकली बीआर बनाकर बनवाकर दूसरे बैंक से बड़ी आसानी से पैसे ले लेते थे। हर्षद इस काम को बिचौलियों की मदद से किया करते थे।किन्तु हर्षद को इस प्रकार के लेनेदेनों से सम्बंधित बारीकियों की जानकारी थी। वे अपनी पहचान एवं मशहूर नाम का भी अच्छा लाभ ले लेते थे। बैंको से मिलने वाले पैसे को हर्षद ने शेयर मार्केट में निवेश करके अच्छा लाभ बनाया।
कुछ जानकार कहते है कि उस समय पर किसी भी शेयर पर पैसा लगाना फायदा ही देता था चूँकि उस समय शेयर मार्केट में लाभ का दौर चल रहा था। शेयर बाजार दिनों दिन चढ़ता ही जा रहा था। हर्षद ने बाजार की इसी तेज़ी का अच्छे से फायदा लिया। इसके बाद भी हर्षद ने अपनी कारगुजारी जारी रखी और मैगजीन एवं समाचार-पत्रों में शेयर मार्किट निवेश को लेकर अपने लेख लिखें। इन लेखों के माध्यम से वे उन्ही कंपनियों में पैसा निवेश की सलाह दे रहे थे जिसमे उनका अपना पैसा भी लगा हुआ था।
घोटाला कैसे पकड़ा गया
देश जानी मानी पत्रकार सुचेता दलाल ने साल 1992 में हर्षद मेहता के बैंक सम्बंधित घोटाले को दुनिया के सामने लाने का काम किया था। उनके अनुसार हर्षद मेहता रेडी फॉरवर्ड (RF) डील के माध्यम से बंक से फण्ड ले रहे थे। यह एक शार्ट टर्म लोन की डील होती थी।किन्तु इस बात एक खुलासा होने पर सभी बैंकों ने हर्षद से पैसे की माँग करनी शुरू कर दी।
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घोटालो पर कार्यवाही
घोटाले के सामने आपने पर हर्षद पर 72 आपराधिक मामले दर्ज़ हुए। इसके अतिरिक्त उन पर 600 से भी अधिक सिविल एक्शन सूट दायर हुए। इसके बाद सेबी ने उन पर जीवनभर के लिए शेयर बाजार की गतिविधियों में प्रतिबंधित कर दिया। हर्षद पर उच्चतम न्यायालय की ओर से 5000 करोड़ के आरोप लगाए गए। हर्षद मेहता केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट से 24 वर्षों बाद निर्णय आया। मुंबई स्थित एक खास कोर्ट ने हर्षद मेहता, उनके भाई सुधीर मेहता एवं अन्य 6 लोगों के ऊपर 700 करोड़ के घोटाले में नामांकित कर दिया। उनके साथ इस करोड़ों के घोटाले में बैंक के वरिष्ठ अधिकारी एवं अन्य स्टॉक ब्रोकर भी थे।
हर्षद की मृत्यु
एक शातिर एवं विवादपूर्ण जीवन जीने वाले स्टॉक ब्रोकर हर्षद मेहता की मृत्यु भी बहुत रहस्यपूर्ण ठंग से हुई थी। वे एक मामले में दोषी पाए जाने पर 5 साल की सजा पा चुके थे। उनके ठाणे (मुंबई) जेल में रखा गया था। 31 दिसंबर 2001 की रात को करीबन 11 बजे के बाद उनके सीने में दर्द हुआ और सिविल हॉस्पिटल, ठाणे ले जाते समय उनकी मृत्यु हो गयी। अपनी मृत्यु के समय हर्षद मात्र 47 साल के थे।
हर्षद मेहता से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
- अपने समय में हर्षद को शेयर बाजार का बेताज बादशाह/ अमिताभ बच्चन और द बिग बुल कहते थे।
- शेयर मार्केट में कम समय में बहुत ज्यादा पैसा बनाना हर्षद की पहचान थी।
- उनके पिता एक छोटी कंपनी के मालिक थे और उनका परिवार एक मध्यवर्गीय परिवार था।
- वे बैंको को नकली रसीदे देकर पैसा लोन पर लेते थे और इसको शेयर बाजार में निवेश कर देते थे।
- इस प्रकार से घोटालों के सामने आने पर 72 आपराधिक केस एवं 600 से अधिक दीवानी के केस दर्ज़ हुए।
- अपने ऊपर लगे सभी मामलों मे से हर्षद सिर्फ एक में ही दोषी करार दिए गए और बाकी के सम्बन्ध में कोई प्रमाण नहीं मिल सकें।
- साल 1993 में हर्षद ने तत्कालीन पीएम नरसिम्हा राव पर भी 1 करोड़ की रिश्वत लेने का आरोप लगाया था, किन्तु यह प्रमाणित नहीं हो सका।
हर्षद मेहता के जीवन परिचय से सम्बंधित प्रश्न
हर्षद मेहता पर क्या आरोप लगाए गए थे?
हर्षद पर आरोप था कि वे एक बैंक से जाली BR बनवाते थे। इसके द्वारा वे अन्य बैंकों से पैसे निकाल लेते थे। जब तक शेयर बाजार में अच्छा व्यापार था तब तक किसी को इस बात की खबर नहीं थी किन्तु मंदी के समय ये गड़बड़ सामने आ गयी।
हर्षद मेहता की कुल संपत्ति कितनी है?
हर्षद मेहता के जीवित होने पर उनकी कुल संपत्ति करीबन 3542 करोड़ रुपए अनुमानित थी।
हर्षद मेहता की मृत्यु कब और कैसे हुई?
हर्षद की मृत्यु 31 दिसंबर 2001 की रात में 11 से 12 बजे हुई थी। उनकी पत्नी ज्योति के अनुसार साल 11 बजे हर्षद को ठाणे अस्पताल तक जाने के लिए लम्बी दुरी तय करनी पड़ी। वहाँ पहुंचकर कार्डियोग्राम में दूसरे बड़े अटैक की पुष्टि हुई और इसके बाद उनका निधन हो गया।