उत्तर भारत कीराजनीति में जाना पहचाना नाम है चंद्रशेखर आजाद रावण, जो कि एक भारतीय दलित-बहुजन अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले कार्यकर्त्ता है। वे खुद को एक अम्बेडकरवादी व्यक्ति बताते है जो संविधान के मार्ग से अपने हक को पाने का प्रयास करते है। चंद्रशेखर को एक भारतीय राजनेता, वकील एवं दलित अधिकारों के कार्यकर्त्ता के रूप काफी लोकप्रियता मिल चुकी है। इसके अतिरिक्त वे ‘भीम आर्मी’ नाम की राजनीतिक पार्टी के सह-संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष भी है। उनके मूल्य का अनुमान इसी बात से लगा सकते है कि उनको विश्व प्रसिद्ध टाइम्स पत्रिका के फरवरी 2021 अंक में 100 उभरते हुए नेताओं की सूची में जगह दी थी। इस लेख के माध्यम से आपको चंद्रशेखर आजाद के जीवन के विषय में मुख्य जानकारी देने का प्रयास होगा।
पूरा नाम | चंद्रशेखर आजाद रावण |
प्रसिद्ध नाम | रावण |
जन्म-तिथि | 3 दिसंबर 1986 |
जन्मस्थल | सहारनपुर, उत्तर प्रदेश (भारत) |
संघठन का नाम | भीम आर्मी |
राजनीतिक पार्टी | आजाद समाज पार्टी |
धर्म | हिन्दू |
चंद्रशेखर आजाद रावण का प्रारंभिक जीवन
चंद्रशेखर का जन्म दिसंबर 1986 में पश्चिमी यूपी के जिले सहारनपुर में छुटमलपुर कस्बे में हुआ था। इनके माता-पिता का नाम गोवर्धन दास एवं कमलेश देवी है। इनके पिताजी एक राजकीय विद्यालय में सेवानिवृत प्रधानाचार्य थे। उनके परिवार में दो भाई भी है जिनके नाम भरत सिंह एवं कमल किशोर है। चंद्रशेखर ने देहरादून के डीएवी महाविद्यालय से कानून में ग्रेजुएशन किया है। उनके द्वारा अपने क्षेत्र में एक होर्डिंग लगाने के बाद सही उनका नाम सुर्ख़ियों में आने लगा था। इस होर्डिंग में लिखा था – ‘घड़खौली के महान चमार वेलकम यू’, इस होर्डिन को उनके दल ने अपने गाँव की सीमा के बाहरी क्षेत्र में लगा दिया था।
चंद्रशेखर के कार्यक्षेत्र
वे अपने कार्यों के द्वारा एक दलित आइकन नेता के रूप में काफी प्रसिद्ध हो चुके है। इसके साथ ही उनको अपनी खास किस्म की नेतृत्व शैली के लिए लोकप्रियता मिल चुकी है। कुछ लोग उनकी शैली को दिखावटी मानते है। वे विनम्रता, न्यूनतावाद एवं विवेकशीलता को स्वीकार नहीं करते है। वे शांत सुरुचिपूर्ण नहीं होकर काफी जोशीले एवं तेजतर्रर है। वे अपनी बड़ी मुछो के साथ काफी आक्रामक तरीके से प्रस्तुति देते है।
राजनैतिक पृष्ठभूमि
चंद्रशेखर ने स्वयं को एक बहुजन नेता के रूप में अच्छे से स्थापित कर लिया है और उनकी शैली भी खास किस्म की है। साल 2014 में चद्रशेखर ने सतीश कुमार एवं विनय रत्न सिंह के सहयोग से एक राजनैतिक पार्टी ‘भीम आर्मी’ को स्थापित कर दिया था। इस संघठन का मुख्य उद्देश्य देशभर में शिक्षा एवंसूचना के माध्यम से दलित नागरिको को मुक्ति के मार्ग पर ले जाना।
चंद्रशेखर की भीम आर्मी
यह एक बहुजन दल है जिसको भारत एकता मिशन के रूप में जानते है। यह दल एक दलित चिंतक सतीश कुमार के विचारों का साकार रूप है। साल 2014 में चंद्रशेखर एवं विनय रतन आर्य ने समाज के वंचित वर्ग के उत्थान के लिए इस दल को स्थापित किया। भीम आर्मी में चंद्रशेखर के नेतृत्व में करीबन 25 कार्यकर्त्ता दल को सम्हालने का कार्य करते है। साल 2016 के सितम्बर महीने में सहारनपुर के ही छुटमलपुर में स्थित AHP इण्टर कॉलेज के अनुसूचित जाति के विधार्थियों को तथाकथित सवर्ण जाति के साथियों से मारे जाने पर संघठन ने विरोध किया था। ये दल अपने समुदाय के लोगों के लिए दलित शब्द का विरोध करता है और अपने यहाँ पर अम्बेडकरवादी विचारों पर के लोगों का स्वागत करता है। साल 2017 में सहारनपुर में जातिगत हिंसा करने का आरोप लगाते हुए चंद्रशेखर को पहली बार हिरासत में लिया गया।
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आजाद समाज पार्टी
चंद्रशेखर ने 15 मार्च 2020 के दिन चंद्रशेखर ने आजाद समाज पार्टी (काशीराम) नाम से एक राजनैतिक दल को स्थापित किया था। ध्यान रखने वाली बात यह है कि इस दल की घोषणा बहुजन समाज पार्टी की स्थापना करने वाले वरिष्ठ बहुजन नेता काशीराम की 86वीं जन्मतिथि पर हुई है। उन पार्टी के संस्थापक सरवन कौर की बहन ने आजाद समाज पार्टी में सम्मिलित होने की तैयारी की थी। साल 2020 में पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव में राज्य की हर सीट से चुनाव में प्रतिभाग करने की तैयारी की थी। साल 2020 में भीम आर्मी की स्थापना करने वाले चंद्रशेखर आजाद ने बिहार विधानसभा चुनाव में दूसरे स्थानीय राजनितिक दलों के साथ राजेश रंजन (पप्पू यादव) की जन अधिकार पार्टी (लोकतान्त्रिक) में प्रगतिशील जनतांत्रिक गठबंधन (पीडीए) से जुड़ने की बात कही थी। इस प्रकार से पार्टी की अधिकतर प्रसिद्धि दलित एवं अनुसूचित जनजातियो के बीच देखी जाती है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में प्रदर्शन
सबसे पहले चंद्रशेखर ने भीम आर्मी के सक्रिय नेता के रूप में खुद को स्थापित किया और इसके बाद प्रदेश के चुनावों में भागीदारी करने के लिए उन्होंने आजाद समाज पार्टी की भी स्थापना कर दी। साल 2020 में वे पप्पू यादव की पार्टी के साथ बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन एवं संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के अतिरिक्त जन अधिकार पार्टी के अलग मोर्चे को बनाने में भी सफल हुए थे। चुनाव के दौरान इन्होने 2 महागठबन्धनों के विरुद्ध चुनाव में भाग लिया। इसके अतिरिक्त ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट नाम का अलग मोर्चा भी था। इसका नेतृत्व राष्ट्रीय लोक समता पार्टी कर रही थी और इसके साथ आल इण्डिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन एवं सुहेलदेव समाज पार्टी जैसे स्थानीय दल भी सम्मिलित हुए। चंद्रशेखर एवं पप्पू यादव के राजनैतिक मोर्चे को प्रगतिशील जनतांत्रिक गठबंधन (PDA) नाम दिया गया।
चंद्रशेखर की गिरफ्तारियाँ
सहारनपुर हिंसा हो जाने के बाद चंद्रशेखर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उन्हें यूपी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में लिया गया था। किन्तु इलाहाबाद कोर्ट ने उनको इस आधार पर जमानत दे दी थी कि उनको राजनीती से प्रेरित होकर गिरफ्तार किया गया है। यूपी प्रदेश सरकार ने उनको लगातार जेल में रखा था। इसके बाद दिल्ली की जामा मस्जिद से जंतर मंतर तक CAA कानून के विरोध में रैली करने के लिए भी दिल्ली पुलिस ने चंद्रशेखर को अनुमति नहीं दी थी। किन्तु उन्होंने इसे न मानते हुए जामा मस्जिद से प्रदर्शन शुरू कर दिया जिसके बाद पुलिस ने उनको हिरासत में ले लिया। वे बहुत दिनों तक पुलिस की गिरफ्तारी में रहे।
इसके बाद उनको 2 CAA कानूनों के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए हैदराबाद से भी गिरफ्तार किया गया। इसके बाद एक धार्मिक मामले में उनकी गिरफ्तारियाँ हुई जिसमे तुगलकबाद के श्री रविदास गुरुघर मंदिर को तोड़े जाने का विरोध करने पर उन्हें हिरासत में लिया गया। एक संवेदनशील दुष्कर्म के मामले में चंद्रशेखर को भीम आर्मी के 500 सदस्यों के साथ हिरासत में ले लिया गया। इन सभी पर हाथरस में IPC की धारा 144 के तहत एवं अन्य IPC/ महामारी रोग अधिनियम की बहुत सी धाराओं के तहत हिरासत में लिया गया।
कृषि बिल पर प्रदर्शन
चंद्रशेखर अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ दिल्ली-गाज़ीपुर में कृषि बिल का विरोध करने वाले किसानों के साथ शामिल हो गए। वे सभी कृषि बिल को तत्काल वापिस लेने की मांग पर अड़े हुए थे। इससे पहले भी किसानों द्वारा देशभर में कृषि बिल का विरोध किये जाने के दौरान उनका समर्थन करने पर चंद्रशेखर को उनके आवास में गिरफ्तार आकर लिया गया। उनके प्रदर्शन करने वाले कार्यकर्ताओं पर वाटर कैनन एवं आँसू गैस के इस्तेमाल होने पर केंद्र सरकार की आलोचना भी की। वे कृषि बिल को सरकार की बड़े उद्योगपतियों को किसानों की जमीन बेचने का षड्यंत्र करार दे रहे थे।
हाथरस मामले पर प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक महिला के साथ ज्यादती हो जाने और हॉस्पिटल में मृत्यु हो जाने पर चंद्रशेखर एवं उनके कार्यकर्ताओं ने दिल्ली के सफ़दरजंग हॉस्पिटल में विरोध किया। वे सभी इस मामले से जुड़े लोगों को मृत्यु दंड देने की मांग कर रहे थे। वंचित समुदाय से संबधित 19 वर्षीय युवती ने उपचार के दौरान दम छोड़ दिया था। पहले वे लोग महिला को देखने गए और गंभीर हालत के कारण उक्त महिला को दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में ले जाया गया। किन्तु महिला को अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में एडमिट करवा दिया था। इसके बाद महिला ने दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में प्राण त्याग दिए।
इसी मामले के दौरान जब वे पीड़ित महिला के परिवार से मिलने जा रहे थे तो पुलिस ने उनको 2 बार रोकने का प्रयास किया। इसके लिए चंद्रशेखर ने भारी संख्या में विरोध प्रदर्शन भी किया। वे एक बड़े ट्रक पर खड़े होकर अपने समर्थको को सम्बोधित करते हुए दिखाई दे रहे थे। उनकी रैली को हाथरस से 20 किमी दूरी पर रोक लिया गया तो उनके समर्थको ने पीड़ित महिला के घर तक जाने के लिए 5 किमी की दूरी को पैदल ही तय किया। परिवार से मिलते ही उन्होंने परिवार को ‘वाई प्लस’ सुरक्षा देने की मांग कर रहे थे। वे पीड़ित परिवार को अपने साथ ले जाने की भी माँग कर रहे थे किन्तु प्रशासन ने इस बात को नकार दिया।
इसके बाद चंद्रशेखर ने दिल्ली में आकर जंतर मंतर पर इस मामले के विरोध में अपने सैकड़ो कार्यकर्ताओं के साथ तख्तियाँ लेकर जमकर विरोध किया। पुलिस द्वारा पीड़ित महिला की डेड बॉडी को पेट्रोल से जला देने की बात सामने आ रही थी। और महिला के परिवार का आरोप था कि उन लोगो को अंतिम संस्कार तक का अवसर नहीं मिल सका। ये सभी घटना तब हुई थी जब चंद्रशेखर को पुलिस ने गिरफ्तार करके सहारनपुर में नजरबन्द कर दिया था।
चंद्रशेखर आजाद रावण से जुड़े कुछ प्रश्न
चंद्रशेखर आजाद रावण का जन्म कब एवं कहाँ हुआ?
चंद्रशेखर आजाद का जन्म 3 दिसंबर 1986 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के छुटमलपुर कस्बे में हुआ था।
चंद्रशेखर आजाद रावण कौन है?
चंद्रशेखर आजाद एक सामाजिक कार्यकर्त्ता, वकील, राजनैतिक एवं बहुजन अधिकार एक्टिविस्ट के रूप में प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त वे भीम आर्मी के सहसंस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष भी है।