देश की सुरक्षा में भारतीय सेना एवं सैनिको का योगदान सर्वोपरि रहता है। इसी प्रकार से भारतीय सेना के एक अधिकारी बिपिन रावत ने भी बहुत लम्बे समय तक सेना की सेवा की है। देशी की आजादी के कुछ वर्षों बाद ही एक छोटे से गाँव से अपने जीवन को शुरू करने वाले बिपिन रावत ने पढ़ाई एवं लगन के बल पर भारतीय सेना में सर्वोच्च पद को प्राप्त किया। हालाँकि पर्वतीय क्षेत्रों के निवासियों का जीवन परिश्रम एवं मुश्किलों से भरा रहता है। हेलीकॉपटर दुर्घटना में असमय मृत्यु हो जाने के कारण सेना और देशवासी हमेशा उनकी कमी को महसूस करते रहते है।
इस घटना से थोड़े ही समय पहले उन्हें थल सेना के 27वें प्रमुख का कार्यभार मिला हुआ था। साथ ही वे देश का प्रथम CDS यानी चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ, जो रक्षा मंत्री मुख्य सलाहकार होते है। उन्होंने सेना में प्रशासन के अधिक हस्तक्षेप एवं दोहरेपन को कम करने में मुख्य भूमिका अदा की थी। इस लेख के माध्यम से पहले सीडीएस बिपिन रावत की प्रेरणादायक जीवनी को सामने लाने का प्रयास होगा।

बिपिन रावत का जीवन परिचय
वास्तविक नाम | बिपिन रावत |
जन्मतिथि | 16 मार्च 1958 |
जन्मस्थल | लैंसडाउन, पौड़ी, गढ़वाल (उत्तराखंड) |
माता-पिता का नाम | पॉलिन कोच और जनरल लक्ष्मण सिंह रावत |
संताने | 2 पुत्री (कृतिका रावत एवं तारिणी रावत) |
पत्नी | मधुलिका रावत |
पद | भारत के सीडीएस अधिकारी |
मृत्यु | 8 दिसंबर 2021 |
प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा
बिपिन रावत का जन्म उत्तर भारत में छोटे से पर्वतीय राज्य उत्तराखण्ड के पौड़ी जिले में 16 मार्च 1958 के दिन हुआ था। इनके परिवार का भारतीय सेना से पूर्व समय से सम्बन्ध रहा है। इनके पिता का नाम लक्ष्मण सिंह रावत था और वे भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल थे। इनकी माँ उत्तरकाशी के विधायक किशन सिंह परमार की पुत्री थी। इस प्रकार से इन्हे एक समृद्ध एवं अच्छे वातावरण का परिवार मिला। सबसे पहले इनको देहरादून के कैंब्रिज हाई स्कूल में प्रवेश मिला और इसके बाद इन्होने सेंट एडवर्ट स्कूल, शिमला में भी प्रवेश लिया। बिपिन शुरू से ही पढ़ाई में काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे इसी कारण से उन्हें सेना की प्रवेश परीक्षा में सफलता मिल गयी।

सैन्य संस्थानों में शिक्षा
विद्यालयी शिक्षा को पूर्ण करने के बाद वे देश के प्रसिद्ध सेना प्रशिक्षण केंद्र राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA), खडकवासला में प्रवेश लेने में सफल हुए। इस प्रकार से इनके सैन्य जीवन की शुरुआत हो चुकी थी। रक्षा संस्थान में सभी भागों में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद इनको देश के सर्वोच्च सैन्य संस्थान IMA, देहरादून (भारतीय सैन्य अकादमी) के प्रवेश मिला। यहाँ के पाठय्रकम में भी बिपिन ने परिश्रम एवं लगन का परिचय देते हुए प्रथम श्रेणी में स्नातक की उपाधि प्राप्त कर ली। इस सैन्य संस्थान में इनका प्रदर्शन इस श्रेणी का था कि ये अपने बैच में ‘सोर्ड ऑफ ऑनर’ पाने में सफल हुए।
विदेशी संस्थानों में पढ़ाई
एक तीव्र बुद्धि एवं प्रतिभाशाली सैनिक होने के कारण बिपिन रावत को विदेशो में भी अध्ययन का मौका मिल गया। ये डिफेन्स सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंग्टन से ग्रेजुएशन करने गए और इसके बाद साल 1997 में फोर्ट लेवेनवर्थ, कंसा के यूनिटेड स्टेट्स आर्मी कमांड एन्ड जनरल स्टाफ कॉलेज से डिग्री भी पूर्ण की।
उच्च शिक्षण एवं शोध कार्य
इसके बाद वे अपने देश आकर मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा विषयों से एमफिल की पढ़ाई करने लगे। साथ ही कंप्यूटर की जानकारी के लिए प्रबंधन एवं कंप्यूटर अध्ययन ने डिप्लोमा भी पूर्ण किया। साल 2011 में चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी ने भी बिपिन को सैन्य मिडिया अध्ययन के अंतर्गत रिसर्च वर्क के लिए पीएचडी की मानद उपाधि प्रदान की।
बिपिन रावत का सैन्य कॅरियर
बिपिन रावत को सेना में कार्य करने का अवसर 16 दिसंबर 1978 के दिन गोरखा रायफल – 11 की पाँचवी बटालियन में नियुक्ति से मिली। इसी राइफल से उनके पिता भी 10 सालो तक आंतक विरोधी मिशन में सर्विस दे चुके थे। इस प्रकार से उनकी सैन्य सेवा शुरू हो गयी और सेना में काम के दौरान उनको विभिन्न जरुरी नियम और कार्यशैली को जानने का अवसर मिला। उन्हें सैन्य दल का आपसी सहयोग से काम करना और कमाण्ड का भी परिचय हुआ। सेना में मेजर के पद पर नियुक्त होने के बाद बिपिन को जम्मू-कश्मीर के उरी में कंपनी को लीड करके की जिम्मेदारी मिली।

ये कार्य करने के बाद उन्हें एक कर्नल के रूप में किबिथू में LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कण्ट्रोल) के पूर्वी सेक्टर में गोरखा राइफल पाँचवी बटालियन को लीड करने का कार्यभार मिला। एक अच्छे प्रदर्शन के कारण उनको ब्रिगेडियर के पद पर पदोन्नति मिल गई और उन्होंने सोपार में राष्ट्रीय राइफल, सेक्टर पाँच को कमांड किया। इसी बीच विदेशों में भी सैन्य सेवा देने का मौका मिला और कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य के चेप्टर 7 में एक कई देशों की ब्रिगेड की नेतृत्व मिला। यहाँ इनके कार्य के लिए दो बार ‘फ़ोर्स कमांडर्स कमेडेशन’ का सम्मान दिया गया।
भारत में सेवा में वापिस आने पर बिपिन को 19वीं इंफैंट्री डिवीज़न, उरी के लिए मेजर जनरल के पद पर मुख्य अधिकारी का कार्यभार मिला। इसी पद पर पुणे की साउथ आर्मी की कमान सम्हालने से पहले उन्होंने दीमापुर में मुख्यालय की कोर को भी लीड किया। मेजर जनरल बिपिन रावत को इस पद पर रहते हुए भारतीय सैन्य अकादमी (IMA), देहरादून में अनुदेशात्मक कार्यकाल, सैनिक निदेशालय के अंतर्गत स्टाफ अधिकारी ग्रेड-2, मध्य भारत में दुबारा सत्पापित सैन्य प्लेन्स इंफ़ेंट्री विभाजन के लॉजिस्टिक्स स्टाफ अधिकारी, कर्नल समेत स्टाफ असाइनमेंट को सम्हाला।

इंडियन आर्मी के आर्मी कमांडर ग्रेड का पद मिलने के बाद 1 जनवरी 2016 के दिन दक्षिणी कमान में जनरल अफसर कमांड इन चीफ का कार्यभार भी सम्हाला। इसके बाद उनके योगदान को देखने हुए इंडियन आर्मी में उप प्रमुख का भी पद दिया गया। भारत सरकार ने 17 दिसंबर 2016 में बिपिन रावत को 27वें थल सेना प्रमुख के पद पर नियुक्ति दी। इस पदभार को ग्रहण करने के बाद बिपिन रावत ने जेएन्डके में पुलवामा आतंकी अटैक में 40 से ज्यादा भारतीय सैनिको के शहीद होने पर साल 2019 में पडोसी देश पाकिस्तान के बालाकोट में स्थित जैश-ए-मोहम्मद नाम के आतंकी प्रशिक्षण केंद्र पर किये हवाई हमले का निरीक्षण भी किया।

वे साल 2019 में यूनिटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका के दौरे पर गए, उनको यूनिटेड स्टेट सेना कमाण्डर एवं जनरल स्टाफ कॉलेज इंटरनेशनल के हॉल ऑफ फेम में स्थान मिला था। मेजर जनरपिन रावत ने देश के साथ विदेशी जनता को भी सैन्य सेवाएं प्रदान की, वे यूनिटेड नेशनल के एक मिशन के लिए कांगो गए थे जहाँ पर उन्होंने करीबन 7 हजार नागरिको की जान बचाई थी। बिपिन को नेपानी सेना से मानद जनरल का सम्मान भी मिला है चूँकि उन्होंने दोनों देशों की सेनाओं के मध्य परस्पर तालमेल लाने और विशिष्ट सैन्य सम्बन्ध को दर्शाने का कार्य किया है। 31 दिसंबर 2019 में सेना से सेवानिवृत होने के बाद मेजर जनरल बिपिन रावत को देश के प्रथम चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ (CDS) के पद पर चुना गया।

बिपिन रावत की सैन्य क्षमता
सेना में पराक्रम से साथ सही समय पर निर्णय लेना भी काफी जरुरी हो जाता है। अपने दल का कुशलता से नेतृत्व करना और सही प्रकार से निर्णय लेना उनकी विशेषता रही थी। इस बात को बहुत कम ही बताया गया है कि उरी आतंकी हमले में भारतीय सैनिको के शहीद होने के बाद एक पैरा कमांडो अंडरकवर सर्जिकल स्ट्राइक का विचार सबसे पहले बिपिन ने ही सुझाया था। इसके तुरंत बाद भारतीय सेना ने इस प्रकार के मिशन को करके आतंक पर अच्छा प्रहार किया था। इससे पहले साल 2015 में मणिपुर राज्य में हुए एक आतंकी हमले में देश के 18 सैनिक शहीद हुए थे। इस घटना के बाद सेना का नेतृत्व भी बिपिन के हाथो में दिया गया और उन्होंने अपने तरीके से सीमापार म्यांमार में एक पैरा सैनिको के दल को भेजकर NSCN-K के आतंकियों का सफाया करवा दिया था।
सैन्य लेखक के रूप में बिपिन रावत
एक पराक्रमी जवान और फिर कुशल अधिकारी रहते हुए बिपिन अपने विचार देश के लोगों के साथ बाँटने में विश्वास रखते थे। वे समय समय पर सुरक्षा से जुड़े मामलो पर अपने लेख लिखा करते थे। उनके ये लेख समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं में छापे गए है। उन्होंने अपने काम में कुशलता लाने के लिए सैन्य मिडिया योजना अध्ययन में शोध भी किया था।
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सेना में मिले पद
सेकंड लेफ्टिनेंट (1978) | ब्रिगेडियर (2007) |
लेफ्टिनेंट (1980) | मेजर जनरल (2011) |
कप्तान (1984) | लेफ्टिनेंट जनरल (2014) |
प्रमुख (1989) | सामान्य – COAS (2017) |
लेफ्टिनेंट कर्नल (1998) | सामान्य CDS (2019) |
कर्नल (2003) |
बिपिन रावत को मिले पुरस्कार
परम विशिष्ठ सेवा पदक | सामान्य सेवा मेडल |
उत्तम युद्ध सेवा पदक | ऑपरेशन पराक्रम मेडल |
अति विशिष्ठ सेवा पदक | सैन्य सेवा मेडल |
युद्ध सेवा पदक | उच्च ऊँचाई सेवा पदक |
सेना पदक | विदेश सेवा मेडल |
विशिष्ठ सेवा पदक |
बिपिन रावत हेलीकाप्टर क्रैश और मृत्यु
8 दिसंबर 2021 के दिन सीडीएस बिपिन रावत अपने 9 यात्री दल को ले जाने वाले चार सदस्य चालक टीम सहित IAF Mi 17 V5 हेलीकाप्टर से सुलुरु एयर फाॅर्स के हवाई अड्डे से निकले। किन्तु उनका यह जहाज तमिलनाडु राज्य के कुन्नूर के पास ही दोपहर में 12:10 बजे हादसे का शिकार हो गया। यह हादसा इतना जबरदस्त था कि हेलीकाप्टर पूरी तरह से जलकर ख़ाक में बदल गया था। इस दुर्घटना में उनके साथ उनकी पत्नी और 11 दूसरे लोग भी मार गए। इंडियन एयर फोर्स के अनुसार बिपिन वेलिंगटन (नीलगिरि हिल्स) स्टाफ कोर्स के संकाय एवं छात्र अधिकारीयों को सम्बोधन देने के लिए रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज में जा रहे थे।
उनका जहाज अपने गंतव्य से मात्र 10 किमी की दुरी पर ही क्रेश हुआ था। हादसे के दिन इंडियन एयर फोर्स (IAF) ने अपने ट्वीटर खाते से इस दुर्घटना में 13 लोगों के मरने की भी पुष्टि कर दी। इनमें से सिर्फ एक व्यक्ति कैप्टन वरुण सिंह बच सके किन्तु दुर्घटना के 1 हफ्ते बाद ही उनकी उपचार के दौरान मृत्यु हो गयी। 10 दिसंबर के दिन बरार चौक में इनकी दोनों पुत्रियों की उपस्थिति में हिन्दू अंतिम संस्कार रीति के अनुसार बिपिन रावत एवं उनकी पत्नी का संस्कार किया गया। इन दोनों को एक ही चिता में आसपास ही रखकर संस्कार किया गया। इसके साथ ही सैन्य सम्मान देने के लिए इन्हे 17 तोपों की सलामी भी दी गयी।
सीडीएस बिपिन रावत से जुड़े मुख्य प्रश्न
बिपिन रावत कौन है?
मेजर जनरल बिपिन रावत भारत के प्रथम CDS (चीफ ऑफ डिफेन्स सर्विसेज) रहे है। साथ ही वे जीवन भर भारतीय सेना में अहम पदों पर तैनात रहकर देश को सेवा देते रहे है।
जनरल बिपिन रावत कितने समय तक भारतीय सेना के प्रमुख रहे?
वे 31 दिसंबर 2016 से पुरे तीन सालो तक (यानी 2019) इंडियन आर्मी के प्रमुख रह चुके है।
जनरल बिपिन रावत को कितना वेतन मिलता था?
उन्हें सीडीएस के रूप में 2.5 लाख प्रति महीना मिल जाते थे साथ में विभिन्न भत्ते एवं सुविधा भी मिलती थी।